This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
दोस्तो, आप सभी को मेरा नमस्कार। आज मैं आपको एक सच्ची घटना दीदी की चुदाई की बताने जा रहा हूँ कि कैसे मैंने अपनी चचेरी बहन को अपने बच्चे की माँ बनाया।
मेरी चचेरी बहन मुझसे 2 साल बड़ी है, उसका नाम साक्षी है। उसकी शादी को तीन साल हो गए हैं। वो दिल्ली में अपने पति के साथ रहती है। साक्षी दिखने में गोरी लेकिन थोड़ी दुबली है.. उसका कद यही कोई 5 फिट 2 इंच है। सच बोलूँ तो उसके चूचे भी ज़्यादा बड़े नहीं हैं। मतलब देखने में औसत लड़की है.. पर हाँ उसका फिगर काफ़ी अच्छा है।
मैं भी अपनी नौकरी के कारण दिल्ली शिफ्ट हो गया हूँ। उसका घर मेरे घर से थोड़ी दूरी पर है। मैं उसके घर पर आता-जाता रहता हूँ।
एक दिन मैं शाम को उसके घर गया तो दीदी अकेली थी। मैंने उससे पूछा तो उसने बताया कि सब लोग एक शादी में गए हैं। मैंने उसके ना जाने का कारण पूछा, तो वो बोली- उसके ससुराल वाले उसको कहीं नहीं ले जाते हैं। मैंने पूछा- क्यों? तो उसने बताया कि वो और उसका पति बहुत दिनों से बच्चे के लिए कोशिश कर रहे हैं.. पर अभी तक कुछ नहीं हुआ। इसके लिए ससुराल वाले उसी को ज़िम्मेदार मानते हैं और अब उसके साथ अच्छा सुलूक नहीं होता। उसे कहीं ले कर नहीं जाते और उसे बांझ कहते हैं।
मुझे उनकी सोच बहुत घटिया लगी और बहुत गुस्सा आया। फिर मैंने उसको चेकअप के लिए बोला.. जो उसने नहीं कराया था। मैंने कहा- मैं एक अच्छे डॉक्टर को जानता हूँ, तुम जीजाजी से बात कर लो तो तुम दोनों चेकअप फ्री में हो जाएगा। फिर मैं अपने घर वापस आ गया।
दो दिन बाद मुझे जीजाजी का फोन आया और मुझसे डॉक्टर के बारे में पूछने लगे। मैंने उन्हें डॉक्टर अग्रवाल के बारे में बताया, जो कि शहर के बड़े डॉक्टरों में से थे। उनके यहाँ 2 दिन तक अपायंटमेंट नहीं मिलता था। जीजाजी के घर वाले बड़े कंजूस किस्म के हैं.. जैसे ही फ्री इलाज़ के बारे बताया तो वो चेकअप के लिए तुरंत राज़ी हो गए। मैंने उन्हें दोपहर में दीदी के साथ क्लिनिक आने को बोला। ठीक 2 बजे हम लोग क्लिनिक पहुँच गए। वहाँ पर दीदी और जीजाजी के कुछ टेस्ट हुए।
चूँकि डॉक्टर मेरा दोस्त था तो उसने एक घंटे बाद आकर टेस्ट रिपोर्ट ले जाने को बोला। जीजाजी तो वहीं से अपने ऑफिस चले गए, मैं और दीदी मेरे घर पे आ गए जोकि वहाँ से काफ़ी पास में था।
एक घंटे बाद मैं टेस्ट रिपोर्ट लेकर आया। दीदी बहुत ज़्यादा तनाव में थी क्योंकि अगर उनके अन्दर कोई कमी निकलती तो जीजाजी उसे तलाक़ दे कर दूसरी शादी के बारे में सोच रहे थे।
मैं सोफे पर बैठ गया, मेरे बगल में ही दीदी आ गई। मैंने उसे बताया कि उसके अन्दर कोई कमी नहीं है। जीजाजी का स्पर्म काउंट काफ़ी कम है.. जिससे वो बच्चा पैदा कर नहीं पाएँगे और इसका कोई इलाज भी नहीं है। यह सुनकर दीदी रोने लगी.. और अपने भाग्य को कोसने लगी। अगर ये बात जीजाजी को बताते तो वो मानते नहीं और दीदी के ऊपर ही सारा इल्ज़ाम डाल देते।
मैंने कहा- डॉक्टर ने एक हल बताया है.. उसे टेस्ट ट्यूब बेबी कहते हैं.. जिसमें किसी और के वीर्य से तुमको बच्चा हो सकता है। दीदी ने मुझे कसम खिलाई कि ये बात किसी को नहीं बताना।
मैंने उससे अगले दिन फिर से डॉक्टर के पास चलने को बोला.. जो उसे इसके बारे में सही से बता पाएगा। वो तैयार हो गई।
उसने अपने घर पर बताया कि उसके अन्दर ही कमी है जोकि थोड़े से इलाज़ के बाद ठीक हो जाएगी। इससे घर में सब लोग खुश हो गए। अगले दिन डॉक्टर ने हमें सब कुछ सही तरीके से समझा दिया कि हमें क्या-क्या करना होगा, जैसे कि वीर्य का चयन.. जोकि बहुत ज़रूरी होता है।
डॉक्टर ने बोला कि या तो वो स्पर्म बैंक से स्पर्म ले सकती है या फिर अगर कोई आपत्ति ना हो तो वो अपने किसी सगे का वीर्य भी ले सकती है.. जिससे वो बच्चा चाहती है, पर इसमें खर्चा बहुत आएगा।
मेरे दोस्त होने के बाद भी उसने बताया कि लगभग 30 हज़ार का खर्चा है।
यह सुन कर हम दोनों ही सकते में आ गए। इतने पैसे किसी को बिना बताए जुगाड़ करना मुश्किल था। फिर हम दोनों मेरे घर पर आ गए। वहाँ पर दीदी ने बोला कि वो किसी ऐरे-गैरे का वीर्य नहीं लेगी.. कोई जानने वाले का ही वीर्य लेगी।
मैंने उसको बोला कि इस मामले उसे ऐसे बंदे से वीर्य लेना चाहिए जिस पर वो बहुत भरोसा करती हो। वो गंभीर होके सोचने लगी… थोड़ी देर बाद जो उसने कहा.. मैं वो सुन के हैरान हो गया।
वो बोली- मोहित, क्या तुम मुझे अपना वीर्य दे सकते हो? इस शहर में मैं तुमसे ज़्यादा क़िसी पर भरोसा नहीं करती हूँ.. और ऐसे घर की बात घर में रहेगी.. तो मुझे भी कोई डर नहीं रहेगा। किसी दूसरे पर भरोसा करना ख़तरे से खाली नहीं है।
मैंने उनको हाँ बोल दिया। इस पर वो बहुत खुश हो गई और मुझे अपने गले से लगा लिया। पर अभी हमारे सामने दूसरी समस्या भी थी कि पैसे कहाँ से आएँगे। दीदी अपने घर चली गई और मुझसे पैसों का इंतजाम करने के लिए बोल गई।
मैं रात भर सोचता रहा कि पैसे कहाँ से आएँगे। फिर मेरे अन्दर का मर्द जाग गया, मैंने सुबह फोन करके दीदी को दोपहर तक अपने घर आने को बोल दिया। दोपहर को दीदी मेरे घर पे आ गई। उसने पैसे के बारे में पूछा तो मैंने कहा- नहीं मिले।
इस पर वो गुस्सा करने लगी और बोली- फिर फालतू में यहाँ क्यों बुलाया? मैंने बोला- पैसे तो नहीं मिले पर एक दूसरा रास्ता है, जिससे काम भी हो जाएगा और पैसे भी बच जाएँगे। वो बोली- क्या? तो मैंने कहा- जब आपको मुझसे ही बच्चा चाहिए तो टेस्ट ट्यूब से क्यों.. ऐसे ही डाइरेक्ट ले लो.. किसी को पता भी नहीं चलेगा और हम भाई-बहन पर शक भी नहीं होगा।
पहले तो वो नाराज़ हो गई.. पर फिर मैंने उसे समझाया कि इससे काफ़ी पैसे बच जाएँगे और हम जो ये करेंगे वो बिल्कुल ठीक है।
तभी मेरे फोन की घंटी बजने लगी, मैं उठ कर बेडरूम में फोन उठाने चला गया। दीदी मेरे पीछे कब आई मुझे इसका अंदाज़ा नहीं हुआ। जैसे ही मैंने फोन काटा.. उसने मुझे पीछे से गले लगा लिया।
वे बोली- ठीक है मैं तैयार हूँ। दीदी की चुदाई की यह हिंदी कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया और जोर-जोर से चूमने लगा। मेरे होंठ उसके होंठों पर थे और मैं खूब जोर से उसे चूस रहा था। फिर मैंने अपनी जीभ उसके मुँह के अन्दर डाल दी, पहले तो उसने मना किया.. पर फिर उसने अपना मुँह मेरी जीभ के लिए खोल दिया। अब हम दोनों की जीभ एक-दूसरे के मुँह में थी और कोई ऐसी जगह नहीं थी.. जहाँ पर हम दोनों की जीभ ना पहुँच रही हो। हम तब अलग हुए जब हम दोनों साँस लेने में दिक्कत हो गई।
हम दोनों एक-दूसरे की आँखों में देखा तो हम और उत्तेजित हो गए। मैंने उसकी साड़ी का पल्लू नीचे कर दिया और अपने हाथों से उसके स्तन दबाने लगा। उसको बहुत दर्द हो रहा था वो चीखने लगी- रुक मोहित.. तेज मत दबा.. आहहाहह.. ऊईइ माँआ.. पागल है क्या.. मुझे लग रही है.. ऊहह दर्द होता है।
पर मैं नहीं माना.. और चूचे दबाता रहा। फिर मैंने दीदी का ब्लाउज उतार दिया। वो काले कलर की ब्रा पहने हुई थी.. क्या मस्त लग रही थी, मैं बता नहीं सकता। मैंने दीदी की ब्रा के ऊपर से ही उसके दोनों निप्पल दबा दिए। इस बार जैसे ही उसने चीखने के लिए मुँह खोला मैंने अपनी जीभ घुसा दी और फिर से चूमने लगा।
फिर धीरे से मैंने उसकी ब्रा और साड़ी भी उतार दी और उसके प्यारे से गुलाबी निप्पलों को अपनी उंगलियों के बीच में दबा कर मींजने लगा। वो चुदास से पागल हुई जा रही थी और उसके अन्दर अब खड़े रहने की हिम्मत नहीं थी। उसने मुझे हल्का सा धक्का देकर अलग किया और फिर बिस्तर पर बैठ गई।
मैंने अपनी टी-शर्ट और बरमूडा उतार दिया.. अब मैं सिर्फ़ चड्डी में उसके सामने खड़ा था। मेरा लंड उसको सलामी दे रहा था। मेरे खड़े लंड को देख कर दीदी बोली- काफ़ी बड़ा है तेरा! मैंने कहा- अभी तो चड्डी के अन्दर है बाहर तो आने दो.. क़सम से अब आप जीजाजी को भूल जाओगी।
फिर मैं भी बिस्तर पे चढ़ गया और उसके ऊपर लेट कर उसे चूमने लगा। मैं उसके दोनों मम्मे बारी-बारी से दबाने लगा। फिर मैंने दाँये तरफ वाले निप्पल को अपने मुँह में भर लिया और हल्का हल्का सा काटने लगा।
उसे दर्द हो रहा था.. वो बोली- तू पूरा हब्शी है.. आराम से कर ना.. दर्द हो रहा है.. आ.. ऊओह… मैं कहीं भागी थोड़ी ना जा रही हूँ।
पर मैं नहीं रुका और अब दूसरे वाले मम्मे को चूसने और काटने लगा। फिर एक हाथ से मैंने उसके पेटीकोट का नाड़ा खोल कर उसकी चड्डी के ऊपर से ही उसकी चुत पर हाथ फिराने लगा। उसकी चड्डी काफ़ी गीली हो गई थी। मैं समझ गया कि अब ये चुदाई के लिए तैयार हो गई है।
मैंने उठ करके उसका पेटीकोट और चड्डी एक साथ नीचे उतारने लगा तो उसने अपनी प्यारी सी गांड उठा कर मेरी मदद की। उसको नंगा देख में पागल हो गया था.. फिर मैंने भी अपनी चड्डी उतार दी। दीदी मेरे लंड को देख बोली- सही कह रहा था तू.. अब लगता है आज से मैं इनको भूल कर तुझे ही अपना पति मान लूँगी रे.. तेरा तो काफ़ी बड़ा है।
फिर मैंने उनकी टांगें फैला दीं। दीदी की चुत पर हल्के से बाल थे.. पर फिर भी मेरा मुँह उनकी टांगों के बीच में समा गया। पहले तो मैं अपनी जीभ उसकी चुत के ऊपर ही फिराता रहा।
दीदी तो इतने में ही पागल हुई जा रही थी। वो बोली- मोहित ये सब तो तेरे जीजाजी भी नहीं करते.. वो तो बस लंड डाल के चुत में धक्के लगाने में चालू हो जाते हैं.. आह.. आ.. आह.. आह.आ.. अब मत तड़पा मोहित.. अब तू लंड डाल दे.. बना दे मुझे माँ..
पर मैं कहाँ मानने वाला था। मैंने उसकी चुत को खाना चालू कर दिया। मैं तेज-तेज से उसकी चुत को दांतों से काटने लगा। वो पागल हुई जा रही थीं और सिसकारियाँ लेती जा रही थीं- आ.. आह.. आइ ओह माँ.. आहा.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह बस कर.. तू तो मार डालेगा रे..
ऐसा लग रहा था कि वो झड़ने वाली थी। मैं रुक गया.. अब वो मुझे गालियाँ दे रही थी- साले.. कुत्ते.. हरामी बहनचोद.. रुक क्यों गया.. पता नहीं और क्या-क्या करेगा अब तो चोद दे..
मुझे उसके ऊपर दया आ गई। फिर मैं ऊपर की तरफ आ गया और अपने लंड को उसकी चुत के छेद पर रख दिया। लंड को लगाया ही था कि दीदी ने गांड उठा कर लंड को खा लिया।
अब मैं धीरे-धीरे धक्का लगाने लगा। उसकी चुत काफ़ी गीली थी.. मेरा लंड आराम से अन्दर चला गया। धीरे-धीरे मैं धक्का लगाने लगा.. जिससे उसकी चुत मेरा पूरा लंड लेने लगी। मैंने दीदी की चुत की चुदाई की स्पीड बढ़ा दी और एक हाथ से उसके मम्मे दबाए जा रहा था। साथ में उसके होठों की पंखुड़ियों को भी चूस रहा था।
दीदी भी अपनी गांड उठा-उठा कर मेरा साथ देने लगी। उसे बहुत मज़ा आ रहा था, वो कह रही थी- आ.. मोहित मुझे एक तेरे जैसा ही सुंदर बच्चा चाहिए।
मैंने एक चूचा अपने मुँह में ले लिया और दूसरे को अपने हाथों से दबा रहा था। तभी दीदी ने कस के अपनी टांगें मेरी कमर पर लपेट दीं। मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली है। मेरा भी होने वाला था।
फिर तभी एकदम से हम दोनों ही झड़ गए। मेरे लंड से बहुत सारा वीर्य दीदी की बच्चेदानी में समा गया। मेरा बीज उसकी कोख में पलने वाला था। हम दोनों थक के लेट गए। थोड़ी देर तक एक-दूसरे को सहलाते और चूमते रहे और दोबारा मिल कर दीदी की चुदाई का प्लान बनाने लगे।
फिर कुछ दिनों तक हम लोग डॉक्टर के मिलने के बहाने मेरे घर पर चुदाई करते और लगभग 1 महीने बाद दीदी ने मुझे बताया कि उसके पेट में मेरा बच्चा आ गया है। इसी बीच दीदी जीजा जी से भी चुदती रही।
दीदी के माँ बनने की खबर सुनकर मैं बहुत खुश हुआ। पूरे 9 महीने बाद दीदी को एक प्यारा सा लड़का हुआ। सबने जीजाजी को बाप बनने की बधाई दी.. पर असली में तो मैं बाप बना था। वो बच्चा मुझे तो मामा कहेगा.. पर मुझे तो उसमें मामा की जगह पापा ही सुनाई देगा।
दीदी की चुदाई करके मामा और पापा एक साथ बनने की मेरी कहानी कैसी लगी? [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000