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दोस्तो मैं अमित फिर से गर्म भाभियों को और तड़पाने और लड़कियों की चूत को कुलबुलाने आया हूँ अपनी कहानी के अगले भाग को लेकर!
कुछ औरतों ने रेस्पॉन्स भी दिया, अच्छा लगा उनके विचार जान कर! कुछ से बात करके लगा कि दोस्ती सिर्फ़ दारू पीने वालों की नहीं चुदाई का शौक रखने वालों की भी बहुत अच्छी रहती है.
तो दोस्तो, चलिए मेरी और दिव्या की गर्म चुदाई पे!
दिव्या ने एक अलग कमरा लिया था और जैसा उसने वायदा किया था, एक चाबी मुझे दी. उसके शिफ्ट करने के दिन हमारे ऑफिस का एक और लड़का राम उसके रूम पे समान छोड़ने आया. उसके सामने वो मुझे छेड़ रही थी- सुनो, बिस्तर पे सिर्फ़ मेरा बॉयफ्रेंड या पति ही बैठेगा. तो हम दोनों झट से बैठ गये.
मुझे समझ नही आया कि राम क्यों बैठा. वह हंसने लगी.
रात को खाना ख़ाकर मैं राम को घर छोड़ कर वापिस आया दिव्या के रूम पर… वो शायद नहा कर निकली थी तो बाल गीले थे और टीशर्ट और शॉर्ट्स में थी. मैं गया तो वो डर गयी, मैंने उसको बाहों में लिया तो कहने लगी- घर जाओ, लेट हो गया है. मैंने कहा- अब तो घर ही हूँ. और आँख मार दी.
फिर मैंने उसे चूमना चालू किया. वो कहती- क्यों इतने गर्म हो? मैंने कहा- नहा कर तुम और हॉटनेस बिखेर रही हो. फिर उसकी टीशर्ट ऊपर की तो देखा कि उसने ब्रा नहीं पहनी तो जल्दी ही उसका बोबा पकड़ के चूसना शुरू किया तो कहती ‘जरा आराम से…’ मैं चूसता रहा, काट भी रहा था तो वो सिसक जाती- उहह आ प्लीज आराम से!
उसकी टीशर्ट उतार दी, कहती- नहीं प्लीज! मैंने कहा- आज तो सुहागरात होगी! उसने आँखें बड़ी कर ली, बोली- उस रात की याद मत दिलाओ! मैंने कहा- ओके… लेकिन मुझे तो कुछ करने दो! तुम्हारे नए रूम की खुशी तो मना लें!
मैंने उसको हर जगह चूमा, उसकी चूची के नीचे पेट पर, फिर उसकी चूत पर एक मस्त वाली पप्पी की, फिर उसका शॉर्ट्स खोला तो वो थोड़ी मुस्कुराई, मैंने उसके होंठ चूम कर उसकी शॉर्ट्स उतार दी, अब वो पूरी नंगी थी. फिर मैंने अपने कपड़े उतारे और उसको लिटा दिया, ऊपर से नीचे चूमते हुए उसके बोबे को काटा, उसने उम्म्ह… अहह… हय… याह… करते हुए और मुझे उत्तेजित किया.
फिर मैंने उसकी टांगें खोल कर लंड पेल दिया… फॅक फॅक की आवाजें… उसकी मदहोश ‘उऊहह आहह…’ की आवाज़े कमरे को और गर्म कर रही थी.
उसने मुझे कस के लिपटा रखा था और गांद ऊपर उठा उठा कर चूत चुदवा रही थी.
फिर कुछ देर के बाद मैंने अपना माल निकाल दिया और उसको पौंछ कर उसके ऊपर पड़ा रहा, चूमता रहा, चूसता रहा उसकी चुची को! वो खुश लग रही थी, मदहोशी में बोली- जब तुम मुझे चोद के मेरे ऊपर पड़े रहते हो और प्यार करते हो तो मुझे बहुत अच्छा लगता है! मैंने कहा- तेरा हज़्बेंड और बॉयफ्रेंड क्या करते थे? कहती- उनकी बात ना कर, वो साले चोद कर ऐसे निकलते थे जैसे मैं रंडी हूँ, चोद दिया तो बस जाओ!
मैं उसे और चूमने लगा. कहती- तेरे बदन से अच्छा लगता है… उन कमीनों के बदन से सिर्फ़ सिगरेट या दारू की बदबू आती थी. कुछ देर बाद कहने लगी-अब जाओ ना! मैंने जकड़ के रखा उसे!
कहती- तुमने बॉडी अच्छी बनाई तो इसका मतलब गर्लफ्रेंड को तंग करोगे? मैंने कहा- तेरे लिए ही है यह बॉडी! फिर उसे अपने बदन से चिपका के मैंने लंड पेल दिया उसकी चूत में. काफ़ी देर चुदाई के बाद वो थक गई लेकिन मुझसे बड़े हॉट तरीके से लिपटी रही. हम दोनों ऐसे ही सो गए.
सुबह उठी, मुझे जगा कर कहने लगी- जाओ अपने घर! मैं उठा, देखा वो बिना ब्रा और पेंटी के शॉर्ट और टीशर्ट पहन रही थी.
मैंने उठ के उसे पकड़ा और टीशर्ट निकाल दी और कहा- आओ गुड वाली मोर्निंग करें! कहती- बदमाश… जाओ! तुम मेरे हज़्बेंड नहीं हो जो सुबह ही चालू हो गये!
मैंने कहा- तू है इतनी हॉट! ‘क्यूँ ना होऊँ?’ मैंने कहा- बॉयफ्रेंड हूँ, हज़्बेंड नहीं, तभी तो लव ऑल टाइम! तो कहती- क्यूँ प्यार करता है तू मुझे… मैं इतनी बड़ी हू आंटी जैसी! तो मैं उसे अपने बदन से लिपटा कर बोला- कहाँ से आंटी लगती हो? कहती- यह पेट देखो! मैंने पेट चूम लिया. कहती- मत करो! फिर बोली- देखो मेरी टाँगें मोटी हो रही है. मैंने वहाँ पप्पी ली तो कहती- लगती हूँ ना आंटी?
मैंने कहा- चलो इस आंटी को चोदना पसंद है मुझे! कहती- छी… बहुत बुरे हो! मैंने कहा- हाँ इस बुरे को तुम्हारी चुची पसंद हैं. और मैंने चूसना शुरू किया.
फिर सुबह चुदाई का दौर काफी लम्बा चला उसके बाद मैंने उसको ऑफिस के पास छोड़ दिया और मैं अपना काम करने लगा.
एक घंटे के बाद मैंने देखा कि वो राम के साथ हंस हंस कर कैन्टीन में बात कर रही थी. चुदाई की बात चल रही थी, वो कहता ‘ यार आराम से करना चाहिए!’ वो कहती- नहीं वाइल्ड!
मैं हैरान… यह क्या चल रहा है? फिर सोचा ‘यार… शी इस ओपन तो क्या है… अच्छा है इफ़ शी इस हैपी!’
फिर मैं कुछ दिन ऐसे ही देखता रहा उसकी मज़ाक-मस्ती राम के साथ! वो थोड़ा गुंडा टाइप था और दिव्या को भी ऐसी लड़कपन वाली बातें पसंद थी.
एक दिन हुआ यूँ कि हम मूवी देखने गये, वहाँ किसी ने दिव्या की चुची रगड़ दी भीड़ में… मैंने उससे लड़ाई की, दिव्या खुश हुई, बोली- तुम ऐसे मेरी केयर करते अच्छे लगते हो! खुश होकर उसने एक साइड पे मुझे पप्पी दी.
फिर मूवी देखते वक़्त कहती- मुझसे भी गुस्सा हो? मैंने कहा- नहीं! फिर उसने कहा- देख लो! मैं गुस्सा उस आदमी पर था लेकिन मेरा गुस्सा मेरा काम बना गया, दिव्या ने मुझे मनाने के लिए मेरी पैंट के ऊपर से मेरा लंड दबा दिया.
मैं हैरान था, फिर मुस्कुरा दिया, मैंने उसकी चुची दबा दी.
फिर हमने डिनर किया और अपने अपने रूम पे आ गये.
थोड़ी देर बाद मैंने उसे काल की तो काफ़ी देर उसका फोन बिज़ी आया. फिर उसका फोन आया, मैंने पूछा- क्या कर रही थी? बोली- राम से बात कर रही थी.
मुझे गुस्सा आया, मैंने सोचा ‘यार अब इसको कोई और चाहिए… तो इसकी खुशी क्यूँ फालतू में बिगाड़ना! फिर सब ऐसे चलता रहा.
एक मेरी दोस्त थी ऑफिस की ही… वो मुझसे अपनी निजी ज़िंदगी शेयर करने लगी… मेरे ही दोस्त से उसके संबंध बन रहे थे और वो ना चाहते हुए या चाहते हुए उसके जाल में फंस रही थी. लेकिन इस बारे में सोच कर परेशान होती तो मेरे पास आकर शेयर करती, मुझसे लिपट कर कहती- तू ही मेरा दोस्त है! हम काफ़ी बात करते, मैं उससे मज़ाक भी करता, वो भी! हमें देख कर हर कोई कहेगा कि वो मेरी गर्लफ्रेंड है.
फिर उसने मज़ाक में मुझे कहा- तू काश मेरा बॉयफ्रेंड होता! मैंने कहा- अब बना ले! वो ह्नास्ती और कहती- तू होता तो क्या करता? मैंने उसे बांहों में भरा और कहा- तुझे चूमता! कहती- हट साला बदमाश! मैंने कहा- हाँ रे! ‘सच्ची?’ कहती.
फिर मैंने कहा- किस तो कर लूँ? उसने कहा- हट मैं नहीं करूँगी! मैंने कहा- डर गई? कहती- जा नहीं डरती! मैंने कहा- तो आ करें!
फिर हमने होंठ चिपका लिए और मेरा हाथ उसके बोबे पकड़ के सहलाने लगा.
वो अचानक से हटी, बोली- यार बस कर… साले मेरा फ़ायदा उठा रहा है! फिर मैंने कहा- छोड़! यह हिंदी चुदाई की कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
फिर हम उसके रिलेशनशिप की बात करने लगे, मेरा दोस्त उसका बहुत फायदा उठा रहा था, उसको बहला फुसला के धीरे धीरे नीचे ला रहा था.
एक दिन उसने बताया- यार कल उसने मुझे अपना बना लिया! मैंने कहा- ओये तूने कर डाला? कहती- यार ऐसे मत बोल! हो गया बस!
मैंने उसको गले लगाया और छेड़ते हुए बोला- अब तू औरत हो गई साली! तो हंस कर वो बताने लगी- यार बस हम लिपटे हुए स्मूच कर रहे थे… अचानक क्या हुआ! मैंने कहा- बता! वो अपनी चुदाई की बात बताने लगी:
यार, मैं उसके रूम पे थी वो और मैं चुदाई की बातें कर रहे थे वो और मैं चूम रहे थे. अचानक उसने मेरा बोबा दबा दिया, मुझे कुछ हुआ, मैं लेट गई, वो ऊपर आकर चूमने लगा. फिर उसने मेरी शर्ट ऊपर की, मुझे अच्छा लगा, फिर उसने उतार दी और मेरी ब्रा भी… मैं शरमाने लगी तो उसने कहा ‘अभी शुरुआत है मेरी जान! इतना कहते ही उसने अपने कपड़े उतार दिए और मैंने उठ के उसका कच्छा उतार दिया लेकिन उसका देख कर मैं डर गई, उसने पहले मेरी चुची पकड़ी और काट लिया. मैंने उसके मुँह पे थप्पड़ लगा दिया तो उसने मेरे ऊपर आकर किस किया और मेरी चुची चूसने लगा, फिर चूमते हुए नीचे आया और मेरी शॉर्ट्स निकाल दी और उसके बाद पेंटी भी! मुझे अजीब लगा. फिर उसने अपना मेरे मुँह में दे दिया और मैं चूसने लगी. अजीब था लेकिन फिर उसने मेरी टांगें खोल दी और मेरे ऊपर आ गया और बोला- थोड़ा दर्द होगा लेकिन सह लियो! फिर उसने डाल दिया, और मेरी फट गई. लेकिन थोड़ी देर बाद अच्छा लगा. फिर कुछ देर बाद उसने अपना पानी मेरी चुची पर निकाल दिया हमने साफ किया. उसके बाद मैं वहां से भाग आई.
अब वो मुझसे आँखें नहीं मिला पा रही थी, नजर नीचे करके पूछने लगी- अमित मैंने ठीक किया? मैंने कहा- आ ज़रा! वो मुझसे लिपट गई. मैंने कहा- तू खुश है? कहती- हाँ! मैंने उसके होंठ चूमे और कहा- तो बस… अब तू औरत बन गई.
वो हंसने लगी और मुझे मारने लगी, कहती- तूने किया किसी के साथ? मैंने उसका हाथ लेके अपने लंड पे रखा तो कहती- साले कितनी के साथ किया? और मेरा लंड सहलाती रही, कहती- यार बड़ा सख़्त है! मैंने कहा- दिखाऊँ? वो इधर उधर देख कर बोली- चल कमरे में! मैंने उसे दिखाया, बोली- वा!
मैंने कहा- करेगी मेरे साथ? वो मुझे मार कर चली गई. फिर हम में अश्लील मज़ाक चलते रहते.
मैंने उस रात दिव्या का कॉल अवाय्ड किया तो वो रूम पर आ गई, गुस्से में थी, रूम बंद करके बोली- फोन क्यूँ नहीं उठाया? मैंने कहा- बिज़ी था. फिर वो रोने लगी, बोली- मुझसे कुछ ग़लती हुई तो माफ़ कर दो!
उसने अपने टीशर्ट निकाल दी और कहा- प्लीज मुझे मत छोड़ना! मैंने उसकी नंगी चूची देकही और एक को मुँह में लिया, उसको चूसा फिर उसके होंठ चूसे और कहा- नहीं यार, तू मेरी रानी है! फिर उसने मेरे ऊपर लेट कर पूरे कपड़े निकाल के मेरे लंड के ऊपर चढ़ कर कूदने लगी.
जब वो थक गई तो कहती- तुम आओ ना ऊपर! फिर तो दोस्तो पूरी रात आपको पता है कि क्या हुआ.
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