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मेरा नाम सूरज है, मैं एक सामान्य सा लड़का हूँ। बात एक साल पहले की है, जब मैं जोधपुर में रहने लगा था। मेरे घर के पास एक भाभी रहती है, उसका फिगर 36-24-36 का है, उसका पति फौजी है और वो महीनों बाहर रहता है।
एक दिन मेरी नजर उस भाभी पर पड़ी, वो उस वक्त कपड़े धो रही थी। कपड़े धोते हुए जब वो झुकती, तो उसके मम्मे बाहर को आने लगते। ये सीन देख कर मेरा लंड खड़ा हो जाता। मैं उसे रोज देखने लगा, उसे देख कर मेरा लंड खड़ा हो जाता तो मैं भाभी की चुदाई की सोच कर मुठ मार कर अपना पानी निकाल लेता था।
एक दिन उसने मुझे घूरते हुए देख लिया, मैं घबरा कर भाग गया और मैं दो दिन तक वापस उसके सामने नहीं गया।
फिर एक दिन मैं सुबह अपने घर के बाहर बैठा था.. तो अचानक वो बाहर आई और मुझसे बोली- सूरज मेरी कपड़े सुखाने की रस्सी टूट गई है, तू उसे बांध दे ना.. मेरा हाथ नहीं पहुँच रहा है। मैंने कहा- हाँ ठीक है।
मैं उसके पीछे-पीछे गया.. उसकी मटकती गांड देख कर मैं पागल हो गया। पर मुझे डर लग रहा था, तो मैं चुपचाप उसके साथ जाने लगा।
फिर मैंने कपड़े सुखाने की रस्सी बाँध दी और जाने लगा, तो उसने मुझसे कहा- थोड़ी देर बैठो ना.. मेरा मन नहीं लग रहा है.. मैं दिन भर अकेले ही रहती हूँ। ‘बैठ कर क्या करूँगा?’ मैंने रूखे स्वर में जबाव दिया। इस पर उसने कहा- आप थोड़ी देर बैठ कर मेरे से बात करते, तो मुझे अच्छा लगता। यदि आपको कोई काम है.. तो आप जा सकते हो। मैंने कहा- नहीं.. मुझे कोई काम नहीं है।
उसने मुझे बैठा लिया और कपड़े धोने बैठ गई। उसने इधर-उधर की बात करनी चालू की, मैं उसकी बातें सुनता रहा।
मैंने देखा कि वो बार-बार अपना पल्लू गिरा कर मुझे अपने मम्मे दिखा रही थी। उसके रसीले मम्मे देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया।
पहले तो मैंने काफी संयम किया.. लेकिन आखिर में जब मैं जाने लगा, तो वो बोली- कहाँ जा रहे हो? मैंने कहा- मैं बाथरूम होकर आता हूँ। उसने कहा- तो मेरे घर के बाथरूम में भी जा सकते हो!
मैं उसके बाथरूम में जाकर मुठ मारने लगा, पर मुझे लगा कि वो मुझे दरवाजे की झिरी में से देख रही है, तो मैं एकदम से बाहर आ गया।
मेरे एकदम से दरवाजा खोलने से वो घबरा गई, मैं यूं ही अनजान सा बन गया, जैसे मुझे कुछ पता ही नहीं हो। फिर मैं अपने घर चला गया।
अब वो रोज मुझे बुलाती और मुझसे बातें करती और बीच-बीच में मुझे कभी चुची दिखा देती तो मेरा मन भाभी की चुत चुदाई के लिए तड़पने लगता।
एक दिन मैं उसके घर गया, वो उस वक्त सो रही थी। मैंने आवाज देकर पूछा- भाभी आप अभी तक सो क्यों रही हो? तो उसने उठते हुए कहा- कल रात को मैं गिर गई थी.. तो मुझे चोट लग गई है और कोई दवा लगाने वाला भी नहीं है.. क्या तुम मेरी मदद करोगे? मैंने कहा- हाँ क्यों नहीं.. बताओ चोट किधर लगी है? तो उसने कहा- मेरी कमर में दवा लगा दो। वो उलटी हो गई.. मैं उसकी कमर में मूव लगा रहा था, तो उसने कहा- थोड़ा ऊपर लगाओ।
मैंने दवा लगाई तो उसके ब्लाउज में मेरा हाथ लगता। उसने कहा- ब्लाउज के हुक खोल कर पूरी पीठ में दवा मल दो। मैं सोच में पड़ गया.. तो वो बोली- सोच मत यार.. मैं तुझे नंगा करने को थोड़ी बोला है। आजकल जमाना अलग है.. ये सब तो चलता रहता है।
मैंने उसके हुक खोल दिए और उसकी कमर सहलाने लगा। पीठ पर हाथ फेरते हुए कभी-कभी मैं उसके चूचों के किनारों को छू लेता तो वो कुछ नहीं बोलती। इससे मेरी हिम्मत बढ़ गई.. अब मैं सीधे ही उसके चूचे दबाने लगा.. तो उसकी कामुक सिसकारियां चालू हो गईं।
‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
तभी वो सीधी होकर उठते हुए मेरे होंठों को चूमने लगी, मैंने भी उसका साथ दिया। दो मिनट बाद उसने अपने सारे कपड़े उतार दिए और मेरे भी कपड़े खींच दिया। अब वो मेरा लंड चूमने लगी।
वो बोली- 5 महीने से तेरी भाभी की चुदाई नहीं हुई है, तू आज अपनी भाभी की प्यास बुझा दे। मैंने कहा- आराम से.. जानू! वो बोली- क्या घंटा आराम से.. मैं तो कब से तुझसे चुदाना चाहती हूँ.. तू कुछ समझता ही नहीं.. उस दिन जब तू मुठ मार रहा था तब तेरा लम्बा लंड देख कर तो मैं पागल ही हो गई थी। आज तेरा लंड नापती हूँ।
वो स्केल वाली पट्टी से मेरा लंड नापने लगी। मेरा लंड खीरे जितना लम्बा है।
उसने अगले पल बिस्तर पर टांगें फैलाया कर लेटते हुए कहा- अब चोद भी दे। मैंने कहा- रुक ज़रा।
मैं उसकी गुलाबी चुत चाटने लगा.. वो मेरा सिर पकड़ कर चुत की तरफ खींचने लगी।
वो मजे से कामुक सीत्कार करती हुई मुझसे चूत चटवाती रही। फिर मैंने लंड उसकी चुत पर रखा और एक ही झटके में पूरा लंड उसकी चुत के अन्दर कर दिया। एकदम से लंड पेलने से उसकी आँख से आंसू आ गए।
मैं थोड़ी देर रुका फिर धीरे से पेलना चालू किया।
अब वो भी मेरा साथ देने लगी और बड़बड़ाने लगी- ओह्ह.. माँ.. मार डाला.. तेरे लौड़े ने.. चोद दे जानू.. चोद.. अब तू रोज मुझे चोदना.. फाड़ डाल मेरी चुत को.. इसको लंड खाने की आदत है उफ.. उफ..
मैं पड़ोसन भाभी की चुदाई जोरों से कर रहा था। वो झड़ गई, उसके कुछ मिनट बाद मेरा पानी भी निकल गया। उसने बताया कि उसका तो दो बार निकल चुका था।
चुत चुदाई के बाद हम दोनों थक चुके थे, वो मुझसे लिपट गई।
इसके बाद तो मैं रोज भाभी की चुदाई करने लगा था, पर अब वो गुजरात चली गई। मैं अब भी उसे चोदने कभी-कभी उसके शहर जाता हूँ।
मेरी इस सेक्स स्टोरी पर कमेन्ट जरूर कीजिएगा। [email protected]
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