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हैलो साथियो.. मेरा नाम कमल है.. यह सेक्स स्टोरी मेरी और मेरी मामा जी की बेटी के बीच की है। अभी मेरी उम्र 21 साल है.. ये बात जनवरी 2014 की है। मेरी ममेरी बहन का नाम कोमल है, वो 22 साल की है। वो देखने में ऐसी लगती है जैसे स्वर्ग लोक की कोई अप्सरा हो, उसका फिगर 32-24-36 का है।
यह घटना उस वक्त घटी, जब उसकी शादी थी। उसकी शादी जनवरी 2014 में थी। वैसे हम दोनों कज़िन कम हैं, दोस्त ज्यादा हैं.. साथ ही हम दोनों हर बात चाहे वो वेज हो या नॉन वेज हो.. बड़े सहज भाव से कर लेते हैं।
मैं उसकी शादी में 4 दिन पहले चला गया था, शादी का अरेंजमेंट मैंने ही सम्भाला हुआ था.. वो अपनी शादी को लेकर बहुत खुश थी।
मेरे वहाँ पहुँचने के अगले दिन ही उसकी मौसी और उनकी बेटी भी आ गए थे। कोमल ने अपनी मौसी की बेटी से मेरा परिचय करवाया। कोमल ने बताया कि इसका नाम प्रिया है, उसने मुझे प्रिया की और भी डिटेल बताई।
प्रिया भी मुझे पहली नजर में ही पसन्द करने लगी, मैं प्यार से उसे पारो बुलाने लगा।
शादी के दो दिन पहले कोमल ने मुझसे कहा- हम दोनों को पार्लर ले चल! मैंने कहा- ठीक है.. चलो चलते हैं।
मैंने मामा जी से बाइक ली और उन दोनों को बिठा लिया। मैं आगे था, मेरे पीछे पारो और फिर कोमल बैठ गई। हम तीनों लोग चिपक कर बैठे थे। पारो की चुची मेरी पीठ से चिपके पड़े थे। उसकी चुची कोमल से थोड़े बड़े थे। उसे बैठने में दिक्क्त हो रही थी, मगर वो कुछ नहीं बोली।
थोड़ी देर बाद उसने अपना एक हाथ आगे करके मेरी जाँघ पर रख कर मसलने लगी। कुछ देर में पार्लर आ गया, कोमल ने कहा- इसे घुमा ला.. तब तक मैं रेडी हो जाती हूँ।
मैं उसे पास के एक पार्क में ले गया.. उस पार्क में एक कपल किस कर रहे थे.. तो वो ये सीन देख कर शर्माने लगी। मैंने कहा- शर्मा क्यों रही हो.. जांघ मसलते वक़्त तो नहीं शर्मा रही थी! वो कुछ नहीं बोली और नजरें चुराने लगी।
उस वक्त मैंने उससे कहा- वो देख पेड़ पर कितना सुंदर पक्षी बैठा है।
उसने ऊपर देखा तो वहाँ कोई नहीं था.. जब वो अपना चेहरा मेरे सामने लाई, तो मैंने अपना चेहरा आगे कर दिया और हमारी एक झटके में ही चुम्मी हो गई।
वो डर गई.. उसी वक्त कोमल का फोन आ गया कि मैं रेडी हूँ आ जाओ। हम दोनों पार्क से निकल कर कोमल के पास पहुँच गए।
अब मेरे पीछे पारो बैठने ही लगी थी कि कोमल बोली- अब मैं आगे बैठूंगी.. पीछे दिक्क्त हो रही थी।
इस तरह आते वक़्त कोमल मेरे पीछे बैठ गई.. घर जाते टाइम कोमल की चुची भी मेरी पीठ से रगड़ी, कुछ ही देर में हम घर पहुँच गए। बाइक से उतरते वक्त पारो मेरी पेंट के फुलाव को देख कर हंसने लगी। मैंने भी उसे देखा और आँख मारते हुए अपने लंड को सहला दिया, वो अन्दर भाग गई।
फिर शादी के एक दिन पहले की रात तक मैंने पारो को सेक्स करने के लिए राज़ी कर लिया।
उस रात गधोली और वाटने (रस्में) की रात थी। कोमल को हल्दी लग रही थी, तो मैं धीरे से पारो को वहाँ से लेकर एक कमरे में आ गया। हम दोनों को नहीं पता था कि किस कमरे में कौन सोएगा।
इस कमरे में कोई नहीं था.. मैं पारो को किस करने लगा। लगभग 5 मिनट तक मैं पारो को किस करता रहा। फिर धीरे से मैंने अपना हाथ उसके टॉप में डाल दिया और उसकी चुची मसलने लगा। चुची मसलते हुए ही मैंने उसका टॉप और अपनी शर्ट उतार दी। उसने अन्दर ब्रा नहीं पहनी थी।
फिर मैं उसकी चुची को चूमने लगा.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… मुझे मजा आ रहा था. उसकी चुची को चूमते-चूमते ही उसके पेट को चूमने लगा। फिर और नीचे आते हुए मैंने उसकी नाभि को अच्छे से चूमा और कमर को चूमते हुए उसकी पैंट और उसकी पेंटी दोनों एक साथ उतार दी। फिर मैं उसकी गुलाबी रंग की शेव की हुई चुत को चाटने लगा।
कुछ ही पलों में उसने पानी छोड़ दिया, मैंने अपना मुँह साइड में कर लिया क्योंकि चूत का पानी नमकीन था, जो मुझे अच्छा नहीं लगा। मैं अपनी पैंट उतरवा कर लंड पर उससे चुप्पे करवाने लगा। कुछ ही देर में मेरा लंड भी छूटने ही वाला था कि तभी मुझे लगा कि रूम के बाहर कोई है।
उधर काफ़ी शोर होने लगा, तो पारो डर गई.. मैं भी डर गया।
हम दोनों अपने-अपने कपड़े लेकर बिस्तर के नीचे छिप गए। तभी गेट खुला और मामी कोमल को लेकर अन्दर आईं, चूँकि उसे हल्दी लगी थी इसलिए उन्होंने कोमल से कहा- तू जल्दी से नहा ले.. फिर मैं खाना लेकर आती हूँ।
कोमल ने खाना के लिए मना करते हुए गेट बंद कर दिया और अपने कपड़े उतारने लगी। मैं उसे देख रहा था.. उसकी तनी चुची देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया.. उसकी चुत पर बालों का बड़ा सा गुच्छा था।
फिर वो नंगी ही बिस्तर पर बैठ गई.. पता नहीं वो क्या कर रही थी। जब बाल नीचे गिरे.. तो पता चला वो अपनी झांटें काट रही थी।
उसके बाद वो नहाने चली गई, पारो ने कहा- अब क्या करें बाहर तो सभी हैं। मैंने कहा- डर मत.. कुछ करते हैं। वो डरने लगी तो मैंने उससे कहा- अगर हम अब बाहर जाएंगे तो पकड़े जाएंगे.. तो ऐसा करते हैं कि आज की रात इसी बिस्तर के नीचे बिता लेते हैं।
वो मान गई।
फिर कोमल नहा कर बाहर आई तो उसने कपड़े नहीं पहने थे.. उसका पूरा बदन ऐसा दमक रहा था जैसे वो सोने के पानी से नहा कर आई हो।
पारो ने मुझे देखते हुए देखा तो उसने मेरी आँखों पर हाथ रख दिया और बोली- अपनी दोस्त है वो.. और तू सिर्फ़ मुझे देख सकता है।
मैंने उसका हाथ हटाया और उसे चुप रहने का इशारा किया। कोमल ने लाइट बंद कर दी और नंगी ही बिस्तर पर लेट गई, उधर बस एक छोटा बल्ब जल रहा था। तभी बाहर से मामी की आवाज़ आई- कोमल खाना खाएगी?
तो कोमल ने ‘ना’ कह दिया।
करीब एक घंटे के बाद पारो भी सो गई। साथ वाले कमरे में सभी सो गए थे क्योंकि उधर की लाइटें भी बंद हो गई थीं।
मैंने मोबाइल में देखा तो 1 बज गए थे.. मैं धीरे से बाहर आया और देखा कि कोमल अपनी टाँगों के बीच में अपनी चुत को अपने हाथ से सहला रही थी, वो अब तक सोई नहीं थी।
मैं धीरे से बिस्तर पर चढ़ा और उसकी टांगों में बीच होता हुआ उसके ऊपर चढ़ कर उसका मुँह अपने हाथ से ज़ोर से बंद कर दिया।
वो चिल्लाने के लिए मचलने लगी.. तो मैंने उससे कहा- मैं कमल हूँ.. चिल्लाना मत..! उसने तुरन्त हिलना बंद कर दिया.. उसकी चुची मेरी छाती से दबे पड़े थे। उसने कहा- मेरे रूम में क्या कर रहा है?? मैंने झूठ बोल दिया- मैं तुझे डराने आया था और अब मैं डर रहा हूँ क्योंकि मैं बाहर नहीं जा सकता। उसने मुझे सहलाते हुए कहा- कोई बात नहीं.. आज की रात यहीं रुक जा।
मेरा थोड़ा डर कम हो गया.. मैं उसके ऊपर वैसे ही लेटा रहा, उसने भी कुछ नहीं कहा। कुछ देर बाद वो बोली- तूने कपड़े क्यों नहीं पहन रखे हैं? मैं चुप रहा..
तो कोमल फिर बोली- कुछ छुपा मत मुझसे.. क्योंकि मुझे पता तुझे झूठ बोलना नहीं आता! मैंने कहा- कोमल मैं ओर पारो इस रूम में सेक्स करने आए थे। ‘वो कहाँ है?’ कोमल बोली मैंने कहा- वो बिस्तर के नीचे सो रही है।
मैंने बात पलट दी और कहा- पीने के लिए पानी है? उसने अपने सर की तरफ इशारा किया और कहने लगी- हाँ वहाँ रखा है।
मैं उसके ऊपर से ही डॉगी स्टाइल में पानी के जग के पास कुछ इस तरह से गया कि मेरा लंड पहले उसकी चुत पर लगा.. फिर पेट को छूता हुआ मेरा लंड उसकी चुची के ऊपर से गले पर आ गया। वो अब भी कुछ नहीं बोली.. तो मैं थोड़ा और ऊपर की ओर हुआ और मेरा लंड उसके होंठों को छूने लगा।
मैंने लंड को इसी स्थिति में ही रखा.. कुछ देर में मेरा लंड काफ़ी बड़ा और टाइट हो गया। मैंने धीरे से अपनी गांड को नीचे किया और ज़ोर लगाया, मगर वो मुँह नहीं खोल रही थी। कुछ पल बाद उसे शायद अच्छा लगा तो उसने थोड़ा सा अपना मुँह खोला.. मैंने उसके मुँह में लंड डाल दिया और जल्दी से बाहर भी निकाल लिया।
फिर मैंने उसके ऊपर पहले की तरह लेट कर माफी माँगी- सॉरी यार..!
वो चुदास भरे स्वर में बोली- कोई बात नहीं, ऐसे ही पड़ा रह। वो टांगों को हिला रही थी, मैंने कहा- अगर दिक्क्त हो रही है तो अपनी टांगों को थोड़ा खोल दो.. मतलब फैला दो।
उसने वैसे ही किया। जब उसने अपनी टांगों को खोला तो मेरा लंड उसकी चुत की फांकों के बीच में आ गया। मेरा लंड मोटा और लम्बा है.. क्योंकि मैंने सांडे के तेल से लंड की मालिश की हुई है। यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
वो अपनी चुत की फांकों में लंड पा कर भी कुछ नहीं बोली। मैं उससे इसी अवस्था में बातें करने लगा। फिर अपना अपनी गांड के ऊपर से अपने लंड पर ले गया.. अब मैंने अपनी गांड को थोड़ा ऊपर उठाया और लंड पकड़ कर कोमल यानि कुंवारी दुल्हन की चुत में रगड़ने लगा, वो सिसकारियां भरने लगी और उसकी साँसें तेज होने लगीं।
वो चुदास से तड़पने लगी और ‘आआई उउऊह आअह..’ की आवाजें निकालने लगी।
मैंने लंड रगड़ते रगड़ते उसकी चुत के छेद के ऊपर रखा और उसके कान में बोला- आई वांट टू किस यू! वो बोली- कर ले.. लेकिन बस किस करना।
मुझे तो उसका मुँह अपने मुँह से बंद करना था ताकि लंड पेलते वक्त वो चीखे तो उसकी आवाज़ बाहर ना जा पाए और साथ ही बगल वाले कमरे में भी ना जाए।
मैंने अपने होंठों से उसके होंठों को ज़ोर से बंद कर दिया और अपने सुपारे को उसकी चुत में पेल दिया। पहले पहल उसको दर्द नहीं हुआ तो मैंने एक धक्का दे मारा और अबकी बार मेरा लंड 2 इंच तक उसकी चुत में घुस गया। वो ज़ोर से मुझे साइड में हटाने लगी, मगर मैंने उसे मजबूती से पकड़ा हुआ था।
फिर मैंने सोचा इसे एक बार ही दर्द होगा.. इसकी चुत में एक बार में ही पूरा ही पेल देता हूँ। फिर मैंने ज़ोर से एक और धक्का मारा.. मेरा पूरा का पूरा लंड उसकी चुत को फाड़ता हुआ अन्दर चला गया। कोमल ने मुझे ज़ोर से पकड़ा हुआ था.. उसके नाखून मेरी पीठ में गड़ गए। कुछ मिनट तो मैं वैसे ही पड़ा रहा, उसके बाद कोमल मुझे किस करने लगी तो मैं समझ गया कि अब ये नॉर्मल हो गई है।
फिर मैं धीरे-धीरे घस्से मारने लगा। कुछ धक्कों के बाद मैंने अपनी रफ़्तार तेज कर दी। करीब दस मिनट तक चुत में घस्से मारता रहा।
अब मैंने उससे कहा- मेरे लौड़े की सवारी करोगी?
उसने हामी भरी तो मैंने उसे लंड पर बिठा लिया। वो इस तरह से ऊपर-नीचे होने लगी.. जैसे घुड़सवारी कर रही हो। मैंने उसे किस किया और उसी पोज़िशन में नीचे से घस्से मारने लगा। मैंने झटके मारते-मारते उसे उसी पोजीशन में उठा लिया और हचक कर घस्से मारे।
फिर मेरा छूटने ही वाला था कि मैंने लंड बाहर निकाल लिया और उसकी चुची के साथ खेलने लगा। क्योंकि मुझे डॉक्टर ने बताया था कि अगर मर्द का औरत से पहले छूटने लगे तो उसे लंड बाहर निकाल कर कुछ और करना चाहिए यानि अपनी सोच चुदाई से हटा लेना चाहिए।
मेरा लंड फिर से मस्त हो गया था.. अब मैं उसे डॉगी स्टाइल में चोदने लगा। अब कोमल चोदते हुए कई मिनट हो गए थे। तभी वो अकड़ते हुए झड़ गई।
अब मैंने उसे चित्त लिटाया और ऊपर से लंड पेल कर उसे चोदने लगा। अगले कुछ मिनट में मैं भी झड़ गया.. मैंने अपना सारा माल उसकी चुत के अन्दर ही गिरा दिया।
अब तक 2 बजे से ज्यादा टाइम हो गया था, तो मैं भी नंगा ही उसके पास सो गया।
सुबह 5 बजे मामी कोमल को उठाने के लिए आ गईं। उन्होंने बाहर से आवाज दी कि सभी लड़कियां अन्दर आना चाहती हैं।
तो कोमल ने कहा- बस 5 मिनट में उठती हूँ। उसने मुझे उठाया और कहा- जल्दी से बिस्तर के नीचे छुप जा! मैं गया और देखा कि पारो अभी भी सो रही थी मैंने उसे उठाया और कहा- बाहर मामी और सब लड़कियां आई हैं.. उठ जा। उसने आँखें खोलीं और कहा- अब बाहर कैसे जाऊँ? मैंने कहा- अब सारी लड़कियाँ एकदम से अन्दर आएँगी तो तू भी उनके साथ बाहर निकल जाना। उसने कहा- और तू कैसे आएगा? तो मैंने कहा- मेरी टेंशन मत ले.. तू जल्दी से कपड़े पहन!
उसने जल्दी से कपड़े पहने और मैंने भी, मैं बेड के नीचे ही घुस गया।
कोमल ने गेट खोला और सारी लड़कियां अन्दर घुस आईं.. पारो भी बिस्तर के नीचे से निकल आई और लड़कियां में शामिल हो गई।
कोमल ने उससे मजाक में पूछा- कल कहाँ थी? पारो को रात के बारे पता ही नहीं चला था.. तो पारो ने कहा- मैं बाहर ही थी। कोमल ने शरारत से कहा- कमल को बुला कर ला!
वो डर गई और बाहर चली गई। मैं धीरे से बिस्तर के नीचे से बाहर आया और लड़कियों के पीछे जाकर खड़ा हो गया। मुझे भगवान ने बचा लिया किसी को पता भी नहीं चल सका।
मैंने कोमल से कहा- हाँ कोमल, तूने बुलाया था मुझे? कोमल कहती है- नहीं बस ये कहना था कि बारात में मेरे साथ तू ही मेरी कार में बैठेगा। मामी ने कहा- हाँ कमल, तू कोमल के साथ बैठ जाना।
अब कोमल की शादी हो गई.. मैं पढ़ाई के लिए दिल्ली आ गया। जब मैं मामा जी को हैप्पी न्यू इयर की बधाई देने आया तो पता चला कि कोमल ससुराल से आई हुई है। मैं उसे मिलने गया और आज जनवरी 2015 को मुझे पता चला कि नवम्बर में कोमल के जुड़वाँ लड़के हुए हैं, मुझे समझ आ गया कि वो बेबी मेरे ही हैं।
उसने मुझसे कहा- पापा बनने की बधाई हो..! मैं मुस्करा दिया।
तो दोस्तो, ये थी मेरी सेक्स स्टोरी मुझे आशा है कि आपको यह हिंदी सेक्स कहानी पसन्द आई होगी।
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