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अन्तर्वासना की टीम को प्रणाम जिनकी वजह से आप तक हिंदी सेक्स स्टोरीज पहुँच पाती हैं. नमस्कार दोस्तो, कैसे हो, इस बार बहुत तरसाया आपको, बहुत ई मेल की आपने! धन्यवाद यार… आप मुझे इतना याद करते हो और प्यार देते हो. कई चूत वाली रानियों ने भी कहा कि इस बार तो तड़प ही रही है हमारी चूत आपके इंतज़ार में! तो फिर देखो अब मैं आ गया हूँ, एक नई कहानी लेकर और इस कहानी से अपने लंड और चूत का पानी जरूर निकालना और मुझे ईमेल पे बताना भी कैसे निकला आपका पानी. तो अब मैं ज्यादा बातें न बनाता हुआ सीधा आता हूँ अपनी ग्रुप सेक्स स्टोरी पर… मेरी ज्यादातर ग्रुप सेक्स की स्टोरीज ही होती है.
ये कहानी है मेरी दोस्त रुचिका, सुलेखा, नेहा, मनोज, अरमान और मेरी… रुचिका मनोज की गर्ल फ्रेंड है और मनोज उसे काफी समय से चोद रहा है, सुलेखा अरमान की पत्नी है और इनकी शादी को करीब दो साल हो चुके हैं, ये खुल कर सेक्स का मज़ा लेना चाहते हैं इसलिए इन्होंने अभी किसी बच्चे की प्लानिंग नहीं की है. तो दोस्तो, नेहा मेरी ख़ास दोस्त है जिसे मेरा हर राज़ मालूम होता है. ये मेरी कहानियों की फैन थी जो आज मेरी बहुत ख़ास दोस्त बन चुकी है और हम एक साथ चुदाई और ग्रुप चुदाई बहुत बार कर चुके हैं.
दोस्तो, हमने तीनों कपल्स का एक वटसएप ग्रुप है, उसमें हम बहुत मस्त चैट करते हैं और एक दूसरे के पार्टनर को खूब चुदाई की बातें करके तरसाते हैं, ये समझो कि हम वहाँ खुल्लम खुली चुदाई चैट करते हैं जो कि हम तीनों कपल्स के बीच ही होती है. दोस्तो, हम तीनों आपस में राजदार हैं इसलिए हम बेझिझक अपने खाली पलों का मज़ा वटसएप पे लेते हैं.
हम तीनों में से रुचिका और मनोज ज्यादातर वटसएप पे ऑनलाइन ही रहते हैं. उसकी वजह यह है कि उन दोनों की जॉब ही कुछ ऐसी है, मनोज की जॉब एक बड़ी कम्पनी में मार्केटिंग मैंनेजर की है तो वो हमेशा फील्ड में रहता है और बिज़नस टूर पे ज्यादा होता है, सुलेखा भी एक इन्श्योरेन्स कंपनी में सेल्स मैंनेजर के पद पर है, इसलिए इन दोनों को वक्त ज्यादा मिल जाता है वटसएप पे रहने के लिए!
ऐसा नहीं है कि हम सभी वटसएप पे कम आते हैं, हम भी दिन भर फुर्सत के पलों में सभी मैसेज का रिप्लाई देते हैं और इनके नग्न वार्तालाप का पूरा दृश्य हूबहू साक्षात करते हुए इनकी चूत लंड को हौसला देते हैं.
वैसे वटसएप सेक्स चैट का भी अपना ही आनन्द है, चूत लुंड को चुदाई तो नहीं परंतु चुदाई जैसी असली फीलिंग जरूर करवा देती है हमारी ये चैट!
जब कभी हम सभी मिलते हैं फिर तो कहना ही क्या… फिर तो चुदाई का ऐसा रंग जमता है कि सारी सारी रात चुदाई चलती है और फिर तो आने वाले दो तीन दिन चुदाई की जरूरत ही नहीं पड़ती. हम महीने में कम से कम एक बार तो जरूर मिलते हैं. महफिल अक्सर मेरे घर या मनोज के घर ही जमती है क्योंकि हमारे घर काफी खुले हैं और यहाँ किसी की डिस्टर्बेंस भी नहीं है.
अरमान भी एक कम्पनी में काम करता है, वो परचेज मैंनेजर है, इसलिए दिन में ज्यादा बिज़ी होता है और उसकी पत्नी सुलेखा भी एक कम्पनी में कंप्यूटर ओपरेटर है इसलिए वो भी बिजी होती है, परन्तु फिर भी टाइम टाइम पे रिप्लाई देती रहती है, उसके रिप्लाई बहुत मस्त होते हैं, क्योंकि वो चैट में बहुत खुले शब्द इस्तेमाल करती है और चैट में रंग जम जाता है. वैसे उसका जिस्म भी बहुत आकर्षक है, उसकी बॉडी की लुक देख कर लगता नहीं है कि वो मैरिड है, अपने आपको पूरा फिट रखती है. मैं तो जब मिलता हूँ, हमेशा उसे लिप लॉक किस करके मिलता हूँ, क्योंकि वो दिखने में तो है ही सुन्दर, दूसरा अपने होंठों पे रेड कलर की लिपस्टिक के साथ कातिलाना मुस्कान रखती है.
इसी तरह मेरी नेहा भी किसी से कम नहीं है, नेहा भी अपने जिस्म को फिट रखती है, और नेहा की एक ख़ास बात ये है कि वो लंड को चूसते हुए अपने मुंह में झड़वाना पसंद करती है, दूसरा सेक्स में हर तरह से मेन्टेन हो जाती है, मतलब उसे किसी भी तरह से सेक्स करना या सेक्सी बातें करने में दिक्कत नहीं आती और सोसाइटी में आम लोगों की तरह से सभ्य तौर पे विचरना भी खूब जानती है, उसकी यही अदाएं मुझे अच्छी लगती हैं. मेरे बारे में तो आप सभी जानते ही हो. हम सभी की आयु 25 से 30 के बीच बीच है.
अरे बोर मत हो दोस्तो, ये तो सिर्फ हमारी इंट्रो थी, बस कहानी अब शुरू होने जा रही है.
बात है पिछली सर्दियों की, हम सभी को 2 छुटियाँ एक साथ आ गईं, तो हम सबने वो छुटियाँ घर पर रह कर एन्जॉय करने का प्लान बनाया. इस बार प्लान हमने मनोज के घर का बनाया क्योंकि मेरे घर में छुटियों की वजह से कोई न कोई आता रहता है.
शनिवार की सुबह मैं घर से निकला और रास्ते से नेहा को पिक किया और एक लिप किस के साथ हम दोनों मिले उसके बाद मैंने अपनी कार को सीधा कर दिया मनोज के घर की तरफ, मनोज का घर करीब हमारे घर से से 1 घंटे की दूरी पर है. रास्ते से मैंने कुछ नाश्ता ले लिया और अरमान को काल करके बोल दिया कि वो नाश्ते न बनाएं, हम लेकर आ रहे हैं.
11 बजे के करीब हम मनोज के घर में थे. हम सभी एक दूसरे को गले लग कर मिल ही रहे थे कि डोर बैल दुबारा बजी तो रुचिका बोली- सुलेखा और अरमान होंगे! उसका कहना सही था, वो आ पहुंचे थे, हम उनको भी गले लग कर मिले और हमेशा की तरह सुलेखा को मैंने सभी के सामने लिप लॉक किस की, तो सुलेखा ने भी मेरी किस का पूरा सहयोग दिया. पास खड़े सभी दोस्तों ने तालियाँ बजाई और हमें देख कर नेहा सुलेखा को बोली- अरे साली आती ही शुरू हो गई, हम तो अंदर भी नहीं घुसे! किस के बाद सुलेखा बोली- क्यों तू हम दोनों से जल रही हैं न, अब मैं तेरे हसबैंड को अपने साथ ही ले जाऊंगी पक्का! नेहा कहने लगी- अरे ले जा ले जा, मेरे पास अपने वाला छोड़ जाना…
ऐसे हँसते हुए हम मनोज के अंदर आ गए तो मनोज और रुचिका ने हमें अपने ऊपर के फ्लोर में बिठाया और पानी, कोल्ड ड्रिंक सर्व करने लगे. बातें करते करते मनोज कहने लगा- हम साथ वाले हॉल में चलते हैं. हम सभी उठ कर हाल में चले गये.
वाओ… क्या तैयारी की थी मनोज और रुचिका ने… हाल में बैड को उठा कर नीचे गद्दे लगा कर ऊपर अच्छे से बैड शीट्स बिछा दी थी, पास ही एक एक टेबल रखा गया था उसके ऊपर गद्दों के ऊपर दो बड़े कम्बल और भी रखे हुए थे. गद्दों से थोड़ा हट कर फर्श पे चार कुर्सियाँ भी रखी हुईं थी. हाल का नजारा बहुत मनमोहक था, रूम फ्रेशनर से कमरा महका दिया गया था, एक कोने में ताजे गुलाब और गेंदे के फूलों का एक गुलदस्ता बना कर रखा हुआ था जिसमें से महक आ रही थी. हम जैसे ही हाल में घुसे तो अपने आपको एक बार तरोताज़ा महसूस किया.
अरमान बोला- वाओ यार, तुमने तो फाइव स्टार रूम बना रखा है. मनोज और रुचिका हमें देखकर मुस्कराने लगे, रुचिका बोली- ऐसे ही है फिर!
फिर रुचिका बोली- आप बातें करो, हम आपके लिए चाय नाश्ता लेकर आते हैं. वो जाने लगी तो नेहा और सुलेखा भी रुचिका के साथ ही नीचे चली गईं. अब हम तीनों दोस्त जूते उतार कर गद्दों पे आ गये, बैठ कर बातें करने लगे.
मैंने मनोज से पूछा- क्यों आज क्या प्रोग्राम है फिर, कैसे कैसे प्लान किया है? मनोज बोला- हमने क्या प्लान करना है, अब सभी आ गये, आप बनाओ प्लान कैसे क्या करना है. तभी अरमान कहने लगा- यार, क्यों न इस बार कुछ अलग किया जाये! मैंने कहा- अलग मतलब? वो बोला- अलग मतलब कुछ ऐसा करें जिस से हम सभी को अच्छा मज़ा भी आए और हमारी तीनों हिरोइनें भी खुश हो जाएँ!
तो मनोज कहने लगा- यार ऐसा करो, ऐसे कल्पना से कुछ नहीं होने वाला, जब करेंगे, जैसे जैसे कंफर्टेबल होता जायेगा करते जायेंगे! मैंने मनोज की इस बात पर ही हामी भर दी.
तभी नीचे से रुचिका, सुलेखा और नेहा आईं, सभी के हाथ में कुछ न कुछ सामान था. मनोज ने टेबल पर पड़ी डाइनिंग शीट उठाई और गद्दों पे बिछा दी, उस पर सभी ने बर्तन रख दिए, वो चाय की केतली, नाश्ता लेकर आईं थी.
हम सभी ने हंसी मज़ाक करते हुए हल्का फुल्का नाश्ता किया तो जैसे ही रुचिका और अंशिका बर्तन लेकर नीचे जाने लगीं, रुचिका कहने लगी- आज का प्लान हम फीमेल बनायेंगी. अरमान तुरंत बोल उठा- अरे वाओ, हम तो सोच ही रहे थे कि कैसे किया जाये, क्या तुमने भी कोई प्लान बना रखा है? अंशिका बोली- हाँ जी, हमने भी बनाया हुआ है प्लान! कहकर वो दोनों नीचे भाग गईं और नेहा उठ कर टेबल को गद्दों के पास करने लगी.
मैंने कहा- ये क्या कर रही हो? तो वो बोली- देखते जाओ.
तभी अंशिका और रुचिका कमरे के अंदर दाखिल हुईं, अंशिका ने एक बड़ा सा केक उठाया हुआ था, शायद रुचिका और मनोज ने पहले ही ये लाकर फ्रिज में रखा हो, रुचिका के हाथ में एक ट्रे थी, रुचिका ने ट्रे टेबल पर रखी और अंशिका ने केक टेबल पर रख दिया.
मैं और अरमान एक दूसरे की तरफ देख रहे थे कि मनोज बोला- अरे देखते जाओ आज क्या क्या होने वाला है! तभी मनोज बोला- आओ, सभी एक साथ पहले केक काटेंगे और आज की महफ़िल की शुरुआत करेंगे.
रुचिका ने ट्रे में से केक काटने वाला चाकू उठाया और मनोज की तरफ बढ़ाया तो मैंने कहा- एक मिनट रुकिए, अगर आप सभी को अच्छा लगे तो क्या हम केक काटने से पहले अपने ऊपर के वस्त्र उतार कर केक काटें!
यह बात सभी के मन को भा गई, सभी ने एक बार एक दूसरे की तरफ़ देखा और हामी भर दी. सभी ने अपने अपने ऊपर के वस्त्र उतरने शुरू किये परन्तु फीमेल में से किसी ने भी अपने कपड़े नहीं उतारे, मैंने कहा- अरे तुम्हारे लिए क्या अब मुहूर्त निकलवाना पड़ेगा? वो एक साथ ठहाका लगा कर हंसने लगीं, सुलेखा बोली- देखा कर दिया न सभी मर्दों को नंगा… हाहाहा! मैं बोला- साली चालाकी करती हो, अभी नंगे कहाँ हुए हैं, हम तो तुमको नंगी करके न नंगे हों!
और आँख मार कर बोला- चलो यार निकालो ये टॉप और लैगीज़! अरमान पीछे हुआ और उसने सुलेखा की लैगी में हाथ डाल दिया और बोला- चल निकाल साली, निकाल इसे!
इससे पहले मैं नेहा को पकड़ता, नेहा और रुचिका खुद ही अपने अपने टॉप उतारने लगीं.
अब सभी लेडीज़ सिर्फ ब्रा और पैंटी में आ चुकी थीं, क्या मस्त नज़ारा था, हम भी सभी मर्दों के जिस्म पर सिर्फ बनियान और अंडरवियर थे.
सभी ने एक साथ चाकू को पकड़ा और ‘हैप्पी ग्रुप पार्टी’ बोलते हुए केक काटने लगे. जैसे ही केक काटा गया, मैंने केक की एक बाईट उठाई और सुलेखा की ब्रा के अंदर डाल दी. तो सुलेखा बोली- ओह आपकी ये हिम्मत! कहते हुए उसने भी एक बाईट उठाई और मेरे अंडरवियर में डाल दी.
साथ ही मनोज ने म्यूजिक चला दिया और हम सभी केक से खेलने लगे और म्यूज़िक पे डांस करने लगे. मैं सुलेखा को पीछे से पकड़ कर डांस कर रहा था, मुझे देख कर अरमान के साथ डांस कर रही रुचिका बोली- लगता है आज रवि जी सुलेखा का पिछवाड़ा फाड़ेंगे, जब से आये हैं सुलेखा के साथ ही चिपके हुए हैं! मैंने तुरंत सुलेखा को छोड़ा और रुचिका को पकड़ता हुआ बोला- अरे डार्लिंग, तेरा पिछवाड़ा फाड़ देते हैं! कहकर मैंने अरमान को पीछे किया और रुचिका को पीछे से पकड़ कर उसकी पैंटी के अंदर थोड़ा सा केक उठा कर डाल दिया जिसे देख कर बाकी दोस्त भी हॉट हो गये.
ये देख कर रुचिका ने अपना मुंह मेरी तरफ घुमाया और मेरे अंडरवियर को नीचे कर दिया और कहने लगी- तुम शरारत कर रहे हो, अब सबसे पहले आपको ही नंगा करती हूँ, सभी के सामने! मैंने तुरंत अपना अंडरवियर ऊपर किया और बोला- शरारत करती है साली, सबसे पहले तुझे ही नंगी करता हूँ सबके सामने! मैंने नज़रें घुमा कर देखा पास ही अरमान ने नेहा की ब्रा में हाथ डाल दिया था और उसे सहलाने में बिज़ी था, साथ ही साथ अरमान नेहा के होंठ भी चूसने लगा था.
हमारे बिल्कुल सामने मनोज ने सुलेखा की ब्रा की डोर खींच दी थी और सुलेखा की अधखुली ब्रा में से झांक रहे मम्मों को सहला रहा था और एक हाथ से उसकी चूत को पैंटी के ऊपर से सहला रहा था. इस दृश्य से हम सभी पार्टनर गर्म हो चुके थे.
अब वासना की आंधी आने वाली थी, सभी फिमेल मर्दों के स्पर्श से सिसकारने लगीं थी और माहौल बहुत गर्म हो गया था, कोई लंड ऐसा नहीं था जो खड़ा न हुआ है, सभी के अंडरवियर तम्बू बन चुके थे.
मैं रुचिका को लेकर गद्दों की एक साइड पे आ गया और हमारे बिल्कुल सामने मनोज और सुलेखा बैठ गए, दूसरी साइड पे अरमान और नेहा भी गद्दे पे बैठ गये. सभी गद्दों पे बैठ गये थे और मनोज ने म्यूजिक की आवाज़ धीमी कर दी.
मैंने रुचिका की ब्रा को तुरंत उतार दिया और उसके नंगे मम्मों को दबाते हुए बोला- अब तुझे ही नंगी करता हूँ सबसे पहले! रुचिका ने मेरे अंडरवियर को एक बार फिर उतारने की असफ़ल कोशिश की. मैंने रुचिका के नंगे मम्मों पे एक किस कर दी और साथ ही, एक हाथ उसकी पैंटी के अंदर डाल दिया, मैंने देर न करते हुए रुचिका की पैंटी को उतारने की कोशिश की लेकिन, रुचिका ने अपनी पैंटी को हाथ से पकड़ लिया तो मैंने एक उंगली उसकी गीली हो चुकी चूत में डाल दी, जिससे रुचिका सिसकारने लगी, और वो मज़े से सिसकारियाँ निकालने लगी, तभी मैंने मौका पाकर रुचिका की पैंटी को नीचे करते हुए, उसकी टांगें उठा कर, उसके चूतड़ों को थोड़ा सा उठाया और उसकी पैंटी निकाल दी, जिस से वो एक दम अल्फ नंगी हो गई.
यह देखते ही सुलेखा ने ताली बजाई और बोली- रवि को मेरे से तूने ही पास बुलाया था न, ले अब सबसे पहले कर दिया तुझे बेशर्म मेरे पार्टनर ने ही… और हंसने लगी तो रुचिका एक दम सुलेखा की तरफ भागी और बोली- अच्छा साली, तुझे मैं बताती हूँ! कह कर उसने मनोज की गोद में बैठी सुलेखा जिसकी ब्रा पहले ही मनोज ने खोल दी थी, की पैंटी में हाथ डाला और जोर से खींच कर उतार दिया.
जैसे ही सुलेखा नंगी हुई तो रुचिका ने थोड़ा सा केक उठा कर उसकी गांड में लगा दिया और बोली- अब देख, तेरी तो गांड भी फाड़ दी मैंने!
इधर अरमान नेहा की चूचियाँ चूसने में मग्न था, नेहा भी आँखें बंद करके सिसकार सिसकार के मज़े ले रही थी. मनोज बोला- अरे तुम दोनों खुद में ही मग्न हो, जरा हमारी तरफ भी देख लो! अरमान नेहा की चूचियाँ चूसता हुआ बोला- हमें मज़े करने दो यार!
मैंने देखा माहौल पूरा गरमा गया था, क्योंकि इधर मनोज और सुलेखा भी दुबारा एक दूसरे में लीन हो गये थे, सुलेखा अपने हाथ से अपनी चूची मनोज के मुंह में घुसाने लगी थी, तो रुचिका ने मुझे आँख मारी और मेरी गोद में आ गई. मैंने उसकी एक चूची को मुंह में लिया और दूसरा हाथ उसकी पीठ पे ले जा कर उसकी पीठ को हल्का हल्का सहलाने लगा जिससे वो रोमांचित होने लगी. अब मैं कभी उसकी पीठ सहलाता और कभी उसके और नाज़ुक अंगों पे हल्का सा स्पर्श करता जिससे रुचिका सिहर सी जाती और अपनी चूची को मेरे मुंह में और कस देती, मैं भी उसकी चूची पे जीभ के स्पर्श से सहला सहला कर मज़ा देता.
मैं रुचिका की दोनों चूचियों को बारी बारी सहला सहला कर चूस रहा था, रुचिका भी भरपूर मज़ा ले रही थी. मैंने अपनी बनियान भी उतार दी. इधर हमारी साइड पे आपस में मग्न अरमान खड़ा हो गया, उसने अपना अंडरवियर और बनियान उतार दी थी, नेहा अल्फ नंगी होकर नीचे बैठी अरमान के टटों को पकड़ कर उन्हें सहला रही थी और उन पर केक लगा रही थी. यह देख कर मैंने भी थोड़ा सा केक उठाया और रुचिका की चूचियों पे लगा दिया और उन्हें फिर से चूसने लगा. हमारे सामने मनोज और सुलेखा भी चुसाई में मस्त थे, मनोज ने सुलेखा को हमारी तरफ लिटा कर उसके चूतड़ों को ऊपर उठाया हुआ था, सुलेखा का सर हमारी तरफ था, मनोज उसकी चूत को अपनी जीभ से चूस रहा था, कभी उसकी चूत के दाने को सहलाता और कभी उसकी चूत को चूस चूस कर उसे अपनी जीभ से सहलाता. सुलेखा बहुत तेज तेज सिसकारियाँ ले रही थी.
उन्हें देख कर मैंने भी रुचिका के सर को सुलेखा के सर के बिल्कुल पास लगा कर लिटाया और पीछे से उसकी गांड उठा कर उसकी चूत पे किस करने लगा जिससे रुचिका तो बस अब गई कि तब गई वाली हालत में आ गई. मेरे और मनोज का मुंह आमने सामने था, मनोज ने मुझे हाथ से इशारा किया तो मैंने भी उसे वैसा ही इशारा कर दिया. मनोज ने हाथ उठाया और मैंने अपना एक हाथ उठाया और हमने हाथ से हाथ टकरा कर हाय फ़ाय किया.
मैंने देखा सुलेखा और रुचिका भी अपने दोनों हाथों से एक दूसरी के हाथ को पकड़ कर मस्त हो गई हैं. अरमान थोड़ा आगे को हुआ और उसने नेहा को पहले जैसी पोजिशन में किया तो नेहा ने अब अरमान का केक लगा लंड अपने मुंह में ले लिया. मनोज बहुत तेज तेज सुलेखा की चूत पे अपनी जीभ चला रहा था, मैंने भी वैसे ही तेजी से रुचिका की चूत पे अपनी जीभ चलानी शुरू कर दी.
तभी मैंने देखा कि रुचिका और सुलेखा भी अपने हाथ से एक दूसरी के मम्मों को सहला रहीं थीं. कुछ देर ऐसे ही हम दोनों ने उनकी चूतें चूसीं, और फिर जब रुचिका की चूत ने पहला फव्वारा छोड़ा तो मैंने अपनी जीभ को पूरी तरह उसकी चूत के अंदर डाल दिया और एक उंगली भी साथ ही उसकी चूत में उतार दी. ऐसा करने से रुचिका और भी उतेजित हो गई और उसने अपने हाथों को कस कर सुलेखा के हाथों में दे दिया और दोनों ने एक दूसरी के हाथों को अपने हाथों में कस लिया और इस मज़े के चरम सीमा के क्षण का मज़ा लेने लगीं.
सामने से मनोज ने भी सुलेखा की चूत को ऐसे ही जीभ में ले लिया. अब दोनों झड़ रही कलियों की बौछार हमें बहुत उत्तेजित कर रही थी. मैंने रुचिका की चूत की एक एक फांक को अच्छे से चूसा और अपनी जीभ से उसकी चूत के पूरे लाल भाग को मज़े दे देकर चाटा.
अब जैसे ही रुचिका की चूत ने बरसात की तो मैंने उसकी चूत को अपने होंठों में ले लिया और उसकी चूत के अंदर तक अपनी जीभ को उतार कर इस ढंग से चूत को कुरेदा कि रुचिका मज़े से सराबोर हो गई. मैंने रुचिका की गांड को नीचे किया और उसकी चूत को साथ पड़े टॉवल से उसकी चूत साफ़ की, तब तक सुलेखा की चूत ने भी पानी छोड़ दिया था.
इधर अरमान और नेहा ने अब तक अपनी चुदाई शुरू कर दी थी, अरमान ने नेहा की दोनों टांगें ऊपर उठा कर पीछे से उसकी चूत में लंड डाल दिया था, यह देख कर सुलेखा बोली- नेहा को देखो साली को सबसे ज्यादा आग लगी है, कमीनी थोड़ा सब्र कर लेती हम भी साथ साथ हैं.
नेहा को चोद रहा अरमान बोला- बहन की लौड़ी, साली तुम चुदो अपने यारों से, हमें डिस्टर्ब मत करो! मनोज सुलेखा को फिर से चूसने लगा, अब वो सुलेखा की चूत का आस पास का पूरा भाग और गांड तक चूस रहा था.
मैंने अपना लौड़ा रुचिका के मुंह के पास कर दिया तो रुचिका भी मेरे लौड़े को अपने गुलाबी होंठों में लेकर चूसने लगी, वो मेरे ट्टटों से लेकर लंड की टोपी और उसकी टोपी के अंदर अपनी जीभ से लार टपका टपका कर इतना अच्छे से लंड को चूस रही थी कि मुझसे बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था और मेरी सिसकारियाँ तक निकल गईं.
हमें देखकर मनोज और सुलेखा भी लंड चुसाई करने लगे, सुलेखा भी लंड चूसने में माहिर थी, वो कुछ देर तक मनोज का लंड चूसती रही और फिर रुचिका को बोली- मुझे भी अपने वाला लंड टेस्ट करवा न! कहते हुए उसने हम दोनों के लंड पकड़ लिए, हम भी तुरंत घूम गए और मैं मनोज के बिल्कुल पास हो गया, और अरमान और नेहा हमारे बिल्कुल सामने चुदाई कर रहे थे. रुचिका और सुलेखा ने एक साथ हमारे लौड़े पकड़े और सामने बैठ कर एक दूसरी से बदल-बदल कर लंड चूसने लगीं, कभी एक साथ और कभी बदल बदल कर, ऐसे उन दोनों ने हमारे लंड चूस-चूस कर हम दोनों की सिसकारियाँ निकाल दीं, जिससे हमारे जिस्म तड़पने लगे.
मैं तड़पता हुआ कहने लगा- उम्म्ह… अहह… हय… याह… उई अहह सी बस बस साली बस करों बहनचोद सालियों, अब क्या जूस निकाल कर छोड़ोगी… हा अह अह उई… और मैंने अपना लंड उन दोनों से छुड़वा लिया.
मैंने रुचिका के चूतड़ों के नीचे अपने दोनों हाथ किये और उसकी गांड से उसे उठाता हुआ बोला- अब आओ मेरी गोद में डार्लिंग! मैंने रुचिका को अपनी गोद में लिया और उसकी चूत पे अपना लौड़ा सेट करके उसे नीचे बैठने का इशारा किया तो जैसे-जैसे रुचिका मेरे लौड़े पे बैठ रही थी, लंड उसकी चूत के अंदर घुस रहा था. जैसे ही उसके चूतड़ मेरी जाँघों पे लगे और मैंने उसे गोद में अच्छे से ले लिया और नीचे से झटके लगा कर पूरी तरह से लंड उसकी चूत में डाल दिया, मेरा लंड पूरा उसकी चूत में फिट हो चुका था और टट्टे उसकी चूत से सटे पड़े थे.
अब मैंने नीचे से हल्के हल्के झटके लगाने शुरू कर दिए थे और रुचिका भी ऊपर से झटके लगा रही थी जिससे हम दोनों को मज़ा आने लगा, हम दोनों की सिसकारियाँ निकलने लगीं. मैं साथ साथ-साथ उसकी चूचियाँ को भी चूस रहा था. इससे रुचिका को और ज्यादा मज़ा आने लगा.
मेरा लंड रुचिका की चूत की पूरी गहराई तक चोट कर रहा था, उसकी चूत पूरी तरह से पानी पानी हुई पड़ी थी, उसका पानी मेरे ट्टटों को भिगो रहा था. लंड की हर चोट के साथ रुचिका की सिसकारी निकलती थी.
मेरे साथ ही मनोज भी सुलेखा को घोड़ी बना कर चोद रहा था, अरमान भी नेहा की चूत को चोदने में व्यस्त था. हर तरफ चुदाई का आलम था… तीनों जोड़े सिसकारियाँ निकालते हुए शानदार ग्रुप सेक्स का मजा ले रहे थे.
तभी अरमान और नेहा एकदम जोर जोर से चीखने लगे, अरमान बोल रहा था- उई आह ले साली सम्भाल… आह आह आ रहा हूँ.. उई…सी सी.. और अरमान ने अपना लंड नेहा की चूत से निकाल लिया और सिसकारियाँ लेते हुए उसके दोनों मम्मों के बीच में रख दिया. नेहा ने अरमान का लंड पकड़ा, बोली- ओह.. उफ़.. यहाँ चोद अपनी साली को… अहह चोद… निकाल अपना रस…!
अरमान के लंड से एक जोरदार पिचकारी निकली जिसने नेहा के दोनों मम्मों को भिगो दिया, नेहा अरमान का लंड तेज तेज हिलाए जा रही थी, अरमान एक के बाद एक पिचकारी नेहा पर छोड़े जा रहा था, नेहा का पूरा जिस्म अरमान के वीर्य से भर गया था.
जैसे ही उनका खेल ख़त्म हुआ, उन्हें देखकर हमारी उत्तेजना और बढ़ गई, मैंने भी रुचिका को जोर जोर से चोदना शुरू कर दिया, रुचिका के चूतड़ों के नीचे हाथ डाल कर उसकी गांड को पकड़ कर उसे जोर से ऊपर करता और फिर उसी तरीके से उसे नीचे करता, ऐसा करने से मेरा लंड पूरी तरह रुचिका की चूत के अंदर बाहर हो रहा था. वो भी पूरी स्पीड में अपनी चूत चुदवाती हुई अपने मुंह से सिसकारियाँ निकाल रही थी, बोल रही थी- उई आः सी सी चोदो हाँ ऐसे ही.. उई आह आह… और चोदो लंड के राजा… चोद चोद… निकाल मेरी चूत का जूस… आह चटनी बना दे इसकी… आह्ह्ह आह्ह अह्ह… टट्टे तक डाल अंदर आह आह आह उई..
मैं भी उसकी चूत में लंड की ठोकर लगता हुआ सिसकारते हुआ उसकी हर बात का जवाब दे रहा था- आह चुद साली चुद.. आह उई उई आह ..सी सी.. ऐसे चुद बहनचोद… ये देख तेरी दोनों बहनें भी तेरे साथ चुद रही हैं… आह उफ़… ये ले… आह चुदवा कुतिया आह ऐसे.. रुचिका की ऐसी चुदाई से मेरे टट्टे अब जवाब दे रहे थे, मैंने देखा कि रुचिका की चूत की धार बह रही है, उसने मेरे ट्टटों से लेकर नीचे तक सब कुछ भिगो दिया था.
असल में रुचिका अब झड़ रही थी. झड़ रही रुचिका की चूत की गर्माहट ने लंड रस को भी बहने पे मजबूर कर दिया और जैसे ही रुचिका की बरसात बंद हुई मैंने एकदम लंड को बाहर निकाला और सीधा रुचिका के हाथों में दे दिया, उसने बिना देर किये फुर्ती से नीचे लेट कर अपने होंठों के अंदर मर लंड कस लिया.
वाओ… क्या मज़ा था इस तरह लंड को उसका होंठों से कसना उफ़.. मैंने कहा- उई आह आह सी सी… ले संभाल अपने यार को साली आह आह उफ़… आ गया मैं आह्ह… सी सी सी सी… जब तक मेरे लंड भी अपना फव्वारा रुचिका के मुंह के अंदर छोड़ दिया और रुचिका ने लंड को कस कर होंठों में दबा लिया और फिर तुरंत ही होंठ खोल दिए और मेरा झड़ रहा लंड उसके खुले मुंह के होंठों के पास नेहा ने पकड़ा हुआ था, लंड की बरसात कुछ उसके मुंह के अंदर और कुछ बाहर उसके गले पे, नाक पे हो रही थी. और बाद में उसने लंड को घुमा दिया, बचा वीर्य उसके मम्मों पे गिर गया.
हम जैसे ही उठे तो देखा हमारे पास सुलेखा और मनोज भी हमें और अरमान को झड़ते हुए देखकर बर्दाश्त नहीं कर पाए, शायद सुलेखा ने भी मनोज का लंड अपने होंठों में लेकर झड़वा दिया था. हम खड़े हुए हम सभी वाशरूम मे अपने आप को करके आये.
ग्रुप सेक्स स्टोरी जारी रहेगी. आपको मेरी स्टोरीज कैसी लगती हैं, मुझे बताएं! [email protected] https://www.facebook.com/profile.php?id=100014369581232
छुट्टी वाले दिन ग्रुप सेक्स की स्टोरी-2
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