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राहुल और मैं अब उसके बैडरूम में आ गए थे। हम दोनों एक दूसरे की शक्ल ताक रहे थे कि आ तो गए अब शुरू कैसे करे। आज तो सैंड्रा भी नहीं जो आदेश देकर हमें शुरू करवा सके। कभी हम एक दूसरे को देखते तो कभी आस पास।
राहुल अब आगे बढ़ा और मुझे पीछे घुमा कर मेरी पीठ पर से ड्रेस की चैन नीचे खिंच खोल दी। मैं थोड़ा आगे हटी और फिर उसकी तरफ घूम कर हाथ पीछे ले जाकर अपनी चैन बंद कर दी।
मैं: “पुरे कपडे खोलने की क्या जरुरत हैं, तुम नीचे से कपडे थोड़े उठा कर ही पीछे से कर सकते हो। ”
राहुल: “मैंने सोचा तुम्हारे कपड़े गंदे हो जायेगे इसलिए.. ”
मैं: “अगर ख़राब भी हो गए तो कोई बात नहीं, मेरी पिछली बार के जो कपड़े रह गए थे वो मैं पहन लुंगी। वैसे भी मैं इन केजुअल कपड़ो में ऑफिस नहीं जा सकती।”
राहुल: “मेरे पास यहाँ कोई ऑफिस वियर नहीं हैं इसलिए मुझे मेरे कपड़े तो खोलने ही पड़ेंगे । तुम्हे कोई आपत्ति तो नहीं ?” मैं: “मैं पीछे मुड़ जाती हूँ, तुम कपड़े खोल लो। ”
राहुल अपने कपड़े निकालने लगा और मैं उसकी तरफ पीठ कर खड़ी हो गयी। थोड़ी देर में उसने सब कपड़े निकाल दिए। हम दोनों बिस्तर के पास ही खड़े थे। मेरा मुँह बिस्तर की तरफ था।
राहुल ने बताया कि वो कपड़े खोल कर तैयार हैं तो मैंने अपना फ़ोन रिकॉर्डिंग के लिए राहुल को दे दिया। हमें वीडियो सैंड्रा को सबूत के तौर पर दिखाना था। राहुल ने मेरा मोबाइल एक टेबल पर सेट कर रख दिया। मैं अब भी उसकी तरफ पीठ घुमाये खड़ी थी और उसका इंतजार कर रही थी।
वो मेरे पीछे आकर खड़ा हुआ, और मैंने अपनी ड्रेस के नीचे से अंदर हाथ डाल कर अपनी पैंटी निकाल कर रख दी। मैं आगे की तरफ झुक कर उसकी ओर अपनी गांड कर दी और उसके हाथ के स्पर्श का इंतजार किया। उसका हाथ तो नहीं आया पर आवाज आ रही थी। वो अपना लंड रगड़ कर कड़क करने की कोशिश कर रहा था शायद।
राहुल: “मुझे कुछ समय दो, अपने आप को तैयार करने के लिए।”
मैं फिर सीधा खड़ी हो इंतजार करने लगी। एक दो मिनट के बाद वो फिर बोला।
राहुल: “अगर तुम्हे कोई आपत्ति ना हो तो मेरी मदद कर दोगी तैयार करने में। ”
मैं सकपका गयी, उसके लंड को कैसे हाथ लगा सकती हूँ। मगर समय बचाना था, जल्दी से इस स्तिथि से बाहर आना था। तो मैंने बिना मुड़े अपना हाथ पीछे किया और टटोलने लगी उसका लंड कहाँ हैं। उसने मेरा हाथ पकड़ा और रास्ता दिखाते हुए अपने नरम पड़े लंड पर रख दिया।
हाथ से उसके लंड को छूते ही मुझे जैसे करंट लगा और मैंने झटके से हाथ फिर खींच लिया। मैंने एक बार फिर प्रयास किया और इस बार बिना उसकी मदद के अपना हाथ पीछे ले जाकर उसके एब्स पर रख दिया, फिर बिना हाथ उठाये उसके बदन पर खिसकाते हुए उसके लंड तक ले आयी और उसे पकड़ लिया।
उसका तीन चार इंच का जेली समान नरम लंड था। मैंने उस पर अपना हाथ रगड़ना शुरू किया। हाथ पीछे की तरफ था तो संतुलन नहीं बैठ रहा था।
राहुल: “तुम मेरी तरफ घूम जाओ, नहीं देखना हो तो नीचे मत देखना। ”
मुझे उसकी बात समझ में आ गयी, मैं नजरे सीधी सामने रखते हुए उसकी तरफ मुड़ गयी। हम दोनों अब एक दूसरे के चेहरे पर देख रहे थे।
मैं एक बार फिर अपना हाथ अंदाज़े से नीचे ले गयी और एक बार में उसके लंड पर हाथ रख उसको पकड़ रगड़ने लगी।
जैसे जैसे मैं उसका लंड रगड़ रही थी वो मेरी तरफ देख हल्का सा मुस्कुरा रहा था, तो मैं भी शर्म के मारे मुस्कुरा रही थी। कुछ ही देर में उसका लंड बड़ा और कड़क होने लगा था। उसका लंड अब हल्का गरम हो चुका था पर थोड़ी नरमी अभी बाकी थी। मैंने उसके चेहरे पर देखा तो कभी एक शिकन आ जाती तो कभी उसका मुँह हल्का सा खुल जैसे सिसकी निकलने को होती और वो दबा लेता। उसकी हंसी अब गायब थी।
उसका ये मजा लेता चेहरा देख मुझे भी कुछ कुछ होने लगा, पर शरम ज्यादा थी। वो मेरी तरफ देख रहा था और मैं अपना चेहरा कैसे छुपाती। मैं बीच बीच में इधर उधर देखने लगती। उसने मेरे कंधे पर हाथ रखा और मुझे दबाने लगा। मुझे भी लगा कि उसका सामना करू उससे अच्छा हैं नीचे बैठ कर रगड़ू।
मैं अब नीचे बैठ गयी और उसका लंड मेरे सामने था। उसके लंड के अंदर की नसे थोड़ी तन गयी थी। ये मेरी चूत में जाने के लायक तो था पर गांड के लिए थोड़ा और कड़क होना जरुरी था। मैं पंजो पर बैठे अपना संतुलन नहीं बना पा रही थी तो उसकी एक जांघ को पीछे से पकड़ लिया। एक इच्छा हुई उसका लंड मुँह में ले लू ताकि जल्दी कड़क हो जाये। पर आगे बढ़कर कैसे करूँ, वो क्या सोचेगा।
उसने अपना हाथ मेरे सर के पीछे रखा और आगे की तरफ अपनी ओर लाने लगा। शायद वो भी मेरी तरह यही चाहता था। मैंने अपने हाथ में पकड़ा लंड अपने मुँह में रख दिया और उसकी एक स्पष्ट आह निकली।
मैंने अब अपना दूसरा हाथ भी फ्री कर उसकी दूसरी जांघ को पीछे से पकड़ लिया।
उसका आधा लंड मेरे मुँह में था और मैं आगे पीछे हो उसे रगड़ रही थी और उसस्की सिसकिया चालू थी। थोड़ी देर में उसने मुझे मुँह में ही जोर जोर से चोदना शुरू कर दिया। मैं भी अपना मुँह आगे पीछे कर रही थी और वो भी आगे पीछे हो रहा था तो इससे गति ज्यादा हुई। उसका लंड अब स्टील की भांति कड़क हो चूका था।
उसके लंड का टेस्ट मुझे अच्छा लग रहा था और उस पर उसकी सिसकिया, मैं उनमे गुम हो रुकी नहीं। फिर अचानक गप्प की आवाज आयी और उसने अपना पूरा लंड मेरे मुँह में उतार दिया और वही रुक गया, उसका लंड मेरे गले तक उतर गया था । मेरी तो सांस ही रुक गयी, और मैंने जल्दी से उसका लंड बाहर उगल दिया।
मैं अब खांसते हुए खड़ी हुई क्यों कि उसका थोड़ा पानी मेरे गले में अटक गया था। मैं अब थोड़ा सामान्य हुई, वो मुझे अब पोजीशन में लाने लगा। उसने मुझे बेड के किनारे पर घोड़ी की तरह घुटनो और कोहनियो के बल लेटा दिया। मेरे घुटने बेड के किनारे पर थे और गांड का हिस्सा बेड के बाहर लटका था। जब कि मेरा धड़ और सर बिस्तर पर था।
इस पोजीशन में आते ही मेरी ड्रेस नीचे से थोड़ी सी ऊपर हो गयी और जाँघे बाहर आ गयी। वो मेरी गांड की तरफ बिस्तर के पास नीचे खड़ा था। उसने मेरी ड्रेस नीचे से पकड़ी और ऊपर उठा कर मेरी गांड को नंगा कर दिया। ड्रेस हटते ही मेरी गांड और चूत के छेद पर हवा पड़ने लगी। मैं अपने बॉस के सामने पहली बार नंगी थी।
इस पोजीशन में जरूर उसको मेरी चूत का छेद भी दिख रहा होगा ये सोच कर मुझे और भी शरम आ रही थी। गांड मारते हुए वो मेरी शक्ल नहीं देख पायेगा बस ये ही अच्छी बात थी। मैंने सोचा मैं खड़े हो कर गांड मरवा लेती हु ताकि वो मेरी चूत को ना देख पाए। मैं खड़े होने को हुई और उसने मेरी ड्रेस को और भी ऊपर खिसका कर कमर से ऊपर कर दिया। अब मेरी नंगी गांड के साथ नंगी कमर भी उसके सामने थी।
वो नीचे खड़ा था और अपने हाथ की उंगलिया मेरे गांड के छेद पर रगड़ने लगा, चूत का छेद एकदम उसके नजदीक ही था तो उसकी
उंगलिया वहा भी छूने लगी। मेरा पानी निकलने लगा था उसकी उंगलिया भीग गयी थी और उसने वो पानी मेरी गांड के छेद पर लगा दिया। वो अपना उंगलिया मेरी चूत के छेद से शुरू करते हुए रगड़ता हुए गांड के छेद तक लाते हुए चिकनाई लगा रहा था।
अनायास ही उसकी उंगलियों की छुअन से मेरी चूत अपना थोड़ा पानी छोड़ रही थी। मुझे मेरी गांड पर भी उस सारे चिकने पानी के लगने से अब ठंडाई महसूस हो रही थी ।
तभी एक कड़क गरम लोहे की छड़ की तरह चीज मेरे गांड के छेद को छू गयी। उसका लंड अब मेरे अंदर प्रवेश को तैयार था। उसने अपने लंड की टोपी मेरे गांड के छेद में घुसा हल्का धक्का मारा और उसका दो इंच लंड मेरी गांड के अंदर घुस गया और मेरी एक आह निकली।
अब वो अपना लंड मेरी गांड के अंदर बाहर कर चोदने लगा। उसने अपने दोनों हाथ मेरी गांड के उभारो पर रख दिए और चोदता रहा। उसने मेरी गांड पर हाथ से एक चटाका मारा। इस चुदाई के बीच उसके हाथ अब मेरी नंगी पतली कमर को पकड़े थे।
इसके बाद उसकी स्पीड अचानक तेज होती गयी गपक गपक गपक की आवाज आने लगी और इसके साथ ही मेरी हलकी सिसकिया आने लगी आह आह। थोड़ी देर इसी रफ़्तार से मुझे चोदता रहा और उसका पानी छूटने लगा और गप्पक गप्पक तेज आवाज होने लगी। उससे उसका नशा और चढ़ा और मेरी सिसकिया बढ़ने के साथ अब फुचुक फुचुक फुचुक की आवाज आने लगी और मेरी लगातार आह्ह आह्ह की आवाजे आती रही।
एक बार फिर उसकी स्पीड बढ़ी और मेरी आहहह आहहह की आवाज बिना रुके लगातार आती रही । इस मजे से मैं खुद अब पीछे धक्का मारने लगी थी । इतनी देर से कोहनियो के बल बैठे रहने के बाद अब मैं अब हथेलियों के बल आ कर थोड़ा उपर उठी और उसने मेरे गले को दोनों हाथों से पकड़ थोड़ा उठा लिया।
मैं अब 45 डिग्री के कोण पर थी और उसके झटके और गहरे हो गए और पानी के छिछलने की आवाजे आने लगी। बीच बीच में उसके झटको से मैं थोड़ा उछलने लगी थी। उसन गले से हाथ हटा फिर कमर पकड़ी ।
उसने पहले स्पीड धीमे की और फिर अचानक एक के बाद एक तेज झटके मारने लगा और मेरी आह आह लगातार चलती रही। उसने इस तरह लगातार बिना रुके तीस चालिस झटके मार दिए। उसके बाद फिर एक बार वो थोड़ा धीरे हुआ और मुझे गले से पकड़ा और धक्के मारने लगा।
वो कल की तरह जानवरो की तरह नहीं चोद रहा था। इससे मुझे दर्द नहीं हो रहा था। उसने पहले पानी बनाया और फिर ही झटके मारे थे। अब वो एक स्पीड में गछाक गछाक गछाक मारता रहा। धीरे धीरे स्पीड बढ़ी और फिर गहरे और धीमे झटके पड़ने लगे।
वो फिर रुक गया और मैं एक दम स्लो मोशन में आगे पीछे हुई। जिससे पानी की चपड़ चपड़ आवाज हुई और उसकी स्पीड बढ़ने के साथ गचड़ गचड़ पानी की आवाज तेज आवाज आने लगी। वो मेरी गांड पूरी हिलाते हुए हुए कम्पन करवा रहा था।
मुझे तो मजा आ रहा था पर उसने अपना लंड अब बाहर निकाल दिया। उसने मुझे आगे खिसकाया और मैं घुटनो के बल चल कर बिस्तर के बीच में आ गयी। वो भी अब बिस्तर पर चढ़ मेरे पीछे आ गया। घुटनो के बल खड़े होने से मेरी ड्रेस फिर से नीचे हो गयी थी। उसने मेरी ड्रेस को नीचे से पकड़ा और एक बार फिर कमर तक ऊपर कर दिया।
मैं अभी भी घुटनो के बल खड़ी थी और उसने ड्रेस उठाते हुए एक झटके में पूरी सर से बाहर निकाल दी। मैं अब सिर्फ ब्रा में खड़ी थी। हम दोनों एक मजेदार काम के बीच में थे तो उसको मना नहीं किया और उसने मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और मेरे पकडे रहने के बावजूद उसको पूरा निकाल दिया। मैंने जल्दी से आगे झुक कर वापिस कोहनी के बल डॉगी बन बैठी और वो अब बिस्तर पर घुटनो के बल मेरे पीछे बैठा था ।
उसने एक हाथ मेरी कमर पर रखा और इसबार अपना लंड मेरी चूत और गांड के छेद के बीच आस पास घुमा कर मुझे तड़पा रहा था। उसने झटके से अपना लंड मेरी चूत के छेद में डाला और चूत में होते पहले के दर्द से मैं कोहनियो से अपने हथेलियो के बल आ गयी।
उसने जल्दी से मुझे एक बार फिर दोनों हाथ से गले से पकड़ थोड़ा ऊपर आगे से उठा दिया। उसके लंड के मेरे अंदर होते झटको से मैं कमजोर पड़ गयी और चाहते हुए भी उसको रोक नहीं पायी। उसने अब अपना लंड अंदर गोल गोल घुमा कर जैसे अंदर के पानी को मथने लगा और लस्सी बनाने लगा।
मुझे असीम आनद की प्राप्ति हुई और एक हल्का दर्द भी उठा और मेरी तेज आवाज में आहहहहहहहहहहह निकली जो आठ दस सेकण्ड्स लम्बी आह थी और मैंने अपना एक हाथ बिस्तर पर तीन चार बार पटक अपनी स्तिथि बताई। मैं आगे बढ़ उससे अलग हुई।
मैं: “मैंने तुम्हे आगे डालने की इजाजत नहीं दी थी। ”
राहुल: “सॉरी, मैं वो रोक नहीं पाया। अभी पूरा करने दो।”
मैं: “अब आगे के छेद में मत डालना, तो पूरा करने दूगी।”
राहुल: ” ठीक हैं, तुम ही कर लो। ”
वो अब नीचे लेट गया। मैं उसे अपनी चूत सामने से दिखाने में शरमा रही थी तो मैं उसकी तरफ पीठ करके उसके लंड पर बैठ गयी। मेरे पाँव घुटनो से मुड़ कर पीछे की तरफ थे।
मैंने उसका लंड अपनी गांड में डाला और हम दोनों को फिर चैन मिला। मैंने अपने हाथ पीछे ले जाकर उसके सीने पर रख सहारा लिया और अपने शरीर को ऊपर नीचे कर उसे चोदने लगी। उसके हाथ मेरी पतली कमर को पकडे हुए थे।
मेरी गांड से अब पच्च पच्च की आवाज आने लगी और हम दोनों आहें भरने लगे। असहनीय मजा होने पर मैंने अपने दोनों मम्में दबाये और फिर आसमान में सर उठाये उसको चोदती रही।
थोड़ी ही देर में वो चीखते हुए आहें भर झड़ गया। मैं जब उस पर से उठी तो मेरी गांड और जाँघे फड़फड़ा रही थी और उसका छोड़ा पानी मेरी गांड से झर रहा था।
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