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अब तक आपने इस सेक्स स्टोरी के पिछले भाग चूत चुदाई की तमन्ना मौसी को चोदकर पूरी हुई-1 में पढ़ा.. मैं रात को मौसी के साथ सोते हुए उनके मम्मों पर हाथ रख कर दबाकर उनके मस्त रूई के जैसे गोलों का मजा ले रहा था। अब आगे..
मुझे ऐसा लगा जैसे मैंने कोई कपास का गोला दबाया हो, मुझे बहुत मजा आया। फिर मैं मौसी की साड़ी का पल्लू उनके स्तन के ऊपर से हटाने की कोशिश करने लगा और कुछ देर बाद मैं उसमें सफल भी हो गया।
फिर मैंने धीरे-धीरे उनके ब्लाउज के बटन खोले.. और मैं उनके स्तनों का पहाड़ी जैसा उभार बिना किसी दिक्कत के देख पा रहा था। मैं उनके दोनों स्तनों के ऊपर धीरे-धीरे हाथ फेरने लगा, फिर उनका एक स्तन धीरे-धीरे दबाने लगा। जैसे ही मुझे मजा आने लगा.. मैं उनके स्तन को और जोरों से मसकने लगा। मुझे उस वक्त जो मजा आ रहा था.. वैसा मजा मुझे आज तक नहीं आया था।
थोड़ी देर मौसी के स्तन दबाने के बाद मैंने मौसी के बाएं स्तन का निप्पल हाथ में लिया और उसे हाथ से धीरे-धीरे मसलने लगा। मुझे तो निप्पल मुँह में दबा कर चूसने की इच्छा हो रही थी, पर मुझे थोड़ा डर लग रहा था। मैं निप्पल मसल रहा था.. तभी अचानक मौसी हड़बड़ा कर उठ गईं, शायद मैंने उनके निप्पल बहुत जोर से मसल दिया था। मौसी उठीं और उन्होंने मेरी तरफ देखा मैंने झट से अपने हाथ पीछे खींच लिए और आँख बंद करके सोने का नाटक करने लगा।
मैं बहुत डर गया था, मौसी मेरी तरफ एकटक देख रही थीं, मुझे लगा कि अब तो मैं गया काम से, अब तो मुझे बहुत गालियां मिलेंगी। मौसी मेरी तरफ देखती रहीं, पर उन्होंने मुझसे कुछ नहीं कहा, उन्होंने अपने ब्लाउज के बटन लगाए, अपनी साड़ी का पल्लू ठीक किया और दूसरी तरफ मुँह करके सो गईं।
पर मैं बहुत डर गया था, मैंने जोश-जोश में वो सब कुछ तो कर लिया, पर अब मुझे डर लग रहा था कि कल क्या होगा, कल मौसी क्या कहेंगी!
यही सब सोचते-सोचते मुझे नींद आ गई और मैं सो गया। सुबह जब उठा तो मौसी रूम में नहीं थीं.. मैं अभी भी डरा हुआ था। मै फ्रेश हुआ और रूम से बाहर आया और किचन में पानी पीने गया, मैंने वहाँ मौसी और मम्मी को बात करते देखा, मेरी फट गई।
जैसे ही मैं किचन में गया, मम्मी मुझसे बोलीं- उठ गया रोहित! मैंने कहा- हाँ मम्मी।
मैंने देखा कि मौसी मुझे देख रही हैं, पर मैंने उनसे नजर नहीं मिलाई, मैंने पानी पिया और जल्दी से किचन से बाहर चला गया। वो पूरा दिन मैं मौसी से नजर बचता हुआ घर में छुपता रहा, मुझे डर था कि कहीं रात वाली बात मौसी किसी को बता ना दें।
मैं दिन भर अपने कमरे में ही छुपा रहा। रात हुई तो मम्मी मुझे रूम में खाना खाने बुलाने आईं, तो मैं खाना खाने बाहर आ गया। मैंने देखा कि वहाँ मौसी भी बैठी हुई थीं, मैं उनसे नजरें नहीं मिला पा रहा था, मैंने जैसे-तैसे खाना खाया।
सबका खाना होने के कुछ देर बाद सब सोने की तैयारी करने लगे, मम्मी ने मौसी से कहा- क्या आज भी तुम रोहित के कमरे में सो जाओगी? मुझे लगा कल रात जो मैंने किया उसके बाद मौसी मेरे साथ सोने से मना कर देंगी, पर मौसी ने मम्मी से कहा- हाँ मैं रोहित के कमरे में ही सो जाऊँगी!
यह सुनकर मैं थोड़ा सा हैरान हो गया और मैं सीधा अपने कमरे में चला गया। मैं अपने कमरे में बिस्तर पर जाकर लेट गया, थोड़ी देर बाद मौसी भी आकर मेरे बाजू में लेट गईं।
मुझे थोड़ी ही देर में नींद आ गई, रात को मुझे अचानक महसूस हुआ कि मेरा हाथ किसी चिकनी चीज़ पर घिस रहा है.. मैंने देखा कि मौसी मेरे हाथ को अपने पेट पर घिस रही थीं और धीरे-धीरे सिसकारियां भर रही थीं। मैंने महसूस किया कि मेरा लंड भी तोप की तरह खड़ा था।
मैंने सोचा शायद मौसी उत्तेजित हो गई हैं, वो धीरे-धीरे मेरे हाथ से अपनी साड़ी के ऊपर से अपनी चूत सहलवाने लगीं। मुझे लगा मौसी को कल रात की बात का गुस्सा आया होगा, पर ऐसा नहीं था, मौसी तो आज खुद ही मजे उठा रही थीं।
अब मैंने सोचा कि क्यों ना मौके का फायदा उठाया जाए। मैं झट से मौसी की तरफ सरक गया और उनके स्तन पर हाथ रख दिया और जोर जोर से उनके दोनों स्तनों को दबाने लगा। मौसी अब और भी ज्यादा उत्तेजित हो गई थीं, वो जोर जोर से सिसकारियां भरने लगीं। मैंने उनका ब्लाउज खोल दिया और उनके स्तनों को और जोर से मसलने लगा। मैंने उनके निप्पल उंगलियों में पकड़े और उनको भी जोर जोर से मींजने लगा।
फिर मैंने अपना हाथ मौसी की चूत की तरफ बढ़ाया और साड़ी के ऊपर से उनकी चूत टटोलने लगा.. मुझे मौसी की चूत की पहाड़ी थोड़ी-थोड़ी महसूस हो रही थी।
मौसी से शायद रहा नहीं गया और तभी मौसी ने मेरा हाथ साड़ी के अन्दर डाला और चूत पर रख दिया। उनकी चूत बहुत ही गर्म थी.. बिल्कुल ऐसी लग रही थी मानो सुलगता हुआ अंगार हो।
अब मेरा हाथ मौसी की सॉफ्ट-सॉफ्ट चूत की ऊपर था, मौसी की चूत बहुत ही चिकनी थी। मैं मौसी की चूत के ऊपर से धीरे-धीरे हाथ फेरने लगा, मौसी ज़ोर-जोर से अपनी गांड ऊपर-नीचे उठा रही थीं।
मैं धीरे-धीरे मौसी की चूत में उंगली डालने लगा.. जैसे ही मैंने मौसी की चूत के अन्दर उंगली डाली, वो चिल्ला उठीं पर फिर उन्होंने खुद को संभाल लिया।
फिर मैं धीरे-धीरे उनकी चूत में अपनी उंगली अन्दर-बाहर करने लगा। मौसी भी मस्त मदहोश होकर अपनी गांड ऊपर-नीचे कर रही थीं।
पर अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था.. मैंने अपनी उंगली मौसी की गर्म चूत से बाहर निकाली और मैं उनके ऊपर चढ़ गया। मैंने मौसी के दोनों हाथ अपने हाथों में पकड़ लिए और मैंने अपने होंठ मौसी के होंठों पर रख दिए और उनके होंठ चूसने लगा।
मैं मौसी के मुँह में अपनी जुबान डालने लगा और उनका थूक अपने मुँह में लेने लगा। आह.. क्या रस भरे होंठ थे उनके.. एकदम मदभरे..! मैं बहुत देर तक उनके होंठ चूसता रहा। मौसी भी मुझे मस्त होकर साथ दे रही थीं।
फिर मैंने मौसी के स्तन की ओर मुँह बढ़ाया.. मैंने उनके एक निप्पल को अपने मुँह में डाल लिया और पागलों की तरह उसे चूसने लगा। इससे मौसी भी बहुत मस्त हो गई.. और मेरे सर के बालों में हाथ फेरने लगीं, वो चुदासी होकर कह रही थीं- ओह मेरे मुन्ना आह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… मेरे राजा..
बहुत देर मौसी के निप्पल चूसने के बाद मैं अपनी जुबान से उनके पेट को चाटने लगा। फिर नीचे होते हुए मैं अपनी जुबान मौसी की नाभि के ऊपर से फेरने लगा.. उन्हें शायद बहुत गुदगुदी हो रही थी इसीलिए वो अपनी गांड ऊपर-नीचे कर रही थीं।
इतनी देर में मैं बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो चुका था। मैंने मौसी की साड़ी उतारी और उनका पेटीकोट भी उतार दिया। अब मौसी मेरे सामने पूरी नंगी थीं, मुझे ऐसा लग रहा था मानो वो कोई परी हैं, जिसे मैं अभी चोदने वाला हूँ।
मैंने भी अपने पूरे कपड़े उतार दिए.. मैंने मौसी की नंगी चूत देखी, तो मुझसे रहा नहीं गया।
मौसी की चूत एकदम क्लीन और साफ़ थी.. मौसी की चूत पर एक भी बाल नहीं था। उनकी चूत देखकर मुझे ऐसा लग रहा था जैसे ये ही वो स्वर्ग का दरवाजा है जिसमें घुसने के लिए लंडराज तत्पर हैं।
मैं अपनी जुबान उनकी चूत के पास लेकर गया, मुझे उनकी चूत की दरार अब साफ दिखाई दे रही थी। मैंने धीरे से अपनी जुबान मौसी की चूत पर रख दी और अपनी जुबान मौसी की चूत पर फेरने लगा। मेरे ऐसा करते ही मौसी एकदम मदहोश हो गई।
फिर मैंने अपनी उंगलियों से मौसी की चूत की दरार थोड़ी सी फैला ली.. अब मुझे उनकी चूत के अन्दर का गुलाबी रंगत वाला मांस दिखाई दे रहा था और चूत बहुत ही रसीली दिखाई दे रही थी मानो वहाँ से स्वर्ग का अमृत टपक रहा हो।
वो गुलाबी रंग देख कर और वो नजारा देख कर मैं तो पागल ही हो गया, मैंने मौसी की चूत की दरार में अपनी जुबान डाली और उनकी रसीली चूत को जोर-जोर से चूसने और चाटने लगा।
वाह.. क्या स्वाद था उनकी चूत का.. अहा.. तभी अचनाक मौसी झड़ गईं और उनकी चूत से सफ़ेद रस बाहर निकल आया। मैंने उस रस की गंध सूंघकर देखी तो मैं मदहोश हो गया, मुझे ऐसा लगा जैसे वो कोई अमृत हो।
मुझसे रहा नहीं गया और मैंने वो पूरा रस अपनी जुबान से चाट लिया, उस रस का बहुत ही मस्त स्वाद था।
बहुत देर तक यूं ही मौसी की चूत चाटने के बाद हम दोनों बहुत उत्तेजित हो चुके थे। मौसी ने मुझसे कहा- मेरे मुन्ना, अब और मत तरसाओ..! यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
उनकी यह बात सुनकर मैं एक क्षण का भी विलम्ब न करते हुए उनके ऊपर चढ़ गया और अपना लंड मौसी की चूत में डालने लगा, पर ये मेरी पहली बारी होने के कारण मुझे थोड़ी दिक्कत हो रही थी।
फिर मौसी ने खुद अपने हाथों से मेरा लंड पकड़ा और चूत के दरवाजे पर रखा, तभी मैंने एक धक्का दे मारा.. तो मेरा आधा लंड मौसी की चूत के अन्दर घुसता चला गया। मौसी जोर से चिल्ला उठीं और उन्होंने मुझसे कहा- थोड़ा धीरे और आराम से करो.
फिर मैंने एक और जोरदार धक्का लगाया तो इस बार मेरा पूरा लंड मौसी की चूत के अन्दर चला गया।
मैंने अपने होंठ मौसी के होंठों के ऊपर रख दिए और मैं अपने लंड को मौसी की चूत में अन्दर-बाहर करने लगा। उस वक्त जो मजा मुझे आ रहा था.. वो आज भी मुझे याद है।
दोस्तो, मौसी की चूत की चुदाई की इस सेक्स स्टोरी में यदि आपको मजा आ रहा हो कमेंट्स लिखिएगा।
कहानी का अगला भाग: चूत चुदाई की तमन्ना मौसी को चोदकर पूरी हुई-3
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