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सुनीलजी ने देखा की बेफाम गद्दे पर लेटी हुई आयेशा गजब की सुंदर लग रही थी। उसकी टांगें उसके बाजू, उसके बिखरे बाल, उसकी पतली कमर सब सुनीलजी को फिर से उत्तेजित कर रहे थे। विधाता का विधान भी कैसा होता है? वह आयेशा जिनको वह चंद घंटों पहले जानते तक नहीं थे वह उनकी सिर्फ हमसफ़र और हमराज ही नहीं बल्कि उनकी शय्याभागिनी (हम बिस्तर) बन गयी थी।
सुनीलजी को गर्व हुआ की ऐसी महिला जो उनके धर्म और देश की नहीं थी वह भी उनपर आज अपनों से ज्यादा भरोसा कर रही थी। यहां तक की वह सुनीलजी का नाजायज कहे जाने वाले बच्चे को जनम देने के लिए आमादा थी।
सुनीलजी तीन घंटे तक बड़े ध्यान और बारीकी से गुफा के बाहर देख कर पहरेदारी कर रहे थे। उन्होंने कहीं भी कोई भी तरह की हलचल नहीं देखि। चारों तरफ कदम शान्ति का माहौल था। उन्हें तसल्ली हुई की दुश्मनों की फ़ौज वापस अपने मुकाम पर चली गयी थी।
आधी रात बित चुकी थी। कुछ ही घंटों में सुबह होने वाली थी। सुनीलजी का मन खट्टा हो रहा था की एक वक्त आएगा जब उन्हें आयेशा को छोड़ कर जाना पड़ेगा। एक परायी औरत से कितनी आत्मीयता उतने कम समय में कैसे हो जाती है? उनके पास शायद आज रात का ही समय था जो शायद उनके जीवन का सबसे यादगार समय बन सकता था। वह धीरे धीरे आयेशा के पास पहुंचे और उसके पास जाकर गद्दे पर आयेशा के साथ लेट गए।
गहरी नींद में भी आयेशा के चेहरे पर हलकी मुस्कान दिख रही थी। शायद वह उस रात के पहले प्रहर के प्यार भरे घंटों को याद कर रही थी। सुनीलजी ने लेटते ही आयेशा को अपनी बाँहों में लिया और उसके कपाल पर एक हल्का सा चुम्बन करके बोले, “उठो रानी, तुमने मुझे दो घंटे में ही जगाने के लिए कहा था, पर अब तीन घंटे के बाद मैं आप को जगाने के लिए आया हूँ।
आयेशा “ऊँ…….. सोने दो ना……….” कह कर पलट कर सुनीलजी को बाँहों में आगयी और उनसे लिपट कर सो गयी। सुनीलजी की बाँहों में आयेशा के मरमरा बदन का एहसास होते ही सुनीलजी का लण्ड खड़ा हो गया। आयेशा की चूत बिलकुल सुनीलजी की लण्ड को सट कर लगी हुई थी। आयेशा की चुचुक सुनीलजी की छाती पर दबे हुए थे।
सुनीलजी ने कहा, “मेरी जानू, सुबह हो जायेगी तो फिर तुम्हारा पूरी रात भर प्यार करने का सपना अधूरा का अधूरा ही रह जाएगा। बाकी तुम्हारी मर्जी।”
जैसे ही आयेशा ने यह सुना तो एकदम बाँहें खोल कर परदेसी को अपनी बाँहों में सिमट कर बोली, “परदेसी, मैं जाग रही हूँ और तुम्हारे प्यार के लिए तड़प रही हूँ।”
आयेशा ने अपनी बाँहें फैला कर अपनी जाँघों में सुनीलजी की टांगों को दबोच लिया और सुनीलजी से चिपक कर उनके होँठों से अपने होँठ चिपका कर बोली, “अब ना तो मैं सोऊंगी, ना आप। हम पूरी रात भर प्यार करेंगे। तुम तैयार रहो।”
सुनीलजी ने कहा, “मैं तो कभी से तैयार हूँ।”
आयेशा ने प्यार भरे हांथों से सुनीलजी की पीठ सहलाना शुरू किया और जब सुनीलजी ने अपने लण्ड को आयेशा की टांगों के बिच में धक्का मार कर घुसेड़ ने की कोशिश की तो आयेशा हँस कर बोली, “परदेसी, तुम तो बिलकुल तैयार लग रहे हो। तुम्हारा लण्ड तो फौलादी छड़ की तरह तैयार है?”
सुनीलजी ने आयेशा के सलवार का नाडा खोलते हुए कहा, “मैं देखता हूँ की क्या तुम तैयार हो की नहीं?”
नाडा खुलते ही सुनीलजी ने आयेशा की जाँघों के बिच में अपना हाथ डाला और पाया की आयेशा की चूत में से उसका पानी रिसना चालू हो गया था। सुनीलजी ने एक उंगली आयेशा की चूत में डाली और उसे प्यार से उसकी चूत की त्वचा पर रगड़ने लगे। आयेशा की चूत में सुनीलजी की उंगली का स्पर्श होते ही आयेशा के बदन में कम्पन फ़ैल गया। आयेशा गद्दे पर सुनीलजी की बाँहों में मचलने लगी।
आयेशा ने सुनीलजी की आँखों में आँखें डालकर पूछा, “मेरे प्यारे परदेसी, क्या मौक़ा मिला तो तुम तुम्हारी इस नाजायज बेगम और उसके नाजायाज बच्चे को कभी मिलने आओगे?”
सुनीलजी ने पूछा, “आयेशा क्या तुम वाकई में मेरे बच्चे को जनम देने पर आमादा हो? मैं तो तुम्हें यही कहूंगा की अगर तुम्हारा पीरियड मिस हो तो तुम फ़ौरन बच्चे को गिरा देना। मैं तुम्हारे सर पर कोई बदनामी का दाग देखना नहीं चाहता।”
आयेशा ने बड़ी ही नजाकत और प्यार भरी नज़रों से अपने आशिक़ की और देखते हुए कहा, “अरे परदेसी, यह मुल्क हैवानीयत का अड्डा बन चुका है। यहाँ प्यार नहीं, पैसा, ताकत और हवस चलता है। यहां बात बात पर लोग एक दूसरे को गोली से उड़ा देते हैं। यहां औरतों की कोई इज्जत नहीं। इस मुल्क में इज्जत क्या और जिल्लत क्या? तुमने मुझे चंद घंटों के लिए ही सही, पर जो प्यार और इज्जत दी है वह अगर मेरे पेट में बच्चे के रूप में पैदा होगी तो मैं उसे जिंदगी भर पालूंगी और उसे इस जाहिल दुनिया में एक अच्छा इंसान बनाने की कोशिश करुँगी।”
आयेशा की बात सुनकर सुनीलजी की आँखों आँसू आगये। आयेशा ने अपने आशिक़ के आँसूं पोंछते हुए कहा, “परदेसी, यह वक्त आँसूं बहाने का नहीं है। यह वक्त प्यार करने का है। आँसूं बहाने के लिए तो पूरी जिंदगी पड़ी है। प्यार करने के लिए तो बस यही वक्त है।”
आयेशा ने सुनीलजी को गद्दे पर लेटने को कहा और खुद उठकर अपने घुटनोँ पर सुनीलजी की कमर को अपनी टाँगों के बिच में फँसा कर बैठ खड़ी हुई और सुनीलजी का लण्ड अपनी उँगलियों में लेकर उसे प्यार से हिलाने लगी। सुनीलजी के लण्ड की धमनियों में पहले से ही उनके वीर्य का दबाव बढ़ा हुआ था। सुनीलजी का लण्ड अपनी माशूका से दुबारा मिलकर उसको प्यार करने के लिए बेचैन था।
थोड़ी देर परदेसी का लण्ड अपनी उँगलियों में पकड़ कर अपनी चूत के होँठों से रगड़ कर उसे स्निग्ध कर आयेशा ने अपनी चूत को नीचा किया ताकि अपने आशिक़ का लण्ड वह अपनी चूत में घुसा सके। सुनीलजी का चिकनाहट भरा वीर्य तभी भी आयेशा की चूत में भरा हुआ था। लण्ड को चूत में घुसने में पहले से ज्यादा दिक्कत अथवा दर्द नहीं हुआ।
सुनीलजी ने भी अपना पेंडू ऊपर कर आयेशा की चूत में धीरे से अपना लण्ड घुसाया। आयेशा की चूत अच्छा खासा पानी छोड़ रही थी। आयेशा ने अपने आशिक़ के हाथ पकड़ कर अपने बूब्स पर रख दिए। वह चाहती थी की चुदाई करवाते हुए उसका आशिक़ उसकी चूँचियों को खूब मसलदे और दबा दबा कर उसका दूध निकालदे। खैर दूध भले ही ना निकले पर उसके बूब्स पर निशान तो पड़े!
सुनीलजी ने फ़ौरन आयेशा के मदमस्त स्तनोँ को दबा कर मसलना शुरू किया और अपने लण्ड को धीरे धीरे से आयेशा की चूत में घुसते हुए महसूस किया। आयेशा ने धीरे धीरे अपनी टाँगों के बल पर उठकर और फिर बैठ कर अपने आशिक़ को चोदना शुरू किया। कुछ ही देर में अपने आशिक़ का लण्ड आयेशा की चूत में पूरा घुस गया।
आयेशा की सुनीलजी को चोदने की गति धीरे धीरे बढ़ने लगी। सुनीलजी ने पहली बार किसी विदेशी औरत से इतने प्यार से चुदवाया था। उन्होंने कई विदेशी औरतों को चोदा तो था पर उस रात की बात कुछ अलग ही थी।
आयेशा के चेहरे पर जैसे पागलपन सवार था। वह तेजीसे अपने आशिक़ को चोदने में मशगूल थी। तब सुनीलजी ने उसे रोका और थोड़ा सा बैठ कर उन्होंने अपनी माशूका के स्तनोँ को अपने मुंह में लेकर उन्हें चूसने लगे। आयेशा अपने स्तनों को परदेसी के मुंह में पाकर काफी उत्तेजित लग रही थी। सुनीलजी ने अपने दांतों से आयेशा के बूब्स की निप्पलोँ को प्यार से काटना शुरू किया।
आयेशा ने सुनीलजी के मुंह में अपने स्तनोँ को चुसवाते हुए ही धीरे धीरे उनके लण्ड को चोदना जारी रखा। आयेशा कीप्यारी सुआकार गाँड़ अपने आशिक़ को चोदने के लिए बार बार ऊपर निचे हो रही थी। सुनीलजी का लण्ड “फचाक…. फचाक…. ” आयेशा की चूत में घुस रहा था और बाहर निकल रहा था।
सुनीलजी ने अपनी हाथ आयेशा के थिरकते स्तनों से हटा कर आयेशा की गाँड़ पर टिका दिए और दोनों हाँथों से वह आयेशा की करारी गाँड़ के गालों को दबाने और खींचने लगे। उनका लण्ड उनकी उँगलियों के नजदीक में उस रात की उनकी माशूका की चूत में कहर ढा रहा था।
आयेशा सुनीलजी के लण्ड से और ज्यादा आनंद लेना चाहती थी और उस लिए वह सुनीलजी के लण्ड को अपनी गाँड़ और पूरा बदन इधर उधर हिलाकर सुनीलजी के लण्ड को अपनी चूत की सुरंग में घुमा रही थी। लण्ड के इधरउधर घूमने से आयेशा की चूत में अद्भुत घर्षण और उत्तेजना पैदा हो रही थी। उसे अपने आशिक़ का लण्ड अपनी चूत की सुरंग के हर कोने में महसूस हो रहा था।
आयेशा के इस तरह अपने बदन को घुमाने से सुनीलजी के बदन और ख़ास करके उनके लण्ड पर गजब का असर हो रहा था। इस बार जल्दी झड़ने वाले नहीं थे। उन्हें आयेशा को हर तरह से चोदना था। सुनिलजी कुछ थम कर धीरे धीरे पर आयेशा की चूत की पूरी गहराई तक अपना लण्ड घुसाने में मशगूल थे।
कुछ देर बाद सुनीलजी ने आयेशा को रोका और उसे उठ खड़ी होने को कहा। फिर उन्होंने आयेशा को आगे की और झुका कर खुद उसक पीछे आ गए। आयेशा समझ गयी की उसका आशिक़ उसे पिछेसे डॉगी स्टाइल में चोदना चाहता था। आयेशा ने भी अपने आपको ठीक से एडजूट किया ताकि परदेसी उसकी चूत में अपना लण्ड गहराई तक डाल सके।
सुनीलजी ने आयेशा के पिछेसे खड़े हो कर काफी देर तक अच्छी खासी चुदाई की। आखिर में जब वह अपने चरम पर पहुँचने लगे तब आयेशा ने उन्हें कहा की वह अपना वीर्य आयेशा की चूतमें ही निकाल दे।
फ़ौरन आयेशा की चूत में जैसे गरम गरम मलाई की फौहार छूट पड़ी। सुनीलजी के लंड से गाढ़ी मलाई का फव्वारा छूट पड़ा। आयेशा उसे अपनी चूत में फैलते हुए महसूस किया। वह मन से अपने अल्लाह को इबादत कर रही थी की आज रात की उसके आशिक़ की यह सौगात उसके साथ जिंदगी भर रहे।
कुछ ही देर में आयेशा और उसका परदेसी आशिक़ निढाल होकर एक दूसरे के ऊपर और फिर बाजू में गिर पड़े। काफी देर तक पड़े रहने के बाद जब उनकी सॉँस ठीक हुई तो एकदूसरे से लिपट गए। आयशा बड़ी ही भावुक हो उठी थी। उसकी आँखें आँसुओं से भरी हुई थीं। बार बार वह अपने परदेसी से लिपट कर बोल रही थी, “मैं कैसे जी पाउंगी, तुम्हारे बिना। मेरा अब यहां कोई भी नहीं बचा है। एक तुम पहली बार मेरी जिंदगी में आये और मुझे वह प्यार दिया जो मुझे पहले किसीसे नहीं मिला। मैं तुम्हारे प्यार के बगैर कैसे जी पाउंगी?”
सुनीलजी की आँखों में भी पानी आ गया। कैसे एक परदेसी औरत ने एक रात में ही एक अजनबी को अपना बना दिया था! सुनीलजी कुछ भी ना बोलकर चुप रहे।
कुछ देर बाद आयेशा शांत हो गयी। उसे तो वहीँ जीना था। वह सुनीलजी से कहने लगी, “चलो, अभी अन्धेरा है और कोई हलचल भी नहीं है। अगर हम अभी निकल पड़े तो सुबह के पहले ही मैं तुम्हें सरहद पार करा दूँगी। फिर तुम्हें आगे अपने आप आगे जाना पड़ेगा। मैं वहाँ से वापस चली आउंगी। अगर देर हो गयी तो कहीं हम पकडे ना जाएँ।”
सुनीलजी ने फिर अपनी बाँहें फैला कर आयेशा को अपने आहोश में ले लिया। आयेशा का नंग्न बदन सुनीलजी के नंग बदन के साथ जैसे एक हो गया। दो पड़ेसी अनजाने जीव एक दिन के लिए मिले और एक रात के बाद फिर अलग होने को तैयार हो गए। सुनीलजी ने आयेशा के होँठों पर अपने होँठ रख दिए और उतना लमबा और प्यार भरा चुम्बन किया की शायद पहले उन्होंने किसी औरत को इतना लंबा चुम्बन नहीं किया होगा।
आयेशा कूद कर सुनीलजी की कमर में अपनी टाँगे लपेट कर उनसे चुम्बन में मस्त हो गयी। उनके आलिंगन से एक बार फिर सुनीलजी का लण्ड खड़ा होगया। आयेशा हंस कर जल्दी गद्दे पर लेट गयी और बोली, “परदेसी एक आखरी बार मुझे चोदो। जल्दी करो समय ज्यादा नहीं है।”
आखरी बार सुनीलजी ने आयेशा की चूत में अपना लण्ड डाला और करीब दस मिनट की चुदाई के बाद वह दोनों झड़ गए। जल्दी से उठ कर खड़े होकर दोनों ने अपने आप को सम्हाला और गुफा के बाहर निकल कर चल दिए।
पढ़ते रहिये.. यह कहानी आगे जारी रहेगी!!!
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