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नमस्कार दोस्तो, मैं आपकी सेवा में एक बार फिर से हाजिर हूँ। जैसा कि आपने मेरी पिछली चुदाई की कहानी पड़ोस वाली भाभी को चुदाई सुख दिया में पढ़ा था कि कैसे भाभी को मेरी चुदाई से एक बच्चे का सुख प्राप्त हुआ।
मुझे नहीं मालूम कि वो बच्चा मेरा है भी या नहीं, परंतु भाभी का यही कहना है कि वो बच्चा मेरा ही है। अगर वो कह रही हैं, तो मेरा ही होगा।
मुझे आप लोगों से मेरी पिछली कहानी पर बहुत प्यार मिला। मुझे इतना प्यार देने के लिए मैं आप लोगों का शुक्रगुजार हूँ।
तो दोस्तो, मैं फिर एक अपनी ज़िन्दगी का सच बताने जा रहा हूँ।
आगे बढ़ने से पहले मैं अपने नए पाठकों को बता दूँ कि भाभी की उम्र हालांकि 30 साल है.. लेकिन उनकी 36-28-38 की मदमस्त फिगर उन्हें उनकी उम्र से कई साल की छोटी दिखाती है।
मैं खुद के बारे में भी थोड़ा बता देता हूँ कि मेरा कद 5 फुट 8 इंच का एक साधारण शरीर है.. और मेरा रंग एकदम साफ़ है। मेरे लिंग का साइज़ औसत से काफी बड़ा है, कितना बड़ा है यह तो भाभी की चुत ही बता सकती है कि कितना लम्बा और मोटा है।
भाभी को बच्चा होने के बाद मैंने छः महीने तक उनसे कोई संपर्क नहीं बनाया और कुछ महीनों के लिए वो अपने मायके चली गईं। जब उन्होंने मुझसे कुछ दिन तक जब कोई बात नहीं की, तो मैं उनसे नाराज हो गया।
एक दिन भाभी को मेरी मम्मी से कुछ काम था तो वे मेरे घर आईं और मुझसे मिल कर बोलीं- कैसे हो आप? मैंने जवाब नहीं दिया.. तो वो हँस कर चली गईं।
फिर उनके पति उस दिन बाहर थे तो वे मॉम को बोलने आई थीं कि समीर को घर भेज देना.. मुझे उसके साथ कुछ देर के लिए मार्किट जाना है।
थोड़ी बहुत आना-कानी करने के बाद मम्मी ने मुझे भेज ही दिया। जैसे ही मैं उनके घर गया.. तो उन्होंने मुझसे बोला- नाराज क्यों हो मुझसे? मैंने कहा- आपने ही 6 महीने से बात तक नहीं की!
तो वो बोलीं- यार हमारे बीच में जो हुआ था उसका मेरे पति को शायद पता चल गया है। उनकी बात सुनकर तो मैं डर गया। तभी उन्होंने आँख मारते हुए कहा- लेकिन आज वो यहाँ नहीं हैं।
मुझे भाभी के इरादे कुछ अच्छे नहीं लग रहे थे.. वो मुझे अलग निगाहों से देख रही थीं।
जैसे ही मैंने उनकी तरफ देखा.. तो मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उन्हें एकदम से पकड़ कर उनके होंठ पर अपने होंठ लगा दिए। अगले कुछ मिनट तक मैंने उनको जी भर के चूमा।
भाभी बोलीं- आज मेरी जान को क्या हुआ? मैंने कहा- आपसे प्यार करना है। भाभी बोलीं- मैं तो तुम्हारी हूँ ही, जितना चाहे प्यार कर लो।
बस फिर क्या देर थी.. मैं तो पिछले 6 महीने से इसी प्यार के लिए प्यासा था। भाभी को मैं चूमते हुए बिस्तर पर ले गया और उनका टॉप उतार कर फेंक दिया। उनका नशीला फिगर मुझे पागल कर रहा था। मैंने देर ना करते हुए उनके मम्मों को दबाना शुरू कर दिया।
वो भी आप खो चुकी थीं और आहें भर रही थीं।
मैंने जोर से उनके एक चूचे को काटा तो उनकी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ निकल गई। उनका एक हाथ मेरी कमर पर था.. तो दूसरा मेरे मूसल लंड पर था.. जो जीन्स को फाड़ कर बाहर आना चाहता था।
मैंने भाभी के पूरे कपड़े उतार दिए और उन पर बुरी तरह टूट पड़ा।
उनके पेट को चूमते हुए उनकी योनि पर जैसे ही मैंने चूमा, वो एकदम से उछल गईं। उनके मुँह से एक लम्बी और कामुक ‘आह..’ निकल गई।
फिर मैंने अपनी जीभ उनके दाने पर लगाई और चाटता रहा। भाभी ‘आह आह आह..’ कर रही थीं और मेरे बाल पकड़ कर मेरा मुँह अपनी प्यासी योनि पर रगड़ रही थीं।
कुछ मिनट के बाद उन्होंने पानी छोड़ दिया तो मैं उनकी चुत का सारा पानी पी गया। भाभी की चुत का स्वाद पहले से बहुत ही ज्यादा मस्त हो गया था। मैंने उनका पिछला छेद भी चाटा और पस्त होकर लेट गया।
कुछ पल बाद भाभी दुबारा उठीं और मुझे काटने लगीं। वो मेरे कान में जीभ मारने लगीं, मुझे कुछ होने लगा। भाभी नीचे से मेरे कपड़े भी उतार रही थीं। भाभी ने मुझे पूरा नंगा कर दिया और अगले ही पल भाभी के होंठ मेरे लंड पर जम गए थे।
अगले कुछ पलों में ही भाभी ने मेरे लंड को मुँह में ले लिया। अब तो मैं तो मानो जन्नत में था। मेरी भी ‘आह..’ निकल रही थी। भाभी ने गले तक लंड लिया हुआ था। भाभी ने पूरा चूस कर उसे कड़क बना दिया और पूरा लाल कर दिया।
अब उन्होंने कहा- आओ मेरी जान अब और बर्दाश्त नहीं होता। भाभी बेड पर टाँगें खोल कर लेट गईं, भाभी पूरी नंगी थीं और चुदास से तड़प रही थीं।
मैंने कुछ देर तक भाभी के छेद पर अपना लंड रगड़ा, तो वो और तड़प उठीं, भाभी सीत्कारते हुए बोलीं- बस अब डाल भी दो बाबू.. नहीं तो मर जाऊँगी।
मैंने अपना लंड उनके छेद पर रखा और कड़क लंड पूरा का पूरा एक झटके में अन्दर घुसता चला गया। भाभी की योनि थोड़ी टाइट हो गई थी, इसलिए वो चिल्ला पड़ीं- मेरी जान आराम से डाला करो.. मैं तुम्हारे पास ही हूँ।
जैसे ही मैंने आगे-पीछे करना शुरू किया, तभी भाभी की आवाज निकली- जान झटके देकर करो ना। मैंने जैसे ही झटके देने शुरू किए.. भाभी पागल होने लगीं ‘उफ़ उफ.. बेबी अहह..’
भाभी की मद भरी आवाज पूरे कमरे में गूंज रही थी।
करीब दस मिनट चोदने के बाद मेरा रस निकलने वाला था.. तो मैंने भाभी के अन्दर ही निकाल दिया।
कुछ देर सुस्ताने के बाद दुबारा खेल शुरू हो गया और इस बार मैंने भाभी को घोड़ी बना दिया और हचक कर चोदा। इसी दौर में दो अलग आसानों में भी उनकी चुत का भोग किया। भाभी भी दो-तीन बार झड़ चुकी थीं।
उस दिन भाभी की बुर सूज गई थी और वो मुझसे बहुत खुश थीं।
उस दिन मैंने भाभी के साथ चार बार सेक्स किया।
दोस्तो, ये चुदाई की कहानी छोटी है.. पर आगे भी भेजूंगा। आप अपना प्यार भरा ईमेल जरूर भेजना। सभी को प्यार.. मिलते हैं अगली बार! [email protected]
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