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भाभी की चुदाई की इस कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि मैं अपनी रशीयन पत्नी को लेकर अपने माता पिता के पास भारत आया तो घर पर मेरे बचपन का दोस्त राजू आया हुआ था, वह मेरी रशियन बीवी के बारे में सुन कर मुझसे और मेरी बीवी से मिलने के लिए आया था। पूरी कहानी यहाँ पढ़ें मतवाला देवर राजू और भाभी की चुदाई-1 राजू अगले ही दिन अपने शहर वापस चला गया. न तो उसका, और न ही हमारा मन था कि वो वापस चला जाए लेकिन कहीं किसी को हमारे संबंधों की भनक न लग जाए, इस डर से हमें राजू को विदा करना पड़ा.
नताशा संग हमने कुछ दिन हमारे पेरेंट्स के घर बिताने के बाद दुबारा पहाड़ों पर घूम आने का मन बनाया. हमारे शहर से नजदीकी हिल स्टेशन करीब 300 किमी की दूरी पर था, नताशा संग हम दोनों कार से निकल पड़े.
घर से 100 किमी आगे नजदीकी शहर में पहुँचने पर मैंने नताशा को बताया कि राजू इसी शहर में रहता है. सुन कर नताशा को आश्चर्यमिश्रित प्रसन्नता हुई- ओओ.. तो ये बात है! क्या इरादा है? होठों को गोल करते हुए नताशा ने प्रसन्न हंसी के साथ पूछा. ‘वही.. जो तुम सोच रही हो, और मन ही मन चाहती भी हो लेकिन कह नहीं पा रही!’ मैंने रहस्यमयी मुस्कान के साथ उत्तर दिया- मेरा तो मन है कि हम तीनों ही घूमने चलें.. सिर्फ एक रात के लिए ही हम तीनों इकट्ठे रहे और जिन्दगी के सबसे ज्यादा मजे ले लिये! जरा सोचो, अगर पूरा हफ्ता हम साथ रहेंगे, तो क्या होगा! जब एक रात में ही तुमने डबल एनल जैसी डेलिकेट चीज़ को ट्राई करके उसमें महारत हासिल कर ली तो सोचो पूरा हफ्ता.. इसे सोचते ही मेरा तो रोम-2 सिहर उठता है!! मेरी प्यारी-नशीली नताशा ने क्या गज़ब का डबल एनल परफॉरमेंस दिया!!!
‘अगर सच पूछो तो मेरी भी वही इच्छा है, जो कि तुम्हारी.. मुझे भी राजू का सामान बहुत पसंद आया!’ नताशा ने आँखों ही आँखों मुस्कुराते हुए अपनी सहमति दे दी और प्रसन्न स्वर में रूसी भाषा में गाने लगी जिसका अर्थ था ‘वादियाँ मेरा दामन..’ और फिर खिलखिला कर हंस पड़ी.
मैंने भी हंसी में पत्नी का साथ दिया और एक चौराहे पर गाड़ी रोक दी. मैंने उस को बताया कि राजू के हॉस्टल में उसका जाना ठीक नहीं, और मैं जल्दी वापस आ जाऊंगा. नताशा ने सहमति में सर हिलाया और मैं तेज क़दमों से राजू के हॉस्टल में प्रवेश कर गया.
किस्मत से मुझे किसी से राजू का कमरा पूछना नहीं पड़ा क्योंकि खुद राजू अन्दर मिल गया. वो मुझे देखकर आश्चर्यचकित रह गया और घबरा कर पूछने लगा- खैरियत तो है न? मैंने कहा- सब ठीक है, बाहर गाड़ी में तुम्हारी भाभी बैठी हैं, और मैं भी वापस उसके पास जा रहा हूँ, तुम 5 मिनट में अपने सामान का बैग लेकर हमारे पास आ जाओ. हम लोग हफ्ते भर के लिए मसूरी जा रहे हैं. फिर उसकी तरफ आंख मार कर कहा- सारा जरूरी सामान ले लेना, नताशा संग हम लोग होटल के एक कमरे में और तू दूसरे कमरे में रहेगा.. और वापस बाहर निकल गया.
कार में बैठकर हमें करीब 15 मिनट इंतजार करनी पड़ी और राजू अपना बैग लादे पहुँच गया. उसके पिछली सीट पर बैठते ही मैंने गाड़ी दौड़ा दी.
इसके बाद सारे रास्ते हम लोग हंसी मजाक करते हुए चुहलबाजी में लगे रहे. शाम हो रही थी, एक जगह रुक कर हम लोगों ने बियर खरीदी और फिर चलते हुए बियर की चुस्की लगाते रहे. जब हम अपने होटल पहुंचे तो अँधेरा हो चुका था, रिशेप्शन पर रजिस्ट्रेशन करा कर हम लोग अपने-अपने कमरों की चाभी प्राप्त करके अगल-बगल के कमरों में प्रविष्ट हो गए.
कमरे में पहुँचने पर मैंने देखा कि पीछे वाली बालकोनियाँ एकदम मिली हुई थी, और उनके बीच एक दरवाजा भी लगा हुआ था जिस पर कोई ताला नहीं लगा था, सिर्फ कुण्डी द्वारा बंद था. मेरे विचार से दूसरी तरफ से भी इसी प्रकार से ‘बंद’ कर रखा होगा. मैंने आगे बढ़ कर अपनी तरफ वाली कुण्डी खोल दी.
इतना शानदार इंतजाम पाकर मेरी ख़ुशी का ठिकाना न रहा. जब वापस कमरे में घुसा तो नताशा बाथरूम में थी. मैं धीमे से दरवाजा खोल कर बाहर निकल गया, और पड़ोस वाले रूम का दरवाजा खोल कर अन्दर घुस गया. अन्दर राजू भी बाथरूम जाने की तैयारी में था, मैंने उसे हँसते हुए ‘इंतजाम’ के बारे में बताया तो वो भी खुश हो गया और जल्दी से बालकनी की ओर भागा. मैंने भी उसका पीछा किया, और वहाँ पर हमने ठीक मेरे कमरे वाला ‘इंतजाम’ पाया. हम दोनों ठहाके मार कर हँसते रहे और फिर मैं बालकनी के रास्ते अपने कमरे की ओर चल पड़ा. राजू भी मेरे पीछे-2 आ गया.
नताशा ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठी अपने बाल सुखा रही थी, वो हमें देख कर मुस्कुरा दी. फिर थोड़ा चौंक कर पूछा कि हम लोग पीछे क्या कर रहे थे! मैंने हँसते हुए अपनी पत्नी को ‘इंतजाम’ के बारे में बताया. सुन कर नताशा भी बहुत खुश हुई.
फिर हम दोनों मर्दों ने बियर की चुस्कियां लेने का फैसला किया. फ्रिज से एक-2 ठंडी बोतल बियर निकाल कर हम दोनों भी अपने-2 बाथरूम में शावर लेने चल दिए.
जब मैं बेडरूम में वापस आया तो नताशा के हाथों में टेलिविज़न का रिमोट था और वो टीवी में नजरें गड़ाए लेटी हुई थी. मुझे देख कर उसने दांतों से अपना निचला होंठ काटा और प्यारी सी अंगड़ाई ली. अंगड़ाई लेने में उसके उन्नत स्तन उसकी नाइटी को फाड़ कर निकलते प्रतीत होने लगे.
तभी पीछे से क़दमों की आहट हुई तो मैं समझ गया कि राजू भी शावर ले कर हमारे पास आ रहा है. मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो पाया कि राजू अंडरवियर और बनियान में ही आ गया था.
नताशा से नजरें मिलने पर वो मुस्कुराया और सोफाचेयर पर बैठ गया.
‘अरे भई, वहां क्यों बैठा है.. जरा नजदीक आकर बैठ! तेरी भाभी ‘जी’ तेरे बिना बोर हो रही हैं!! उस दिन के बाद से मुझे तो तेरी भाभी ने देनी ही बंद कर दी.. कहती है, छोटा है तुम्हारा.. मुझे बड़ा चाहिये, राजू जैसा!!! तो लो भैया.. राजू को ही ला देते हैं, अपने आप कर लेना लेना-देना उसके साथ! कर ले भाभी की चुदाई!’ थोड़ा मजाक के मूड में कही बात को मैंने नताशा को रूसी में भी सुनाई, तो वो जोर से हंसी, और फिर हम तीनों हंसने लगे.
हँसते-2 ही मैंने अपनी अंडरवियर उतार कर एक तरफ फेंक दी और अपना लंड हाथ में पकड़ कर नताशा के मुंह की तरफ बढ़ाया. नताशा ने आँखें तरेर कर मेरी तरफ देखा और फिर मुस्कुराते हुए प्यार से अपनी गुलाबी जीभ से मेरे लंड के टोपे को चाट लिया. मैंने अपनी पत्नी के सिर को पकड़ कर उसके दांतों के बीच जगह बनाते हुए अपने लंड को अन्दर की तरफ ठेला तो वह आसानी के साथ नताशा के गर्म मुंह के अन्दर घुस कर उसकी नर्म जीभ से टकराया और मैं उत्तेजित होकर लंड को रूसी लड़की के मुंह के अन्दर-बाहर करने लगा.
अब तक राजू भी पूरा उत्तेजित हो चुका था और पैंट के ऊपर से ही अपने लंड को मसल रहा था. नताशा ने राजू की तरफ मुस्कुरा कर अपनी तर्जनी उंगली से पास आने का इशारा किया, तो राजू दौड़ कर हमारे नजदीक आया, और अपना अंडरवियर उतार दिया. उसका विकराल लंड अभी ढीला होने के बावजूद भी किसी मोटे सांप जैसा लग रहा था.
मेरी पत्नी ने बिना मेरे लंड को मुंह से निकाले, राजू का लंड अपने दाएं हाथ में लेकर मसला और आगे-पीछे करते हुए उसमें जान भरने लगी. लंड की खाल आगे-पीछे होने की वजह से राजू का माँसल टोपा भी अन्दर बाहर होने लगा और कुछ ही सेकंड में राजू का लंड लोहा-लाट रूप धारण करने लगा. मैंने नताशा का सिर पकड़ कर अपना लंड उसके मुंह से बाहर निकालते हुए, राजू के लंड की तरफ मोड़ दिया. नताशा अपनी आँखें मिचमिचा कर थोड़ी सी शर्म का प्रदर्शन करते हुए, हल्की सी मुस्कराहट के साथ राजू के विशाल-माँसल टोपे पर अपनी नर्म, गुलाबी जीभ फिराने लगी.
अब तक राजू का टोपा किसी हवा भरती फुटबाल की तरह फूलते हुए आकार में दुगना हो चुका था और खूब फंस-2 कर नताशा के होठों के बीच अन्दर-बाहर हो रहा था. ‘चलो जानेमन, मेरा भी चूम लो.. दोनों का इकट्ठे.. मैं चाहता हूँ कि तुम हमारे लौड़ों को एक साथ चूसो!’ मैंने अपनी दिली इच्छा जाहिर करते हुए अपने लंड को राजू के लंड की बराबर से उसके होठों के बीच टोकते हुए कहा.
दो-दो लंड के टोपे गोरी लड़की के मुंह को चौड़ा करते हुए उसके होठों के बीच अन्दर-बाहर होने लगे. हालाँकि हमारे लंड इकट्ठे होकर हमारी सेक्स पार्टनर के मुंह में नहीं समा पा रहे थे लेकिन परिश्रमी नताशा पूरी लगन के साथ उनको अन्दर लेने की कोशिश कर रही थी. इस कोशिश में कभी मेरा लंड अपनी पूरी लम्बाई के साथ नताशा के मुंह में होता, तो कभी राजू का लंड आधा-अधूरा अन्दर जाकर उसके हलक में ठोकर मारने लगता. कभी नताशा खूब कोशिश करके दोनों के लंडों को अधिकतम अपने मुंह के अन्दर घुसेड़ कर झटके के साथ बाहर उगलती थी और फिर अपनी सांसें व्यवस्थित करने में लग जाती थी क्योंकि जितनी देर हमारे लंड उसके मुंह के अन्दर होते, उसके नथुने हमारे लंडों-अण्डों-झाटों द्वारा बंद हो जाते, और वो सांस रोक कर पति और देवर के लंडों को चूसने में लगी रहती थी.
इतने गज़ब की चुसाई चल रही थी कि हम दोनों लड़कों में से किसी का भी मन नहीं हो रहा था कि नताशा एक सेकेंड के लिये भी उसका लौड़ा मुंह से बाहर निकाले! मेरा लंड आकार में कम होने की वजह से और नताशा को उसकी पूरा का पूरा मुंह के अन्दर लेने की खूब आदत होने के कारण मैं पूरा का पूरा लंड अपनी जानेमन के मुंह में पेल रहा था जबकि राजू का नंबर आने पर वो खूब चाह कर भी बमुश्किल आधा लंड ही मेरी धर्मपत्नी के हलक में ठोक पा रहा था.
वासना के अतिरेक में हम तीनों कब पलंग से उतर कर नीचे बिछे कारपेट पर शिफ्ट हो गए, हमें इसका बिल्कुल पता नहीं चला. असल में अब हम दोनों भाई पूर्ण उत्तेजना की अवस्था में हमारी साझी बीवी के मुंह को अपने लंडों पर कस कर रगड़ रहे थे और कामुकता में उसे इधर से उधर खींचे फिर रहे थे.
मैंने कारपेट पे खड़े-2 ही नताशा का गला पकड़ कर बुरी तरह उसके मुंह को अपने लंड पर आगे-पीछे चलाते हुए उससे अपने लौड़े पर दांतों से रगड़ मारने को कहा. नताशा जानती थी कि उसका पति कितना कामुक व्यक्ति है और उसने मेरा लंड चूसते हुए नर्म जीभ के साथ-2 अपने तीखे दांतों को भी मेरे लंड से मिलाना शुरू कर दिया. मैंने यहीं सब्र नहीं किया, और जब मेरे लंड की अच्छी तरह से दन्त मसाज हो गई, तो मैंने अपनी भार्या को कमर से नीचे झुका कर उसकी गर्दन को सहारा देते हुए उसके सिर के पीछे से उसकी मुख चुदाई शुरू कर दी. राजू भी उत्तेजित होता जा रहा था और उसने नाजुक हाथों से भाभी के स्तनों को सहलाया, तो उसकी पत्नी समान भाभी अपने पति का लंड छोड़ कर सीधी बैठ गई, और राजू ने अपना गर्दभ लंड उसके मुंह में पेल दिया. राजू अधीर हो चुका था, उत्तेजनावश अपने लोहे की रॉड जैसे लंड से नताशा के मुंह के अन्दर उसके गालों पर धक्के मारने लगा, कभी बांया गाल बाहर की ओर फूल जाता, तो कभी दांया… उसका लंड इस समय इतना कठोर हो चुका था कि वह उसके द्वारा आराम से नताशा के मुंह रूपी बोतल के ढक्कन खोलता जा रहा था!!
हालाँकि पूरी कोशिश करने के बावजूद उसका घोड़े जैसा लंड पूरा मुंह में नहीं घुस पा रहा था, जिसके कारण उसने एक समय अत्यधिक जोर लगाते हुए लंड को पूरा ठेल कर नताशा के हलक में उतार दिया, जिसके कारण नताशा चकरा गई और मुश्किल से उसके लंड को मुंह से थूक कर अलग करते हुए, अपना गला पकड़ कर हांफने लगी. उसकी नीली आँखों में आंसू आ गए और मुंह से लार टपकने लगी.
यह देख कर मुझे बहुत गुस्सा आया और मैंने राजू के गाल पर एक तमाचा जड़ दिया- तुम्हें शर्म नहीं आती, फूल जैसी कोमल अपनी भाभी को दर्द पहुंचाते हुए! अरे वो तो वैसे ही तेरे हाथी जैसे लंड को पूरे जतन से चूसते हुए गले तक ले रही है.. तू क्या उसे उसकी छाती में उतारना चाहता है?!’ मैं गुस्से में फट पड़ा.
भाभी की चुदाई की कहानी जारी रहेगी. [email protected]
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