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आपका मेरी गांड की चुदाई की कहानी में स्वागत है। मैं गे सेक्स स्टोरीज भी पढ़ता हूँ अन्तर्वासना पर…
यह लण्ड भी बड़ी अजीब चीज है। मैंने परसों ही तीन शिफ्ट कीं, मेरा मतलब तीन लोगों की गांड लपक के ठोकी, उसके बाद भी कल दिन में फिर से लंड खड़ा हो गया। मेरी तो समझो पागलों जैसी हालत हो रही थी क्या करूँ.. साला तन कर फड़फड़ा रहा था। मुझे फिर से किसी को चोदने की तलब लग रही थी। मेरे पास जिनके मोबाइल नंबर थे.. उन्हें कॉल किया, पर कोई बाहर है, तो कोई कॉलेज में है और किसी का कोई और बहाना है, कोई नहीं मिल रहा था।
यार ऐसा ही क्यों होता है कि जब हमें बहुत जरूरत होती है.. तब कोई नहीं मिलता। बिना जरूरत के समय इतने लोग संपर्क करते हैं कि अभी आ जाओ, मेरे पास जगह है और लौंडे भी ऐसे होते कि उनके नाम से ही मुँह में पानी आ जाए। पर जब मुझे करना हो.. तो कोई नहीं मिल रहा था।
कल दिन में FB पर मैसेज भी पोस्ट की और कुछ रिप्लाई भी आए.. पर कुछ को मैंने मना कर दिया और कुछ के पास प्लेस नहीं था, तो कुछ ने कहा मैं 2-3 दिन बाद आऊंगा.. तब मिलते हैं।
यार लंड अभी तना हुआ खड़ा है.. उसे क्या कहूँ कि तू 2-3 दिन बाद खड़ा होना। उसे तो अभी एक रसीला मुँह चाहिए जो उसे अपनी लार से भिगा-भिगा कर चूसे और एक मस्त चिकनी टाइट गांड चाहिए.. जिसमें घुसकर तूफ़ान मचा दे।
आखिरकार जब कोई नहीं मिला और सब जगह से निराश हो गया तो एक ही उम्मीद थी और वो नामी जगह नेहरू पार्क थी।
मैं रात को 9:00 बजे वहाँ पहुँचा और पार्किंग के वहां एक मंदिर के उधर थोड़ा अँधेरे में मेरी सिल्वर बाइक खड़ी करके मैं उस पर बैठ कर चैट करते हुए इन्तजार करने लगा कि कोई मस्त माल आ जाए तो लंड को शान्ति मिले।
करीब आधा घंटा हो गया.. कोई नहीं आया, सब आस-पास घूमते, घूरते पर आगे आकर पूछने की कोई हिम्मत नहीं करता। यार दूसरे की क्या कहूँ मुझे खुद को डर लगता है.. बात करने में नहीं, वहाँ खड़े रहने में। लोकल हूँ और सामाजिक डर भी है कि कोई देख ले तो लेने के देने हो जाएं। इसलिए मुँह पर रुमाल बांधकर रखता हूँ। पर क्या करूँ यार ये मादरचोद लंड इतना हरामी है कि जब अपनी औकात पर आता है तो सारी लोक लाज लंड के आगे धरी रह जाती है।
जब बहुत देर हो गई और मैं पूरी तरह से निराश हो चुका और जाने के लिए गाड़ी स्टार्ट करने ही वाला था कि एक बंदा मेरे पास आता हुआ दिखा। मैंने तुरंत किक पर से पाँव हटाया, नार्मल होकर बैठा और मोबाइल निकाल कर चैट करने लगा। मैं ये जताना चाहता था कि मेरा ध्यान उसकी तरफ नहीं है।
वो मेरे करीब आया और बोला- हाय मैं अमन.. क्या मस्त लोंडा था यार.. पूरे 23-24 साल का, गोरा, जिम टोन बॉडी.. एकदम मस्त और करारा माल। मैंने मेरे चहरे से रूमाल नीचे किया और उसे रिप्लाई दिया- हाय मैं सुहास..
जब मैंने मेरा रूमाल नीचे किया तभी उसके चहरे के भाव देख कर समझ गया कि मैं उसे बहुत पसंद आया हूँ। दरअसल मैं दिखने में भी अच्छा हूँ, गोरा हूँ और बॉडी को काफी मेन्टेन किया हुआ है। नॉर्मली लोग सोचते हैं कि 35 के लोग मोटे और अंकल टाइप होते हैं.. पर मैं ठीक-ठाक हूँ।
‘तुम्हें पता चल गया होगा, मैं तुम्हारे पास क्यों आया हूँ?’ ‘हाँ मुझे पता हे और मुझे ऐसे लोग बहुत पसंद हैं.. जो सीधे मुद्दे की बात करते हैं। तो मैं तुम्हें बता दूँ मैं प्योर टॉप हूँ।’ ‘ओके ग्रेट!’ ‘और मेरे पास प्लेस नहीं है। यदि तुम्हारे पास हो तो चल सकते हैं।’ ‘यार प्लेस तो मेरे पास भी नहीं है। हाँ मेरे फ्रेंड की कार में चल सकते हैं और हम दोनों ही इच्छुक हैं।’ ‘ओके कोई दिक्कत नहीं है।’
मैं बाइक से उतरा और उसके साथ उसके फ्रेंड की कार की तरफ चल दिया। हमारे बीच कुछ सामान्य बातें हुईं.. जैसे कितनों से मिल चुके हो और क्या पसंद है? कितनी देर तक कर लोगे? हम दो हैं दो को खुश कर सकोगे?
मैं सबके जवाब देता जा रहा था। वो एकदम चलते चलते रुक गया और बोला- क्या तुम पागल हो? एक से डेढ़ घंटा किसे कहते हैं! ‘अरे सच में मुझे इतना ही टाइम लगता है। शुरू के 15-20 मिनट तक तो अपना चुसवाता ही हूँ। यदि उसे लगातार एक घंटा तक चोदूँ तो मेरे पार्टनर की तो हालत खराब हो जाए। अधिकतर तो ऐसा होता है कि आधे घंटा चोदने के बाद आखिरकार मुझे हाथ से ही हिलाकर निकालना पड़ता है।’ वो मुस्कुराते हुए बोला- कसम से यार… आज तो असली मज़ा आने वाला है।
हम उसके फ्रेंड की कार के पास गए, तभी मेरा एक कॉल आ गया। मैं बात करने के लिए थोड़ा सा अलग चला गया। अमन जल्दी से अपने फ्रेंड के पास गया और वो लोग बातें करने लगे। शायद अमन मेरे बारे में उसे बता रहा था। बात ख़तम होते ही मैं उनके पास आया।
अमन के फ्रेंड ने हाथ आगे करके कहा- हाय मैं राहुल! ‘सुहास..’
यार आज तो मेरी किस्मत खुल गई थी.. सच में राहुल भी एकदम मस्त था यार। अमन से किसी भी लिहाज से कम नहीं था।
अब ना तो मेरे से कण्ट्रोल हो रहा था और ना ही उन दोनों से.. पर प्रॉब्लम ये थी कि जाएं कहाँ। फिर हमने खंडवा रोड जाने का निश्चय किया।
मैंने अमन से कहा- हम दोनों पीछे बैठते हैं। ‘अरे नहीं इस कमीने का पूरा ध्यान हमारी तरफ रहेगा और एक्सीडेंट कर देगा, अपन आगे ही बैठते हैं।’
मैं दोनों के बीच में बैठा था। राहुल ड्राइव कर रहा था। कोई 20 मिनट में हमने बायपास क्रॉस कर दिया था। जैसे ही थोड़ा सुनसान रोड हुआ.. अमन और राहुल मेरे लंड को दबाने और मेरे होंठों को चूसने लगे थे।
थोड़ा और आगे गए तो हम खंडवा रोड छोड़ कर एक गाँव की तरफ जाने वाली रोड पर आ गए और वहाँ से एक रोड अन्दर जा रहा था.. गाड़ी उधर मोड़ ली। थोड़ा सा आगे को बढ़े कि काफी पेड़ आ गए। वहीं अच्छी सी जगह देख कर राहुल ने गाड़ी रोक दी और सारी लाइट बंद कर दीं।
एकदम सुनसान और अँधेरी जगह थी दूर खंडवा रोड दिख रहा था, पर वो बहुत दूर था। बस अब तो कण्ट्रोल करना किसी के बस में नहीं था। दोनों मेरे पास सरके और मुझे चूमने लगे, मेरे जिस्म को सहलाने लगे। मैं भी दोनों की पीठ को सहलाता तो कभी उनकी जांघों को। कभी अमन के होंठों को चूसता तो कभी राहुल के। दोनों मेरे जिस्म से खेल रहे थे तभी राहुल ने मेरी टी-शर्ट निकाल दी और दोनों मेरे नंगे जिस्म को सहलाने लगे। मेरे एकदम चिकने बदन पर उनके हाथ करंट का काम कर रहे थे। तभी अमन ने मेरे निप्पल को चूसना शुरू किया, ये देख कर राहुल भी मेरे निप्पल को चूसने लगा।
ओह उनकी निप्पल चुसाई मुझे दीवाना कर रही थी।
मैंने अमन का कुर्ता निकाल दिया और उसके जिस्म को मेरे जिस्म से चिपका लिया। राहुल मेरी पीठ को सहलाता और मेरी पीठ चूमता। मैं राहुल की तरफ मुड़ा और उसे मेरी बांहों में लेकर उसके होंठ चूसने लगा। फिर मैंने उसकी शर्ट के बटन खोल कर उसकी शर्ट को निकाल दिया। अमन में मुझे पीछे से बांहों में लिया हुआ था। मैं दोनों के नंगे जिस्म के बीच में था.. दोनों के गर्म नंगे जिस्म से चिपका मेरा गर्म नंगा जिस्म.. उफ़ क्या मस्त कर देने वाला अहसास था।
हम तीनों अभी सीट पर ही बैठे-बैठे कर रहे थे। मैं उनके बीच से निकला और पीछे की सीट पर आकर मेरी जीन्स निकाल दी और सीट पर लेट कर उनकी तरफ देखने लगा।
वो दोनों भी मेरा मुँह देख रहे थे कि ये क्या कर रहा है। तभी राहुल तुरंत अपनी पेंट.. ब्रीफ निकाल कर पूरा नंगा हो गया और पीछे आकर मेरी ब्रीफ निकाल कर मुझे भी पूरा नंगा कर दिया और मेरे नंगे जिस्म पर लेट गया।
आह.. दो नंगे जिस्मों का चिपकना क्या मज़ा देता है.. ये वही जान सकता है, जो इसे महसूस कर चुका हो।
राहुल मेरे जिस्म पर लेटा हुआ मुझे बांहों में कसता और मेरे होंठों को चूसता, मेरी गर्दन पर लव बाइट देता और मेरे निप्पल चूसता।
इसी बीच अमन भी पूरा नंगा होकर पीछे आ गया और राहुल के ऊपर वो लेट गया और राहुल की गर्दन और उसके गाल पर किस करने लगा। मैंने अमन को अपनी तरफ खींचा और मेरे और राहुल के होंठ चुसाई में उसे भी शामिल कर लिया।
अब हम तीनों एक-दूसरे के होंठों को चूमते जीभ भिड़ाते हुए चूस रहे थे। अमन राहुल के ऊपर से उठा और मुझे उठा कर बैठा दिया। राहुल मेरी बांहों में था.. वो मेरे जिस्म से चिपका हुआ मेरे होंठों को चूसता रहा था। मेरा एक पैर सीट पर था और एक नीचे लटका था राहुल का पाँव भी मेरे दोनों पाँव पर से एक नीचे लटका था और एक सीट पर और लंड से होंठ तक मुझसे चिपका हुआ था। अमन मेरे पीछे बैठ गया, उसने भी उसका एक पैर नीचे लटकाया और एक पैर राहुल के पैर के नीचे से मेरे जैसे सीट पर लम्बा कर लिया और मुझे पीछे से बांहों में कस लिया।
मैंने अपना पूरा बदन अमन पर डाल दिया और अमन मेरे होंठों और मेरे गालों को चूसने लगा। राहुल मेरे निप्पल को चूसने लगा। फिर मेरे जिस्म को सहलाता हुआ मेरे पेट को और जांघों को चूमता हुआ मेरे लंड को चूमने लगा।
ओह गॉड.. तभी उसने मेरे लंड को मुँह में ले लिया.. ओओह्ह्ह्ह्ह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… जीवन के इस असली आनन्द को पाकर मैं निहाल हो गया। मैंने मेरा पूरा जिस्म उन दोनों के हवाले कर दिया।
अँधेरे, वीरान इलाके में कार की पिछली सीट पर हम तीनों पूरे नंगे थे। मैं अमन के नंगे जिस्म की बांहों में था। अमन मेरे जिस्म से खेलता और मेरे होंठों और मेरी जीभ को चूसता जा रहा था और राहुल मेरे लंड को चूसता हुआ उससे खेल रहा था।
अमन का ध्यान जब मेरे तने हुए और मोटे लंड पर गया तो उससे रहा नहीं गया। वो पीछे से हटा और मेरा पैर के पास आकर राहुल के साथ मेरा लंड चूसने लगा। दोनों मेरे लंड पर टूट पड़े.. मैंने मेरा एक पाँव आगे वाली सीट की बैक के ऊपर रखा और दूसरा पीछे वाली सीट के बैक पर टिका दिया। मेरे दोनों पैर खुल चुके थे और ऊपर थे और वे दोनों मेरे पाँव के बीच थे। वे कभी मेरी गोटियों को चाटते, चूसते तो कभी मेरे लंड को पूरा अन्दर तक ले कर चूसते, तो कभी मेरे लंड को दोनों उनकी जीभ से चाटते और दांतों से मेरे लंड को दबाते। कभी मेरी गांड के छेद को चाटते तो कभी उसमे जीभ से हलचल मचाते और कभी मेरी जांघों को चाटते और काटते।
कुल मिलाकर दोनों ने मेरी जान निकाल दी थी। पर जो मज़ा दिया वो दुनिया की किसी दौलत से नहीं ख़रीदा जा सकता था। मेरी आहें निकल रही थीं और वो दोनों मेरे लंड और गोटियों की चुसाई कर रहे थे। उन लोगों को मेरा लंड चूसते हुए आधा घंटा हो चुका था। मेरा लंड एकदम लाल हो चुका था। मैं उठा, सीट पर सीधे बैठा कर पाँव नीचे कर लिए। लेकिन उन दोनों ने मेरे दोनों पाँवों को फैला दिया और मेरी जीन्स से कंडोम निकाल कर मेरे लंड पर चढ़ा दिया और अमन को गांड की तरफ से मेरे लंड पर बैठा दिया। लंड घुसा तो उसकी चीख निकल गई। मैंने उसे पीछे से मेरी बांहों में भर लिया। अमन मेरी तरफ पीठ करके बैठा था।
अब मैंने धीरे-धीरे अपनी गांड को उठा-उठा कर अमन को चोदना शुरू किया। उसे मजा आने लगा.. तो राहुल को मैंने मेरे पास खींचा और एक हाथ से उसे और दूसरे हाथ से अमन को मेरे जिस्म से चिपका कर उनके जिस्म को सहलाने लगा, साथ ही मैं अपनी गांड को उचका-उचका कर अमन को चोदता जाता।
मैंने राहुल के होंठों को चूस रहा था। फिर मैंने राहुल का मुँह अमन के लंड की तरफ किया तो वो अमन का लंड चूसने लगा। कोई 5-7 मिनट बाद अमन को उठाकर राहुल को लंड पर बैठाया और उसे चोदने लगा। राहुल की टाइट गांड में मेरा लंड खलबली मचा रहा था और राहुल के होश उड़ा रहा था। मैं दोनों को 5-7 मिनट तक बारी-बारी से चोदता रहा। तभी 4-5 मिनट के अन्तराल से दोनों झड़ गए।
फिर मैं सीट से उठा और अमन को सीट पर बठा कर उसके पाँव ऊपर किए और उसके आगे उसके ऊपर झुक कर खड़ा हो गया और उसकी गांड में लंड डालकर चोदने लगा। खड़े होकर धक्के लगाने में बहुत मस्त लग रहे थे। मैं पूरा लंड उसकी गांड में डालने के लिए जोर लगाता। मेरी इस चुदाई से अमन को मज़ा आ गया था।
अब राहुल की बारी थी। उसकी गांड में लंड डाल कर जब जोर-जोर से झटके मारता तो वो तेजी से आह भरता। वो एकदम से मदहोश हो चुका था। वो मेरे सिर को पकड़ कर अपने पास खींचता और मेरे होंठों को चूसता। मैं मेरी जीभ बाहर निकाल देता और अमन को भी पास में खींच कर मेरी जीभ दोनों से चुसवा कर मजा ले रहा था।
कार में खड़े होकर झुकना और फिर चोदना बड़ा दिक्कत वाला था इसलिए दोनों को इस तरह एक-एक बार ही चोद पाया।
हम लोग पूरी तरह से हवस के आगोश में समां चुके थे। मुझे दोनों को आराम से चोदना था। मैं कार के बाहर आ गया और अमन को भी बाहर खींच लिया और उसे कार के सहारे झुका कर खड़ा करके अमन को चोदना शुरू कर दिया। राहुल भी बाहर आ गया और मुझे पीछे से बांहों में लेकर मेरे जिस्म को सहलाने लगा। मेरे स्ट्रोक बहुत तेज होते जा रहे थे। फिर मैंने राहुल को कार के सहारे झुकाया और उसे चोदने लगा। मेरी स्पीड तेज और तेज होते जा रही थी। मेरा लंड पूरी तरह तनतना रहा था। मेरे लंड का टॉप तो फड़फड़ा उठा था।
इसी बीच मैंने अमन को भी राहुल के साथ झुका कर खड़ा कर दिया। अब मैं उन दोनों को 4-4 धक्के मार के चोदने लगा। पहले 4 धक्के अमन की गांड में.. फिर 4 राहुल की में मार के चोदता।
अब मेरा टाइम भी होने वाला था। मैंने राहुल को तेजी से चोदना शुरू किया.. मेरी स्पीड बहुत तेज हो चुकी थी। राहुल से अब सहन नहीं हो रहा था.. वो बस-बस करने लगा। अमन मेरे पीछे से मेरी गांड चाट रहा था। मेरी स्पीड बढ़ती जा रही थी.. राहुल बार-बार बोलता जा रहा था।
‘बस यार.. अब बस कर।’
राहुल को जोश दिलाने के लिए मैंने उसका लंड पकड़ कर तेजी से हिला दिया। दो मिनट में राहुल ने फिर से पिचकारी छोड़ दी और वो ठंडा पड़ गया। मैंने जल्दी से अमन को कार के सहारे झुका कर खड़ा किया और उसे तेजी से चोदने लगा। मैं पूरे जोश में आ चुका था और तेजी से अमन की गांड के अन्दर तक मेरा लंड डाल रहा था। मेरी स्पीड बहुत तेज थी। तेज झटकों के कारण ‘छप छप’ की आवाज़ आने लगी थी। जोर से झटकों के कारण अमन की हालत भी खराब होने लगी। उसे मस्त करने के लिए मैं उसका लंड सहलाने लगा। उसका लंड एकदम कड़क हो गया और उसने भी फिर से पिचकारी छोड़ दी। मेरा टाइम भी हो गया था। मैंने तेजी से मेरा कंडोम निकाला और अमन के मुँह में मेरा लंड डालकर उसे चोदने लगा। राहुल को भी नीचे बैठा कर उसके मुँह में भी मेरा लंड डाल कर चुसवाता और तभी एक जोर का झटका लेकर मैंने राहुल के मुँह में मेरा माल छोड़ दिया और जल्दी से मेरा लंड राहुल के मुँह से निकाल कर अमन के मुँह में डाला और बाकी के झटके उसके मुँह में मार कर सारा माल निकाल दिया।
उन दोनों ने मेरे लंड को चूस-चूस कर साफ़ कर दिया।
अब हम लोग कार में आ गए.. पहले राहुल गया, जिसे मैंने सीट पर लेटा दिया। मैं उसकी छाती से मेरी पीठ चिपका कर उसके ऊपर उल्टा लेट गया.. और मेरे मुँह को उसके मुँह से चिपका कर चूमने लगा।
फिर मैंने मेरे दोनों पैर उठा कर फैला लिए और अमन मेरी गांड को चाटता हुआ मेरे लंड से होते हुए पेट और निप्पल पर आ गया। अब वो मेरे होंठों को चूसने लगा और मेरी बांहों में आकर मेरे नंगे जिस्म से चिपक कर मेरे ऊपर लेट गया।
करीब 10-15 मिनट हम दोनों एक-दूसरे के नंगे जिस्म से खेलते रहे।
कुछ 15 मिनट में मेरा लंड फिर तन गया, पर उन दोनों की हिम्मत नहीं थी कि वो फिर से चुदवाएं। इसलिए दोनों से कुछ मिनट तक मैंने लंड चुसवाया।
फिर मैंने अमन को चुदाई के लिए मना ही लिया और उसे मैंने मेरे लंड पर बैठा ही लिया.. पर अमन ने 15 मिनट से ज्यादा नहीं चुदवाया। फिर दोनों ने मेरा लंड चूस-चूस कर ठंडा कर दिया और अमन ने मेरा पूरा माल मुँह में ले कर बाहर थूक दिया।
अब तक रात के 12:15 बज चुके थे.. हम दोनों एक-दूसरे के नंगे जिस्मों पर निढाल पड़े थे। जैसे ही टाइम देखा, तो जल्दी-जल्दी कपड़े पहने और वहाँ से निकल पड़े। वे दोनों पूरे रास्ते मेरे लंड को दबाते रहे.. अमन ने तो ज़िप खोल कर मेरे लंड को फिर से मुँह में ले लिया था।
नेहरू पार्क की पार्किंग पहुँच कर तो राहुल भी मेरे लंड को चूसने लगा। दोनों ने आधे घंटे मेरा लंड वहीं बैठे-बैठे चूसा। रात के 1:45 हो रहे थे। एकदम सुनसान था। आखिर मैंने हाथ से हिलाकर इस बार सारा माल राहुल के मुँह में निकाल दिया। फिर दोनों से मैंने विदा ली और मेरी बाइक उठा कर अपने घर की ओर चल दिया। मैं मेरी गांड की चुदाई की गे सेक्स स्टोरी पर आप सभी के कमेंट्स के इन्तजार में हूँ।
मेरी फेसबुक की आईडी [email protected] से है जो सुहास कुमार के नाम से है। आप लोग FB पर मुझे feedback दे सकते हैं।
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