This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
हैलो दोस्तो… एक गांड की गे सेक्स स्टोरी भेज रहा हूँ।
इस शहर में मैं चार वर्ष और रहा मैंने बी.एस.सी. पास की। दोस्तों मैं अपनी गे सेक्स स्टोरीज में पहले बता चुका हूँ कि गांड मराने के भी नए अनुभव लिए.. कॉलेज के सर जी से ही गांड मराई, वर्मा सर को गांड का मजा दिया, कुछ दोस्तों को खुश किया.. कुछ के साथ अदल-बदल भी किया। अब इस को लम्बा न खींच कर इतना कहना चाहता हूँ कि ये सब जानने के लिए मेरी पुरानी कहानियों में पढ़ें जो अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम में प्रकाशित हुई हैं।
मेरा ग्वालियर शहर में पाँच साल के डिग्री कोर्स में एडमीशन हो गया। मैं ग्वालियर नए कॉलेज पहुँच गया.. ज्वाइन किया, वहां रेगिंग हुई। उसमें नए फ्रेशर लड़कों को तरह-तरह से परेशान किया जाता था। अकसर हम चार-पांच लड़कों के ग्रुप को नंगा करके परेड होती। उनमें सीनियर की अकसर मेरे लंड पर निगाह जाती, तो कहने लगता कि साला कितना बड़ा लंड है।
इसी बात से मुझे लंडधारी की उपाधि दे दी गई। बाद में साथी भी चिढ़ाने लगे.. कुछ सीनियर्स को मेरी गोरी छरहरी बॉडी पसंद भी आ गई। पूछा भी गया कि क्या एक्सरसाइज करते हो।
एक सीनियर तो रात को मुझे अपने कमरे में ले गए.. मेरे गालों के चुम्बन लिए होंठ चूसे.. फिर चूतड़ पर चुम्बनों की बौछार कर दी.. गांड चाटी, फिर मुझे भी उनका लंड चूसना पड़ा।
मैं हॉस्टल के जिस कमरे में रहता था, उसमें से मेरा रूममेट इन्दौर ट्रान्सफर करा कर चला गया.. वह वहीं का था। अब मेरे कमरे में मेरा एक जूनियर मेरा रूममेट बन गया। वह मेरे से एक या दो साल छोटा होगा.. पर कद में मुझसे दो-तीन सेंटीमीटर ऊंचा ही होगा.. स्लिम स्मार्ट था।
एक दिन मेरा एक क्लासमेट मेरे कमरे में आया.. और आते ही मुझसे चिपक गया। उसने मेरे ऊपर चुम्बनों की बौछार कर दी.. मेरे गाल चूमे.. होंठ चूसे। फिर साला मेरे पीछे चिपक गया.. उसका पजामे में से खड़ा लंड मेरे पिछवाड़े से रगड़ रहा था। वह मुँह से बार-बार ‘हाय जॅानी.. हाय हैन्डसम..’ मंत्र की तरह दोहरा रहा था, साला मुझ पर मरता था। ऐसा एक-दो दिन में कोई न कोई करता ही था.. क्योंकि मैं विरोध नहीं करता था।
वैसे हॉस्टल में सभी मस्ती के मूड में रहते थे.. पढ़ाई से थक जाते तो घूमते-फिरते मस्ती करते, असल में कैरियर के टेंशन का सबसे बड़ा टेंशन एक्जाम ही रहता था। चूमा-चाटी लपटना आदि सब नॉर्मल था.. नॉनवेज जोक्स चलते थे।
मेरा रूममेट एक दिन बोला- सर आप वाकयी बहुत हैंडसम हो। मैंने कहा- साले, तू भी तो हैंडसम है नमकीन है। रूममेट- सर, मैं इतना नहीं हूँ। मैं- अबे, ये इतना उतना क्या होता है? मेरी मारनी है तो बोल.. पेंट खोल दूँ? रूममेट- नहीं सर वो बात नहीं.. सब कहते हैं। मैं- अरे सब मेरे दोस्त हैं.. फिर मैं मजाक करता रहता हूँ, लिबरल हूँ और लड़के साले लड़की जैसे जान छड़कते हैं। मैं कहता हूँ तू हैंडसम है तो है। रूममेट- सर मैं कैसे मानूं? वो ये कह कर मुस्कराने लगा। मैं तब कुछ समझा.. मैंने कहा- साले मादरचोद.. मैं समझाता हूँ।
वह मुझे चैलेन्ज देने की मुद्रा में मुस्करा रहा था.. मैं उठा और उसके पास पहुँचा और उससे लिपट गया। अपने गाल उसके गाल से रगड़ कर कहा- अब बोल? वह मुस्कुराए जा रहा था। तब मैंने उसके गालों का चुम्बन ले लिया। वह बोला- थोड़ा थोड़ा।
वह शरारत पर उतारू था.. मैंने उसके होंठ चूस लिए.. उसको बेड पर औंधा लेटा दिया और उस पर चढ़ बैठा। मैंने अपने लंड को उसके पिछवाड़े रगड़ दिया। ‘अब बोल?’ वह बोला- थोड़ा थोड़ा। मैंने कहा- अबे रात को देखूंगा.. अभी छोड़े देता हूँ।
मैं उसके बगल में बैठ गया। वह फिर बोला- देखेंगे।
तब तक और दोस्त आ गए, हम सब शाम को घूमने निकल गए।
मेरे रूममेट का नाम सुकांत सिंह था.. अब मैं उसे इसी नाम से पुकारूंगा।
मैं तब थर्ड ईयर में था.. सुकांत सेकन्ड ईयर में था। मेरी उम्र तब यही कोई बाईस तेईस की रही होगी.. और सुकांत उन्नीस-बीस का होगा।
दूसरे दिन मैं क्लास अटेन्ड करने के बाद क्लीनिक को तैयार हो रहा था.. लगभग दस-ग्यारह बजे की बात है कि सुकांत दो लोगों को लेकर कमरे में आया, वे उसके गेस्ट थे। उन्होंने बताया कि वे लड़की की शादी के लिए लड़का देखने आए हैं.. आज कमरे में ही रुकेंगे।
वे मुझे देखते रहे। एक बोला- सुकांत, तेरा रूममेट तो बहुत हैंडसम स्मार्ट है। सुकांत ने परिचय कराया- ये मेरे सीनियर सक्सेना जी हैं। दूसरा बोला- अपने समाज के होते तो यहीं पक्की कर देते। सुकांत आंखों में शरारत भर मुस्करा कर बोला- यही तो सर से कहता हूँ.. ये मानते ही नहीं।
मैं क्लीनिक चला गया.. सुकांत गेस्ट के स्वागत में लगा रहा। वे दिन में लड़के के घर गए.. उनके साथ सुकांत भी व्यस्त रहा। रात्रि में दस बजे हम सब फिर मिले। उनमें से एक सुकांत के बड़े भाई थे, तीस साल के.. व दूसरे उनके चाचा थे.. पेंतीस के, करीब आयु के दोनों मोटे तो नहीं पर भरे हुए थे।
सुकांत बोला- आप दोनों एक साथ सो जाएं.. हम दोनों एक साथ सो जाएंगे। अंकल बोले- दो मोटे तेरे सिगंल बेड पर बनेगे नहीं.. एक पतला एक मोटा ठीक रहेगा।
लिहाजा सुकांत के बड़े भाई मेरे साथ सोए.. चाचा सुकांत के साथ।
चूंकि सिंगल बेड था.. अतः हम दोनों बिल्कुल चिपक कर लेटे थे। रात को मुझे लगा कोई मेरी जांघें सहला रहा है। धीरे-धीरे उसका हाथ ऊपर बढ़ा.. और मेरे अंडरवियर तक पहुँचा।
मैंने एक बार अपने हाथ से हटा दिया.. पर फिर दुबारा से वही हुआ। अब मुझे भी मजा आने लगा।
फिर हाथ और ऊपर बढ़ा और मेरा लंड पकड़ लिया.. सहलाने लगा। फिर हाथ ने मेरा हाथ पकड़ा और अपने लंड के ऊपर अंडरवियर के ऊपर रख दिया। मैं हाथ चुपचाप रखे रहा.. फिर उसने अपना लंड बाहर निकाला और मेरे हाथ में लंड पकड़ा दिया।
मेरे हाथ के ऊपर अपना हाथ रखा और दो-तीन बार हिलाया। ये इशारा था कि मैं लंड हिलाऊं। मैंने दो-तीन बार लंड को हिलाया, फिर मैं करवट बदल कर लेट गया व उसकी तरफ पीठ कर ली।
अब उसने अपना हाथ आगे बढ़ा कर मेरा लंड फिर पकड़ लिया और हिलाने लगा।
वो मेरे कान में धीरे से बोला- बहुत मस्त है.. सख्त भी बहुत है।
मैंने फिर से उसका हाथ हटा दिया। अब वह मेरे पिछवाड़े अपना खड़ा लंड रगड़ रहा था.. उसने अपना लंड बाहर निकाल लिया और मेरे अंडरवियर के ऊपर से ही रगड़ने लगा.. धक्के दे रहा था अपना हाथ मेरे बगल से निकाल कर मुझे चिपका लिया।
फिर उसने मेरा अंडरवियर खींचना शुरू किया.. मेरे चूतड़ों पर हाथ फेरता रहा। फिर अपनी उंगली से मेरी गांड टटोली। थोड़ी देर गांड पर हाथ फेरता रहा.. फिर अपने थूक से भीगी उंगली मेरी गांड में घुसेड़ दी। मैं हल्के से कराहा- आह.. आह..
साथ के बेड वाले जागे.. उन्होंने मेरे बेड की ओर देखा और फिर मुँह ढक लिया। वे समझ गए कि काम चल रहा है।
अब मेरी गांड में उंगली धीरे-धीरे हिलने लगी। उसने उंगली निकाल कर अपना थूक से लिपटा लंड मेरी गांड पर टिका दिया। बड़ी देर तक लंड गांड पर टिकाए रहा.. शायद कुछ सोच रहा था।
फिर एकदम से अपने हाथ को जो मेरी छाती पर था.. मुझे खुद से चिपकाया और लंड का जोरदार धक्का दिया। अब उसके लंड का सुपारा मेरी गांड में अन्दर हो गया था। मेरी फिर अनचाहे में चीख निकल गई.. लंड अन्दर जाते ही मेरी गांड समझ गई कि बहुत मोटा हथियार है। मैंने भी एक आध साल से गांड मराई भी नहीं थी.. अतः कुछ दर्द हुआ। फिर उसने मुझे औंधा कर दिया और मेरे ऊपर चढ़ बैठा। वह मेरे से लम्बा और मजबूत मर्द था। उसके गांड मारने के अंदाज से लगता था कि पुराना खिलाड़ी है। फिर उसने धीरे-धीरे पूरा लंड पेल दिया।
मैं ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ कर रहा था। बगल वाले अब जाग गए थे और मेरी गांड मराई का लेटे-लेटे आनन्द ले रहे थे.. शायद उन्हें उसकी आदत मालूम थी।
इधर वह मेरे ऊपर औंधा लेटा था.. एक तो वह मेरे से लम्बा था.. फिर साला भारी भी था.. मेरी सांसें रुक रही थीं। उसका लम्बा मोटा सख्त लंड मेरी गांड में घुसा हुआ था। मेरी गांड कुलबुलाने लगी.. मैंने थोड़ी उसमें हरकत की तो वह खुश हुआ और उसने मेरे कान के पास धीरे से कहा- वाह यार..
फिर इशारे से मेरी टांगों पर हाथ फेरा मतलब टांगें चौंड़ी करूं.. मैंने टांगें फैला लीं।
मैंने जब सामने देखा तो पाया कि मेरा दोस्त सुकांत अपनी खाट से मेरी ओर नजरें गड़ाए था। वह अपने भाई साहब की गांड मराई बड़े ध्यान से देख रहा था। मेरी उससे नजरें मिल गईं।
अब मेरे टांगें फैलाने के बाद सुकांत के भाईसाहब ने पूरा लंड मेरी गांड में पेल दिया। इसके बाद लंड डाले उसे पांच छः मिनट तो हो ही गए थे।
वह मेरे कान के पास बोला- थोड़ा मोटा है न इसलिए डाले रहता हूँ.. जिससे गांड थोड़ी ढीली पड़ जाए। अब शुरू करूं? मेरे उत्तर की प्रतीक्षा किए बिना वह शुरू हो गया। मोटा लंड मेरी गांड में फंसा हुआ था, पहले तो वो बहुत धीरे-धीरे धक्के लगा रहा था। फिर पूछने लगा- लग तो नहीं रही.. कोई तकलीफ तो नहीं? मैंने कुछ नहीं कहा।
फिर बोला- थोड़ा तेज करूं? उसने धक्कों की स्पीड और पावर बढ़ा दी और फिर धक्के और जोरदार धक्कों में बदल गए। मैं इतना पुराना गांड मराने वाला था.. सो मुझे उसके धक्कों से मजा आ गया। वह करीब दस मिनट तक लगा रहा।
धक्के पर धक्का.. धक्के पर धक्का फच्च फच्च धच्च धच्च हूँ हूँ..
वह हाँफ रहा था.. उसकी सांसें मेरी गर्दन पर गरम-गरम महसूस हो रहीं थीं। खटिया बुरी तरह से ‘चूं.. चूं..’ कर रही थी। उसकी कमर बार-बार ऊपर-नीचे हो रही थी। दोनों हाथ मेरी बगल से नीचे से निकाल कर मुझे बुरी तरह जकड़े था। उसके गाल मेरे गाल से सटे थे.. उस पर उसका मुझ पर भार मुझे लगता था। मुझ पर दो कुन्तल का भार था.. खटिया हिल रही थी.. पूरे कमरे में भूकम्प आ गया था। उसके धक्के बहुत जोरदार और गांड फाड़ू हो गए थे। मेरी गांड बुरी तरह रगड़ी जा रही थी.. मुझे जलन होने लगी थी। ऐसा लगता था कि मेरी गांड छिल गई.. फट गई हो। उसका लंड बहुत मोटा था लम्बा था.. ऊपर से सख्त भी था.. बिल्कुल स्टील रॉड था।
जैसे मैं झेल रहा था.. सहयोग भी कर रहा था.. गांड ढीली-कसती कर रहा था.. नीचे से धक्के दे रहा था.. खूब दम लगा रहा था, मजा दे रहा था.. पर अब थक गया था।
वह थोड़ा रुका.. मेरे ऊपर लेटा रह गया। मैंने भी गांड ढीली छोड़ दी.. टांगें चौड़ी करके मैं भी ढीला हो गया। मैंने सोचा काम निपट गया है, पर दो मिनट बाद वह फिर शुरू हो गया। बन्दा रुक ही नहीं रहा था। उसका लंड चोट पर चोट टक्कर पर टक्कर दिए जा रहा था। ऐसा लगता था कि मेरी गांड फाड़ कर ही दम लेगा। आज तो गांड की ऐसी-तैसी हो गई। मैं सोच रहा था कि जाने कब तक गांड मारेगा.. क्या भोर कर देगा।
शायद वह पॉने घंटे लगा रहा, मुझे तो वह समय दो घंटे सा लगा। मुझे पसीना आ गया.. मेरी सांस फूल गई.. मैं बुरी तरह थक गया। मेरी इतनी लम्बी जोरदार चुदाई बहुत कम हुई थी। बन्दे में बहुत दम था.. थोड़ी दारू भी लगाए था, उसकी भी ताकत थी। नहीं तो इतनी देर में तो दो या तीन निपट जाते।
मेरे बगल की खाट वाले भी जाग गए.. पर सोने का अभिनय कर रहे थे।
फिर एक जोरदार धक्के के साथ चिपक कर रह गया.. अब वह झड़ रहा था। फिर वो ढीला पड़ गया और अलग होकर लेट गया। अब तक पांच बज गए थे.. मैं उठा फ्रेश हुआ ब्रश किया.. और मॉर्निंग वाक पर निकल गया।
कहानी का अगला भाग: मेरी गांड की चुदाई की गे सेक्स स्टोरीज-2
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000