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तो मित्रो, आपको इस सेक्स स्टोरी के पहले भाग से मालूम हुआ था कि कैसे मैं अपनी प्यारी मामीजान की मालिश करके आया था। अब आगे..
मैं रात को करीब 11 बजे पार्टी से हॉस्टल आया और सोने के लिए लेट गया। मैं आप लोगों को बताना चाहूँगा कि मैं अपने रूम में हमेशा नंगा ही सोता हूँ, कुछ भी नहीं पहनता।
तो मैं अपने सारे कपड़े कच्छा वगैरह सब उतार कर सोने लगा, पर नींद नहीं आ रही थी.. तो मैंने अपनी स्कूल टाईम की अपनी एक गर्लफ्रेंड को फोन किया.. वो अब हैदराबाद रहती है। उसके साथ फोन सेक्स कर मुठ मारी और सोने की कोशिश करने लगा, पर नींद अब भी नहीं आ रही थी।
मेरे सामने मामी का चेहरा घूम रहा था, मैं दिन की घटनाओं को याद करने लगा, आज पहली बार उनके बारे में सोचना मुझे उत्तेजित कर रहा था और मैं उत्तेजना से लबरेज उनके चेहरे को अपनी कल्पनाओं में महसूस करने लगा था। वाकयी में मेरी मामी जान किसी हूर की परी से कम नहीं हैं, ये मुझे उस रात महसूस हुआ।
मैं पूरी रात उनके बारे में ही सोचता रहा। अगली रात भी मेरा यही हाल था.. मैं उनकी चुची कैसी होंगी और चुत कैसी होगी, इसी सबके बारे में सोचता रहा। जब मैंने उनकी उभरी हुई गांड के बारे में सोचा तो मैं तो बस पागल सा हो गया।
अह्ह.. हय.. क्या गांड है उनकी.. मैंने दस में से दस नम्बर दे दिए और उस मखमली, गोल, गठीली, गदराई गांड को सोच-सोच मुठ मार ली, पर मेरे लौड़े का अब भी वही हाल था।
मैंने एक दिन में कभी इतनी बार मुठ नहीं मारी थी.. हाय रे मामी जान.. आप की मस्त गांड ने मेरे लंड का क्या हाल कर दिया।
अगली सुबह मैंने मन बनाया कि मैं उन्हें चोदकर रहूँगा। मैंने मन ही मन में बड़बड़ाने लगा- मेरी जान मैं तैयार हूँ तुम्हें पेलने के लिए.. क्या आप तैयार हो मेरा ये लम्बा और मोटा लंड लेने के लिए.. मेरी जान ये आपको भरपूर मजे देगा।
दिन में मैंने उनसे बात की, मुझे उनसे बात करने में भी उत्तेजना बढ़ रही थी और मैं साथ ही साथ बिल्कुल नंगा हो कर मुठ मार रहा था। हय.. क्या आनन्द आ रहा था..!
ऐसा ही सप्ताह भर मैं उनसे किसी ना किसी बहाने नंगा होकर बात करता और मुठ मारता रहता। अब वो भी मेरी बातों में ज्यादा दिलचस्पी लेने लगी थीं, जिससे मेरी मामी को चोदने की इच्छा बलवती होती गई।
और हो भी क्यों ना.. मामी माल ही ऐसा हैं, जो देखे.. बस उन्हें चोदने की ही सोचे।
फिर एक दिन मैं मामा के घर गया। इस बार मैं सिर्फ अपनी मामी से मिलने गया था और सौभाग्य से दरवाजा भी उन्होंने खोला।
गुलाबी सूट में क्या मस्ती लग रही थीं वे.. मन हुआ कि अभी ही पकड़ लूँ, पर मैंने संयम रखा और अन्दर आ गया।
अब मैं मामी की आँखों में आँख डाल बात कर रहा था.. कुछ देर तो वो नजरें चुरा रही थीं, पर मैं कहाँ मानने वाला था। मैं तो उन्हें चोदना चाहता था, फिर वो भी नजरें मिलाने लगीं। शायद वो भी वही सोच रही थीं, जो मैं सोच रहा था। मुझे बहुत मजा आ रहा था।
इतने में भाई आ गया और मुझसे बोला- आ गया, चल घूम कर आते हैं।
जब भी मैं वहाँ जाता था तो हम दोनों हमेशा बाहर चले जाते थे, पर इस बार मैं उससे नहीं बल्कि उसकी मम्मी को निहारने आया था तो मैंने उसे मना कर दिया, अब मैं ज्यादा से ज्यादा वक्त मामी के साथ रहना चाहता था ताकि मैं उनके चूचे, चूतड़ों को मजे से निहार सकूँ।
मैंने खाना भी रसोईघर में खाया ताकि उनकी गांड देख सकूँ। कसम से क्या माल है मेरी जान.. मेरा मन कर रहा था कि यहीं पूरी नंगी करके चोद दूँ।
एक बात बता दूँ कि मेरी मामी का अभी तक एक भी सफेद बाल नहीं हुआ है, वो डाई भी नहीं करतीं, ये मुझे भी उसी दिन ही पता चला। मैं उनकी तारिफ कर रहा था- मामी आप तो अभी 20 की लगती हो! वो बोलीं- अच्छा जी.. तो ये तू मुझे लाईन मार रहा है! मैं बोला- नहीं मामी सच में..
और यूं ही बातचीत होती रही, तभी मामा के आने का समय हो गया और कुछ ही देर में वो भी आ गए।
फिर सब सोने की तैयारी करने लगे। मैं मामी के साथ सोना चाहता था.. पर सोया भाई के साथ।
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं अब कैसे मामी को चोदूं और मैं उनके नाम की मुठ मार कर सोने की कोशिश करने लगा, पर नींद कहाँ आने वाली थी.. वो तो उनकी गांड में घुसी थी।
यही सोच दिमाग में चल रही थी कि मैं कब उनको नंगी करूँगा, कब उनके गोल नंगे चूतड़ों को अपने हाथों में लूँगा।
इस बीच मैं बार-बार बाथरूम जाता रहा कि रात को मामी जान के दर्शन हो जाएं, पर नहीं हुए।
सुबह मैं देर से उठा, फिर मामी-मामा को प्रणाम किया.. मामी नहा कर आई थीं। मैंने उनसे नजरें मिला कर प्रणाम किया तो वो हंस दीं और बाल संवारने लगीं। आज मामा-मामी की छुट्टी थी, तो मैंने सोचा कि आज बात नहीं बनेगी।
अब मैंने मामी से बोला- खाना बना दो, मैं खाना खाकर निकलूंगा।
कुछ देर बाद मैं खाना खाकर चलने लगा तो मैंने देखा कि मामी थोड़ा झुकी हुई थीं। वो रसोई की दीवार साफ कर रही थीं, जिससे उनकी गांड और उभर रही थी। ये देखते ही मेरा मन मचल गया.. मेरे मन में पता नहीं क्या आया कि मैं उनकी तरफ बढ़ा और गिलास लेने के बहाने उनकी गांड पर हाथ फेरते हुए आगे को गया।
ओहो.. जबरदस्त.. इतनी मस्त गांड..! उम्म्ह… अहह… हय… याह…!
इतने में मामी बोलीं- आज यहीं रुक जा! मामा भी बोले.. तो मैं फिर कहाँ जाने वाला था, मुझे तो मामी का चस्का लग गया था।
फिर रात को मैं, मामी का परिवार और बीच वाले मामा, सब लोग आंगन में बैठ कर बकचोदी भरी बातें कर रहे थे। मैं फोल्डिंग पलंग पर आधा लेटा, आधा बैठा सा था और मधु मामी मेरे बाईं ओर अपनी टांग लटका कर बैठी थीं। वे कुछ इस तरह से बैठी थीं कि अचानक मैंने अपनी टांग सीधी की तो वो सीधी मामी की एक जांघ के नीचे से दूसरी जांघ पर लगी, मतलब उनकी चुत से तकरीबन 3 इंच नीचे लगी।
इस पर मामी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और मैं धीरे-धीरे उनकी जाँघों पर अपना पैर लगाता रहा। शायद वो भी उसका आनन्द ले रही थीं। मैं इस हरकत को करते हुए बीच में थोड़ा रूकता और मामा से बात करता, लेकिन मैंने महसूस किया कि अब बीच-बीच में मामी भी अपनी टांगें उत्तेजनावश हिलाते हुए एक-दूसरे से रगड़ रहीं थीं। मैं मन ही मन मुस्कुरा रहा था।
इतने में भाई बोला- मम्मी, दूध दे दो। मम्मी बोलीं- तू ही ले ले ना बेटा! शायद मामी को मजा आ रहा था इसलिए और वो उसे खोना नहीं चाहती थीं।
ये सब हमारे बीच 5 मिनट और चला, फिर मामी बोलीं- चल सो जा! मैं भाई के साथ ऊपर सोने चला गया। पर पूरी रात उनकी हरकत को याद कर-कर के मैं उत्तेजित होता रहा कि क्या नरम जांघें हैं इतनी नर्म कि बस चाटता रहूँ।
अगली सुबह वापिस आ गया। पर मुझे अब समझ नहीं आ रहा था कि मामी को चोदूं कैसे.. सीधा तो उनसे बोल नहीं सकता था, क्योंकि घर का मामला था।
मैं पक्का भी नहीं था कि वो मुझसे चुदने को राजी हो सकती हैं, पर मुझे मामी की चुत चोदनी जरूर थी। अब मैं उनसे हर रोज नंगा होकर फ़ोन पर बात करता और मुठ मार लेता।
एक दिन बारिश का मौसम था.. मैंने नंगा होकर मामी को फोन लगाया। उनसे बातों के दौरान मैंने कहा- आज मौसम मस्त है.. इसका मजा लो मामी!
तो वो बोलीं- हां मौसम के भी लो और उसके भी.. मैं बोला- किस के? वो बोलीं- उसी के.. मैं बोला- मतलब? उन्होंने कहा- उसके मतलब जिसके ले सको।
पर मैं उन्हें कैसे बतलाता कि मैं तो आपकी मस्त गांड के मजे लेना चाहता हूँ। अब मैं रोज बार-बार ये बात सोच कर कि मामी मुझमें इंटरस्टेड हैं या नहीं, मुठ मारने लगा था।
फिर एक दिन मुझे पता लगा कि मेरे मामा अपने दोस्तों के साथ दो दिनों के लिए घूमने जा रहे हैं। यह जानते ही मैं मामी के घर जाने की तैयारी करने लगा।
तभी भाई का फोन आया- तू आ जा, मैं बोर हो रहा हूँ.. नहीं तो मैं अपने मामा के घर घूम आता हूँ। मैं ये मौका कहाँ छोड़ने वाला था.. मैंने कहा- यार मेरा आना जरा मुश्किल है.. फिर भी कोशिश करूँगा। वो बोला- तो ठीक है, मैं जा रहा हूँ। मैंने भी कह दिया- हाँ ठीक है.. तू अपना प्लान बना ले।
इसके बाद मुझे किसी तरह जानकारी हुई कि भाई चला गया है, तो मैं मामा के घर यह सोच कर चल दिया कि आज ना मामा हैं, ना मामा का लड़का है, आज मसलूँगा मामी की मस्त गांड को। पर हाय रे मेरी फूटी किस्मत.. मामा का लड़का रास्ते में मिल गया और उसने जाना कैन्सल कर दिया।
हम दोनों घर पहुँचे.. तो मामी क्या माल लग रही थीं. एकदम मस्त।
वो मुस्कुराते हुए बोलीं- अरे तू आ गया.. सचिन तो अपने मामा पास जा रहा था। मुझे उनके बोलने के तरीके से लग रहा था कि वो भी यही चाहती थीं। मानो मुझे आज अपनी रसीली चुत देना चाहती हों।
फिर मैं उनके पैरों के पास बैठ कर मालिश करने लगा। वो कहने लगीं- तू अच्छा आ गया, मेरे पैरों में बड़ा दर्द था।
मैंने बहन से तेल मंगवाया और मामी की मालिश करने लगा। मैं उनकी टांगों के बहुत अन्दर तक पहुँच गया। अब मैं धीरे-धीरे उनकी जाँघों पर तेल मालिश करने लगा। मैं उत्तेजित होने लगा.. मैंने मामी की नंगी जांघें पहली बार देखी थीं, क्या मलाई जैसी चिकनी थीं। मेरा मन तो हुआ कि अभी ही चाट लूँ। मैं बीच-बीच में अपना हाथ मामी की जांघों पर ले जाता और मामी की नजरों से नजरें मिलाता। शायद मामी भी मजे ले रही थीं.. वो ऐसे बिहेव कर रही थीं मानो अपनी सलवार निकाल कर पूरी नंगी हो कर मालिश करवाना चाहती हों।
उनकी नजरों में अब मुझे वासना दिख रही थी। फिर कमरे में भाई आ गया और मैं रूक गया, मुझे आज वो विलेन लग रहा था। फिर मामी भी उठ कर कपड़े बदलने चली गईं।
आपको मेरी ये सेक्स स्टोरी कैसी लग रही है, मुझे आप लोग मेल कर सकते हैं। मुझे आपके सुझावों का इन्तजार रहेगा। [email protected] कहानी जारी है।
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