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दोस्तो नमस्ते, मेरा नाम जीतू राजपूत उर्फ़ माही है.. मैं राजस्थान के बाड़मेर से हूँ। मैं हिंदी सेक्स स्टोरी की बेहतरीन साईट अन्तर्वासना का एक नियमित पाठक हूँ। मेरे लंड का साइज़ लंबा और मोटा है।
यह मेरी पहली कहानी है, सच्ची है, मैं आप सभी के साथ शेयर कर रहा हूँ।
यह बात उस समय की है, जब मैं 11 वीं क्लास में पढ़ता था। मेरे घर के पास एक अंकल रहते हैं.. उनकी दो लड़कियां हैं, एक का नाम सीमा और दूसरी का आरती है।
मैं आपको सीमा की फिगर की क्या बताऊँ वो बहुत ही मस्त माल थी.. बस हर कोई उसे पाने की सोचता था। हमारे घर पास पास होने के कारण मेरा उनके घर आना-जाना रहता था।
एक बार आंटी, अंकल और आरती के साथ किसी काम से अपनी ससुराल चली गईं। चूंकि सीमा के एग्जाम नज़दीक थे, उसने जाने से मना कर दिया था।
आंटी ने हमारे घर आकर मेरी माँ से कहा- हम लोग बस दो दिन के लिए जा रहे हैं.. आप प्लीज़ सीमा का ध्यान रखना। इस पर मेरी माँ ने हामी भर दी और वे सब चले गए।
मैं कई दिनों से बस उसको अपनी बांहों में लेना चाहता था, पर उससे ये सब कहने की हिम्मत नहीं होती थी।
अंकल आंटी के चले जाने के बाद माँ ने कहा- तू आज अंकल के घर सोएगा। मैंने पहले तो कुछ नहीं कहा, पर माँ के एक बार फिर से कहने पर मैंने हामी भर दी। मैं मन ही मन खुश हो रहा था कि कब रात हो जाए और कब मैं उसके घर जाऊँ।
बस दोस्तो, वो समय आ गया, जिसका मैं कब से इंतज़ार कर रहा था।
मैं खाना खाने के बाद उनके घर सोने चला गया। मैंने दरवाजे पर दस्तक दी तो सीमा ने दरवाजा खोला, मैं अन्दर गया सीमा ने मेरे लिए बाहर के कमरे में बिस्तर लगा दिया था।
हम दोनों टीवी देखने लगे.. मैं थोड़ी-थोड़ी देर में उसे देखता रहता। मैं कुर्सी पर बैठा था और वो मेरे आगे नीचे बैठी थी। ऊपर बैठे होने से मुझे उसके चूचे आधे से दिख रहे थे, मैं अपने लंड पर हाथ फेरते हुए उसके चूचों का नजारा ले रहा था।
एक बार मैंने जरा झुकते हुए ही उसके मम्मों को देखने की कोशिश की, उसने मुझे देख लिया। वो थोड़ी मुस्कुरा दी.. बस फिर क्या था.. मुझे बस इतना सिग्नल काफ़ी था। मैं कुछ बहाना बनाते हुए कुर्सी से नीचे आ गया और अब मैं उसके एकदम नज़दीक बैठ गया।
मैंने बातों ही बातों में उससे कहा- तुम्हारा कोई ब्वॉयफ्रेंड है क्या? वो एक बार तो कुछ नहीं बोली.. पर कुछ देर बाद उसने कहा- नहीं.. मैंने उससे पूछा- मैं तुझे कैसा लगता हूँ? वो थोड़ी शरमाते हुए बोली- बहुत अच्छे..
इसके बाद धीरे-धीरे मैंने उसके पीछे कमर पर हाथ डाला.. पर उसने कुछ नहीं कहा, तो मेरी हिम्मत और भी बढ़ गई। हम दोनों यूं ही सहलाने का मजा लेते हुए बातें कर रहे थे।
फिर मैं अपना हाथ उसकी कमर से उसके आगे मम्मों पर ले आया.. आआआहह उसके बूब्स पर हाथ जाते ही मेरे शरीर में करंट सा दौड़ गया। मेरा लम्बा लंड पैंट में एकदम टेंट बनाता हुआ तरह खड़ा हो गया।
उसने ज्यों ही मेरी पेंट की ओर देखा.. उसकी नज़र एकदम मेरे खड़े लंड पर पड़ी.. जो एकदम अकड़ा हुआ था। उसने कहा- जेब में क्या रखा है.. दिखाओ! मैं शरमाते हुए कहा- कुछ नहीं वो तो बस यूं ही..!
वो फिर मुस्कुरा दी.. शायद उसने मेरी समस्या को समझ लिया था। उसने कहा- चलो अभी सो जाते हैं रात बहुत हो गई है। मैंने हामी भर दी, वो अपने कमरे में चली गई.. मैं भी अपने बिस्तर में लेट गया, पर मुझे कहाँ नींद आने वाली थी।
रात के करीब 12 बजे में अपने बिस्तर से उठा और चुपके से सीमा के कमरे में चला गया, धीरे से उसकी चादर हटा कर उसके साथ ही लेट गया। उसकी कोई हरकत नहीं हुई तो मैं उसकी कमर पर हाथ फेरने लगा.. अब भी वो नहीं हिली.. तो मेरी हिम्मत और भी बढ़ गई और मैं अपना हाथ उसकी गांड पर फेरने लगा। मैंने धीरे से उसकी सलवार उतार दी और उसकी पेंटी में हाथ डाल दिया।
मेरे हाथ के स्पर्श से वो एकदम से हिली और जाग गई, उसने मुझे प्यार से देखा फिर धीरे से मेरी ओर खिसक आई। अब मैं अपना हाथ उसकी चुत पर फेरने लगा.. उसकी चुत एकदम गीली हो चुकी थी। मैं धीरे धीरे उसकी चूत को सहलाता रहा और मैंने अपने एक हाथ से मेरी पैंट खोल दी।
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मेरा लंड एकदम तना हुआ था.. मैंने उसकी पेंटी को पूरा उतार दिया। अब मैंने कमरे की लाईट जला दे और लंड हिलाता हुआ उसके पैरों को फैलाया कर नंगी चूत को देखने लगा।
क्या मस्त गुलाबी चुत थी.. वो भी एकदम पानी से तर.. मैंने अपनी जीभ उसकी चुत पर रख कर चाटना शुरू कर दी.. आह्ह.. क्या मस्त नमकीन सा स्वाद था।
‘सस्स्स्स्स्.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… आसस्स्स..’
अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था.. मैंने उसके पैरों को ऊपर किया और अपने लंड को उसकी चुत के मुहाने पर रख दिया। सीमा शायद शर्म के मारे आँखे बंद किए हुए थी.. वो ऐसी दिख रही थी मानो चुत चटवाने का पूरा मजा ले रही हो।
चूत चाटने के बाद मैंने उसकी चुत में लंड फंसा कर धीरे से धक्का मारा.. ‘फक्क..’ की आवाज़ के साथ आधा लंड उसकी चुत में घुस गया।
दर्द के मारे अचानक उसने आँखें खोलीं और तड़फ कर कहा- प्लीज़ धीरे-धीरे करो ना.. दर्द हो रहा है।
मैंने अपने होंठों को उसके होंठों पर चिपका दिए और चूसने लगा। वो कुछ सामान्य सी हुई तो मैंने फिर एक धक्का लगा दिया। अब मेरा लंड उसकी चुत में पूरा जा चुका था.. वो दर्द से तड़फते हुए धीरे-धीरे से सिस्कारियां ले रही थी।
मैं लंड को अन्दर-बाहर करने लगा.. उसे भी मजा आने लगा। कुछ देर धकापेल चुदाई हुई उसने भी मेरा पूरा साथ दिया। थोड़ी देर में मैं झड़ने वाला था.. तो मैंने कहा- मेरा निकलने वाला है! उसने कहा- अन्दर ही डाल दो।
पर मैंने लंड को उसकी चूत से खींच लिया और उसके मुँह के पास लगा दिया। उसने पागलों की तरह मेरे लंड को चूस कर साफ कर दिया। कुछ देर बाद हम दोनों सो गए।
दोस्तो, अब हम दोनों खुल चुके थे.. इसलिए अगले दो दिन मैंने उसके साथ पूरी रात सेक्स करते हुए चुदाई का मजा लिया।
मेरी यह सेक्स स्टोरी आपको कैसी लगी.. प्लीज़ ज़रूर बताना। [email protected]
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