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दोस्तो.. मेरा नाम परितोष शर्मा है, मैं बरेली का रहने वाला हूँ। मैं एक साधारण मध्यम वर्गीय परिवार हूँ। मैं जो आपको बताने जा रहा हूँ, यह मेरे जीवन की एक सत्य घटना है, जिसे मैं आज तक नहीं भूल पाया हूँ।
बात उस समय की है, जब मैं 12वीं पास करने के बाद टाइम पास करने के लिए एक कंपनी में मार्केटिंग करने लगा। बहुत कम समय में ही मैंने अपनी मार्केट में एक पहचान बना ली थी।
इस काम से पहले मुझे लड़कियों से कोई मतलब नहीं रहता था.. मैं बस एक ही धुन में लगा रहता था कि मुझे बहुत पैसा कमाना है।
मैंने पैसा कमाया भी.. एक साल में ही मैंने अपनी नई कार खरीद ली थी और अपनी जिन्दगी का अकेले ही मजा कर रहा था। तभी मेरे साथ कुछ ऐसा हुआ, जिसे मैं भुला नहीं पाया। मैं आज तक उस पल को याद करता आ रहा हूँ।
हुआ ये कि मेरे पास एक कॉल आई, उधर से एक लड़की की आवाज़ थी। वो बोल रही थी कि रवि भैया आपके साथ हैं? मैं बोला- सॉरी जी.. कौन रवि और आप कौन बोल रही हैं? वो बोली- आप अमित भैया नहीं बोल रहे हैं? मैंने कहा- नहीं जी।
उसने एकदम से फ़ोन कट कर दिया.. मैं भी उस बात को भूल गया। फिर दो दिन बाद मेरे मोबाइल पर उसी नंबर से मिस कॉल आई, तो मैंने वापस कॉल लगाई।
उधर से वही लड़की बोल रही थी- सॉरी.. पर.. इतना बोल कर वो चुप हो गई। मैंने कहा- पर क्या..? तो वो बोली- मुझे आपसे ही बात करनी है। मैंने- जी बताएं, क्या बात करनी है आपको? तो वो बोली- मुझे आपसे फ्रेंडशिप करनी है।
मैंने कहा- सॉरी जी.. मैं आपको नहीं जानता हूँ। उसने बताया कि वो मुझे जानती है, तो मैंने बोला- आपको मेरा नंबर कहाँ से मिला? उसने बताया- आप अपने दोस्त के साथ मेरे घर पर आए थे और आपने अपना नंबर मेरे पापा को दिया था, तभी मैंने आपका नंबर नोट कर लिया था। मैंने कहा- आपका नाम क्या है? तो उसने बताया- साक्षी..
मुझे उसका नाम बहुत अच्छा लगा लेकिन मुझे उसका चेहरा याद नहीं आ रहा था।
खैर.. इस तरह उससे बात हुई और फिर लगभग रोज ही मेरी उससे बात होने लगी। अब तो मुझे उससे बात करने से जिंदगी खास सी लगने लगी थी और अब मैं उससे बात किए बिना एक दिन भी नहीं गुजार पाता था।
ऐसे ही एक दिन उसने मुझसे मिलने को कहा.. मैंने भी तुरंत ‘हाँ’ बोल दी।
क्योंकि 6 महीने से हमारी सिर्फ़ बात हो रही थी, मैंने उसे देखा ही नहीं था.. तो मेरा मन भी उसे देखने का था।
उसने मुझे डेट पर अपने घर ही बुलाया और कहा- इस दिन मेरे मम्मी-पापा दो दिन के लिए बाहर जा रहे हैं और मैंने उनके साथ न जाने के लिए एग्जाम नजदीक होने का बहाना बना दिया है। इसलिए मैं उनके नहीं जा रही हूँ। मैंने कहा- ठीक है.. मैं आ जाऊँगा।
मैं उस तयशुदा दिन पर उसके घर चला गया। लगभग आधे घंटे का सफ़र करने के बाद जब मैं उसके घर पहुँचा.. तो वो मेरा इंतजार कर रही थी। उसे देखकर मैं दंग रह गया। मुझे अपने आप पर शर्म आ रही थी कि वो मेरे मुकाबले कहीं ज्यादा आकर्षक और सुंदर थी। मैं खुद भी थोड़ा हैरान था कि इसको मैं कैसे भा गया।
खैर.. कोई बात नहीं.. उसने मुझे अन्दर आने को कहा, मैं अन्दर आ गया।
उसने मुझे सोफे पर बैठने को कहा और खुद पानी लाने चली गई। मेरी हालत खराब हो रही थी कि फर्स्ट टाइम मैं किसी लड़की के साथ अकेले उसी के घर में बैठा था। मेरे हाथ कांप रहे थे.. इतने में वो पानी लेकर आ गई.. मैंने पानी पिया और हम दोनों इधर-उधर की बातें करने लगे। मैं अब भी बहुत डर रहा था और आधे घंटे बाद ही वहाँ से चल दिया।
मेरे उठने कर चल देने से वो कुछ उदास सी हो गई और वो मुझे कुछ देर और रुकने को कहने लगी। मैंने बोला- नहीं.. कोई आ गया तो क्या कहेगा!
मेरी इस बात पर उसको गुस्सा आ गया और वो मुझसे बोली- ठीक है, चले जाओ और आज से मुझसे बात मत करना। यह कहते हुए वो रोने लगी और कहने लगी- आई लव यू.. मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ, मुझे पता होता कि तुम इतने बड़े फट्टू हो.. तो मैं तुमसे कभी बात ही नहीं करती।
जब उसने मुझे फट्टू कहा तो मेरी बुद्धि भी खिसक गई। मैंने उसे वहीं अपनी तरफ खींचा और किस करते हुए सोफे पर गिरा दिया और उसके मम्मे दबाने लगा, वो भी मुझे सहयोग करने लगी।
अह.. मुझे इस वक्त कितना कितना अच्छा लग रहा था.. मैं बता नहीं सकता। इससे पहले मैंने कभी किसी लड़की को छुआ भी नहीं था।
अब वो भी मेरा साथ खुल कर दे रही थी।
मैंने उसके कपड़े उतार दिए और एकदम नंगी कर दिया। सच में वो बड़ी जबरदस्त माल लग रही थी..!
मैं भी अपने कपड़े उतार कर उसके ऊपर चढ़ गया तो उसने अपनी टांगें फैला दीं। इसके पहले मैंने कभी सेक्स तो किया नहीं था.. तो मैंने अपने लंड पर थूक लगाया और उसकी चुत में पेल दिया, वो दर्द से कराहने लगी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ और रोने लगी।
इससे मैं डर गया.. मैं बोला- क्या हुआ..? तो वो बोली- कुछ नहीं.. तुम करते रहो.. पहली बार तो सभी लड़कियों को दर्द होता है। मैंने कहा- तुम्हें परेशानी हो तो रहने देता हूँ! तो उसने मेरी पीठ पर मुक्का मारते हुए कहा- नहीं रे बुद्धू.. करते रहो!
मैं फिर चालू हो गया और एक सीधे से स्टूडेंट की तरह वो जैसा कहती रही, वैसा ही मैं करता रहा।
थोड़ी देर में उसका शरीर अकड़ने लगा और उसने मुझे कस कर पकड़ लिया। वो एकदम से झड़ गई और फिर थोड़ी देर बाद मैं भी उसकी चूत में ही झड़ गया।
कुछ पल बाद देखा तो कुछ खून सोफे पर लगा हुआ था, उसने मुस्कुराते हुए मुझे चूम लिया।
उस दिन हम दोनों ने कई बार सेक्स किया और फिर मैं वापस आ गया।
उसके बाद मैंने उसके साथ कई बार सेक्स किया और अब तो जब भी मुझे मौका मिलता है, मैं और दूसरी लड़कियों के साथ भी चुदाई कर लेता हूँ.. क्योंकि अब मैं चूत के बिना रह ही नहीं पाता हूँ। अब तो मैं चुदाई का एक बड़ा खिलाड़ी भी बन गया हूँ। लेकिन दुःख की बात यह है कि मैंने साक्षी को खो दिया है, मेरे मन में अब भी यही तमन्ना रहती है कि काश वो मुझे फिर से मिल जाए।
मेरी इस हिंदी सेक्स स्टोरी पर आपको क्या कहना है, प्लीज़ मुझे मेल करके जरूर बताएं। [email protected]
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