पत्नी की कामुकता, पति की बेरूखी- 2

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पति पत्नी की चुदाई ना करे तो वो दूसरा सहारा देखती है. पति की बेरुखी ने मुझे पति के दोस्त के पास भेज दिया. दोस्त की बीवी की चुदाई स्टोरी का मजा लें.

दोस्त की बीवी की चुदाई स्टोरी का पहला भाग: पत्नी की कामुकता, पति की बेरूखी- 1

अगले दिन मैं करीब 11 बजे राजेश जी के घर गई। घर पर वो अकेले ही थे. पूछने पर पता चला के उनकी बीवी आज सुबह ही अपने मायके गई है किसी काम से।

राजेश जी मेरे लिए चाय बना कर लाये। हम दोनों बैठ कर चाय पीने लगे।

चाय पीते पीते राजेश जी बोले- पूनम, अगर तुम बुरा न मानो तो मैं एक बात कहूँ? मैंने कहा- जी भैया कहिए?

वो बोले- पहले मुझे भैया मत कहो. मैं तुम्हें अपनी बहुत अच्छी दोस्त मानता हूँ. तुमने भी मुझ पर इतना विश्वास किया है. मैं चाहता हूँ कि हम दोनों दो दोस्तों की तरह खुल कर हर एक बात कर सकें। जो मैं तुमसे पूछूंगा, तुम भी खुल कर बताना. बिना किसी लिहाज के और मैं भी तुमसे कुछ ऐसे प्रश्न पूछूंगा, जो हो सकता है, तुम्हें अजीब लगें. मगर हो सकता है, हमारी इस बातचीत से तुम्हारी समस्या का कोई हल निकल आए।

मैंने कहा- ठीक है। वो आगे आए, मेरे हाथ को अपने हाथ में पकड़ा मुझे थोड़ा अचरज हुआ।

मगर मेरे हाथ को अपने दोनों हाथों में पकड़ कर वो बोले- अब मैं अपने दोस्त की बीवी से नहीं बल्कि अपनी दोस्त से बात कर रहा हूँ. उम्मीद है, मेरी दोस्त ही मेरे हर सवाल का जवाब देगी. मैंने हाँ में सर हिला दिया।

वो बोले- पूनम ये बताओ, तुम्हारी शादी के कितने समय बाद तुम दोनों में थोड़ा थोड़ा फर्क आना शुरू हो गया था? मैंने कहा- छोटी बेटी के जन्म के बाद से। वो बोले- मतलब क्या फर्क आया?

मैं अब थोड़ा शरमाई तो मगर मैंने कहा- वो बस काम में ज़्यादा बिज़ी रहने लगे। राजेश बोले- मतलब ये के जहां आप लोग हफ्ते में एक बार मिलते थे, तो वो 10 दिन में 15 दिन में एक बार मिलने लगे।

मैं उनके मिलने शब्द का मतलब समझ गई, मैंने कहा- जी नहीं, पहले हफ्ते में दो बार तीन बार मिलते थे. फिर महीने में एक या दो बार बस, और धीरे धीरे ये दूरी बढ़ती ही गई। राजेश जी बोले- तो अब कब मिलना होता है साजन से?

मैंने नजरे झुका कर कहा- क्या बताऊँ आपको, आप भी सुन कर हसेंगे। वो बोले- अरे नहीं यार, तुम मेरी दोस्त हो, पक्की वाली दोस्त बेझिझक खुल कर बताओ।

मैंने कहा- अब तो साल में ही तीन चार बार ही मिल पाते हैं। राजेश जी ने एक लंबी सांस छोड़ी- अरे यार, मैं तो अपनी पत्नी से मिले बिना 2-3 दिन से ज़्यादा रह ही नहीं पाता। अब वो 3 दिन के लिए गई. जिस आएगी, उस दिन बस अंदर घुसते ही सबसे पहले यही काम निपटाऊँगा। कमाल है तुम इतने दिन कैसे बिता लेती हो पति के प्यार के बिना?

मैंने उदास हो कर कहा- क्या बताऊँ, आपको? वो बोले- दोस्त बनी हो तो दोस्त से कैसी शर्म? मैंने कहा- नहीं जाने दीजिये।

वो बोले- मैं तुम्हें अपनी एक राज़ की बात बताऊँ. जब नीरा घर में नहीं होती, और मेरा मन कर जाए तो मैं क्या करता हूँ? मैंने पूछा- क्या?

वो उठ कर गए किचन में और वापिस आए. तो उनके हाथ में एक कद्दू था। वे बोले- ये देखो, इसके इस तरफ मैंने एक छेद कर रखा है, अब ये मेरी नीरा है। जब चाहूँ, इसको इस्तेमाल करूँ।

मैं हंस पड़ी।

वो बोले- अरे हंसने वाली बात नहीं है पागल! बल्कि तू भी कुछ गाजर मूली वगैरह इस्तेमाल कर लिया कर। मैं फिर से हंसी तो वो भी हंस पड़े- बदमाश, मुझे पता था कि तुम कुछ न कुछ इस्तेमाल ज़रूर करती हो। अरे यार एक खूबसूरत जवान औरत, जो हफ्ते में 3-4 बार सेक्स करती है वो साल में 3-4 बार सेक्स करे? धत्त!

मैं चुप बैठी रही.

वो आगे बोले- अच्छा, ये बताओ इस्तेमाल के बाद उस सब्जी का क्या करती हो? मैंने झूठ ही कह दिया- फेंक देती हूँ। वो बोले- अरे फेंकती क्यों हो, मुझे दे दिया करो। मैंने कहा- आप क्या करेंगे? वो बोले- खा लिया करूंगा।

सच में उनकी बात से मुझे करंट सा लगा।

मैंने कहा- छी, कैसी बातें करते हो आप? वो बोले- अरे पगली, हम भी ये सब करते हैं, मैं और नीरा, हम तो सब्जी, मिठाई, चॉकलेट और न जाने क्या क्या, एक दूसरे गुप्तांगों पे लगा लगा के चाट चाट कर खा जाते हैं।

मुझे बड़ी हैरानी सी हुई. मगर मेरी चूत से पानी की एक बूंद टपक गई। अरे यार कितने मज़े करता है ये आदमी।

राजेश जी बोले- एक बात बताओ, पिछली बार तुमने कौन सी सब्जी का इस्तेमाल किया था? मैंने कहा- बैंगन का। वो बोले- कब? मैंने कहा- कल!

वो बोले- आज भी करोगी? मैंने हाँ में सर हिला दिया।

वो बोले- अगर इन सब्जियों से बढ़िया कोई चीज़ तुम्हें मिले तो? मुझे लगा कि ये पक्का मुझे चोदने का अपना प्रोग्राम बना रहा है।

मैं उन्हें देखती रही और बोली- क्या? वो बोले- तुम कोई डिल्डो रख लो अपने पास। मैंने कहा- मगर मैं डिल्डो लाऊँगी कहाँ से? वो बोले- मैं ला देता हूँ। अपनी दोस्त के लिए इतना तो कर ही सकता हूँ।

मुझे बड़ा अच्छा लगा उनका ये विचार। मैंने कहा- ठीक है, ला दो.

वो बोले- और मुझे क्या मिलेगा? मैंने पूछा- आपको क्या चाहिए? वो बोले- मुझे उस वक्त तुम्हारी आवाज़ सुननी है, जब तुम डिल्डो इस्तेमाल कर रही होगी।

मैंने कहा- मतलब? वो बोले- जब तुम वो डिल्डो इस्तेमाल करोगी, तो मुझे फोन करना। उधर से तुम डिल्डो चलाना. इधर तुम्हारी वो कामुक सिसकारियाँ सुन कर मैं अपना डिल्डो चलाऊँगा।

मैं बड़ी हैरान सी हुई, ये कैसी डिमांड है।

राजेश जी बोले- ये कोई इतनी बड़ी डिमांड तो नहीं कि जिसे तुम पूरा नहीं कर सकती। रोज़ कुछ न कुछ तो लेती हो. इस बार कुछ और ज़्यादा वास्तविकता के करीब चीज़ होगी. हो सकता है उससे तुम्हें ज़्यादा मज़ा आए. तुम गाजर मूली से भी ज़्यादा संतुष्ट महसूस कर सको।

वो बोलते जा रहे थे, और मेरी चूत पानी छोड़ छोड़ कर पूरी तरह गीली हो चुकी थी। मेरा मन कर रहा था कि मुझे अभी वो डिल्डो मिल जाए. और मैं घर जाते ही सबसे पहले उसे अपनी चूत में ले लूँ।

राजेश जी ने मेरे कंधे को पकड़ कर हिलाया- ओ मैडम, कहाँ खो गई, क्या डिल्डो के सपने लेने लगी। मैं शर्मा गई. तो राजेश जी बोले- पूनम कुछ और पूछ लूँ तुमसे? मैंने कहा- पूछो।

वो बोले- जब तुम सब्जी का इस्तेमाल करती हो तो क्या उस वक्त पर पुरुषों के संग सेक्स करने के बारे में भी सोचती हो? मैंने कहा- हाँ, उसके बिना मूड कैसे बनेगा?

वो बोले- और कैसा सेक्स पसंद है तुम्हें? मैंने कहा- कैसा क्या, जैसा होता है, वैसा पसंद है।

वो बोले- अरे नहीं पगली, मतलब जैसे नीरा को प्यार वाला पसंद है. मगर मुझे गली गलौच मार पीट वाला वाइल्ड सेक्स पसंद है। नीरा को सकिंग और पीछे करना पसंद नहीं. मगर मेरा दिल हमेशा चाहता है कि सेक्स से पहले हम खूब एक दूसरे के जिस्म के उन कोमल अंगों को चूसें जिनसे बाद में हमें सेक्स करना है।

मैं तो जैसे ऐसी हो गई कि बस अब तो मुझे मेरी चूत में उंगली करनी ही पड़ेगी. राजेश की बातों से मेरी बेचैनी बढ़ी ही जा रही थी।

वो बोले- मैं तो अक्सर चाट चाट कर ही नीरा को स्खलित कर देता हूँ. और वो भी कई बार इतना चूसती है, इतना चूसती है कि मैं उसके मुँह में ही स्खलित हो जाता हूँ।

मैंने थोड़ा अजीब सा मुँह बनाया. तो वो बोले- अरे पागल, इसमें तो प्रोटीन होता है, नीरा तो मेरी आखरी बूंद तक पी जाती है।

मुझे बड़ी हैरानी हुई कि यार ऐसे कैसे कोई किसी की पेशाब करने वाली जगह को मुँह में ले सकता है। हालांकि मुझे पता था कि ऐसा होता है. बहुत से लोग करते हैं. मगर मैंने और मेरे पति ने तो कभी ऐसा नहीं करा।

राजेश जी बोले- तुम चूसती हो अपने पति का? मैंने ना में सर हिलाया.

वो फिर बोले- और वो तुम्हारी चाटता है? मैंने फिर ना में सर हिलाया।

तो राजेश जी बोले- तो साले तुम लोग करते क्या हो। बस बीच में डाला, हिलाया और हो गया।

फिर वो मेरे हाथ को पकड़ कर बोले- क्या तुम्हारा पति तुम्हें ठीक से स्खलित कर पाता था? मैंने कहा- हाँ, ठीक से करते थे। वो बोले- तो फिर दिक्कत कहाँ आ गई यार। अब उसे क्या हो गया। इतनी सुंदर इतनी सेक्सी औरत को छोड़ कैसे सकता है वो?

मैंने कहा- हो सकता है बाहर कहीं उनकी चक्कर हो। वो बोले- अरे घंटा चक्कर है फैक्टरी में, अंदर बाहर सब तहकीकात कर आया, साले का कोई चक्कर नहीं है।

मैं बड़ी निराश हुई कि ये क्या बात हुई। मैंने कहा- फिर मुझमें ही कोई कमी होगी। वो बोले- अरे नहीं यार, तुम तो एकदम परफेक्ट हो। तुमसे तो हर कोई सेक्स करना चाहेगा।

तब मेरे मन में पहली बार ख्याल आया कि इनसे पूछूँ कि ‘राजेश जी क्या आप मेरे साथ सेक्स करोगे?” इतना तो था कि अगर वो करते तो मेरी खूब तसल्ली करवाते।

मुझे लगा अब मेरा यहाँ कोई काम नहीं. जो मैं पूछने आई थी, वो मुझे पता चल गया। मेरे पति का कोई चक्कर नहीं था। मैं उठ खड़ी हुई- अच्छा राजेश जी, बहुत बहुत शुक्रिया आपका. आपने एक बहुत अच्छे दोस्त का फर्ज़ निभाया।

मैं उठ कर जाने लगी तो उन्होने उठ कर मेरी चोटी पकड़ ली। मुझे दर्द हुआ तो मैं तड़पी- आज राजेश जी, ये क्या कर रहे हो?

वो बोले- भैण की लौड़ी … इतनी देर से तेरी चूत पानी पानी हो रही है, उसका तो सोच? मैंने उनकी बात सुन कर हैरान रह गई कि ये इंसान एकदम से हैवान कैसे बन गया।

इससे पहले मैं कुछ सोचती … उन्होने ज़ोर से मेरी चोटी खींची और मुझे धक्का देकर सोफ़े पर ही गिरा दिया।

जैसे ही मैं गिरी, बिना मुझे संभालने का कोई मौका दिये उन्होने मेरी साड़ी पेटीकोट उठाया और मेरी दोनों टाँगें चौड़ी कर के अपना मुँह मेरी चूत से लगा दिया।

मैंने आज तक कभी भी चूत नहीं चटवाई थी।

जैसे ही उन्होने अपनी जीभ मेरी चूत के दाने पर घुमाई, मैं तो तड़प उठी।

गर्म तो उनकी बातें सुन सुन कर मैं पहले से ही हो रही थी। जैसे ही उन्होंने मेरी चूत को चाटा, पहले तो मैंने कड़ा विररोध किया. उनके सर के बाल भी खींच दिये. मगर ये चूत चटाई का आनंद इतना विस्मयकारी था कि बड़ी मुश्किल से मैं अपना विरोध सिर्फ 30 सेकंड तक ही रख पाई। बस उसके बाद तो मैं उनके साथ काम समुंदर में डूब गई।

जिस सर के बाल मैं खींच रही थी, उस सर को सहलाने लगी। जिसको मैं परे धकेल रही थी, उसको अपनी जांघों में कस लिया।

मेरी नर्मी देख कर राजेश ने मेरे ब्लाउज़ के हुक खोलने की कोशिश करी. मगर उससे नहीं खुले तो मैंने खुद ही खोल दिये.

फिर मेरा ब्लाउज़, ब्रा, मेरी साड़ी, पेटीकोट, कब उतार दिये गए, मुझे कुछ पता नहीं। मैं बिलकुल नंगी सोफ़े पर फैली पड़ी थी और राजेश जी मेरे मम्मों को निचोड़ते, मेरे निप्पलों को मसलते। मेरी चूत के दाने को कभी काटते तो कभी चूस जाते।

शादी के 10 साल बाद ये नया अनुभव मेरे लिए अकल्पनीय था।

बड़ी मुश्किल से 4-5 मिनट ही मैं टिक पाई. और फिर तो मेरी चूत ने भर भर के पानी छोड़ा। ऐसा स्खलित हुई कि मैंने राजेश के सर के बालों से पकड़ कर उसका सर अपनी चूत पर घिसाया। अपनी चूत के होंठों को उसके सारे चेहरे पर रगड़ दिया।

मैं सोचती थी कि मर्द का लंड … मगर राजेश ने समझाया कि मर्द की जीभ भी औरत की प्यास बुझा सकती है।

मैं नंग धड़ंग आधी सोफ़े के ऊपर और आधी नीचे लटकी पड़ी थी।

राजेश ने उठ कर अपनी टी शर्ट और निकर निकाला और चड्डी खोल कर बिलकुल नंगा हो गया। उसका सांवला सा लंड गुलाबी टोपा, अकड़ कर मेरी और देख रहा था।

राजेश मेरे पास आया और अपना लंड उसने मेरे होंठों से लगाया- चूस के देख! मैंने ना में सर हिलाया तो वो बोला- चूस मादरचोद, मैंने तुझे मज़ा दिया, तो तू मुझे भी मज़ा दे अब।

मेरा मन तो नहीं था मगर राजेश के कहने पर मैंने उसके लंड का टोपा अपने मुँह में लिया. पेशाब की गंध और गंदा सा स्वाद मेरे मुँह में आया। मैंने उसे बाहर निकाल दिया.

तो राजेश ने मेरे सर के बालों को खींच कर कहा- चूसती है या दूँ एक, चूस साली रंडी की औलाद! और राजेश ने एक जोरदार चांटा मेरे चूतड़ पर मारा। बहुत ज़ोर से लगा. मैं बिलबिला उठी.

मगर राजेश नहीं माना और ज़बरदस्ती अपना लंड उसने मेरे मुँह में ठेल दिया. करीब आधा लंड मेरे मुँह में घुसा तो, लगा जैसे मेरी सांस ही रुक गई, लंड जैसे मेरे गले तक उतार दिया गया हो।

मैं घबरा गई, बेचैन हो गई, और मुझे उतथु आ गया। मैं खाँस खाँस कर बेहाल हो गई।

मगर राजेश को इस सब से कोई मतलब नहीं था। उसने देखा कि मैं लंड नहीं चूस पा रही हूँ, तो उसने मुझे सोफ़े से नीचे खींचा और नीचे कालीन पर गिरा कर मेरे ऊपर आ चढ़ा और अपना लंड मेरी चूत पर रखा और अंदर घुसेड़ दिया।

‘आह …’ बहुत दिन बाद एक कड़क मर्दाना लंड मेरी चूत में घुसा था। मज़ा आ गया जीने का।

पूरी ताकत लगाकर राजेश ने अपना पूरा लंड मेरे जिस्म के अंदर घुसा दिया।

जब उसके लंड का टोपा जा कर मेरी बच्चेदानी से टकराया तो ऐसा लगा जैसे मेरी बच्चेदानी ने उसके लंड का स्वागत चुम्मे से किया हो।

उसके बाद तो मेरी कमर को दोनों तरफ से अपने दोनों हाथों से पूरी मजबूती से पकड़ कर राजेश ने चुदाई शुरू कर दी।

जब गाड़ी ने अपनी रफ्तार पकड़ ली, तो राजेश बोला- अब कैसा लग रहा है कुतिया? मैंने मुस्कुरा कर कहा- सच में ज़िंदगी का मज़ा आ गया. बस यही गम है आप पहले क्यों नहीं मिले। राजेश ने कहा- कोशिश तो बहुत करी थी मैंने, मगर तूने कभी देखा ही नहीं। साली गाजर मूली लेकर इतनी शानदार चूत का सत्यानाश कर रही थी। एक बात बता … तेरी माँ ने तुझे अक्ल नहीं सिखाई कि ये चूत गाजर मूली के लिए नहीं, मर्द का लंड लेने को लगाई गई है।

मैंने पूछा- अच्छा जी, और तुम्हारे बाप ने तुम्हें क्या सिखाया? वो बोला- मेरे बाप ने सिखाया कि चूत और साँप जहां भी मिले मार दो, इन दोनों का कोई भरोसा नहीं। मैं हंस दी.

तो राजेश ने मेरे होंठ अपने होंठों से चूस लिए, इतनी ज़ोर से … कि मुझे दर्द हुआ.

फिर मेरे कंधे पर मेरे गाल पार, मेरे मम्मों पर कई बार ज़ोर ज़ोर से काटा। मैंने कहा- अरे काटो मत, निशान पड़ जाएंगे। वो हंस कर बोला- तो क्या हुआ, तेरे उस चूतिया पति ने कौनसा देखने हैं? अभी तो तेरे जिस्म और और रंगीन करूंगा।

फिर राजेश ने मुझे घोड़ी बनाया और फिर चुदाई कम करी, मार मार के मेरे दोनों चूतड़ लाल कर दिये. इसके अलावा मेरी पीठ पर यहाँ वहाँ काटने के मारने के निशान बना दिये। मेरे सर के बाल खींचे, मेरे बदन पर थूका, मेरी माँ बहन बेटियों तक को गालियां दी।

करीब आधे घंटे तक राजेश मुझे पोज बदल बदल कर चोदता रहा, मैं तीन बार और स्खलित हो गई।

औरत को कितना जलील किया जा सकता है, ये उसको पता था. और जलील होने पर औरत कितना उत्तेजित होती है और फिर खुल कर सेक्स करती है. इस बात का एहसास मुझे उस दिन पहली बार हुआ।

जब राजेश का माल गिरा तो उसने सारा माल मेरे चेहरे पर गिराया। थोड़ा सा स्वाद का एहसास मुझे हुआ भी, नमकीन सा। उस दिन मुझे लगा कि अब तक तो मैं अंधेरे में ही थी. असली चुदाई तो मेरी आज हुई है।

मैं कितनी देर उसी तरह राजेश के वीर्य में भीगी नंगी लेटी रही। फिर उठ कर तैयार हो कर अपने घर आ गई।

अगले दिन जब सुबह उठी तो मेरे सारा बदन दर्द कर रहा था। कहीं टीस उठती तो कहीं दर्द होता।

जब नहाने के लिए बाथरूम में गई. खुद को शीशे ने नंगी देखा तो सारे बदन यहाँ वहाँ लाल नीले दाग पड़े हुये थे।

बड़ी मुश्किल से नहाई मैं … और फिर सारा दिन आराम किया।

शाम को राजेश का फोन आया, मेरा हाल चाल पूछा- कहो जानेमन कैसा लग रहा है? मैंने कहा- पूछो मत सारा बदन दर्द कर रहा है।

वो बोला- मज़ा आया? मैंने कहा- राजेश, अगली बार न मुझे ज़िंदा मत छोडना, हो सके तो जान से ही मार देना। वो बोला- क्यों इतना मज़ा आया? मैंने कहा- सच दिल कर रहा है, काश तुम अभी मेरे पास होते।

वो बोला- चिंता मत कर मादरचोद. जल्द ही हम फिर मिलेंगे. और फिर तेरी जम कर तेरी माँ चोदूँगा। मैंने हंस कर कहा- अरे यार, माँ को बहन को बेटी को, जिसको चाहे चोद लेना, मगर शुरुआत मुझसे ही करना।

और उसके बाद मैं अक्सर राजेश से मिलने लगी। बढ़ते बढ़ते हमारी दोस्ती खूब परवान चढ़ी। दो बार मुझे अबोर्शन करवाना पड़ा।

उसके बाद तो मैं फिसलती ही चली गई, ऐसी धँसी इस दलदल में कि आज तक नहीं निकल पाई हूँ। आज भी 42 साल की उम्र में मुझे रोज़ लंड चाहिए, रोज़ नया लंड हो तो क्या कहने।

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