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हमें अब तक की कहानी से दो सिख मिलती है। पहली यह की हम ने देखा की कामवासना की ज्वाला मैं कैसे कैसे नामी और अच्छे ओहदे पर बैठे साहबान भी झुलस सकते हैं। कई बार उन्हें सही या गलत का ख्याल नहीं रहता।
ट्रैन में जस्सूजी को उकसाने में कुछ हद तक सुनीता का हाथ जरूर था, पर अगर किसी ने यह देख लिया होता और सबके सामने जाहिर कर दिया होता की जस्सूजी जैसे बड़े ही सम्मानित और जाने माने देश भक्त आर्मी के अफसर किसी और की बीबी के बिस्तर में जा कर उसके साथ भद्दी हालात में पाए गए, तो उनकी क्या इज्जत रह जाती?
चाहे बड़ा ही गणमान्य हो या हमारे जैसा आम व्यक्ति हो, अगर उस की जाँघों के बिच का लण्ड या चूत सक्रीय है तो वह कोई भी खूबसूरत सेक्सी स्त्री या पुरुष की और आकर्षित होना स्वाभाविक है। यह कुदरत का नियम है।
उसमें भी यदि उन्हें कोई ऐसी स्त्री या पुरुष मिल जाए जो उनकी काम क्रीड़ा में साथ देने में इंटरेस्टेड हो तो कुछ ना कुछ कहानी बन ही जाती है।
पर यहां यह ख़ास तौर से गणमान्य व्यक्तियों को चाहिए की ऐसी कोई पारस्परिक सहमति से स्त्रीपुरुष की काम क्रीड़ा हो तो भी लोगों की नजरों से दूर बंद दरवाजे में हो वही बेहतर है। टिका टिपण्णी अथवा बदनामी करने वालों की कोई कमी नहीं है।
दूसरी बात यह की सबसे पहले तो यह समझ लें की कभी भी कोई भी महिला से उनकी शत प्रतिशत मर्जी के बिना जबरदस्ती करना गलत एवं गैर कानूनी दंडनीय अपराध होने के उपरांत बड़ा ही खतरनाक और महंगा साबित हो सकता है।
अगर सहमति से भी मैथुन होता है तो यह ध्यान रखना चाहिए की कहीं आप पर यह दाव उलटा ना पड़ जाए। इस लिए जिस किसी भी महिला से आप शारीरिक सम्बन्ध जोड़ते हों तो उसकी सम्पूर्ण सहमति होनी जरुरी है। धन, नौकरी, प्रमोशन इत्यादि लालच देकर किसी महिला को फांसने की कोशिश करना भी जुर्म है।
हालांकि इस कहानी मैं कोई जबरदस्ती की बात नहीं है, पर अगर किसी महिला को कोई आला अफसर, नेता, बिज़नेस मेन या फिर कोई धार्मिक ओहदे पर बैठे हुए व्यक्ति अपने ओहदे या आर्थिक ताकत का गलत इस्तमाल कर यौन क्रिया के लिए उसके मना करने पर भी परेशान करे तो उस महिला को चुप नहीं रहना चाहिए और ऐसे लोगों का भंडाफोड़ करना चाहिए।
आजकल हमारी न्यायिक और सरकारी महकमे इस मामले में काफी सजग है और बड़े बड़े रसूखदार व्यक्तियों को भी जेल जाना पड़ रहा है।
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चलिए, हम वापस अपनी कहानी पर आते हैं।
नीतू ने जब इशारा किया की कर्नल साहब सुनीलजी की बीबी सुनीताजी की चुदाई कर चुके थे और उसके कुछ देर बाद उसी वक्त सुनीताजी अपने पति से चुद रही थी तो उन्हें आश्चर्य तो हुआ..
पर फिर उन्होंने सोचा की दूसरों के निजी मामलों में उन्हें कोई दखल अंदाजी या टिपण्णी नहीं करनी चाहिए तो वह कुछ सोच कर बोले, “उनको जो करना है, करने दो। हम अपनी बात करते हैं। हम बात क्यों कर रहे हैं? भाई हम भी तो कुछ करें ना?”
नीतू ने कुमार के गालों को चूमते हुए कहा, “तो फिर करो ना, किसने रोका है?”
नीतू के मन में कुमार के लिए इतना प्यार उमड़ पड़ा की वह कुमार के होँठों के अलावा उसके कपाल, उस के चेहरे पर बंधी पट्टियां, उसके नाक, कान और बालों को भी चूमने लगी। नीतू की चूत में से पानी की धार बहने लगी थी। कुमार का लण्ड एकदम अटेंशन में खड़ा हुआ था और नीतू की चूत को कपड़ों के माध्यम से कुरेद रहा था।
कुमार का एक हाथ नीतू की गाँड़ की और बढ़ रहा था। नीतू की सुआकार गाँड़ पर हाथ पहुंचते ही नीतू के पुरे बदन में एक तेज सिहरन सी फ़ैल गयी। नीतू के मुंह से बरबस ही सिसकारी निकल गयी। कुमार नीतू की गाँड़ के गालों को बड़े प्यार से दबाया और उन्हें उँगलियाँ से चूँटी भर कर दबाने और मसलने लगा।
नीतू पर अजीब सी मदहोशी छा गयी थी। कुमार ने उसकी जान बचाई थी तो उसकी जान, उसका बदन और उसकी रूह पर भी कुमार का पूरा हक़ था। कुमार को वह अपना सबकुछ अर्पण कर देना चाहती थी। आगे चाहे कुछ भी हो, नीतू कुमार को अपनी जात सौंपने के लिए बेबस हो रही थी।
नीतू ने फिर कुमार की आँखों में आँखें डाल कर पूछा, ‘तुम इस रात मुझसे क्या चाहते हो?”
कुमार ने कहा, “मैं तुम्हें पूरी तरह से मेरी बनाना चाहता हूँ।”
नीतू ने कहा, “तो बनाओ ना? मैंने कहाँ रोका है? पर एक बात ध्यान रहे। मैं तुम्हारे आगे के सपने पुरे ना कर सकुंगी! मैं चाहती हूँ की मैं पूरी जिंदगी तुम्हारी बन कर रहूं। पर शायद यह मेरी ख्वाहिश ही बन कर रह जायेगी। शायद भाग्य को यह मंजूर नहीं।”
कुमार को लगा की नीतू कुछ गंभीर बात करना चाहती थी। उसने पूछा, “जानेमन बोलो ना ऐसी क्या बात है?”
नीतू ने कुमार के गालों पर चुम्मी भरते हुए कहा, “आज की रात हम दोनों की रात है। आज और कोई बात माने नहीं रखती। मैं एक बात और कहना चाहती हूँ। यह सात दिन हमारे रहेंगे, यह मेरा तुमसे वादा है। मैं पूरी जिंदगी का वादा तो नहीं कर सकती पर यह सात दिन मौक़ा मिलते ही मैं दिन में या रात में तुम्हारे पास कुछ ना कुछ जुगाड़ करके पहुँच ही जाउंगी और फिर उस वक्त मैं सिर्फ तुम्हारी ही रहूंगी। तुम मुझसे जी भर कर प्यार करना। हाँ मैं तुम्हें सबके सामने नहीं मिल सकती। मेरे बारे में किसी से भी कोई बात या पूछताछ ना करना। यह बात ध्यान रहे।”
कुमार नीतू की बात सुनकर बड़े ही अचम्भे में पड़ गए। आखिर ऐसी कौनसी रहस्य वाली बात थी, जो नीतू उन्हें नहीं कहना चाहती थी? पर कुमार जानते थे की जिससे प्यार करते हैं उस पर विश्वास रखना और उनकी बात का सम्मान करना जरुरी है। कुमार ने और कुछ सोचना बंद किया और वह नीतू के चारों और फैले हुए बालों में खो गए।
ट्रैन तेजी से दिशा को चीरती हुई भाग रही थी। उसकी हलचल से कुमार और नीतू के बदन ऐसे हिल रहे थे वह दोनों चुदाई में लगे हों।
नीतू का हाथ बरबस ही उन दोनों के शरीर के बिच में घुस कर कुमार की जाँघों के बिच में कुमार के खड़े हुए लण्ड के पास जा पहुंचा।
वह कुमार के लण्ड को अपनी उँगलियों में महसूस करना चाहती थी। कुमार का लण्ड नीतू की उठी हुई जाँघों के बिच था और इतना लम्बा था की बिच में थोड़ा अंतर होते हुए भी वह नीतू की चूत में ठोकर मार रहा था।
नीतू के हाथ लण्ड के ऊपर महसूस करते ही कुमार की बोलती बंद हो गयी। नीतू ने कुमार के लण्ड के इर्दगिर्द अपनी उँगलियों की गोलाई बनाकर उसमें उसको मुठी में पकड़ना चाहा।
कपडे के दूसरी और भी कुमार का लण्ड नीतू की मुठी में तो ना समा सका पर फिर भी नीतू ने कुमार के लण्ड को कुमार के पयजामे के ऊपर से ही सहलाना शुरू किया।
कुमार ने मारे उत्तेजना के नीतू के सर को फिर से अपने हाथों में पकड़ कर उसे अपने मुंह से चिपका कर नीतू को गाढ़ चुम्बन करने लगा। कुमार का लण्ड अपने पूर्व रस का स्राव कर रहा था। पहले से ही उसका लण्ड उसके पूर्व रस की चिकनाहट से लथपथ था।
नीतू के पकड़ने से जैसे उसके लण्ड में बिजली का कर्रेंट दौड़ ने लगा। कुमार के लण्ड की सारी नसें उसके वीर्य के दबाव से फूल गयी।
कुमार ने अपने दोनों हाथ नीतू के सर से हटाए और नीतू की चोली पर रख कर चोली के ऊपर से ही उसके स्तनोँ को कुमार दबाने लगे। कुमार और नीतू अपने प्यार की उच्चतम ऊंचाइयों को छूना चाहते थे।
नीतू कुमार के लण्ड को हल्के हल्के से सहलाने लगी। कुमार के लण्ड से निकली चिकनाहट कुमार के पयजामे को भी गिला और चिकना कर नीतू की उँगलियों में चिपक रही थी।
नीतू इसे महसूस कर मन ही मन मुस्कुरायी। कुमार की उत्तेजना वह समझ रही थी। वह जानती थी कुमर उन्हें चोदना चाहते थे और वह खुद भी उनसे चुदना चाहती थी। पर चुदाई के पहले थोड़ी छेड़छाड़ का खेल तो खेलना बनता है ना?
कुमार ने नीतू के ब्लाउज के ऊपर से अपनी उँगलियाँ घुसा कर नीतू के उन्मत्त दो फलों को अपन उंगलयों में पकड़ना चाहा। पर नीतू के स्तनोँ का भराव इतना था की नीतू की चोली और ब्रा इतनी टाइट थी की उसमें में हाथ डाल कर उनको छूना उस हाल में कठिन था।
कुमार ने जल्दी में ही नीतू की पीठ पर से नीतू के ब्लाउज के बटन खोल दिए। बटन खुल जाने पर कुमार ने ब्रा के हुक भी खोल दिए।
नीतू के स्तन अब पूर्णतयाः आजाद थे। कुमार ने नीतू को अपने ऊपर ही बैठ जाने के लिए बाध्य किया और नीतू के अल्लड़ स्तन जो पूरी आजादी मिलते हुए भी और इतने मोटे होने के बावजूद भी अकड़े हुए बिना झूले खड़े थे उनको दोनों हाथों में पकड़ कर उन्हें दबाने और मसलने लगे।
नीतू के स्तनोँ के बिच छोटी छोटी फुँसियों का जाल फैलाये हलकी गुलाबी चॉकलेट रंग की एरोला जिसके ठीक बिच में उसकी फूली हुई निप्पलोँ को कुमार अपनी उँगलियों में पिचकाने लगे।
अचानक नीतू को अपनी कोहनी में कुछ चिकनाहट महसूस हुई। नीतू को अजीब लगा की उसकी कोहनी में कैसे चिकनाहट लगी। यह कुमार के लण्ड से निकला स्राव तो नहीं हो सकता। नीतू ने अपने फ़ोन की टोर्च जलाई तो देखा की उसकी कोहनी में कुमार का लाल खून लगा था।
तलाश करने पर नीतू ने पाया की उन दोनों के बदन को रगड़ने से एक जगह लगा घाव जो रुझ रहा था उस में से खून रिस ने लगा था। पर कुमार थे की कुछ आवाज भी नहीं की। वह अपनी माशूका को यह महसूस नहीं करवाना चाहते थे की वह दर्द में है।
नीतू को महसूस हुआ की कुमार का दर्द अभी भी था। क्यूंकि जब भी नीतू ट्रैन के हिलने के कारण अथवा किसी और वजह से कुमार के ऊपर थोड़ी हिलती थी तो कुमार के मुंह से कभी कभी एकदम धीमी सिसकारी निकल जाती थी।
तभी नीतू समझ गयी की कुमार अपना दर्द छिपाने की भरसक कोशिश कर रहे थे। वह नीतू को प्यार करने के लिए इतने उतावले हो रहे थे की अपना दर्द नजर अंदाज कर रहे थे।
नीतू को कुमार का हाल देख बड़ा आश्चर्य हुआ। क्या कोई मर्द किसी स्त्री को कभी इतना प्यार भी कर सकता है? ना सिर्फ कुमार ने अपनी जान पर खेल कर नीतू को बचाया पर उसे प्यार करने के लिए अपना दर्द भी छुपाने लगा। नीतू ने उस से पहले कभी किसी से इतना प्यार नहीं पाया था।
नीतू ने सोचा ऐसे प्यारे बांके बहादुर जांबाज और विरले नवजवान इंसान पर अपना तन और शील तो क्या जान भी देदे तो कम था। उस वक्त तो उसके लिए कुमार के घावोँ को ठीक करना ही एक मात्र लक्ष्य था।
अपने स्तनोँ पर से कुमार का हाथ ना हटाते हुए नीतू धीरे से कुमार से अलग हुई और अपने शरीर का वजन कुमार के ऊपर से हटाया और कुमार के बगल में बैठ गयी।
जब कुमार उसकी यह प्रक्रिया को आश्चर्य से देखने लगा तो नीतू ने कहा, “जनाब, अभी आप के घाव पूरी तरह नहीं भरे हैं। आप परेशान मत होइए। मैं कहीं भागी नहीं जा रही हूँ। आप पहले ज़रा ठीक हो जाइये। अगले सात दिनों तक मैं आपकी ही हूँ, यह मेरा आपसे वचन है।”
नीतू ने धीरे से अपना हाथ कुमार की जाँघों के बिच में रख दिया और वह कुमार के लण्ड को पयजामे के ऊपर से ही सहलाने लगी। कुमार ने फुर्ती से अपने पयजामे का नाडा खोल दिया।
पयजामे का नाडा खुलते ही कुमार का फनफनाता मोटा और काफी लंबा लण्ड नीतू की छोटी सी हथेली में आ गया। उस दिन तक नीतू ने अपने पति के अलावा किसी बड़े आदमी का लण्ड नहीं देखा था।
उसके पति का लण्ड अक्सर तो खड़ा होने में भी दिक्कत करता था और अगर खड़ा हो भी गया तो वह चार इंच से ज्यादा लंबा नहीं होता था। कुमार का लंड उससे दुगुना तो था ही, ऊपर से उससे कई गुना मोटा भी था।
कुमार का लण्ड हाथ की हथेली में महसूस होते ही नीतू के मुंह से नकल ही पड़ा, “हाय दैय्या, तुम्हारा यह कितना लंबा और मोटा है? इतना लम्बा और मोटा भी कभी किसीका होता है क्या?”
कुमार ने मुस्कराते हुए बोला, “क्यों? इतना बड़ा लण्ड इससे पहले नहीं देखा क्या?”
नीतू ने, “धत्त तेरी! क्या बातें करते हैं आप? शर्म नहीं आती ऐसी बात करते हुए? तुम क्या समझते हो? मुझे इसके अलावा कोई और काम नहीं है क्या?” यह कह कर शर्म से अपना मुंह चद्दर में छिपा लिया।
कुमार नीतू के शर्माने से मसुकुरा उठे और नीतू की ठुड्डी अपनी उँगलियों में दबा कर बोले, ” जानेमन बात की शुरुआत तो तुमने ही की थी। बड़ा है छोटा है, आजसे यह सिर्फ तुम्हारा है।”
एक हाथ से नीतू कुमार के नंगे लण्ड को सेहला रही थी और दोनों हाथों से कुमार नीतू के दो गुम्बजों पर अपनी उँगलियाँ और हथेली घुमा रहा था और बार बार नीतू की निप्पलों को पिचका रहा था।
नीतू ने सोचा की वह समय और जगह चुदाई करने लायक नहीं थी। कोई भी उन्हें पर्दा हटा कर देख सकता था। दूसरी बात यह भी थी की नीतू जब मूड़ में होती थी तब चुदाई करवाते समय उसे जोर से कराहने की आदत थी। उस रात एकदम सन्नाटे सी ट्रैन में शोर करना खतरनाक हो सकता था।
नीतू ने कुमार का लण्ड अपनी हथेली में लेकर उसे जोर से हिलाना शुरू किया। नीतू ने कुमार से कहा, “अब तुम कुछ बोलना मत। चुपचाप पड़े रहो। तुम्हें आज रात कोई परिश्रम करने की जरुरत नहीं है। प्लीज मेरी बात मानो। आज रात को हम कुछ नहीं करेंगे। कुमार मैं तुम्हारी हूँ। अब तुम चुपचाप लेटे रहो। मैं तुम्हारी गर्मी निकाल देती हूँ। ओके? मैंने तुम्हें वचन दिया है की मौक़ा मिलते ही मैं तुम्हारे पास आ जाउंगी और हम वह सब कुछ करेंगे जो तुम चाहते हो। पर इस वक्त और कोई बात नहीं बस लेटे रहो।”
नीतू ने कुमार के लण्ड को जोर से हिलाना शुरू किया। कुछ ही देर में कुमार का बदन अकड़ने लगा। कुमार अपनी आँखे भींच कर नीतू के हाथ का जादू अपने लण्ड पर महसूस कर रहा था। कुमार से ज्यादा देर रहा नहीं गया।
कुछ ही देर में कुमार के लण्ड से उसके वीर्य की पिचकारी फुट पड़ी और नीतू का हाथ कुमार के वीर्य से लथपथ हो गया।
यह कहानी आगे जारी रहेगी..
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