सेक्सी कहानी मेरी चुत की पहली अधूरी चुदाई की

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आदरणीय पाठको, यह मेरी पहली सच्ची सेक्सी कहानी है। अभी मेरी उम्र 21 साल है, मैं देखने में काफी आकर्षक हूँ। वैसे तो मैं सांवली और दुबली हूँ पर चेहरा आकर्षक है। मेरी कमर पतली है, पर चूतड़ चौड़े हैं.. और चूचियाँ आम के जैसी नुकीली हैं।

मेरी यह सेक्सी स्टोरी सन 2014 की है.. उस वक्त स्कूल में पढ़ती थी। ऐसे तो मैं अन्तर्वासना.कॉम 2013 से पढ़ती आ रही हूँ। मुझे अन्तर्वासना के बारे में मेरी एक सहेली से पता चला था क्यूंकि उसने अपने भाई के मोबाइल पर अन्तर्वासना साइट खुली हुई देख ली थी, तो वो भी पढ़ने लगी थी। इसलिए मुझे भी चुदाई की जानकारी समय से पहले हो गई थी। जब मैं स्कूल की बड़ी कक्षा में गई, तो मेरे एक दूर के रिश्ते के मामा जिनका नाम चिंटू था, मुझे टयूशन पढ़ाने आते थे। वो हम लोगों के घर के पास ही रहते थे। वो खुद भी कम्पटीशन की तैयारी कर रहे थे, साथ ही वो टयूशन भी पढ़ाते थे।

वैसे तो वो भी सांवले थे, लेकिन लंबे और आकर्षक थे। उनका चौड़ा सीना होने के वजह से मुझे वो बहुत ही हैंडसम दिखते थे। उनका घर पास में ही होने की वजह से वो मुझे पढ़ाने सबसे अंत में रात को 8 बजे आते थे। उस वक्त चिंटू मामा एक लोवर और टी-शर्ट पहन कर आते थे।

मुझे मामाजी अपनी ही साइड में बैठा कर पढ़ाते थे। पढ़ते समय मैं भी घर में हल्के और ढीले कपड़े पहनती थी ताकि मेरी नींबू जैसी चूचियाँ मामा को दिख जाएं क्योंकि मैं मामा को बहुत पसंद करती थी। मामा मुझे स्टडी रूम में पढ़ाते थे इसलिए वहाँ जल्दी कोई घर के सदस्य नहीं आता था। मेरे घर में केवल 4 सदस्य रहते हैं.. मम्मी-पापा, छोटा भाई और मैं।

एक दिन की बात है.. वो मुझे पढ़ा रहे थे और मैं झुकी हुई किताब को देख रही थी। अचानक से मैंने सर उठाया तो मैंने देखा मामा मेरी चूचियाँ देख रहे थे। हम दोनों की नज़रें टकराईं तो मामाजी घबरा गए और मैं भी शर्मा गई। अब मेरा मन मचलने लगा, मैं मुस्कुरा दी तो मामा जी भी मुस्कुरा दिए।

एक तरह से हम दोनों ने एक-दूसरे की चाहत को समझ लिया था।

उसके बाद यह सिलसिला चलता रहा.. मैं भी मामा को छेड़ने लगी और मामा भी निडर होकर मज़ा लेने लगे थे। कभी-कभी तो वो मुझे साइड से अपने बाजू से मेरी चूचियाँ को छेड़ देते थे। मैं भी यही चाहती थी और मुझे मज़ा भी मिल जाता था।

बोर्ड के एग्जाम के वजह से मुझे कहीं किसी समारोह में जाने से मना किया गया था। मेरे मम्मी-पापा मेरे मामा को बहुत ही मानते थे और उन पर बहुत भरोसा भी करते थे, चाहे वो दूर के रिश्ते में ही क्यों ना आते हों, उन्हें सब कुछ बताते थे।

कुछ ही दिन बाद मेरी मौसी की बेटी के शादी थी तो मेरी मम्मी-पापा और भाई को 2 दिन के लिए मौसी के घर जाना था। पापा ने मामा को ही मेरी देख-रेख की ज़िम्मेवारी दी और बोले- तुम मेरे ही घर के बाहर वाले कमरे में दो दिन सो जाना।

यह बात सुन कर मुझे भी गुदगुदी सी होने लगी। जब मम्मी-पापा को जाने को 5 दिन ही बचे थे, अचानक से मामा ने मुझे साइंस का प्रजनन का विषय पढ़ाने लगे। पहले तो मुझे इसके बारे में कुछ पता नहीं था, लेकिन धीरे-धीरे मुझे रूचि आने लगी और मैं जानबूझ कर अनजान बनने लगी, मैं मामा जी से कुछ भी नहीं समझने की नाटक करने लगी।

घर वालों के जाने से 2 दिन पहले मामा कुछ वीडियो लेकर आए और मुझसे बोले- मेरे मोबाइल में कुछ वीडियो हैं, उसे देख कर तुम्हें ये चैप्टर समझ आ जाएगा। मामा ने सारे वीडियो मेरे मोबाइल में सेंड कर दिए और समझाने के लिए एक वीडियो चलाया।

उस वीडियो में दो जानवर सेक्स कर रहे थे। उसके बाद के वीडियो चलते ही मैंने आँख बंद कर लीं और चेहरे को अपने हाथ से ढक लिया। मामा ने ज़बरदस्ती मेरे हाथ हटा दिए और चुदाई देखने की ज़िद करने लगे। मैं देखने लगी.. मैंने देखा कि एक कमसिन लड़की एक बड़ी उम्र के आदमी से सेक्स कर रही थी। पहले तो वो लड़की आदमी की लंड चूस रही थी। फिर मामा ने वीडियो को आगे बढ़ा दिया.. तो देखा कि वो लड़की 12 से 15 cm लम्बे लंड को आसानी से चूत में ले रही है।

फिर मामा ने वीडियो बंद कर दिया, अचानक से मेरी नज़र मामा के लोवर पर गई। मैंने देखा लोवर के अन्दर से मामा का लंड तन गया है.. और उनका लंड बाहर निकलने को बेताब लग रहा था।

मामा बोले- मैं जा रहा हूँ, आज की पढ़ाई खत्म.. कल आकर पढ़ा दूँगा। मैंने भी मज़ाक में बोल दिया- आप बाहर कैसे जाएँगे? मामा ने पूछा- क्यों? तो मैं बोल दिया- आपका तो कुछ खड़ा है। मामा शर्मा गए और समझ भी गए कि मैं भी कुछ चाहती हूँ। देर रात पढ़ाई करने के बाद मैं स्टडी रूम में ही सो जाती थी। उस रात मैं ठीक से सो नहीं पाई।

पहले तो मामा का दिए हुए सारे वीडियो देखे। चुदाई के वीडियो देखते ही देखते मेरी चुत गीली हो गई थी। फिर मैंने मामा का खड़ा लंड याद करके सारी रात बिताई।

फिर वो दिन आ गया.. जब सभी मौसी की बेटी के शादी में चले गए। दिन में मैं घर में अकेली थी, मुझे ऐसा लग रहा था कि आज रात कुछ तो अलग सी होगी इसलिए मैंने भी जल्दी से खाना बना लिया और 8 बजने की इंतज़ार करने लगी।

फिर अचानक से डोरबेल बजी, मैंने दरवाजा खोला तो देखा मामा हाफ़ पेंट और टी-शर्ट में आए हैं। उनका पेंट तो आधी जाँघ तक का ही था।

मामा मुझे पढ़ाने लगे, पढ़ाई खत्म होने के बाद हम लोगों ने खाना खाया। अब मैंने भी कपड़े बदल कर शॉर्ट्स और टॉप पहन लिया। हम दोनों टीवी देखने लगे। दोनों एक ही बेड पे बैठ कर टीवी देख रहे थे।

मामा को टीवी देखना पसंद नहीं था इसलिए उन्होंने मेरे पैर के तरफ सर कर लिया ताकि उन्हें टीवी ना दिखे। साथ ही मुझे भी उनके मोबाइल का स्क्रीन ना दिखे। वो मोबाइल पर हेडफोन लगा के कुछ देखने लगे।

मेरा सर मामा के पैर की तरफ था और उनके पैर मेरे सर की तरफ थे। मामा मोबाइल में बिज़ी हो गए और मैं भी टीवी देखते-देखते सोने का नाटक करने लगी। लेकिन मैं थोड़ी सी आँख खोल कर सब कुछ देख रही थी। मामा को पता नहीं चल रहा था कि मैं जागी हूँ और सब कुछ देख रही हूँ।

जब मामा को लगा कि मैं सो चुकी हूँ। उन्हें पता था कि मैं बहुत गहरी नींद में सोती हूँ और मुझे नींद में कुछ पता नहीं चलता है।

अचानक से मैंने देखा कि मामा थोड़ी-थोड़ी देर में अपना लंड दबा रहे हैं, कुछ देर बाद वो अपना लंड मसलने लगे। यह देख कर मुझे भी गुदगुदी होने लगी थी। देखते ही देखते मामा ने अपना आधा लंड हाफ़ पेंट के नीचे से निकाल दिया और बार-बार मुझे देख कर लंड को सहला रहे थे। बीच-बीच मैं वो अपने लंड पर थूक भी लगा रहे थे।

मामा का लंड एकदम काला सा और लंबा सा लगभग और काफी मोटा सा था। इस वक्त उनका लंड बिल्कुल रॉड जैसा दिख रहा था। यह देख कर मुझे ऐसे लग रहा था जैसे मेरी चूत में हज़ारों चींटी काट रही हों। लेकिन मैं चुदास बर्दाश्त करके लंड को देखती रही। फिर मामा ने धीरे से मेरी चूचियों में अपना पैर सटा दिया।

मैं अन्दर ही अन्दर तड़पने लगी.. पर मेरी मजबूरी थी। मैं अपनी तरफ से पहले कुछ नहीं कर सकती थे, धीरे-धीरे मामा मेरी चूचियों को पैर से जोर से मसलने लगे।

मैंने हिम्मत करके करवट बदल ली, तो कुछ देर के लिए मामा सहम से गए। उन्हें लगा कि जैसे मुझे सब पता चल गया हो। मामा के लंड से चुदने की चाहत बढ़ गई थी लेकिन मैं खुल नहीं पा रही थी।

मैं भी चालाक थी, मैं भी पहले ही अन्तर्वासना पे सब कुछ पढ़ चुकी थी। मैंने करवट लेकर अपनी गांड मामा के चेहरे की तरफ कर दी और अपना पैर भी मोड़ कर गांड थोड़ा बाहर को निकाल दी।

मामा को लगा कि मैं फिर से सो गई हूँ। थोड़ी देर बाद मुझे लगा कि मामा मेरे शॉर्ट्स को खींच रहे हैं। मैंने जानबूझ का ढीला शॉर्ट्स पहना था ताकि आसानी से खुल जाए।

धीरे से मामा ने मेरा शॉर्ट्स निकाल दिया। अब मैं पेंटी में थी और चुपचाप से करवट के बल लेटी थी।

फिर मामा ने भी अपना पेंट निकाल दिया और मेरे पीछे आ कर लेट गए। थोड़ी देर बाद मुझे एहसास हुआ कि मेरी गांड में पेंटी के ऊपर से मामा लंड रगड़ रहे हैं।

मैं इंतज़ार में थी कि कब खुला लंड मामा मेरी पेंटी के अन्दर घुसा दें। थोड़ी ही देर बाद मामा ने मेरी पेंटी को थोड़ा पीछे खींच कर लंड दोनों चूतड़ों के बीच गांड के छेद में सटा दिया और थोड़ी देर के लिए शांत हो गए। मामा के लंड का स्पर्श पाकर मुझे लग रहा था जैसे मेरी गांड के छेद पर किसी ने गरम रॉड रख दी हो।

मैं बेचैन थी कि कब मामा लंड से मेरी चूत सहलाएं, मेरी चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी।

थोड़ी देर मैं मामा ने गांड के पीछे से मेरी पेंटी नीची कर दी और गांड के पीछे से ही लंड से मेरी चूत को सहलाने लगे। कुछ देर में जब उनका लंड मेरी चूत के पानी से गीला हो गया, तो उनको मालूम हो गया कि मैं सोई नहीं हूँ।

मामा ये चैक करने के लिए मेरे टॉप के अन्दर हाथ डाल कर मेरी चूचियां दबाने लगे, तो मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ और मैं जोर-जोर से गरम साँसें लेने लगी।

मामा ने पूछा- तू जागी है? तो मैं शर्मा कर हाँ बोल उठी।

अब मामा ने आव देखा ना ताव.. मेरे ऊपर चढ़ कर जोर-जोर से मेरे होंठ चूसने लगे। मामा ऐसे चूस रहे थे जैसे मेरे होंठ खा जाएँगे। साथ ही साथ मामा मेरी चूत भी जोर-जोर से सहलाने लगे।

मेरी चूत इतनी छोटी थी कि केवल मामा का एक ही उंगली से सहला पा रहे थे।

मैं बार-बार मामा से बोल रही थी- अह.. और जोर से चूत मसलिए, चूत फाड़ दीजिए।

मामा रुक गए थे और मेरे लंड देखने से पहले ही उन्होंने लंड को अंडरवियर में छुपा लिया ताकि मैं मोटा लंड देखकर डर ना जाऊं या फिर मामा जल्दीबाजी में झड़ ना जाएं।

मामा ने फिर मेरा टॉप उतार दिया। अब मैं केवल पेंटी और स्पोर्ट ब्रा में थी। मेरी चूचियां छोटी-छोटी थीं.. इसलिए मैं स्पोर्ट ब्रा पहनती थी। कभी-कभी मेरी मम्मी नहाते वक़्त मुझे बाथरूम बुलाती हैं.. तो मम्मी नंगी ही दिख जाती हैं।

मम्मी की चूचियां अभी भी छोटी-छोटी और खड़ी-खड़ी दिखती हैं और मम्मी की चुत तो मेरी चुत से बहुत मोटी है। शायद उस में मामा का लंड आसानी से घुस जाता।

मेरी स्पोर्ट ब्रा में मेरी चूचियां नुकीली दिख रही थीं.. ये मामा को बर्दाश्त नहीं हुआ। वो मेरी चूचियां ब्रा के ऊपर से मसलने लगे। फिर मुझे ब्रा और पेंटी उतारने को बोले। मैंने मना कर दिया और बोली- मुझे शर्म आती है.. पहले लाइट ऑफ करो।

वो नहीं माने और ज़बरदस्ती मेरी ब्रा और पेंटी को उतार दिया। अब मामा मुझे लेटा कर मेरी चूचियां को चूसने लगे। मेरी छोटी से चूचियां मामा के मुँह में समा गईं। मामा जोर-जोर से मेरी चूचियां चूसने लगे और अपनी ओर खींचने लगे। मुझे ऐसा लग रहा था कि मामा मेरे नीबू कच्चे ही खा जाएँगे। लगभग दस मिनट तक मामा बारी-बारी से दोनों चूचियां नोंचते रहे।

अब तक मेरी चूत फिर से गर्म पानी छोड़ने लगी थी। मामा ने मेरी गांड के नीचे तकिया रख कर मेरे दोनों पैर फैला दिए और मेरी चूत की गरम मलाई चाटने लगे। मामा ने चुत चाट-चाट कर इसकी गर्मी को ठंडा कर दिया। फिर मेरी चूत का दाने को अपने मुँह में लेकर अन्दर की तरफ खींचते हुए चूसने लगे। मेरी चूत में छोटे-छोटे गोल्डन बाल थे.. मामा जी मेरी झांटों को अपने मुँह में लेकर खींचने लगे। मैं तड़पने लगी.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं।

अब तक मेरी शर्म-हया सब खत्म हो चुकी थी। मैं बोल उठी- आपने तो सब कुछ कर लिया.. अब आप भी अपना दिखा दीजिए। तो मामा हंस कर बोले- क्या दिखा दूँ? वो मेरे मुँह से लंड शब्द सुनना चाह रहे थे.. पर मैं बोल नहीं पा रही थी। फिर भी मैंने हिम्मत करके लंड बोल दिया। मामा बोले- खुद से मेरे अंडरवियर से लंड निकाल लो।

ये कह कर मामा जी ने मेरा हाथ पकड़ कर अंडरवियर पर रख दिया। मैं अंडरवियर के ऊपर से लंड को दबाने लगी, मामा का लंड गर्म-गर्म सा लग रहा था। उनका लंड बाहर निकलने के लिए मानो उफान मार रहा था।

मैंने हिम्मत करके मामा का अंडरवियर नीचे खींच दिया। अगले ही पल मामा का विशाल सा मोटा लंड मेरी सामने फन फैलाए खड़ा था। मैं तो डर गई कि ये मूसल मेरी चूत में कैसे घुसेगा।

मामा का लंड लगभग फूल कर 8″ लंबा और कम कम से खीरे जितना गोलाई लिए हुए था। उनका लंड लोहे जैसा सख्त सीधा और काला था। लंड थोड़ा टेढ़ा, सुपारा गर्म और पिंक था। मामा ने अपना लंड मेरी हाथ में दे दिया और आगे-पीछे करने के लिए बोले। मामा का लंड इतना मोटा था कि मेरे हाथ में नहीं आ रहा था।

फिर मामा ने मुझे लंड चूसने को बोला, मैंने मना कर दिया तो मामा ने ज़बरदस्ती मेरे मुँह में लंड डाल दिया। मेरे मुँह में मामा के लंड का सिर्फ़ टोपा ही जा पा रहा था। मैं सिर्फ़ पिंक वाला हिस्सा ही चूस पा रही थी।

मामा के लंड पर थोड़ा सा पानी आ गया था। पहले मुझे अजीब सा स्वाद लगा, फिर मामा का लंड थोड़ा नमकीन और खट्टा सा लगने लगा। कुछ पलों बाद ही मुझे मामा का लंड चूसने में मज़ा आने लगा। मैं जोर-जोर से लंड चूसने लगी।

अचानक से मामा ने लंड को मेरे मुँह से खींच लिया और बोले- अब मत चूसो नहीं तो तुम्हारे मुँह में ही झड़ जाऊंगा।

लेकिन मैं चाहती थी कि मामा मेरे मुँह में ही झड़ जाएं ताकि लंड शांत हो जाए। मैं पहले ही अन्तर्वासना मैं पढ़ चुकी थी चूत में लंड घुसते वक़्त बहुत दर्द होता था और मुझे पहले नहीं पता था कि मामा का लंड इतना मोटा होगा। मैं डर गई थी और मैं मामा से चुदवाना नहीं चाहती थी।

पर मामा कहाँ मानने वाले थे, उन्होंने मुझे मुँह के बल लेटा दिया और वे अपना लंड मेरे दोनों चूतड़ों के बीच में रख कर मेरे ऊपर चढ़ गए। मामा मेरे गले पर चूमने लगे और धीरे-धीरे अपने लंड को आगे-पीछे करने लगे। मामा का लंड मेरे चूतड़ों के ऊपर रगड़ खाने लगा, मुझे मज़ा आने लगा था। थोड़ी देर में मामा अपने लंड को चूतड़ों के पीछे से मेरी चुत में सटा कर मेरे ऊपर पोजीशन में आ गए और लंड को ऊपर-नीचे करने लगे। मामा का लंड मेरी चूत में रगड़ खाने लगा। मेरी चूत फिर से पानी से भरने लगी थी, मैं मदहोश सी होने लगी। मेरी मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं, गर्म साँसें चलने लगी थीं।

मैं चाहती थी कि मामा जल्दी से लंड मेरी चुत में पेल दें। अब मामा भी चोदना चाहते थे इसलिए मेरी गांड के नीचे तकिया रख कर फिर मेरी चूत गीली की ताकि लंड घुस सके। मामा ने अपनी जीभ मेरी चूत के अन्दर तक घुसा कर चूत को गीली किया।

फिर मामा ने अपने पैंट से से वैसलीन की डिब्बी निकाल कर ढेर सारी अपने लंड पे लगा ली और मेरी भी चूत पे लगा डाली।

अब मामा का लंड चमकने लगा था। मेरा मन तो कर रहा था कि लंड को खा जाऊं।

फिर मामा अपना लंड मेरे चूत के छेद पे रख कर सहलाने लगे। मैं डर भी रही थी और मज़ा भी ले रही थे।

मामा मेरा ध्यान हटाने के लिए मेरी चूचियां और गांड की तारीफ कर रहे थे। मैं भी आँख बंद करके शर्मा रही थी और कहीं खो सी गई थी। अचानक से मामा ने जोर से धक्का मारा। मानो मैं मर सी गई, मेरी मुँह से जोर से चीख निकल गई- हाय मम्मी मैं मर गई, मेरी चूत फट गई। मैं जोर जोर से रोने लगी, मामा ने मेरे होंठ पे किस करने लगे ताकि मेरी आवाज़ ना निकले।

थोड़ी देर बाद मामा ने लंड हटा लिया। मामा के लंड पे मेरी चूत की खून लग गया था, मुझे पता था कि पहली चुदाई में खून निकल जाता है। मैं बहुत देर तक दर्द से तड़पती रही।

मैंने मामा को चोदने से मना कर दिया और बोली- मैं आपको बाद में कभी चोदने दे दूँगी.. जब मेरी चूत ढीली हो जाएगी। मामा भी समझ गए कि मेरी चूत का छेद बहुत छोटा है.. काफ़ी दर्द होगा।

फिर मामा ने अपने लंड से मेरी चूत को सहलाने लगे, मेरी भी चूत में बहुत सारा रस भरा था। थोड़ी ही देर में मेरी चूत से पानी निकलने लगा तो मामा भी लंड से चूत सहलाते हुए मुठ मार कर मेरी चूत पर झड़ गए और सारा पानी निकाल दिया।

उसके बाद हम दोनों काफ़ी थक गए थे। मामा ने जल्दी से एक कपड़े से मेरी चुत की सफाई की और फिर मैं नंगी ही मामा से लिपट कर सो गई।

मामा के मोटे लंड से अपनी चुत की पूरी चुदाई की कहानी मैं अगले भाग में लिखूँगी।

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