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कॉलेज गर्ल Xxx कहानी हिमाचल की एक लड़की के साथ मजेदार सेक्स की है. वो दिल्ली में पढ़ रही थी और मेरी उससे दोस्ती ऑनलाइन हुई थी.
दोस्तो, मेरा नाम वरुण (बदला हुआ नाम) है और मैं तेईस साल का हूँ.
यह मेरी पहली सेक्स कहानी है. मुझे उम्मीद है कि आपको मेरी यह कहानी पसंद आएगी. इस कॉलेज गर्ल Xxx कहानी की शुरूआत पिछले साल हुई थी.
पेशे से में एक फ्रीलांस लेखक हूँ, मैं सोशल मीडिया पर काफ़ी सक्रिय रहता हूँ. काफ़ी लड़कियों से मिल चुका हूँ और कुछ बार चुदाई करने का मौका भी मिला. लेकिन यह लड़की ऐसी थी कि क्या बोलूं!
सोशल मीडिया पर मुझे एक दिन नन्दिनी नाम की एक लड़की का संदेश आया. वो हिमाचल की रहने वाली थी. उसने मुझे फॉलो भी किया और संदेश में मेरे काम की तारीफ की, थोड़ी और बात करने के बाद उसने मुझसे कहा कि वो भी मेरी तरह लेखन में रूचि रखती है.
हम अगले दो तीन महीने तक ऑनलाइन ही बातें करते रहे. कभी कभी वीडियो कॉल कर लेते और इसी तरह धीरे धीरे हम एक दूसरे की जीवन का हिस्सा बन चुके थे.
वो कई बार मुझे अपने निजी जीवन के बारे में बताया करती थी. हालांकि उसका एक ब्वॉयफ्रेंड था और पढ़ाई करने दिल्ली आई हुई थी. मैं भी दिल्ली में ही रहता था.
उसने मुझे बताया कि उसका ब्वॉयफ्रेंड आजकल काफ़ी गुस्सैल हो गया है. वो उसे समय नहीं देता और ना ही बात करता है. अगर उससे कभी बात करने की कोशिश भी करूं … तो बहाना बना कर फोन काट देता है … और रात में भी उसका फोन बिज़ी भी जाता है.
यह सब बताकर नन्दिनी फोन पर रोने लगी. मैंने किसी तरह उसको चुप कराया.
नन्दिनी की बातें सुनकर साफ था कि वो अपने ब्वॉयफ्रेंड से बहुत प्यार करती है.
लेकिन एक बात मुझे साफ़ लगी कि इतने समय तक अपनी गर्लफ्रेंड से दूर रहने के कारण उसके ब्वॉयफ्रेंड ने भी कोई और लड़की ढूँढ ली होगी जो उसको जवानी के सुख भी दे रही होगी.
इतने समय नन्दिनी से बातें करते करते मेरे अन्दर भी नन्दिनी के लिए प्रेम की भावनाएं आ चुकी थीं. लेकिन मैंने अपनी भावनाएं उसके सामने ज़ाहिर नहीं होने दीं क्योंकि जो कुछ भी हमारे बीच था … वो काफ़ी खूबसूरत था और मैं ऐसी दोस्ती को खराब नहीं करना चाहता था.
काफ़ी समय ऑनलाइन बातें करने के बाद नन्दिनी ने एक दिन मुझसे कहा कि उसकी रूममेट घर जा चुकी है … और वो अकेली बोर हो रही है. मैंने कहा- तो मुझसे मिलने आ जाओ.
वो कॉलेज गर्ल भी शायद इसी बात का इंतजार कर रही थी. मैंने नन्दिनी को अपने घर आने का निमंत्रण दे दिया और इसी तरह हम दोनों ने मिलने का प्लान बना लिया.
नन्दिनी इतवार के दिन आ गयी और घर के पास वाले मेट्रो स्टेशन से मैं उसे लेने गया. मैंने जैसे ही उसे पहली बार देखा … मेरी नज़रें उस पर ही टिक ऐसे गईं मानो समय रुक सा गया हो और आस पास का शोर गायब हो गया हो.
मेरे दिल की धकड़नें बढ़ सी गयी थीं. वो सफेद सूट में क्या हूर की परी लग रही थी. गोल उभरे हुए चुचे और एकदम सुडौल कमर. नन्दिनी ने गुलाबी रंग की लिपस्टिक और काजल लगा रखा था. वो बस कयामत ही ढा रही थी.
नन्दिनी आगे बढ़ी और बोली- अरे क्या हुआ पहचाना नहीं क्या … हाय … मैं नन्दिनी!
मैंने झट से उसे हाय कहा और हम गले लगे. हम बातें करते करते मेरे घर आ गए. नन्दिनी मेरे कमरे में आकर थोड़ी हैरान सी थी.
मैंने नन्दिनी से कुछ खाने के लिए पूछा, तो नन्दिनी ने कहा- आप अपनी चाय की बहुत तारीफ करते हैं. आज चाय ही पिला दीजिए.
मैं हम दोनों के लिए चाय बनाने किचन में चला गया. थोड़ी देर बाद नन्दिनी भी मेरे पीछे आ गयी.
मैंने पूछा- क्या हुआ! वो बोली- मुझे यह नहीं पता था कि लड़के भी अपना घर इतना साफ रखते हैं.
मैंने हंसते हुए कहा- हां … और मैं अपना खाना भी खुद ही बनाता हूँ. यह सुनकर नन्दिनी बोली- आपकी कोई गर्लफ्रेंड क्यों नहीं है? मैंने बोला- कोई सही लड़की मिली नहीं … शायद इसलिए.
अब तक हमारी चाय खत्म हो चुकी थी और हम दोनों काफ़ी बातें कर चुके थे.
मेरा ध्यान बार बार ना चाहते हुए भी नन्दिनी की चूचियों पर जा रहा था. और यह बात शायद उसे भी पता चल चुकी थी. वो बार बार अपना दुपट्टा ठीक कर रही थी.
इसी बीच नन्दिनी अपनी बातें बताने लगी कि किस तरह वो और उसका ब्वॉयफ्रेंड तीन साल से रिलेशनशिप में थे. फिर दो साल पहले वो दिल्ली में कॉलेज की पढ़ाई करने आ गयी थी.
यह सब सुनकर मैंने उसे यह सलाह दी कि वो जिस कारण से दिल्ली आई है, फ़िलहाल उसी पर ध्यान दे.
अब तक एक घंटे हो चुका था, शाम ढलने लगी थी.
उसका मनोरंजन करने के लिए मैंने उससे पूछा- ड्रिंक लोगी? चैट के दौरान मुझे मालूम था कि वो ड्रिंक करती है.
उसने हामी भर दी तो मैं पिज़्ज़ा ऑर्डर कर दिया और व्हिस्की की बॉटल और दो ग्लास निकाल लाया.
अब हम दोनों बेड पर लॅपटॉप में टाइटेनिक मूवी देखने लगे.
दो दो ग्लास व्हिस्की पीने के बाद मैं थोड़ा मूड में आ गया था और शायद वो भी. तब तक पिज्जा भी आ गया था. हम दोनों ने एक एक पैग और लिया और पिज्जा खाकर लेट गए.
इस वक्त नन्दिनी मेरे कंधे पर सर रख कर मूवी देख रही थी.
तभी उसने धीरे से मेरा हाथ पकड़ लिया. मैं भी उसके मुलायम हाथ की नर्मी का अहसास करने लगा.
कुछ देर बाद मूवी में कार सेक्स का सीन आया … जिसमें जॅक और रोज़ गाड़ी के अन्दर Xxx चुदाई करते हैं. यह देख कर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने नन्दिनी को किस कर दिया.
नन्दिनी ने भी मुझे किस का जवाब दे दिया. बस हम दोनों किस करने लगे.
अब हमारे बीच काफ़ी उत्तेजना भरी सांसें स्थान लेने लगी थीं.
मुझे किस करते करते कब उसने मेरी शर्ट उतार दी और मैंने उसकी … ये पता ही नहीं चला. मैंने उसकी जीभर के किस किया. उसकी गर्दन पर काटा और धीरे से उसकी ब्रा निकाल दी.
उसके गजब के चुचे देख कर मैं काफ़ी उत्तेजित हो चुका था. मैंने उसके दोनों चुचे पकड़ लिए और धीरे धीरे मसलना शुरू कर दिया. उसके कड़क हो चुके निप्पलों को भी अपनी उंगलियों में भर कर मींजने लगा.
वो आह आह करने लगी तो मैंने एक निप्पल को अपने होंठों में भर लिया और दांतों से काटते हुए चुभलाने लगा.
नन्दिनी अब मादक सिसकारियां भरने लगी थी. मैं धीरे धीरे नीचे जाने लगा. मैंने उसके पेट पर किस किया और उसकी सलवार निकाल दी.
वो काफ़ी गीली हो चुकी थी और यह देख कर मैंने झट से उसकी पैंटी भी निकालते हुए उसकी टांगें फैला दीं. नन्दिनी ने शर्म के मारे आंखें बंद कर लीं.
मेरी नजरें अब उसकी चुत पर टिक गई थीं. एकदम साफ़ और गुलाबी रंगत लिए हुई चुत थी. मासूम सी चिपकी हुई उसकी दोनों फांकें हल्के हल्के से रिस रही थी. चुत देख कर ऐसा लगा कि मानो संतरे की फांक से रस टपक रहा हो.
मैं खुद को रोक ही नहीं पाया और अगले ही पल मैंने झुक कर उसकी चूत पर अपने होंठ लगा दिए. वो एकदम से सिहर गई और उसकी टांगें चुत को ढकने के लिए आपस में मिलने को हुईं.
मगर बीच में मैं था इसलिए उसकी ये कोशिश असफल हुई. मैं जीभ निकाल कर चुत चाटने लगा और अपनी दो उंगलियों को धीरे से चुत के अन्दर डाल दीं.
इससे नन्दिनी और भी ज्यादा छटपटा उठी और कामुक सिसकारियां लेने लगी.
वो अपने हाथ से मेरे सर को पकड़ कर मुझे अपनी चुत पर दबाने लगी और चुत चाटने का इशारा देने लगी. मैंने उसकी चुत को खूब चूसा और उस दौरान नन्दिनी की दोनों टांगें खुल कर हवा में ऊपर को उठ गईं.
फिर अचानक से उसने मुझे हटाकर बिस्तर पर धकेल दिया और बिजली की तेजी से लपक कर मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया. यह देख कर मैं एकदम हैरान था. मगर वो मेरा लंड बड़ी नफासत से ऐसे चूसने लगी, जैसे जन्मों की प्यासी हो.
मुझे लगा था कि यह एक अच्छी लड़की है … लेकिन उसका यह रूप देख कर मुझे समझ आ गया कि नन्दिनी भी वो ही चाहती थी, जो मैं चाहता था.
नन्दिनी मेरा लंड काफ़ी अच्छे से चूस रही थी, मेरे टट्टों को और टोपे को बड़ी मस्ती से चूस रही थी.
कुछ देर यूं ही लंड चूसने के बाद मैंने उसे उठाया और उसके चुचों के बीच लंड रगड़ने लगा. वो भी अपने मम्मों को दबा कर मेरे लंड को मजा देने लगी.
फिर अचानक से नन्दिनी मेरे ऊपर आकर बैठ गई. उसकी इस हरकत से मैं घबरा गया. मुझे लगा कि इससे पहले ये लंड चुत में ले मुझे कुछ कहना चाहिए.
फिर मैंने जल्दी से कहा- मुझे कंडोम तो पहन लेने दो! इस पर नन्दिनी मुस्कुरा कर बोली कि मुझे कंडोम में मज़ा नहीं आता जान … फिक्र ना करो, मैं वक़्त से पहले निकल जाऊंगी.
बस नन्दिनी मुझे पागलों की तरह किस करने लगी और अपनी चुत में मेरा लंड पूरा एक बार में अन्दर तक ले गयी.
जैसे ही मेरा लंड उसकी गीली चूत में गया … मेरी मादक आह निकल गयी. नन्दिनी ने भी आह की सीत्कार की मगर अगले ही पल उसने दर्द से भींचे हुए होंठों के साथ मेरे लंड पर अपनी कमर चलानी शुरू कर दी.
कुछ ही पलों में हम दोनों को इस चुदाई में काफ़ी मज़ा आने लगा था. नन्दिनी की चूत काफ़ी टाइट थी. मुझे मेरा लंड फंसता हुआ अन्दर बाहर होता सा महसूस हो रहा था.
वैसे तो लंड की सवारी करने वाली औरत की चुत ज्यादा जल्दी चरम पर आने लगती है. मगर आज मुझे लग रहा था कि नन्दिनी कि चुत मेरे लंड का कत्ल करके ही रहेगी.
इस मदमस्त चुदाई में हम दोनों बड़ी बेताबी से किस भी करते जा रहे थे. मेरी जीभ उसके मुँह में अठखेलियां कर रही थी.
नन्दिनी मेरे लंड के ऊपर अपनी मस्त गोल गांड उछाल रही थी और मैं उसकी गांड को अपने दोनों हाथों से मसल रहा था और चांटे मार रहा था.
मैं नन्दिनी के चुचों को चूस चूस कर एकदम लाल कर चुका था.
हम दोनों की ‘आअहह उहह …’ की मादक आवाजें पूरे कमरे में थीं.
कुछ पल बाद मैंने नन्दिनी को घोड़ी बनने को कहा. शायद नन्दिनी को भी पोजीशन बदलने का मन था. इसलिए वो झट से मेरे लंड से हटकर नीचे हुई और लंड चूसने लगी.
फिर वो गांड फैला कर घोड़ी बन गयी.
मैंने अपना लंड पीछे से उसकी चूत में डाल दिया और उसकी चूत चोदने लगा.
‘फकक्च्छ फकक्च्छ …’ की आवाजें पूरे कमरे में गूंज रही थीं और नन्दिनी अपनी मस्ती में चिल्लाए जा रही थी- आह और ज़ोर से करो बेबी … आह जान मजा आ गया … आह!
इसके बाद मैंने अपनी रफ्तार और बढ़ा दी. फिर मैं नन्दिनी की पीठ के ऊपर लेट गया और नीचे हाथ लाकर उसके रसभरे चुचे मसलने लगा.
इतने में नन्दिनी एकदम से अकड़ गई और झड़ गयी.
लेकिन मैं अपनी पूरी रफ़्तार से उसकी चूत चोद रहा था. उसकी चुत के गर्म पानी ने मुझे भी पिघलने पर मजबूर कर दिया और एक दो मिनट के बाद मैं भी झड़ने वाला हो गया था.
मेरी आवाजें बढ़ गई थीं तो नन्दिनी समझ गई. उसी पल उसने आगे को होकर खुद को मेरी गिरफ्त से अलग किया और फुर्ती से पलट कर मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया. वो लंड चूसने लगी और मैं आह करता हुआ उसके मुँह में ही झड़ गया.
नन्दिनी के चेहरे पर एक विजयी योद्धा सी मुस्कान थी. मैं भी मुस्कुरा दिया और हम दोनों बिस्तर पर गिर कर सांसें नियंत्रित करने लगे.
चुदाई के बाद हम दोनों नहाने चले गए और वहां भी एक बार और चुदाई हो गयी.
सारी रात चुदाई के कई दौर चले. सुबह होते ही वो चली गई.
उसके बाद हम कई बार मिले और चुदाई का सुख लिया. मगर अब वो वापस हिमाचल चली गयी और मैं अकेला रह गया.
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