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मेरी गांड की चुदाई की गे सेक्स स्टोरीज-2
अब तक आपने गांड चुदाई की कहानी में पढ़ा था कि भाईसाहब के सामने मेरी खुली हुई गांड थी और वे कसमसा रहे थे। अब आगे..
मैंने सीधा खड़ा होकर हाथों में तेल लगाया। सीने पेट पीठ में लगाया चेहरे पर क्रीम मली, मैं भाई साहब की ओर पीठ किए था, मैंने कहा- बस हो गया.. अब कपड़े पहन लूँ.. और चलता हूँ। मैं खटिया के पास पहुँचा.. कपड़े उठाने को झुका कि मैंने भाई साहब का हाथ अपने चूतड़ पर फिरते हुए महसूस हुआ। मैंने गर्दन मोड़ कर देखा तो वे मेरे पीछे खड़े थे। अब उनके हाथ की उंगली मेरी गांड के छेद पर थी.. वे गांड सहला रहे थे।
मैं परीक्षा के बाद आठ-दस महीने से थोड़ा फ्री था.. इसका उपयोग मैंने कसरत में किया। मैं रोज सुबह दौड़ने जाता था एक योग शिविर अटेन्ड कर लिया था.. रोज एक घंटे योग करता था.. अतः बॉडी पहले से ज्यादा मस्कुलर और स्लिम हो गई थी.. कमर कम हो गई थी, बांहों व जांघों के शेप बैटर हो गए थे।
भाई साहब ने फिर उंगली अपने मुँह में डाल ली और थूक से भिगो कर फिर से मेरी गांड में डाल दी। मैं गर्दन मोड़ कर उनकी ओर देखने लगा। उन्होंने पूरी गांड में ठूंस दी।
मैं चीखा ‘आह.. आह..’ वे मेरे बगल से चिपक गए.. और उनका फनफनाता लंड मेरी जांघों से टकरा रहा था। उनका दूसरा हाथ मेरे कन्धों पर था, वे मेरी गांड में घुसी हुई उंगली को धीरे-धीरे अन्दर-बाहर चलाने लगे।
फिर भाईसाहब ने दूसरे हाथ को कन्धों से हटा कर मेरा लंड पकड़ लिया। वे लंड को दबाते और ढीला करते हुए बोले- तेरा हथियार तो मस्त है.. मेरे से टक्कर ले रहा है.. बहुत हार्ड है। मैंने कहा- कहां भाई साहब.. देखो आपका मेरे से बड़ा लग रहा है। वे बोले- झूठी बात नहीं.. मक्खन मत लगा यार! सामने देख, दोनों लंड सामने हैं।
सचमुच एक से लग रहे थे.. मेरा भी उनके जैसा लग रहा था तो सुकान्त सही कह रहा था केवल चुदाई की टेक्नीक का कमाल था। मैंने मन ही मन अपने गांड मराई के उस्ताद राजा को थैंक्स पे किया जिन्होंने सिखाया था कि जब वे मुझसे गांड मरा रहे हों.. बीच में टोका-जल्दी नहीं करते, ऐसे तो तुम जल्दी झड़ जाओगे। लौंडे की गांड फट जाएगी, अपने पर कन्ट्रोल करो, स्पीड कम, रुको। गांड मराने वाले से पूछते रहो वो तुम्हें मजा दे रहा है।
अब भाईसाहब की आंखें चमकने लगीं थीं वे इशारे से बोले- हाँ। मैंने कहा- देर हो जाएगी, जब तक पहुँचेगे शादी निपट जाएगी। वे बोले- दस मिनट का तो काम हैं अभी चलते हैं फटाफट। मैंने कहा- मैं तैयार हूँ पर दस मिनट कहाँ.. आप डेढ़ घंटा लोगे चुदाई में.. मेरी गांड फाड़ कर दम लोगे.. मेरे से तीन दिन तक चलते नहीं बना। वे- तब की बातें छोड़ यार.. अब आराम से करेंगे.. तेरे को तकलीफ नहीं होगी.. विश्वास करके देख, जल्दी लेट।
वे मुझे खाट पर धकेलने लगे। मैंने नीचे फर्श पर बिछे चटाई कम्बल की ओर इशारा किया। वे मान गए.. पर प्रश्न वाचक दृष्टि से देख रहे थे। मैंने कहा- खटिया आवाज करेगी तो सवेरे सब पूछेगे कि मादरचोद रात को किसका लंड ले रहा था। उनसे कहा- पैन्ट, अंडरवियर उतार दें, शर्ट व स्वेटर पहने रहो।
मैंने भी फुल जर्सी पहन रखी थी.. मैं चटाई पर औंधा लेट गया। वे टेबिल पर से तेल व क्रीम की शीशी दोनों ले आए। अब वे मेरी जांघों के ऊपर घुटने मोड़ कर बैठ गए। उन्होंने हाथ पर उंगलियों में तेल लिया और क्रीम भी ले ली। अपनी एक उंगली मेरी गांड में डाल दी.. पहले एक अन्दर-बाहर की फिर दो उंगलियां डालीं। अब वे उन्हें आराम से अन्दर-बाहर करते हुए घुमा रहे थे। फिर उन्हें गोल-गोल घुमाने लगे.. उन्होंने अपनी तीसरी उंगली भी डाल दी।
मैं जोर से चिल्ला दिया- आह.. आह..
मेरी अनजाने में जोर से चीख निकल गई। उन्होंने दूसरे हाथ को मेरी कमर से लपेटा और तीनों उंगलियां पूरी अन्दर डाल कर उन्हें अन्दर-बाहर करने लगे। मैंने कहा- भाई साहब..! वे बोले- पाँच सेकंड ठहरो.. अभी दर्द छूमन्तर होता है।
सचमुच थोड़ी देर में दर्द कम हो गया फिर हल्का हो गया.. मुझे तो उनकी उंगलियों से ही मजा आने लगा। अब उन्होंने तीनों उंगलियां दो-तीन बार घुमाईं और हाथ निकाल लिया। अब उन्होंने अपने मशहूर लंड पर क्रीम मली.. बड़े आराम से धीरे-धीरे लगाई.. सुपारा खोला.. उस पर भी लगाई। फिर शीशी बन्द करके बगल में रख दी और अपने लंड की मालिश करते रहे। फिर बोले- हां तैयार हो.. डाल रहा हूँ।
उन्होंने अपना लंड मेरी गांड पर टिका कर जोर लगाया.. तो सुपारा अन्दर घुस गया। मैंने भी गांड ढीली कर ली थी। फिर उन्होंने एक और जोरदार झटका दिया तो आधा अन्दर हो गया था। उनके तीसरे धक्के में पूरा लंड गांड के अन्दर था।
अब वे पूरा लंड गांड में डाल कर मेरे ऊपर लेटे रहे। वो पाँच मिनट इसी तरह लेटे रहे.. पर मेरी गांड में तो पूरा लम्बा मोटा महालंड घुसा था। मैं दो मिनट ही रुक पाया कि गांड कुलबुलाने लगी।
मैं गांड में हल्की-हल्की हरकत करने लगा। मैं करने क्या लगा.. अपने आप होने लगी। मेरे जो दोस्त गांड मराते हैं अपने अनुभव को रिलेट करें.. फिर बताएं।
गांड की कुलबुलाहट थोड़ी बढ़ गई, मैं चूतड़ भींचने लगा.. तो गांड अपने आप बार-बार टाइट ढीली होने लगी। अब वे शुरू हो गए.. बड़े ही धीरे-धीरे धक्के लगा रहे थे.. दो तीन मिनट फिर धक्कों की स्पीड व पावर दोनों बढ़ाई। अब उनकी रफ्तार और बढ़ गई, मैं अपनी गांड से धक्का दे रहा था.. चूतड़ भी सिकोड़ और ढीली.. बार-बार कर रहा था, गांड मराई में पूरा सहयोग कर रहा था.. मजा ले रहा था।
पर फिर उनके धक्के और बढ़ गए.. गांड फाड़ू हो गए.. वे अपनी पर आ गए। दे दनादन… दे दनादन… फच्च फच्च… पच्च पच्च… लंड गांड में घुसता.. तो आवाजें होने लगीं। उनकी कमर ऊपर उठती, नीचे गिरती.. गांड में तो लंड पेलते ही पूरे शरीर को ही दबा देते। फिर थोड़ी देर रुके उन्होंने कुछ तलाशा, वे मेरी चुदाई अलमारी के सामने ही फर्श पर कर रहे थे। उन्होंने अलमारी के निचले खन्ड में रखा कम्बल रोल निकाला.. मेरी कमर के नीचे रख दिया। इससे मेरी गांड थोड़ा ऊपर को हो गई, इससे उनका लंड और अन्दर तक जाने लगा।
वे और दस मिनट तक इसी बुरी तरह चोदते रहे। फिर पूरा लंड पेल कर मेरे ऊपर लेटे रह गए।
कुछ देर बाद वे अलग हुए.. उनके लंड का रस मेरी गांड से निकल कर दोनों जांघों में बह रहा था। वे लेटे रहे.. मैं उठा, दुबारा नहाया बदन पोंछा.. कपड़े बदले। तब वे उठे.. अंडरवियर व पेंट पहना। वे ढीले हो गए थे.. मानो गांड उनकी मारी गई हो।
हम दोनों कमरा लॅाक कर कार पर पहुँचे.. बारात रास्ते में ही मिली। हम मैरिज हाउस पहुँच गए.. इस गांड चुदाई के कारण वाकयी डेढ़ घंटा लेट हो गए थे। उनके पिताजी बोले- कहां थे? वे बोले- सब ठीक है, टेंशन न लें।
बारात के टीका का सामान देखा.. डिनर प्लेस देखा और लौट कर बोले- सब ठीक है.. जो देना था वह सगाई में ही दे दिया, अतः चिन्ता न करें। तब तक बारात आ गई, सब व्यस्त हो गए।
हम लोग एक बजे फ्री हुए.. तो मैंने कहा- अब जाऊं? सब बोले- अब यहीं रुक जाओ।
उनका एक कमरा था.. जिसमें भाईसाहब मैं व सुकांत रुक गए। एक उनका रिश्ते का भाई भी कोई आधा इंजीनियर था वो भी आ गया। वो लगभग उन्नीस साल का था, वह भी सुकांत के बगल में लेटा था। मैं चुदाई के कारण बहुत थका था, सो जल्दी सो गया।
सवेरे चार साढ़े चार बजे मुझे लगा कि पलंग हिल रहा है। मेरी आंख खुली तो देखा सुकांत उस इंजीनियर को औंधा किए उसके ऊपर चढ़ा है.. व लंड पेले हुए है। यह काम वो बिल्कुल मेरे बगल में कर रहा था। लड़का भी मजे से गांड मरवा रहा था।
भाई साहब तो उठे पेशाब कर आए और लौट कर सो गए।
मैं मजे से यह गांड मराई देखता रहा। झड़ने के बाद सुकांत बेड की चादर से लंड पोंछ कर लेट गया। तब तक पाँच बज गए.. मैं उठा फ्रेश हुआ और भाईसाहब से चलने की इजाजत ली। मैं पलंग के पास खड़ा था कि सुकांत ने मुझे पकड़ लिया और कहा- थोड़ा रुको न सर!
मैं उसके बगल में लेट गया। अब मेरे एक तरफ भाईसाहब लेटे थे। फिर मैं फिर सुकांत और उसके बाद वह अधबना इंजीनियर.. जिसकी अभी-अभी सुकांत ने गांड मार कर उसे तृप्त किया था।
सुकांत ने मेरे पेंट की जिप खोल दी हाथ डाल कर मेरा लंड निकाला और उसे हाथ से सहलाने लगा। वह मेरी ओर देख कर मुस्कुराया। मैंने कहा- अब सवेरा हो गया। वह मेरी ओर खिसका.. और कान में धीरे से बोला- थोड़ी देर है।
मैंने भी उसके पेंट के हुक खोले, बेल्ट खोला.. पेंट नीचे खिसकाया उसका अंडरवियर नीचे खिसकाया।
अब वह खुद उल्टा पलट गया तो मैं उसके ऊपर चढ़ गया। इधर-उधर देखा कहीं कोई नहीं था। मुझे तेल क्रीम न दिखी.. अतः लंड पर थूक लगाया। फिर थोड़ा सा थूक और उंगलियों पर लिया और सुकांत की गांड पर लगा दिया।
मैंने लंड गांड पर टिकाया और धक्का दे दिया। एक-दो धक्के और लगाए.. फिर हम दोनों करवट से हो लिए क्योंकि मैं उस पर कब तक लेटा रहता.. वह वैसे ही बहुत थका था।
अब हम दोनों का चेहरा भाईसाहब की तरफ था। वे हमें बड़े ध्यान से देख रहे थे। करीब तीन-चार मिनट ऐसे ही लेटे रहे। फिर मैंने धक्के लगाने शुरू किए सुकांत भी आसानी से सहयोग कर रहा था। फिर हम दोनों रुक गए.. अब सुकांत खुद औंधा हो गया। मैं उसके ऊपर था अब मैं तेज धक्के लगा रहा था। नीचे से सुकांत भी कमाल कर रहा था।
उन दोनों देखने वालों को भी हमारी टयूनिगं बड़ी ही आश्चर्यजनक लग रही थी। भाई साहब बिना पलक झपकाए देख रहे थे और वह इंजीनियर लड़का तो बिल्कुल ही पास खिसक आया था। मेरा सुकांत की गांड में जाता लंड बड़े गौर से टकटकी बांध कर देखता रहा। मैं लंड के धक्के दे रहा था सुकांत उसी जोर से रिस्पॉन्स दे रहा था।
लड़के ने तो पूछ ही लिया कि भैया लग नहीं रही? इसके जवाब में सुकांत मुस्कुरा दिया और मैंने सुकांत का एक जोरदार चुम्बन ले लिया।
पर वह इंजीनियर लड़का कुछ आश्चर्यचकित सा लगा, अतः मैंने उसका भी एक चुम्बन लिया, फिर उसके होंठ चूस लिए। अब हम दोनों एक-दूसरे को होंठों का चुम्बन ले रहे थे और साथ ही साथ धक्के लगा रहे थे। थोड़ी देर में फिर से करवट में आ गए.. मैं सुकांत के बगल में हो गया। हम दोनों एक-दूसरे चिपके हुए ही झड़ गए.. फिर भी चिपके रहे।
फिर उसने अपनी गांड में से मेरा लंड निकाल लिया। अब हम दोनों आमने-सामने से लिपट गए और बांहों में बांहें डाले लेटे रहे।
अब सुकांत उठा.. तो मैंने बगल में लेटे लड़के का भी चुम्बन ले लिया। सुकांत फ्रेश होने जा रहा था, चलते-चलते बोला- इसे मैं आपके कमरे पर लाऊँगा। मैं भी उठा.. कपड़े ठीक किए और भाईसाहब से चलने की फिर इजाजत मांगी। वे मुस्कराए- वाह, आप दोनों ने कमाल कर दिया। मैंने कहा- भाई साहब ये मेरा नहीं सुकांत का कमाल है। वे बोले- हाँ.. मैं समझ गया, तभी उसने मेरे सामने डिमोंन्स्ट्रेट किया, मुझे वह कुछ समझाना चाहता था। उसने इस तरह कह दिया, मैंने नोट कर लिया, अब उसे परेशान नहीं करूंगा। आपको भरोसा दिलाता हूँ। उससे कह देना.. वह आपसे इम्प्रेस है, वैसे यह एक आइडियल डिमोंन्स्ट्रेशन था, दोनों परेशान न हों, ऐसा ही सेक्स होना चाहिये। आपकी जोड़ी भी तो वन टू वन है.. दोनों बिल्कुल सेम।
मैं मुस्कुराया।
फिर वे मुस्कुराते बोले- आपके लिए एक खुशखबरी है.. सुकांत फायनल में पास हो गया और उसकी एक गर्लफ्रेन्ड भी है। उसके पिता जी, जो मेरे चाचा जी और उसके ताऊ जो मेरे पिता हैं और भी फैमिली मेम्बर तैयार नहीं थे, अब तैयार हैं। आज शाम सेलीब्रेशन है, इसी होटल में.. आप जरूर आना, मेरी तरफ से आप इनवाइट हैं। मैं- भाईसाहब सबको तैयार करने का रिश्ता कराने का क्रेडिट आपको ही है। सुकांत बता रहा था। भाई साहब- पर वह मेरे से यह भी बता रहा था जब उसके पिता व ताऊ ने उसे झिड़क दिया तब आपने ही तो कहा था कि कह देना मैं कहीं और शादी नहीं करूँगा और यह भी सलाह दी कि भाई साहब को अप्रोच करो, मैंने उसे सपोर्ट किया। मैं- भाई साहब, लड़की बहुत इंटेलीजेंट है क्लास टॉपर है.. सॉबर है.. सुकांत भी इंटेलीजेंट है, नेचर का अच्छा है.. हैन्डसम है। जोड़ी जमेगी.. हाँ फैमिली आप लोगों जितनी रिच नहीं है.. लेने-देने में शायद कसर रहे। मैं जरूर आउंगा, अभी चलता हूँ.. नमस्ते।
मैंने उस लड़के को देखा और चलने लगा। भाईसाहब जोर से हँसे, बोले- इसे सुकांत आपके पास लाएगा। ये कह कर वे मुस्कराए.. फिर बोले- कल मुझे तो आपकी कम्पनी में बहुत आनन्द आया.. पता नहीं आपको कैसा लगा? थैंक्स! मैं- अरे नहीं भाई साहब मुझे भी बहुत मजा आया.. फालतू में गिल्टी फील न करें!
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