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मैं अजीब कशमकश में था… मेरा दिमाग मेरा साथ नहीं दे रहा था, साथ ही अंजलि की कमसिन जवानी का नशा मुझे कुछ सोचने नहीं दे रहा था.
अंजलि- किशोर क्या सोच रहे हो… तुम गिल्ट फील मत करो, जो कुछ हुआ वो मेरी वजह से हुआ क्योंकि मैं चाहती थी. मैं- क्या? अंजलि- हाँ किशोर, मैं बहुत समय से तुम्हारा साथ चाहती थी पर कह नहीं पाई.. न ऐसा कोई संयोग लगा कि कुछ पहल कर पाती, आज मौका भी था, माहौल भी था, नशा भी था और तन्हाई भी थी तो मैंने पहल कर दी. इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है. मैं- पर अंजलि मुझे ऐसा नहीं करना था, तुम समझो…
अंजलि.. अरे अब आप मूड मत ख़राब करो, मुझे भूख लगी है, आप मुझे पिज़्ज़ा खिलाओ!
मैं उठ कर पिज़्ज़ा गर्म करके लाया, अंजलि वैसे ही मेरी गोद में बैठ गई, मेरा लंड उसकी गांड की दरार में फिट हो कर अंगड़ाई लेने लगा. अंजलि मेरे को पिज़्ज़ा खिलाती और फिर उसी टुकड़े में खुद भी खाती!
एक तरह से कहा जाए वो मुझे डॉमिनेट कर रही थी, जैसा वो चाह रही थी, वही हो रहा था.
पिज़्ज़ा ख़त्म कर के वो मेरे से लिपट के मेरे होंठों पर किस करने लगी.. अभी भी उसके होंठों पट पिज़्जा का स्वाद था.
अंजलि उठी और मेरा हाथ पकड़ के बेड के तरफ ले जा कर मुझे बेड पे धक्का दे दिया.. मैं भी यंत्रवत उसके बहाव में बहने लगा, सच कहूँ तो मेरा दिमाग काम ही नहीं कर रहा था. अंजलि मेरे ऊपर सवार हो गई और मेरे ऊपर झुक कर मेरे होंठों पर अपने होंठ चिपका दिए.
आआआहहह… आअहह…
मैं कुछ करता, उससे पहले अंजलि ने मेरा लौड़ा पकड़ कर अपने मुख में डाल लिया और लॉलीपोप की तरह सुपारे को खींच खींच कर चूसने लगी। यह स्टाईल मुझे बहुत अच्छा लगा, लन्ड में तीखी उत्तेजना लगने लगी। मैं अंजलि के चूतड़ों को मसलने लगा.
तभी अंजलि उठी और मेरे मुख से सट कर बैठ गई और अपनी बुर की फ़ांकें खोल कर मेरे होंठों से चिपका दी, फिर झुक कर मेरे लंड को चूसने लगी. हम दोनों के मुँह से सी…सी… उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह… की आवाजें निकल रही थी.
काफी देर हम दोनों 69 में एक दूसरे को चूसते और चूमते रहे, मैं अंजलि के झड़ने पर उसका रस पी रहा था. तभी अंजलि उठ कर मेरे ऊपर आ गई और लंड को हाथ से पकड़ कर अपनी बुर पर सेट करते एकबारगी बैठ गई. ‘आअह उफ फ्फ…’ की आवाज़ मेरे मुँह से निकल ही गई. अंजलि इतनी वाइल्ड होगी, मैंने सोचा न था.
अंजलि जोर जोर से मेरे लंड पर कूद रही थी- आह किशोर… आआह्ह उफ्फ फ्फ्फ़ किशोर… उफ्फ आअह… हह ह उआह उउईई! मैंने भी रिदम में आकर नीचे से झटके लगाने शुरू किये, ताल से ताल लंड से चूत का मिलन होना शुरू हो गया.
फिर अंजलि ने अपने कूल्हों को गोल गोल घुमा कर लंड की चक्की चलाई और फिर ऊपर नीचे हो कर चुदाई के मज़े लूटने लगी। मैं भी अपनी गांड ऊपर उछाल उछाल कर अंजलि के धक्कों का जवाब देने लगा।
अंजलि की चुची मस्ती में उछल रही थी और उसके चेहरे पर एक मादक मुस्कान थी। मैंने देर न करते हुए उसकी चुची को मुँह में भर लिया और चूसने लगा. अंजलि को बहुत मजा आ रहा था, वह कहे जा रही थी- और ज़ोर से! और ज़ोर से… मैं- और जोर से… आह… आह…
अंजलि मजे से अहहहा अहहह हहा हायय हाययय कर रही थी, मैं उसकी बुर का पूरा मजा ले रहा था, अंजलि के कई बार झड़ने के कारण अंजलि की चुत बिल्कुल गीली थी, लंड बड़े आराम से अंदर बाहर हो रहा था, अंजलि पागल हो गई थी, बाल बिखर चुके थे, चेहरे पर पसीना और कमरे में मादक सी सिसकारी ‘आअह ह्ह… आह्ह ऊह्ह ह्हह…आआआअह ऊऊऊओह्ह आआऊऔऊऊ उस्सह्हह, आआआअह्ह ऊओह… आअह्हह ऊऊऊओह्ह आऊऊ औऊऊउस्स…’
धीरे धीरे मेरे जिस्म का सारा रक्त एक जगह एकत्र होने लगा मुझे भी समझ में आ गया कि अब मैं रुक नहीं पाउँगा- अंजलि, मेरा हो जायेगा! अंजलि- हम्म्म मेरा भी! ‘अंजलि, लगा दे सारा ज़ोर…’
कमरे में चुदाई की आवाज़ और आआआअह्ह ऊओह्हह्ह की आवाज़ भर गई। वो पागल सी हो गई और मैं भी… वो जो जोर से लंड को अंदर बाहर करने लगी- आआअह ह्हह्ह… आहह… उउऊहह… आआह उऊओओ ओहहह… बुर की चुदाई की यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
हम दोनों की स्पीड बढ़ गई थी, पूरे कमरे में फच्च-फच्च की मधुर आवाज़ें आ रहीं थीं। वो चीखती जा रही थी- और तेज़… मैं- आआ… आ… वो- इइईई… उउउऊऊऊ… मररर… गईईई… मैं…तो…
मेरी उत्तेजना बढ़ गई और मैं उसे तेज़ी के साथ नीचे से चोदता रहा। कुछ ही देर में अंजलि चिल्लाई- मैं अब झड़ने वाली हूँ। मैं भी झड़ने वाला था, मेरे लंड से कुछ ही देर में पानी निकला जो उसकी बुर में समां गया. उसी समय उसने भी मुझे कस कर दबोच लिया, वह भी झड़ गई थी।
फिर हम कुछ देर तक यूँ ही एक-दूसरे से लिपट कर लेटे रहे। और अंजलि तो मेरे ऊपर ही सो गई. लंड बाहर आ चुका था और फिर मैं भी नींद की आगोश में चला गया.
सुबह जब आँख खुली तो देखा अंजलि नग्न मेरे बगल में लेटी थी.. चेहरे पर वो ही मासूमियत, संतुष्टि और जिस्म में जगह जगह निशान जो जाने अनजाने मेरे द्वारा ही दिए गए थे, चेहरे पर बालों की लट, मैंने उसको हटाने की कोशिश की तो अंजलि भी जाग गई.
दिन के उजाले में दोनों के नग्न जिस्म चमक से रहे थे. अंजलि ने जागते ही मुझे बाँहों में भर के थैंक्स बोला और बोली- इतनी सकून की नींद शायद पहली बार आई!
दोस्तो, यह थी मेरी और अंजलि की प्रणय गाथा! अब आगे क्या हुआ… जी हाँ हम दोनों ने अकेलेपन का खूब फायदा उठाया, इस बीच अंजलि को गोली भी दिला दी कि वो प्रेग्नेंट न हो. पर उसके माँ बाप के लौटे ही मेरा मन अपराध बोध से भर गया.
पर हम दोनों के बीच सम्भोग मौका देख कर होता रहा, यह सम्बन्ध अंजलि के शादी के बाद भी कायम रहा. आज भी वो मेरे पास आती है पर अब थोड़ा कम हो गया, उसकी गृहस्थी और बच्चों के कारण!
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