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हैलो दोस्तो, मैं आरुष इलाहाबाद का रहने वाला हूँ। सबसे पहले मेरे चाहने वालों को मेरा नमस्कार और आपके ई-मेल्स के लिए ढेर सारा प्यार। कई सालों के बाद आज फिर मैं आप लोगों के लिए मेरी सेक्स स्टोरी लेकर आया हूँ, मैं उम्मीद करता हूँ कि यह भी आपको बहुत पसंद आएगी।
मेरी पहली कहानी थी- प्यार हो ही जाता है
बात करीब 3 साल पहले की है, मैं लगभग 23 साल का था, मैंने दिल्ली मैं नया-नया मकान लिया था।
स्टोरी आगे बढ़ने से पहले अपने बारे में बता दूँ कि मैं बहुत स्मार्ट या बहुत आकर्षक नहीं हूँ, बस एक नॉर्मल सा लड़का हूँ।
खैर.. जब मैंने मकान शिफ्ट किया तो देखा कि जिस गली में मेरा मकान था, उस गली में काफ़ी सुकून और शांति है, साथ ही में इधर के लोग बहुत व्यवहारिक हैं।
चूंकि मेरी छुट्टी शनिवार और रविवार दोनों दिन हुआ करती थी, तो मैं अक्सर अपने मकान के आस-पास के लोगों से काफ़ी बातचीत करता रहता था ताकि माहौल बना सकूँ।
मैं स्वाभाव से बहुत हंसमुख हूँ.. लोगों से जल्दी घुलमिल भी जाता हूँ।
मेरे घर के बगल वाली आंटी के यहाँ 5-6 किरायेदार रहा करते थे। उन किराएदारों में एक आंटी थीं, जिनकी एक बेटी थी, उसका नाम था मुस्कान (बदला हुआ नाम) था, वो बहुत चंचल थी। जब मैं उससे किसी बात पर मजाक करता, तो वो बहुत खुश होती और मुझसे खूब बातें करने की कोशिश करती। वो किशोरावस्था में रही होगी, लेकिन उसका शारीरिक और मानसिक विकास भरपूर हो चुका था।
वो मेरे बारे में क्या सोचती थी.. इसका अहसास मुझे उसकी बातों से होने लगा था। हालांकि मैं उसके बारे में इतना नहीं सोचता था, क्योंकि वो मुझसे बहुत छोटी थी।
दोस्तो, वो कहते हैं ना कि मर्द चाहे कितनी भी कोशिश कर ले, लेकिन लड़की को वो उसकी मर्ज़ी के बिना अपनी तरफ खींच नहीं सकता, जबकि लड़की जब चाहे तब एक लड़के को अपनी ओर खींच सकती है।
हुआ यूं कि मैं बगल वाली आंटी से बहुत घुलमिल गया था.. इसलिए मैं कभी भी उनके घर या वो मेरे घर आ जाती थीं। जब मैं घर पर होता तो मुस्कान भी आंटी के साथ-साथ मेरे कमरे में आ जाती। हम लोग इतने अधिक घुलेमिले हुए थे कि कभी कभी तो मुस्कान तब भी आ जाती, जब आंटी नहीं आती थीं।
वो मुझसे अलग अलग चीजों के बारे में बात करती रहती थी। कभी टीवी, कभी बुक्स, कभी स्कूल.. तो कभी कुछ और के बारे में मुझसे लगातार बात करने की कोशिश करती रहती थी।
मैं उसे घर जाने को कहता, तो वो उदास सा मन लिए चली जाती। मुझे बहुत हद तक मालूम हो चुका था कि उसके मन में मेरे लिए कुछ है, साथ ही वो भी इस बात को समझती थी कि वो अभी छोटी है।
एक बात और थी कि वो मुझे भैया भी बोलती थी, शायद इसी लिए वो मुझसे अपनी फीलिंग्स के बारे में कुछ कह नहीं पाती थी।
एक रविवार मैं सोया हुआ था, दस्तक हुई, मैंने दरवाजा खोला तो देखा वो हल्के पीले रंग की ड्रेस में आई हुई थी। मैंने उसे अन्दर बुलाया और बैठने को कहा।
उसने सबसे पहले यही पूछा- मैं कैसी लग रही हूँ? मैं बहुत मजाकिया हूँ, इसलिए मैंने मजाक में कहा- एकदम जोकर लग रही हो! सीधी सी बात है लड़कियों को ऐसा मजाक कभी पसंद नहीं आएगा, इसलिए उसने भी मुझे घूर कर देखा और कहा- सच बताओ? मैंने उसकी फीलिंग्स को समझते हुए कहा- एकदम माल लग रही हो।
उसके गाल शर्म से लाल हो गए, वो बोली- मजाक कर रहे हो आप? मैं- तुम्हारी कसम सच कह रहा हूँ! मुस्कान- मेरी कसम ख़ाकर मुझे मारना चाहते हो क्या? मैं- नहीं यार अपनी कसम, तुम आज बहुत खूबसूरत लग रही हो.. एकदम कटरीना कैफ़ की तरह! मुस्कान- अच्छा तो आज आपको मैं ही मिली हूँ उल्लू बनाने के लिए?
मैंने हँसते हुए कहा- अभी तुम मिली कहाँ हो, मिलोगी तो उल्लू नहीं कुछ और बनाऊँगा। मुस्कान- ये सब अपनी वाइफ के साथ करना.. मैं वैसी लड़की नहीं हूँ। मैं- तो मैं भी उन जैसी लड़कियों से इतनी बात नहीं करता। मुस्कान- बड़े गंदे हो आप! यह कहकर और मुस्कुरा कर वो चली गई।
मैं अब पूरी तरह समझ चुका था कि वो मुझे मन ही मन चाहने लगी है। अब मेरा दिमाग़ भी पता नहीं कैसे, उसकी तरफ जाने लगा था। वो जब भी घर आती मुझे अच्छा लगता.. और नहीं आती तो हर पल निगाहें दरवाजे पर होतीं कि शायद वो अब आ जाए।
ऐसे ही करीब दो महीने निकल गए और हम आपस में हर तरह की बात करने लगे.. चाहे वो फ्रेंडशिप की हो, या सेक्स की।
लेकिन हमने एक-दूसरे को अभी तक छुआ नहीं था.. क्योंकि शायद हम दोनों ही डर रहे थे। पर अब मन में सुगबुगाहट होने लगी थी कि कब मैं उसे अपने गले से लगा लूँ और कब उसके यौवन का रस पी लूँ।
एक दिन ये घड़ी भी आ गई। वो शनिवार का दिन था, मेरी छुट्टी थी और बारिश भी हो रही थी। मैं अपने कमरे में टीवी पर न्यूज़ देख रहा था, तभी वो आई।
उसने पूछा- आप क्या कर रहे हो? ‘बस न्यूज़ देख रहा हूँ।’ ‘क्यों कुछ और नहीं आ रहा टीवी पर?’ उसकी इस बात पर मैंने मजाक किया- अब इस बरसात में जो चीज़ देखनी है.. वो तो टीवी पर मिलेगी नहीं! मेरी इस बात पर उसने भी अलग अंदाज में जवाब दिया- अरे तो शादी कर लो और फिर लो बरसात के पूरे मज़े..!
मैंने कहा- मजा लेने के लिए तुम जैसी कोई मिलती नहीं.. वरना कब की शादी कर लेते। ‘हम जैसे तो बहुत हैं.. बस आपके पास अपना बनाने की हिम्मत होना चाहिए।’
मैंने मजाक में ही उसका गला पकड़ लिया और कहा- हिम्मत तो बहुत है.. तुम्हारा गला भी दबा दूँगा मुस्कान। उसने भी बड़े प्यार से कहा- है हिम्मत तो दबा कर दिखाओ।
बस उसके इतना कहते ही मैंने उसे अपने सीने से लगाने के लिए अपनी तरफ खींच लिया और बांहों में भर लिया।
लेकिन उसने मुझे पीछे धकेल दिया और दौड़ कर बाहर चली गई।
अब मेरे मन में भय उत्पन्न हुआ कि कहीं ये जाकर किसी से बता ना दे, इसलिए मैं तुरंत उसके पीछे उसके रूम में गया। अपने कमरे में वो अकेली थी.. क्योंकि उसकी माँ जॉब पर गई थीं।
मैंने पूछा- क्या हुआ.. भाग क्यों आई? उसने कहा- बस ऐसे ही.. क्यों आप क्यों चले आए अपनी न्यूज़ छोड़कर? मैंने कहा- बस तुम्हारे लिए! उसने पूछा- मुझमें ऐसा क्या है? मैंने कहा- अपने आपको मेरी आँखों से देखोगी.. तो सब पता चल जाएगा कि तुम में ऐसा क्या नहीं है, जो हर लड़के को तुम्हारा दीवाना ना कर दे।
यह कहते हुए मैं उसकी पीठ सहलाने लगा.. और वो मुझे बस सुन रही थी।
शायद वो मना करना चाहती थी.. बस लफ़्ज उसका साथ नहीं दे पा रहे थे। बस वो मेरी बात के बाद अपना एक सवाल रख देती कि मैं उसे इस हालत में छोड़कर ना चला जाऊँ और वो इस मौके का पूरी तरह से मज़ा ले सके।
लेकिन मुझे डर इस बात का था कि मैं उसके घर में हूँ तो कोई भी आ सकता है। इसलिए मैंने उसकी एक किताब जो पलंग पर रखी थी, वहाँ से उठाई और अपने घर लेकर आ गया।
मुझे पता था कि वो किताब लेने के बहाने घर ज़रूर आएगी, हुआ भी वही।
सिर्फ 5 मिनट के बाद वो किताब लेने के बहाने मेरे रूम पर आ गई। मैं उसकी किताब लेकर अपने पलंग पर लेट कर पढ़ने लगा था। वो आई और कहने लगी- मेरी किताब मुझे लौटा दो। मैंने कहा- हिम्मत है तो ले लो!
बस वो किताब लेने के लिए मेरे ऊपर चढ़ गई। मैंने अपने हाथ ऊपर कर लिए ताकि उसका हाथ ना पहुँचे।
वो मुझ पर चढ़ कर बिना उठे ही किताब लेने की नाकाम कोशिश किए जा रही थी। इस बीच उसकी चूचियां मेरे सीने से लग रही थीं और उसकी सांस भी तेज चलने लगी थी।
मैं जानबूझ कर उसके गालों के आस-पास अपने चेहरे को किए हुए था ताकि उसका मन भांप सकूँ कि वो कितनी तैयार है।
जब वो किताब नहीं ले पाई तो खुद ही बोली- किताब वापस करने का क्या लोगे? मैंने कहा- इस किताब के लिए तुम क्या दे सकती हो? उसने कहा- कुछ भी.. मैंने तुरंत पूछा- सोच लो.. कुछ भी का मतलब क्या होता है? वो बोली- ज़्यादा से ज़्यादा ये लोगे.. और क्या?
ये कह कर उसने अपनी चूचियों से दुपट्टा हटा दिया।
मेरे लिए वो एक सुनहरा अवसर हो सकता था, लेकिन मेरी आत्मा ने गवाही नहीं दी और मैंने तुरंत उसकी बुक लौटा दी और उसकी चुन्नी से उसके वक्ष को ढक दिया।
वो किताब लेकर वहाँ से चली गई, मैं बस उसी के बारे में सोचे जा रहा था। लेकिन ये हाल सिर्फ़ मेरा नहीं था, वो भी अपने घर जाकर शायद यही सोच रही होगी, क्योंकि शाम होते ही करीब 8 बजे वो मेरे घर आई और बोली- आप ऊपर छत पर क्यों नहीं सोते? मैंने कहा- अकेले आदमी ऊपर जाकर क्या करेगा.. यहीं रूम में कूलर चला कर सो जाता हूँ।
फिर मैंने भी पूछा- कोई वजह.. ये बात पूछने की? उसने कहा- नहीं.. बस यूं ही, वैसे हम लोग भी ऊपर ही सोते हैं।
दोस्तो, यहाँ मैं एक बात बता दूँ कि उसकी छत और मेरी छत के बीच सिर्फ़ एक ढाई फुट ऊँची दीवार थी.. तो कभी-कभी हम छत पर भी बात कर लिया करते थे।
मैं समझ गया कि कहीं ना कहीं वो चाहती है कि मैं भी ऊपर सोऊँ ताकि कुछ और भी हो सके। मैंने उसे बोल दिया- आज मैं ऊपर ही सोऊँगा। वो चली गई।
शाम को मैंने जल्दी से खाना खाया और बिस्तर लेकर ऊपर चला गया। दीवार से झाँक कर देखा तो वो पहले से ही नाइटी पहन कर ऊपर लेटी हुई थी।
मैंने अपने मोबाइल की स्क्रीन ऑन कर दी, जिससे उसने मुझे देखा और दीवार के पास आकर खड़ी हो गई।
मैंने पूछा- आज अकेली.. मम्मी कहाँ हैं? वो बोली- आज मम्मी की नाइट शिफ्ट लग गई है.. तो अब कल सुबह आएँगी। मैंने कहा- तो आज फिर अकेले सोना पड़ेगा? वो इतराते हुए बोली- अकेले क्यों.. आप हो ना! मैंने कहा- मेरे साथ सोओगी और किसी ने देख लिया तो? वो बोली- कोई बात नहीं मैं किसी से नहीं डरती।
मैंने कहा- अच्छा.. इतनी हिम्मत है तो आज देख ही लेते हैं। चलो मेरी छत पर आकर दिखाओ। वो बोली- दिखा दूँगी.. लेकिन अभी नहीं, हो सकता है कोई किराएदार ऊपर सोने के लिए आ जाए।
आमतौर पर ऐसा होता नहीं था क्योंकि सबको पता था कि ऊपर लड़की सोती है तो कोई भी ऊपर नहीं आता था। लेकिन फिर भी रिस्क लेना ठीक नहीं था।
उसने कहा- आप सो जाओ.. वक्त आने पर मैं अपनी हिम्मत दिखा दूंगी।
हालांकि मुझे नींद तो नहीं आ रही थी, फिर भी मैं सोने का नाटक करने लगा और बस प्रार्थना करने लगा कि आज बात बन जाए। रात को करीब एक बजे कुछ आहट हुई तो मैंने देखा कि वो दीवार पार करके मेरी छत पर आ गई थी।
मैंने पूछा- कोई ऊपर आ गया तो? उसने कहा- मैंने ऊपर आने का दरवाजा लॉक कर दिया है.. अब कोई ऊपर नहीं आ सकता। वो आकर मेरे बगल में लेट कर बोली- देख ली मेरी हिम्मत? मैंने कहा- इतना तो कोई भी कर सकता है, असली हिम्मत तो तब होगी.. जब मेरे साथ मेरे कमरे में सो जाओ।
पहले तो वो कुछ सोचने लगी, फिर बोली- अगर सो गई तो? मैंने कहा- जो तुम चाहो। वो बोली- मुझे अपनी बाईक पर घुमाओगे? मैंने हँस कर कहा- बिल्कुल घुमाऊँगा।
वो तुरंत उठी और मेरे साथ नीचे आ कर रूम में आ गई। वो बोली- तुम कहाँ सोओगे और मैं कहाँ? मैंने कहा- मेरे पास तो एक ही पलंग है और तो कुछ है नहीं.. तो तुम ऊपर सो जाओ, मैं नीचे सो जाऊँगा।
वो पलंग पर सो गई और मैं कुर्सी पर बैठ कर उसे देखने लगा। उसने पूछा- क्या देख रहे हो? मैंने भी एक सवाल पूछ डाला- तुम्हें डर नहीं लग रहा कि मेरे साथ एक ही रूम में रात को हो और मैंने कुछ कर दिया तो क्या करोगी! वो उठी और मेरे एकदम करीब आकर बोली- अगर मैं इतना सोचूँगी तो अपनी लाइफ का मजा कभी भी नहीं ले पाऊँगी।
उसने यह कहते हुए मुझे किस कर दिया और पलंग पर कूद कर सोने लगी।
अब मेरा दिल भी कहाँ मानने वाला था, मैंने भी पलंग पर जाकर उसे अपनी बांहों में भर लिया और कहा- ये तो नाइंसाफी है.. सिर्फ़ तुमने किस किया, मैंने तो किया ही नहीं! वो बोली- रोका किसने है?
अब मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसकी आँखों से किस करना शुरू किया, दोनों आँखों से होता हुआ गालों पर, गालों से होंठ पर फ्रेंच किस किया। फिर उसके गले पर किस करता हुआ मैं उसकी चूचियों तक पहुँचा।
उसके मुँह से कामुक आवाज़ सी तो आ रही थी.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… मगर बस इतनी थी कि वो और मैं ही सुन सकें।
जब मैंने उसकी चूचियों पर किस किया.. तो उसने मेरे सर पर अपने हाथों से मालिश शुरू कर दी, जैसे वो कह रही हो कि हाँ यही वो जगह है.. जहाँ और चूमो।
मैंने उसकी चूचियों पर खूब किस किए.. लेकिन वो शायद कुछ और कहना चाहती थी।
हर लड़की को उसकी चूचियां चुसवाने में बहुत मज़ा आता है और वो बार-बार यही इशारे कर रही थी। मैं समझ तो सब रहा था लेकिन सताने में भी बहुत प्यार आता है दोस्तो!
वो अपने शरीर को ऊपर धकेलती ताकि उसकी चूचियां मेरे मुँह में घुस जाएं, वो बोलने में शर्मा रही थी। यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
जब उससे बर्दाश्त नहीं हुआ तो बोली- प्लीज़ मुँह में ले लो एक बार इनको..!
ये कहते हुए उसने अपनी चुची पकड़ कर मेरे मुँह में डाल दी। मैंने उसकी चूचियों को फिर चूसना शुरू किया, उसके तो मानो तन-बदन में आग सी लग गई। वो मेरे सर को बहुत ज़ोर से दबाने लगी और ‘उह आह..’ की आवाजें करने लगी.. लेकिन बहुत धीरे से ताकि कोई सुन ना सके।
मैं उसकी चूचियों को बेइंतहा चूसे जा रहा था और वो पूरे ज़ोर से चुसवा रही थी। करीब दस मिनट के बाद उसने अपने कपड़े उतारने का इशारा किया और मैंने उसकी नाइटी उतारी और उसने अपनी चूचियों को हाथों से ढक लिया। इसके बाद जब मैंने उसकी पेंटी उतारी तो उसने दोनों पाँव एक-दूसरे पर कर लिए।
मैंने अपने कपड़े भी उतारे और फिर से उसके ऊपर आ गया।
इससे पहले कि मैं कुछ करता.. उसने पूछा- ऐसा कितनी लड़कियों के साथ कर चुके हो? मैंने कहा- सच बता दूँगा तो शायद बुरा मान जाओगी। वो बोली- फिर भी बताओ तो! मैंने कहा- तुमसे पहले दो लड़कियों के साथ सो चुका हूँ। वो बोली- वो मुझसे भी सुन्दर थीं? मैंने कहा- इस दुनिया में हर औरत खूबसूरत है.. कोई दिल से, कोई बात से, कोई चेहरे से.. तो कोई गुण से।
वो बोली- बस आपकी यही अदा तो मुझे यहा तक खींच लाई.. मैंने आपको आज तक किसी की बुराई करते नहीं सुना। यह कहकर वो मुझे किस करने लगी। इतनी बात करने से हम दोनों की आग ठंडी हो गई थी, लेकिन मुझे पता था कि आग लगाई कैसे जाती है।
मैंने उसे उल्टा लेटने को कहा और फिर उसकी पीठ पर अपनी उंगलियों से हल्के हल्के से अपने हाथों को चलाने लगा।
जैसे ही मेरी उंगलियां इधर से उधर जातीं वो सिसक जाती, मैं उसके गालो से लेकर गर्दन से होता हुआ, उसकी पीठ के दोनों तरफ से चूचियों को छूता हुआ और नीचे को आया। फिर उसकी गांड से होता हुआ उसके पैरों की उंगलियों तक गया और फिर वापस अपनी उंगलियों को ऊपर तक ले आया।
वो फिर से पूरी मस्ती में आती दिखने लगी। अब मैंने अपनी उंगलियां हटा कर उन जगहों पर होंठों से किस करते हुए उसे गर्म करना शुरू किया। मेरे होंठों की कोमल छुअन उसको ऐसी लगी मानो उसे बर्फ के टुकड़े ने छू लिया हो।
वो कांप उठी और उसके कंठ से ‘उफ़ आहह.. उम्म..’ की कामुक आवाजें आने लगीं। उसकी आवाजें बहुत धीमे-धीमे कमरे में फ़ैल रही थीं।
अब उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था तो वो पलट कर सीधी हुई और मुझे बेतहाशा किस करने लगी।
उसने मुझे पलंग पर अपने नीचे लिटा दिया और खुद ऊपर चढ़ कर मुझे ऊपर से नीचे तक चुम्बन करने लगी।
उसकी चूमने की अदा से तो मुझसे भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था.. लेकिन मैं उसका इंतज़ार कर रहा था।
तभी वो तड़फ कर बोली- कुछ और करो ना प्लीज़.. अब नशा सा हो रहा है.. बस दिल कर रहा है कुछ कर डालूँ!
मैंने तुरंत उसे सीधा लिटाया और उसकी बुर पर हाथ लगा कर देखा.. बुर पूरी तरह गीली होकर फूल गई थी। मैंने अपना लंड हाथ में लेकर उसके छेद पर लगाया और धीरे से अन्दर करने का प्रयास किया। लेकिन लंड इतनी जल्दी अन्दर जाने वाला नहीं था..
वो पहली बार चुद रही थी।
मैंने उसे फ्रेंच किस करना शुरू किया और अपने लंड को प्रेशर के साथ अन्दर डालने लगा। सुपारा बुर की फांकों में फंसा तो वो दर्द से तड़फ कर बोली- ओफ दर्द हो रहा है.. मैं रुक गया.. वो बोली- धीरे-धीरे करो प्लीज़.. मैंने कहा- ओके..
फिर मैं बहुत प्यार से अपने लंड को अन्दर करता रहा ताकि उसे दर्द का थोड़ा भी अहसास ना हो, लेकिन वो दांतों को भींचे हुए भी हर दर्द बर्दाश्त करने के लिए तैयार थी।
जब मेरा लंड आधे से थोड़ा ज़्यादा अन्दर हो गया था.. तो उसने खुद अपनी बुर को ऊपर धकेला और मेरा लंड अन्दर ले लिया।
उसके बाद तो मानो वो राजधानी एक्सप्रेस हो गई, मुझे अँधाधुन्ध किस करने लगी और बुर को ऊपर उठाते हुए चुदाई में मेरा साथ देने लगी। इस दौरान वो बस एक ही शब्द मेरे कानों में बोलती ‘आई लव यू..’
मैं भी पूरे ज़ोर के साथ उसे चोद रहा था, मैं जब भी ज़ोर लगाता और लंड अन्दर करता, तो वो अपनी पूरी ताक़त से अपनी बुर ऊपर उठा देती और मेरे लंड को पूरी तरह से अपनी बुर में समा लेना चाहती।
करीब 5 मिनट की चुदाई के बाद वो बहुत तेज़ी से मुझे पकड़ कर बोली- प्लीज़ ज़ोर से चोदो.. उसने मेरी पीठ पर अपने पूरे नाख़ून गड़ा दिए और अपना पानी छोड़ने लगी।
मै अभी शांत नहीं हुआ था। मैंने उसके दोनों पाँव हवा में ऊपर किए और उसकी बुर पर पूरा बल देकर हल्के-हल्के से चोदने लगा, बुर का रस मुझे बड़ा मजा दे रहा था। मैं धीरे से लंड अन्दर डालता और निकालता.. इससे ये हुआ कि वो फिर से तैयार होने लगी।
एक बार फिर हम दोनों चुदाई के समंदर में गोते खाने लगे। वो इस बार और ज़्यादा मस्ती तरह से चुद रही थी। उसने अब अपने दोनों पैर फैला कर और ऊपर की तरफ उठा लिए थे और मेरे लंड का भरपूर स्वागत कर रही थी।
इस बार मैं भी गिरने वाला था.. तो मैंने उसे बताया- मैं अब गिरूँगा! वो बोली- बस एक मिनट और.. मैं भी आ रही हूँ।
हम दोनों ने और ज़ोर से धक्के पर धक्के मारने स्टार्ट कर दिए। उसके मुँह से इस बार कुछ तेज़ आवाजें आने लगी थीं।
फिर आचनक मैं गिरने लगा और वो भी मुझसे चिपक कर झड़ने लगी। हम दोनों ने एक-दूसरे को कसके पकड़ लिया और एक-दूसरे को अपने-अपने पानी से नहला दिया।
इसके बाद मैंने उठ कर ज़्यादा रोशनी वाली लाइट जलाई.. वो अभी भी शर्मा रही थी और उसने अपने आप को समेट लिया था। मैंने उसके कपड़े दिए और बोला- आराम से पहन लो।
दोस्तो, उस रात हमने दो बार और चुदाई की। फिर हमें जब भी इस तरह का वक्त मिलता.. हम दोनों साथ सोते, कभी सेक्स करते, कभी सिर्फ़ चूचियों को चूसने का ही मौका मिल पाता।
उसके बाद मुझे उसने अपने घर में बुलाकर सेक्स करवाया। वो बात कैसे बनी और किस तरह कटी वो रात.. ये सारी कहानी मैं आपको अपनी अगली सेक्स स्टोरी में सुनाउँगा।
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