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नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम अभिलाष है, प्यार से सभी दोस्त अभि बुलाते हैं। मैं 24 साल का 6 फुट लंबा नवजवान हूँ और दिल्ली में बी पी ओ में काम करता हूँ। मैंने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई मुम्बई में वर्ष 2013 में पूरी की थी.
यह कहानी तब की ही है।
मैं इलेक्ट्रॉनिक्स शाखा में तीसरे वर्ष में था जब मुझे अपनी ही क्लास की एक लड़की पूजा के प्रति आकर्षण का आभास हुआ। यूँ तो मैं काफी मेधावी छात्रों में गिना जाता था पर उसके अलावा भी मैं कॉलेज के कार्यक्रमों में एंकरिंग किया करता था तो कॉलेज में मुझे सभी जानते थे और पूजा भी मेरे दोस्तों में से थी।
पूजा एक सामान्य कद की दूध सी सफ़ेद भरे पूरे बदन और उभारों वाली लड़की थी। स्वाभाव से भी काफी मिलनसार और बिंदास थी वो… और हमारी sms द्वारा बातें भी देर रात तक चला करती थी। पता नहीं कब दोस्ती ने प्यार का रुख लिया और मैंने अपने प्यार का इज़हार कर दिया। वो भी मुझे पहले से ही पसंद करती थी इसलिए मुझे थोड़ा तड़पा कर उसने भी हां कह दिया। अब तो बस पूरे कॉलेज में हमारी ही बातें हुआ करती थी और हम दोनों एक साथ ही हर जगह दीखते थे।
कॉलेज के बाद भी फ़ोन पर हम बातें करते ही रहते थे और दोनों प्रेम आनन्द के सागर में गोते लगा रहे थे। एक दिन बातों ही बातों में उसने मुझसे पूछ लिया- अभि, तुम मुझसे शादी तो करोगे ना? धोखा तो नहीं दोगे? जिस पर मैंने कहा- सच्चे प्यार में धोखे जैसा शब्द नहीं होता! मैं उससे सच्चा प्यार करता था।
बस इसी तरह दिन गुजर रहे थे पर हम शारीरिक तौर पर अब तक पास नहीं आये थे, ना मैं ऐसा कुछ कह कर अपने सच्चे प्यार को खोना चाहता था।
एक दिन मैं एक छोटे से बाइक एक्सीडेंट होने के कारन कॉलेज नहीं गया और ‘वो परेशान न हो’ सोच कर उसका फ़ोन भी नहीं उठा रहा था। शायद क्लास में किसी लड़के से यह बात उसे पता चल गई जिसे सुनते ही वो झट से आगे के लेक्चर छोड़ कर मेरे रूम पर पहुँच गई।
मुझे चोट बिल्कुल मामूली सी थी इसलिए मैं आराम से चल फिर सकता था और मुझे उसके आने की अपेक्षा बिलकुल भी नहीं थी तो जब दरवाजा खोलते ही सामने वो दिखी तो मैं एकदम स्तब्ध रह गया। वो बिना कुछ कहे अंदर आई और मुझे कस के अपनी बाँहों में जकड़ लिया।
मुझे तो कुछ समझ ही नहीं रहा था… फिर भी मैंने सबसे पहले दरवाज़ा बंद किया ताकि कोई देख न ले।
वो मुझसे लिपटी हुई ही रोने लगी, कहने लगी- तुमने मुझसे एक्सीडेंट की बात क्यों छुपाई? पता है मैं सुन कर कितना घबरा गई थी। यह हमारा पहला आलिंगन था दोस्तो… और मैं आपको बता नहीं सकता कि मुझे कितना आनन्द आ रहा था… इतना कि उसकी बातों पे तो ध्यान ही नहीं जा रहा था।
मैंने खुद को कैसे भी संभाला और उसका चेहरा ऊपर को उठा कर उसके आँसू पौंछे और कहा- गलती हो गई जान… माफ़ कर दो! वो एकटक सी मुझे देखने लगी और मेरे करीब आने लगी।
मैं भी उसकी भावना समझ गया और आहिस्ता आहिस्ता पास आकर उसके गुलाब की पंखुड़ी की तरह मुलायम होंठों को चूम लिया।
क्या बताऊ दोस्तो… पहले चुम्बन का क्या आनन्द होता है… उसके लिए तो स्वर्ग का लालच भी छोड़ दूँ मैं! और बस फिर हम पर तो कामदेव कामरस की वर्षा करने लगे और हम दोनों दुनिया की सुध बुध भूल कर बस एक दूसरे में खोने लगे। हम दोनों बरसों से बिछड़े प्रेमियों की तरह अनवरत एक दूसरे को चुम्बन किये जा रहे थे और हम दोनों की उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी।
फिर मेरे हाथ उसके बदन की उठानों और गहराइयों को टटोलने लगे… उसने मुझे और जोर से जकड़ लिया। मेरे हाथ उसके नितम्बों पर जाकर रुके और मैं उन्हें अपने हाथों में थामने का नाकाम लेकिन असीम आनन्द देने वाला प्रयास करता रहा।
अब तक मेरा लिंग भी काफी उत्तेजित हो चुका था जो उसे उसके पेट पर दबता हुआ महसूस हो रहा होगा पर उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
फिर मैं उसके स्तन उभारों को दबाने लगा और उसके मुँह से आह की सीत्कार निकली ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ जिसे मैं स्वीकृति समझ कर उसकी टॉप को ऊपर उठा कर और उसकी ब्रा से उसके स्तनों को बाहर निकाल करा बारी बारी से दबाने और चूसने लगा। दोस्तो, यह एक ऐसा अनुभव था जो मैं कभी नहीं भुला पाऊँगा।
वो आह आह की सीत्कार लिए जा रही थी और मैं और जोर जोर से चूसे जा रहा था।
मैंने और आगे बढ़ते हुए उसकी योनि को छूने का प्रयास किया पर इस बार उसने मेरा हाथ रोक दिया और बोली- जानू, अब तो मैं तम्हारी ही हूँ ना… पर शादी क पहले मैं सारी हदें पार नहीं करना चाहती, प्लीज मुझे फ़ोर्स मत करना!
मैं अभी भी उत्तेजित था दोस्तो… पर मैं उससे सच्चा प्यार करता था और कभी भी ऐसा कुछ नहीं करना चाहता था जिससे उसे ठेस पहुंचे तो मैंने खुद का वहीं रोक लिया। उसने अपने कपड़े ठीक किये और जाने के लिये तैयार हुई तो मैंने एक और बार उसे एक बार और प्यार से चूमा. शाम को मिलने का वादा कर के वो चली गई।
आगे भी हम एकदूसरे के पास आये, पर वो सब आगे की कहानियों में!
उसके घरवालों को मेरी नौकरी पसंद नहीं आई और उन्होंने मेरी पूजा को किसी और के घर की अमानत बना दिया।
जीवन में अब बस उन सुनहरे पलों की यादें हैं जो आप पाठकों के साथ बाँटना चाहता हूँ।
मेरा यह अनुभव आप सबको को कैसा लगा, [email protected] पर अपने विचार अवश्य भेजें, आपके ईमेल मुझे आगे लिखने की प्रेरणा देंगे।
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