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दोस्तो, यह मेरी पहली गे सेक्स स्टोरी है हिंदी में… मेरी स्टोरी एकदम सच्ची है। मैं परेश हूँ.. पर आप मुझे पायल बुला सकते हैं क्योंकि मेरा शरीर एक पुरुष का है.. पर दिल और दिमाग़ से एक नारी ही हूँ।
यह उन दिनों की बात है.. जब मैं स्कूल की पढ़ाई कर रहा था और रोज शाम को बिल्डिंग के नीचे खेलने जाता था। वहाँ मेरे कई फ्रेंड्स थे और उनमें से एक लड़का प्रमोद था, उसकी उम्र मेरे जितनी ही थी और वो ज़्यादातर अकेला ही खेलता रहता था।
एक दिन जब मैंने शाम को नीचे खेलने आया.. तो क्रिकेट की गेम शुरू हो चुकी थी इसलिए मुझे किसी टीम में नहीं लिया गया तो मैं एक तरफ जाकर बैठ कर क्रिकेट देखने लगा।
तभी प्रमोद वहाँ आया और उसने मुझसे कहा- अगर तुम चाहो.. तो मेरे साथ खेल सकते हो। मैंने पूछा- तुमको कौन सा खेल खेलना पसंद है? प्रमोद बोला- पहले छत पर चलो, वहाँ हम दोनों कोई खेल खेलेंगे।
हम दोनों वहाँ चले गए। उधर छत पर एक छोटा सा रूम बना था जो वॉचमैन को रहने के लिए था। लेकिन हमारा वॉचमैन नीचे वाले रूम में रहता था.. तो ये ऊपर वाला कमरा बंद पड़ा रहता था।
हम दोनों वहाँ आ गए और उसने मुझे अन्दर ले जाकर दरवाजा बंद कर लिया। फिर वो थोड़ी जगह साफ करने लगा और मुझे वहीं जमीन पर बैठा दिया और खुद भी मेरे सामने बैठ गया। हम दोनों एक-दूसरे के आमने-सामने बैठ गए।
फिर मैंने उससे पूछा- आख़िर खेल कौन सा है? तो उसने बोला- हम फुनिया-फुनिया खेलेंगे। मैंने पूछा- ये क्या होता है? तो उसने बोला- तुझे फुनिया मतलब नहीं मालूम?? मैंने कहा- नहीं.. मुझे नहीं पता। प्रमोद ने कहा- तू जहाँ से सूसू करता है ना.. उससे हम फुनिया कहते हैं।
मैंने बोला- अच्छा, तो हम दोनों उसका क्या करेंगे? प्रमोद बोला- देख कल रात को मैंने मेरी मम्मी को मेरे पापा की फुनिया चूसते हुए देखा था, इससे पापा को बहुत मजा आ रहा था और वो ‘आह.. आह..’ कर रहे थे। मैं ये सब बड़े आश्चर्य से सुन रहा था, मैंने पूछा- फिर? फिर वो बोला- पापा ने थोड़ी देर बाद मम्मी की ‘पुपु’ चूसना शुरू कर दी। ‘पुपु..??’ ‘हाँ..’ मैंने पूछा- ये क्या होता है?? तो वो बोला- जहाँ से वे दूध पिलाती हैं मम्मी उसे पुपु कहती हैं। ‘ओके..’ मैंने कहा।
प्रमोद बोला- यार परेश, कैसा लगता होगा कोई फुनिया चूसे तो.. मजा आता होगा क्या? मैंने कहा- क्या पता.. मैंने तो कभी ऐसा कुछ भी नहीं सुना। तो वो बोला- तो क्या हम दोनों एक बार करके देखें? मैंने कहा- हाँ चलो ट्राई तो कर ही सकते हैं।
प्रमोद एकदम खुश हो गया और बोला- अच्छा सुन.. मान ले मैं पापा और तू मम्मी.. ओके! मैंने कहा- ओके.. फिर वो बोला- तू मेरी फुनिया चूसना.. और मैं तेरे पुपु चूसूंगा। मैं मान गया.. लेकिन मैंने कहा- कोई प्राब्लम तो नहीं होगी ना? वो बोला- अरे बिल्कुल नहीं यार, मेरी मम्मी-पापा करते हैं ना.. कोई प्राब्लम नहीं होगी।
मैंने पूछा- जब मैं तेरी फुनिया चूसूं.. तो तू कहीं सूसू ना कर देना! तो वो बोला- नहीं यार.. कभी नहीं करूँगा.. अगर सूसू आएगी तो तुझे बोल दूँगा.. तू मुँह से निकाल लेना। मैंने कहा- ओके.. चल फिर करते हैं।
अब प्रमोद ने अपनी हाफ पेंट की ज़िप खोली और उसे खोला। उसकी छोटी सी फुनिया बाहर मेरे सामने आ गई। मुझे देख कर अच्छा लगा। फिर उसने मुझसे बोला- ले चूस.. चूस ना..!
फिर मैं झुका और मैंने उसकी फुनिया को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया।
वॉववव.. इतना अच्छा और टेस्टी लगा मुझे.. और प्रमोद तो बस ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ किए जा रहा था… मैं प्रमोद की फुनिया को लॉलीपॉप की तरह बस चूसे जा रहा था।
मैंने थोड़ी सांस लेने के लिए फुनिया को निकाला और प्रमोद ने मेरा सिर पकड़ कर फिर से फुनिया को मेरे मुँह में पेल दिया। मैंने मस्ती से चूसता रहा।
करीब 15 मिनट बाद प्रमोद ने मुझे हटा दिया और मैंने लम्बी साँस भरी।
प्रमोद पागल सा हो कर मेरी तरफ देख रहा था और मैंने उसको पूछा- कैसा लगा?? वो बोला- ओह.. यार इतना मजा आता है.. बता नहीं सकता.. तुझे कैसा लगा फुनिया चूस कर? मैंने कहा- सच कहूँ यार मुझे अब तक इतना अच्छा टेस्टी कुछ नहीं लगा था।
प्रमोद ने मुझे अपनी तरफ खींचा और मेरे होंठों को किस किया.. फिर मेरे गालों को चूमने लगा। मैंने पूछा- ये क्या प्रमोद?? वो बोला- पापा भी मम्मी को ऐसा किस करते हैं.. जब वो पापा की फुनिया चूसती हैं। फिर मैंने उसको पूछा- अच्छा अब तू वो करेगा ना.. जो तेरे पापा-मम्मी को करते हैं? बोला- हाँ.. फिर उसने मुझसे कहा- चल अपनी शर्ट उतार दे ज़रा।
मैंने शर्ट उतार ली और प्रमोद मेरे पास आया। उसने मुझे लिटा दिया और मेरे ऊपर आ गया। उसने फिर से मेरे होंठों से होंठ लगा कर किस किया और मेरे गालों को चूमा। फिर उसने नीचे जा कर मेरे निप्पलों को चूसना शुरू किया।
हाईईइ राम.. मुझे लगा ख़ुशी से मैं ही पागल हो जाऊँगा.. इतना अच्छा लग रहा था। मानो कोई वहाँ मीठा सा करेंट दे रहा हो।
कुछ मिनट तक प्रमोद ने बारी-बारी से मेरे दोनों निप्पल चूसे।
फिर हम अलग हुए और कपड़े पहने.. उस शाम अलग होते हुए हम दोनों फिर से एक-दूसरे को किस किया।
फिर तो हमारा ये रोज का काम हो गया और हम हर रोज शाम को छत पर मिलते थे और ऐसे ही एक-दूसरे को मजा देते थे। धीरे-धीरे वो मेरा हजबेंड और मैं उसकी वाइफ हो गई और हमारा प्यार और भी मजबूत होने लगा।
एक दिन तो उसने मुझे सर्प्राइज़ ही दे दिया। वो अपनी बहन की फ्रॉक लेकर आया और मुझसे कहा- ले इससे पहन मेरे लिए! मुझे बहुत अच्छा लगा और मैंने उसको कहा- तुम बाहर जाओ, जब पहन लूँ तो आना।
उसके जाते ही मैंने अपने कपड़े उतारे और वो लाल रंग की फ्रॉक पहन ली। फिर मैंने प्रमोद को अन्दर बुलाया।
वो अन्दर आया तो उसने मुझे गले से लगा लिया और किस किया। हम दोनों ने फिर से लंबी किसिंग चालू की।
अब तक मैं आपने आपको एक लड़की मान चुका था और प्रमोद को मैं अपना पति मान चुका था। यह हिंदी गे सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
हम रोज छत के रूम में मिलते.. वहाँ मैं फ्रॉक पहन कर उससे उसकी वाइफ होने का फील करती और हम इस तरह दोनों के जीवन के मस्त दिन बीत रहे थे।
लेकिन फिर वो दिन आया जब प्रमोद ने एक शाम मुझे बताया।
‘यार कल रात मैंने देखा पापा अपनी फुनिया मम्मी की टांगों के बीच में डाल रहे थे।
उस दिन हम दोनों ने चुत में लंड वाले सेक्स के बारे में जाना।
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