This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
दोस्तो.. मेरा नाम वरुण है, मैं दिल्ली में रहता हूँ, सेक्सी स्टोरी की इस हिंदी की साईट के आप सभी पाठकों को मेरा प्यार!
आज मैं आपको अपनी पहली सेक्स स्टोरी सुनाने जा रहा हूँ, पसंद आई या नहीं, रिप्लाई करना मुझे ख़ुशी होगी।
बात दिसंबर 2014 की है.. मेरे रूम के ऊपर एक भैया और भाभी रहते हैं, उनके बच्चे नहीं हैं। भाभी के पति कहीं जॉब करते हैं। एक बार भाभी को अपने घर जाना था, भैया को छुट्टी नहीं मिल रही था, जिससे वो बहुत परेशान थीं।
एक दिन भाभी मुझसे बात करने लगीं- मुझे घर जाना है और तुम्हारे भैया को छुट्टी नहीं मिल रही है।
भाग्यवश मुझे भी काम से भाभी के शहर जाना था, तो मैंने कह दिया- मेरे साथ चली चलो.. कल मुझे भी जाना है। उन्होंने कहा- ठीक है मैं तुम्हारे भैया से पूछ लेती हूँ।
उन्होंने भैया से परमिशन ले ली और अगले दिन मैं उनके साथ चल दिया।
मौसम में ठंड के साथ सड़क पर कोहरा भी बहुत था.. कुछ दिखाई ही नहीं दे रहा था। हम दोनों जैसे-तैसे स्टेशन पहुँचे, ट्रेन सुबह 7 बजे की थी। मैंने अपना रिज़र्वेशन तो पहले ही करवा लिया था.. पर भाभी का टिकट वेटिंग का था। इसलिए किसी तरह हम दोनों एक सीट में ही अड्जस्ट हो गए।
भाभी दिखने में बहुत मस्त और हॉट हैं, उनकी जवानी गदराई हुई है.. चुची भी बड़ी-बड़ी हैं.. पतली कमर और भी मस्त दिखती हैं। उनके चूतड़ भी बहुत ठोस और मस्त हैं.. जब भाभी चलती हैं तो उनका पूरा इलाका हिलता है। भाभी के लंबे-लंबे बाल उनके चूतड़ों पर नागिन से लहराते हैं। उनकी हाइट 5’6″ नशीले होंठ.. जब भी उनको देखता था तो मेरा तो लंड झट से खड़ा हो जाता था।
आज भाभी के साथ बैठने का मौका मिला था। ट्रेन चल दी.. हम दोनों ऊपर की सीट पर बैठे थे.. सब ठंड से काँप रहे थे। मैंने कहा- भाभी जी ठंड बहुत है.. कुछ ओढ़ लो!
मैंने कम्बल निकाला और ओढ़ लिया तो भाभी बोलीं- हाँ ठंड ज्यादा है.. मैं भी इसी में घुस जाती हूँ.. अपने सामान में से कम्बल कौन निकालेगा.. इसी से मैं भी काम चला लूँगी। मैंने कहा- ठीक है..
हम दोनों एक ही कम्बल में बैठ गए। मैंने भाभी से मजाक करते हुए पूछा- अगर भैया ऐसे हम देख लेंगे तो? भाभी मुस्कुराई और उन्होंने कहा- तो क्या हुआ! मैं- भाभी आपसे एक बात कहूँ.. बुरा तो नहीं मानोगी!
ट्रेन अपनी रफ्तार में चल रही थी। भाभी- क्या बोलना चाहते हो बोलो.. मैं बुरा क्यों मानूँगी! मैं- सच में आप बहुत सुंदर और..
मैं कहते कहते रुक गया तो भाभी ने हंसते हुए पूछा- और.. क्या? मैं- जाने दो.. आप बुरा मान जाओगी.. मुझे शर्म आती है। भाभी- बोलो ना.. नहीं तो अब मैं जरूर नाराज़ हो जाऊँगी! मैं- आप बहुत सेक्सी और हॉट हैं। भाभी हंसते हुए कहने लगीं- हट शैतान कहीं के.. तुम्हारे भैया को तो मेरी परवाह ही नहीं रहती.. उन्हें तो मुझे देखने की ही फुरसत ही नहीं रहती और तुम तारीफ कर रहे हो।
मेरी हिम्मत बढ़ गई.. मैं समझ गया कि भाभी को लंड चाहिए.. ये प्यासी हैं तो मैंने उनके हाथ को टच किया। वो कुछ नहीं बोलीं.. मैंने कहा- भाभी आपके हाथ कितने मुलायम हैं।
ट्रेन तेज रफ्तार के कारण हिल रही थी तो हम दोनों के शरीर भी टच हो रहे थे।
जब मेरी कोहनी का दबाव भाभी की चुची पर होता तो वो मुस्कुरा देती थीं। मैंने कम्बल के अन्दर से उनको पीछे से कमर में हाथ रख कर पकड़ लिया, तो वो हंसने लगीं।
मैंने कहा- भाभी बुरा तो नहीं लगा! उन्होंने कहा- बुरा कैसा.. कम्बल के अन्दर ही तो है.. कोई नहीं देखेगा, वैसे तुम भी पूरे नॉटी हो!
उनका इतना कहना था कि मैं और सट कर बैठ गया और उनको पकड़ लिया। भाभी को जैसे ही पकड़ा कि मेरा लंड उफान मारने लगा और मैं भी हॉट होने लगा।
अब मैंने अपने दूसरे हाथ को उनकी जाँघों के ऊपर रख दिया.. वो कुछ ना बोलीं।
फिर मैं उनकी कमर को सहलाने लगा, तो भाभी ने अपने सिर को मेरे कंधे पर रख दिया और मेरे दूसरे हाथ के ऊपर अपना हाथ रख कर अपनी जाँघों के ऊपर दबाने लगीं।
मैं भाभी की मरमरी जाँघों को सहलाने लगा.. वो भी हॉट होने लगीं और मेरे कान में बोलीं- आराम से सहलाते रहो.. अच्छा लग रहा है।
मैं उनकी कमर और पीठ में हाथ फेरने लगा और दूसरे हाथ से भाभी की साड़ी को ऊपर सरका कर उनकी नंगी जाँघों को सहलाने लगा, तो उन्होंने मेरे लंड पर हाथ रख दिया और मेरा लंड सहलाने लगीं।
उनके हाथ लगते ही मेरा लंड कोबरा सांप की तरह फनफ़नाने लगा। मैंने अपने एक हाथ को उनके मम्मों पर धर दिया और मम्मों को मसलने लगा। भाभी गनगना गईं तो मैंने दूसरे हाथ से उनकी चुत को भी रगड़कर खेल शुरू कर दिया। उनकी साँसें तेज हो रही थीं।
अगले ही पल भाभी मेरी पैंट की ज़िप खोलने लगीं और मेरे लंड को बाहर निकालने की कोशिश करने लगीं।
मैंने भाभी की मदद करते हुए ज़िप खोली और पैंट का बटन भी खोल दिया। मेरा लंड भाभी के हाथ से टच हुआ तो सच में बहुत मजा आने लगा। भाभी ने हाथों में मेरा लंड पकड़ा और सहलाने लगीं।
मैं भाभी की चुत टटोलने लगा था.. चुत पर हल्के-हल्के बाल थे.. और उनकी चुत गीली होने लगी थी।
मैं नंगी चुत सहलाए जा रहा था.. इधर मेरे लंड से भी पानी आ रहा था। भाभी मेरे लंड के इसी पानी को लंड पर रगड़ कर मसल रही थीं। उधर मैं उनकी चुत में उंगली कर रहा था.. थोड़ी देर में भाभी झड़ गईं और उसी वक्त मेरा भी जूस बाहर आ गया.. लंड पिचकारी छोड़ने लगा।
हम दोनों ही शांत हो गए थे। फिर थोड़ी देर बाद हम दोनों ने अपने कपड़े कम्बल के अन्दर ही ठीक किए और बाथरूम गए। कुछ देर बाद हम दोनों फ्रेश होकर वापस आए। हम लोगों की ट्रेन देर रात ग्यारह-बारह तक बजे पहुँचने वाली थी, तो घर जाना सुबह ही हो पाता। ठंड के कारण ट्रेन लेट भी चल रही थी, ये सब सोच कर मैंने पहले ही स्टेशन में रूम बुक करा दिया था।
मैंने कहा- भाभी रात को वहीं रूम में रुक जाएँगे.. आप भैया को बता देना कि ट्रेन लेट हो गई थी.. तभी तो अपनी चुदाई हो पाएगी।
उन्होंने कहा- अब तो तुम्हारा लंड लिए बिना नहीं मानूँगी। तुम्हारा बहुत बड़ा और मस्त है.. तुम मेरी चुत को फाड़ देना.. मैं बहुत प्यासी हूँ। यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
रात को हम लोग 11:30 बजे पहुँचे.. रूम में फ्रेश होकर थोड़ा खाना खाया और मैंने अपने कपड़े उतार दिए, भाभी साड़ी उतार कर बिस्तर पर लेट गईं।
बहुत ठंड हो गई थी.. मैंने पूरा रूम पैक कर दिया और कहा- भाभी अब और मत तरसाओ.. मैं तड़प रहा हूँ। उन्होंने भी बाँहें फैलाते हुए कहा- मैं भी तड़प रही हूँ राजा.. आओ मुझे चोद दो.. मेरी चुत तुम्हारे मोटे लंड की प्यासी है।
मैंने भाभी को बिस्तर पर चित्त लिटा कर बांहों में भर लिया और उनके होंठों को चूमने और चूसने लगा। वो भी पूरा साथ देने लगीं और मुझे चूमने लगीं। मैं अपनी जीभ को उनके मुँह में डाल कर चूस रहा था और भाभी की चुची को भी मसल रहा था।
भाभी की साँसें तेज़ हो रही थीं.. अब मैं भाभी की गर्दन गाल और कानों को बेतहाशा चूमने और चाटने लगा और उनकी मदमस्त चुची को अपने हाथों में भर कर मसलने लगा।
कुछ ही देर में हम दोनों बहुत गरम हो गए और मैंने उनके ऊपर चुदाई की पोजीशन में चढ़ कर अपने लंड को उनकी नंगी चुत की फांकों में लगा दिया। कुछ पल लंड के सुपारे को भाभी की चूत को पेटीकोट के ऊपर से ही रगड़ने लगा.. वो चुदास से सीत्कारने लगीं और बोलीं- आअहह बहुत मजा आ रहा है.. तू तो बहुत मस्त चुदाई करना जानता है और रगड़ मुझे!
मैं भी हॉट हो गया था.. मैंने उनके ब्लाउज को खोला.. ब्रा में फंसी उनकी चूचियां और भी मस्त लग रही थीं। मैं ब्रा के ऊपर से दूध की टोंटी चूसने लगा और दांतों से काटने लगा.. भाभी कामुक सिसकारियां निकालने लगीं।
मैंने ब्रा को भी खोल दिया, उनके पेटीकोट को भी खींच कर हटा दिया। अब भाभी पिंक पेंटी में बहुत सेक्सी लग रही थीं। मैं उनकी नंगी चुची को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा।
आहह क्या सफेद रसगुल्ले थे, पर साइज़ खरबूजे जैसे थे.. कुछ भी हो, बड़ी रसीली चुची थी। भाभी कामुकता से मचल रही थीं- उईईईईई माँआआ.. आहह और चूसो..
मैं- आआहह सच भाभी बड़ी मस्त चुची हैं.. उफ्फ़ भाभी- हाँ.. आह.. चूस लो.. उईईईई चूत भी सहलाओ राजा.. आह्ह..
मैं अपने हाथों से भाभी की चुची को दबा रहा था और नीचे को होकर उनकी नाभि को चूसने लगा। नाभि और पेट को चूसते चूमते मैंने दाँतों से पकड़ कर भाभी की पेंटी को भी खींच दिया।
आह्ह.. सच में क्या चुत थी साली की.. एकदम पकौड़ा सी फूली.. मेरी तो आँखें फटी की फटी रह गईं.. चुत पर हल्के रेशमी बाल थे। मैंने झट से अपने मुँह को नंगी चुत पर लगाया और चुत चाटना शुरू कर दिया। साथ ही अपने हाथों से भाभी की चुत को फैला कर चुत के बीच में जीभ से चाटने लगा।
भाभी ने भी अपनी चूत पसार दी और सिसियाने लगीं- आहह उईसस्स.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… बहुत मजा आ रहा है रे.. ऊह.. ऊओह ईई.. चाट लो.. आह्ह.. और चाटो ओह्ह..
और वो अति उत्तेजना में भूखी कुतिया की तरह आँखें फाड़ कर मुझे घूर कर चिल्लाने लगीं- चोद दे हरामी.. मत तड़पा मादरचोद.. मैं- रुक साआली.. अभी तो शुरूआत है, ऐसा चोदूंगा.. सब लंड भूल जाएगी बहनचोदी..!
भाभी मेरे बालों को पकड़ कर अपनी नंगी चुत पर रख कर दबाने लगीं। मैं भाभी की चूत चाटे जा रहा था.. अब वो चुदास से भड़क कर एकदम हॉट हो चुकी थीं।
मैंने 69 में होकर अपना लंड उनके मुँह में डाला और मुँह चोदने लगा.. वो भी गपागप मेरा लंड बड़े आराम से चूसने लगीं। भाभी- उम्म्म्म.. उफफ्फ़.. मैं- आहह यस भाभी.. और चूसो बहुत मज़ा आ रहा है.. सच में तू तो मस्त रंडी है.. चूस साली.. भाभी- अब चोद भी दो ना भोसड़ी के.. मुझसे रहा नहीं जा रहा है.. मेरी चुत फाड़ दो.. प्लीज़.. जल्दी चोदो.. ओह..
मैंने उनको लेटा दिया और उनकी टांगें फैला कर अपने लंड के सुपारे को नंगी चुत के मुँह पर टिका दिया। अब मैं चुत के बीच में लंड को ऊपर से ही रगड़ने लगा.. इससे वो और ज्यादा पागल हो गईं और नीचे से अपनी गांड उछालने लगीं।
भाभी- चोद दे हरामी.. चोद ना आआहह.. इससस्स बड़ा मस्त लंड है मादरचोद साले.. घुसेड़ दे.. मैं- ऐसा चोदूंगा कि याद रखेगी रंडी साली हरजाई.. एक बार पूरा लंड चुत में डाल दूँगा तो साली रोज़ माँगेगी.. ले.. भाभी- प्लीज़.. जल्दी करो.. चुत पानी चोद रही है.. आह्ह.. पूरी गीली हो गई है राजाआअ.. आआहह..
मैं अपने लंड का सुपारा नंगी चुत की फांकों में फंसाने लगा.. भाभी की चुत गीली तो थी ही.. थोड़ा सा ही झटका मारा कि आधा लंड भाभी की रसीली चुत में सरक गया।
भाभी- अहह प्लीज़ धीरे डाल.. बहुत मोटा है तेरा..!
मैंने उनकी टाँगों को फैला दिया और सेंटर में आकर और एक झटका मारा.. तो लंड पूरा जड़ तक अन्दर घुस गया और वो चिल्ला पड़ीं- आआआहह उईई.. मर गई मादरचोद.. बहुत बड़ा है!
‘भोसड़ीवाली कमीनी.. ले लंड.. बहुत चिल्ला रही थी भैन की लौड़ी.. अब मज़ा दिखाता हूँ..!’
मैंने भाभी को अपनी बांहों में भर लिया और लंड अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया।
भाभी- आआहह.. आअहह आआहह उईईई यस और चोद साले..! मैं- ले हरामजादी.. लंड खा..
मेरा लंड भाभी की चुत में पूरा अन्दर तक झटके मार रहा था और मैं अपनी गांड उछाल-उछाल कर भाभी को चोद रहा था।
चुदाई की मदमस्त आवाजों से पूरा रूम गूँज रहा था, ये चुदाई 20 मिनट तक चलती रही.. भाभी मेरा पूरा साथ दे रही थीं और मैं उनकी चुदाई में मस्त था।
अचानक उन्होंने मुझे कसके पकड़ लिया और एकदम से चिल्लाते हुए झड़ गईं। मैं अब भी भाभी को चोदे जा रहा था। भाभी ने होते हुए अपने हाथ-पैर फैला दिए।
थोड़ी देर में मैं भी उनकी चुत में ही झड़ गया और मेरा लंड चुत में माल की पिचकारियां छोड़ने लगा।
कुछ पल में मैं शांत हो गया.. इसके बाद हम दोनों लगभग आधे घंटे यूं ही पड़े रहे.. और ऐसे ही सो गए।
इसके बाद तो भाभी का मैं पसंदीदा चोदू बन गया था और जब भी मौका मिलता है.. मैं भाभी को हचक कर चोदता हूँ। वो भी चुत चुदवाने के लिए हमेशा तैयार रहती हैं।
दोस्तो, आपको मेरी सेक्स स्टोरी पसंद आई? मुझे जरूर रिप्लाइ करना। [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000