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मुम्बई से अम्बाला की ट्रेन में मुझे एक आंटी सेक्स की बहुत प्यासी मिली. उन्होंने मुझे कैसे पटा कर टॉयलेट में अपनी चूत चुदवाई, इस सेक्सी कहानी में पढ़ें. हैलो दोस्तो, मैं परबजोत सिंह सिद्धू पंजाब का रहने वाला हूँ और एक सरकारी नौकर भी हूँ। दिल तो डिपार्टमेंट का नाम बताने का हो रहा हैं, पर उसका कहानी से कोई मतलब नहीं है।
बात 2014 की है। मेरी पोस्टिंग मुम्बई से अम्बाला हो गई और मैं 8 जुलाई 2014 को ट्रेन के सेकंड क्लास की रिजर्वेशन सीट पर दिन के 3 बजे बैठ गया। मेरी बर्थ ऊपर वाली 14 नंबर की थी। ट्रेन चल दी, थोड़ी ही देर बाद एक स्टेशन आया। वहां से एक अंकल-आंटी चढ़े.. उनकी सीट्स नीचे वाली थी।
उन दोनों की उम्र 44-42 के आस-पास की थी, जो मैंने बाद में उनसे कन्फर्म की थी। मैं भी नीचे ही बैठा था, दिन होने की वजह से नींद नहीं आ रही थी। थोड़ी देर बाद उनसे मेरी बातचीत शुरू हो गई। वो लोग अपनी बेटी से मिलकर आ रहे थे।
उनकी 2 बेटियां थीं.. एक बेटा लन्दन में डॉक्टर था, यही सब उनसे बातचीत चलती रही। इसी दौरान पता चला अंकल को हाई डाइबिटीज है और सच बताऊँ तो आंटी की निगाह भी थोड़ी लुच्ची सी लगी। आंटी भी बातों में पूरा रस ले रही थीं। आंटी ने रेड कलर का टॉप और ब्लैक लोअर पहना हुआ था, पैरों में वाइट कलर के स्पोर्ट्स शूज पहने हुए थे।
मुझे आज भी वो दिन याद है, धीरे-धीरे मेरा ध्यान उनको लेकर मचलने लगा और आंटी की स्माइल ही मेरा लंड खड़ा कर रही थी।
थोड़ी देर बाद आंटी ने अपने शूज उतारे, नीचे से पिंक कलर की डॉट्स वाले लड़कियों जैसे मोज़े देख कर पता चला कि आंटी में अभी भी दम है।
वो दोनों सामने सीट पर बैठे थे और मैं दूसरी साइड था। आंटी ने अपने पैर मेरी सीट पर रख दिए, अंकल ने पहले से ही रखे हुए थे।
कुछ देर बाद अंकल अख़बार पढ़ने लगे थे। आंटी ने 2-3 बार मुझे पैर से छुआ, मुझे कुछ फील हुआ तो मैंने आंटी की तरफ देखा। आंटी ने स्माइल भी सेक्सी टाइप की दी। मेरा तो उसी वक्त दिल किया कि आंटी को खा जाऊँ… पर ट्रेन थी.. सो चुपचाप बैठा रहा और इसी तरह का खेल चलता रहा।
एक-दो बार मैंने आंटी के पैर पर हाथ लगाया तो वो कुछ नहीं बोली। इससे ये तो तय हो गया था कि आंटी सेक्स के लिए तड़प रही हैं, चुदने के लिए रेडी हैं.. बस मौका चाहिए.. हालांकि मुझे थोड़ा डर भी लग रहा था।
कुछ देर बाद शाम ढल गई और रात होने लगी, अब तक ऐसे ही चलता रहा था। मेरे को भी लगने गया था कि इधर कुछ नहीं होगा तो मैं ऊपर जाने लगा तो आंटी ने बोला- खाना खाकर ही ऊपर जाना।
मैंने खाना भी उनके साथ खाया और हाथ-मुँह धोकर ऊपर जाकर लेट गया। वो आंटी मेरे नीचे वाली सीट पर थीं और उनका नाम सीमा था।
मैं सीमा आंटी को देखे जा रहा था, वो भी देखती रहीं। फिर 9 बजे सीमा आंटी ने अंकल को दवाई देकर लाइट ऑफ कर दी और अब डिब्बे में थोड़ी बहुत लाइट आ रही थी.. जो बंद नहीं होती थी। मुझे नींद तो नहीं आ रही थी।
मेरे दिमाग में थोड़ी हरकत हुई। अब साढ़े दस हो गए थे, मैं धीरे से नीचे उतरा, मैंने सीट के नीचे से जूते निकालने के बहाने आंटी को अच्छे से हाथ लगाया, दबाया भी और डर कर बाथरूम की ओर चल दिया।
मैं वहाँ कुछ देर खड़ा रहा और थोड़ी देर बाद वापिस जाने ही लगा था कि सीमा आंटी आती हुई दिखीं। वो सीधा बाथरूम में घुस गईं और उन्होंने गेट बंद नहीं किया। ये देख कर थोड़ी हिम्मत करके मैं भी अन्दर चला गया और गेट बंद कर लिया।
सीमा आंटी ने मुझे स्माइल दी और बोलीं- तू तो मेरा दिल ले गया। मैंने जोर से आंटी के हाथ पकड़ कर अपने हाथों में ले लिए। वो बोलीं- छोड़ना मत, बहुत टाइम बाद ऐसा टच फील हुआ है।
उसके बाद मैंने होंठों से चूसना शुरू किया वो भी मेरे होंठों को चबाने लगीं और अपनी पूरी जीभ मेरे मुँह में अन्दर तक डाल देतीं। मैंने उनकी टी-शर्ट में हाथ डाला.. वो आग की तरह गर्म थीं। मैंने आंटी का टॉप उतारा और हुक पर टांग दिया, फिर ब्रा उतारी। उनकी ब्लैक कलर की ब्रा थी और उनके निप्पल खड़े दिखने लगे।
अब वो थोड़ा शरमाई.. लेकिन उनको मैंने समझाया- आंटी सेक्स करना है तो डरना शर्माना नहीं है।
इतना बोल कर मैंने उनके मम्मों को मसल कर पूरी तरह लाल कर दिए। मुझे आंटी के मम्मे चूसने में बहुत मजा आया, पूरे 38 साइज के थे। इसके बाद सीमा बोलीं- टाइम बहुत हो गया, कुछ करना है तो कर लो।
इतना सुनते ही मैंने आंटी का लोअर उतार दिया। क्या मरमरी टांगें थीं सीमा आंटी थोड़ी मोटी थीं.. पर सेक्सी भी उतनी ही ज्यादा थीं। आंटी ने नीले रंग की पेंटी पहनी हुई थी.. वो पूरी गीली हुई पड़ी थी। मैंने जब पेंटी के अन्दर हाथ डाला तो वो एकदम तड़फ सी गईं और मेरी निक्कर में हाथ डालने लगीं।
तो मैंने जल्दी से अपनी निक्कर उतार दी। वो मेरा खड़ा लंड देख कर खुश हो गईं। मैं ये नहीं बोलता की मेरा लंड 12 इंच का हैं या 15 इंच का है.. हाँ मेरा लंड काफी भीमकाय है.. मैं अब तक बहुतेरी चूतें चोद चुका हूँ.. उन सभी को भरपूर ख़ुशी भी दी है।
जैसे ही सीमा आंटी ने मेरा लंड हाथ में पकड़ा और मेरे बिना बोले ही नीचे बैठ कर मुँह में डाल कर चूसने लगीं।
मैंने आंटी से बोला भी कि धो तो लेने दो, सुबह का गंदा होगा। मगर उन्होंने लंड को अपने मुँह से नहीं निकाला। उनको देख कर लगता नहीं था कि वो सकिंग करेंगी, मगर उनकी सकिंग तो बोलती बंद कर देने वाली थी। मैं हैरान भी हो रहा था, जब वो लंड को किसी रंडी की तरह बड़े प्यार से आगे-पीछे कर रही थीं।
टाइम की कमी के कारण मुझे उनको रोकना पड़ा और मैंने उन्हें घोड़ी बनाते हुए उनकी टांगों को चौड़ा कर लिया। आंटी ने बिना कोई आपत्ति के अपनी चूत खोल दी।
मैंने नीचे बैठ कर अपना मुँह उनकी चूत पर रख दिया और जीभ अन्दर करने लगा। वो ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ करने लगीं। उसके बाद आंटी सेक्स के लिए मचलते हुए इशारे से बोलने लगीं- अब लंड अन्दर डाल दो।
मैंने अपना लंड अन्दर डाल दिया अभी आधा लंड ही अन्दर हुआ था कि उन्होंने रोक दिया और बोलीं- ओह.. रुको.. बहुत टाइम बाद हो रहा है.. धीरे करो, नहीं तो चीख निकल जाएगी।
मैंने फिर रुक-रुक कर धीरे-धीरे से खेल शुरू किया। उसके बाद मुँह पर हाथ रख कर पूरा लंड डाल दिया, वो सुन्न सी हो गईं। मैं बेपरवाह होकर लंड आगे-पीछे करने लगा।
थोड़ी देर बाद उन्होंने जो धीरे से सिसकारियां लेना शुरू लीं, वो मुझे अब तक याद है। आंटी इस प्रकार सिसिया रही थीं, जैसे किसी भूखे को रोटी मिल गई हो और वो चिल्ला-चिल्ला कर खा रहा हो ‘ओह.. शआह.. अअह.. इस्स.. आह.. ओहहहह..’
आंटी की मदभरी सीत्कारें तो रिकॉर्ड करने योग्य थीं। मैं कम से कम 20 मिनट तक बिना रोके चुदाई का खेल खेलता रहा और उसके बाद मैंने उनसे पूछा- आंटी कहाँ निकालूं? तो वो धीरे से बोलीं- ओह.. मैं तो तीन बार निकल चुकी हूँ, तुम अपना माल मेरी चुत के अन्दर ही निकाल दो। उनका इतना कहना था कि मैंने सारा का सारा पानी सीमा आंटी की चुत के अन्दर निकाल दिया।
कुछ पल बाद आंटी सीधी खड़ी हो गईं। मैं बोला- चूत धो लो आंटी। आंटी उंगली से माल निकाल कर चाटते हुए बोलीं- पागल हुआ है क्या.. बहुत मुश्किल से इतना गाढ़ा माल नसीब हुआ है। यह हिंदी चुदाई की सेक्सी कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं! वो थकी हुई लग रही थीं, मैंने उन्हें कपड़े पहनाने में हेल्प की।
वो बोलीं- मोबाइल निकालो और हम दोनों की एक सेल्फी ले लो। आंटी संग वो सेल्फी आज भी देख कर मेरा लंड खड़ा हो जाता है।
उन्होंने अपना नंबर मुझे सेव करवाया और बोलीं- व्हाट्सप्प पर कोई स्माइली सेंड कर दे, मैं भी तेरा नम्बर सेव कर लूँगी।
इतना करके उन्हें अंकल की याद आई और पूछा- चलो यार, वो उठ न जाएं।
मैंने भी तनिक घबरा सा गया तो आंटी मुस्कुरा कर बोलीं- रोज़ नींद की गोली खाकर ही उनको नींद आती है, वो सुबह तक उठते हैं। मैं इसी वजह से तड़फती रहती हूँ। आज मैं बता नहीं सकती कि तूने क्या सुख दे दिया है। फिर आंटी ने मुझे बहुत जोर से हग करके मेरे होंठों पर एक किस किया। इससे पता चल रहा था कि वो खुशी से पागल हो गई थीं।
फिर हम दोनों जाके चुपचाप अपनी बर्थ पर लेट गए।
वो लोग दिल्ली के थे, सुबह 8 बजे उनका स्टेशन आया और वो लोग उतर गए, उनका सामान वगैरह उतरवाने में मैंने हेल्प की, वे चलने लगे तो मैंने उन्हें बाय की।
सीमा आंटी पहले से बहुत खिली हुई लग रही थीं।
उसके बाद आज तक हम दोनों सम्पर्क में हैं, इसके बाद भी आंटी ने मुझे बहुत मजे दिए। चूंकि अंकल बिजनेसमैन है, वे हर महीने में 1 या 2 बार दुबई जाते हैं, उस वक्त सीमा आंटी मेरी पत्नी बन जाती हैं।
ये समझो अंकल दुबई और मैं दिल्ली आते-जाते रहते हैं।
इस कहानी में मैंने एक भी बात झूठ नहीं लिखी है ये बिलकुल सच्ची सेक्सी कहानी लिखी है।
आंटी सेक्स रिलेशनशिप में हैं मेरे साथ उस दिन से आज तक! और हाँ यह सेक्सी कहानी मैंने सीमा आंटी से परमिशन लेकर ही लिखी है, वो बोलती हैं मेरे दो पतिदेव हैं, एक घर चलाने के लिए एक चूत को चलाने के लिए।
ये आंटी सेक्स की सेक्सी कहानी कैसी लगी, जरूर बताना, धन्यवाद।
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