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एक बार फिर से देसी कहानी पर पेश है इस लेटस्ट सेक्स स्टोरीज इन हिन्दी का अगला एपिसोड.. सजा से पहले जो माहौल बहुत तनावपूर्ण था वो अब काम ख़त्म होते ही सामान्य होने लगा था.
सभी लोग उस घटना को ज्यादा तवज्जो ना देते हुए उस घटनाक्रम में हुए वाकये को लेकर मजाक बना रहे थे कि कौन कैसे प्रतिक्रिया दे रहा था.
इससे ये फायदा हुए कि हम एक दूसरे से शरमाने और मुँह छुपाने की बजाय उस चीज के बारे में ओर ज्यादा बात करते हुए उसको हंसी में उड़ाने लगे.
शायद कही ना कही सबको मजा तो आया, अपने पार्टनर के सामने, उसकी ही इजाज़त से किसी ओर से चुदाई में.
हम लोग वहा से सीधे लंच के लिए निकले. लंच के बाद हम एक झरना देखने गए. वहां भीड़ काफी थी तो थोड़ा समय के बाद हम लोगो ने उस झरने की नदी के साथ साथ होते हुए गाड़ी लेकर गए, ताकि आगे कोई शांत स्थान मिले जहा हम नदी के पास बैठ सके.
हम रोड से उतर कर, कच्चे रास्ते से होते हुए एक सुनसान जगह हमने अपनी गाड़ी नदी के पास लगाई.
पायल अशोक के पास गयी और बोली: “यहाँ हम थोड़ी देर रुकने वाले हैं तो कोल्ड ड्रिंक ले आओ ना अशोक, पीछे रास्ते में एक शॉप भी थी.”
अशोक हम तीनो को वही उतार कर वापिस कोल्ड ड्रिंक लेने चला गया.
पायल: “प्रतिमा और डीपू मुझे तुमसे एक बात करनी हैं.”
मैं: “बोलो, क्या बात हैं?”
पायल: “कल देर रात मेरी नींद खुली थी. मुझे सब पता हैं तुम दोनों के बीच क्या चल रहा हैं.”
ये सुनकर मेरे शरीर में तो जैसे खून जम गया, मेरी और डीपू की बोलती बंद हो गयी. मैं पायल से आँखें नहीं मिला पा रही थी. डीपू कुछ बोलने की कोशिश करना चाहता था पर पायल ने उसे रोक दिया और कहना जारी रखा.
पायल: “प्रतिमा, पिछले एक साल से मेरे और डीपू के बीच शारीरिक संबंध ठीक नहीं हैं.”
डीपू: “ये तुम क्या बोल रही हो प्रतिमा के सामने.”
पायल: “ये रात को बैडरूम में आता हैं, लाइट बंद करता हैं और सो जाता हैं. तुम मेरी चूत के बालों का मजाक बना रही थी, तुम्ही बताओ मैं किसके लिए अपने बाल साफ़ करू? कौन देखने वाला हैं?”
मैं: “सॉरी, मुझे पता नहीं था.”
पायल: “जिस रात हम होटल में पहुंचे थे, डीपू तुम्हारे और अशोक के साथ गया था और जब लौटा तो मेरा पुराना डीपू बन कर लोटा. वो मुझसे चिपक कर सोया था और सुबह उसने जम कर मेरी चुदाई की, जिसका मैं एक साल से इंतज़ार कर रही थी. चोदते वक्त उसके मुँह से तुम्हारा नाम भी निकल गया था. तभी मुझे पता चला कि ये तुम्हारा जादू हैं.”
उसने कहना जारी रखा और मैं ध्यान से सुनने लगी.
पायल: “एक घंटा तुम्हारे साथ बिताने से इसमें इतना बदलाव आ गया तो मैंने सोच लिया और कल पुरे दिन मैंने अशोक को अपने साथ बिजी रखा, ताकि डीपू तुम्हारे साथ समय बिता सके और मुझे मेरा पुराना रोमांटिक डीपू मिल जाए.”
मैं: “मगर जंगल में मैंने तुम्हे और अशोक को एक साथ…”
पायल: “तुमने वही देखा जो मैं तुम्हे दिखाना चाहती थी. तुम डीपू से खींची खींची सी रह रही थी. तुम हमारा पीछा कर रही थी, इसलिए मैंने ही अशोक को चूमा और उसको मजबूर किया कि वो मेरे साथ कुछ करे. ताकि तुम हमें उस हालत में देखो और डीपू के करीब जाओ.”
डीपू: “मतलब तुमने भी अशोक के साथ सब कुछ कर लिया!”
पायल :”नहीं, मेरा मन नहीं माना, प्रतिमा के वहा से निकलते ही मैं अशोक से दूर हो गयी और उसको दूसरी दिशा में घुमाने लगी.”
मैं: “मतलब तुम ये चाहती थी कि हम दोनों के बीच शारीरिक संबंध बन जाए?”
पायल:”नहीं, मैं तो बस ये चाहती थी कि डीपू तुम्हारे साथ थोड़ा अकेले समय बिताये और बदल जाए. जंगल में उस चट्टान के पीछे शायद तुम लोग चूदाई ही कर रहे थे. पर मुझे पूरा यकीन नहीं था.”
मैं और डीपू एक दूसरे का चेहरा ताकने लगे.
पायल: “मेरे शक को यकीन में बदलने के लिए मैंने वो मसाज की योजना बनाई और फिर वो संस्कार चेलेंज. वो सजा मैंने सिर्फ इसलिए लिखी थी कि मैं देखना चाहती थी कि तुम वो चेलेंज लेती हो या सजा. अगर तुम चेलेंज छोड़कर वो सजा चुनती तो इसका मतलब तुम्हारा डीपू के साथ चक्कर चल रहा हैं.”
हम तीनो वही पत्थरो पर बैठ गए.
पायल: “ये बात अलग हैं कि बाद में उस सजा में तुम्हारे साथ मैं भी फंस गयी. मेरी रात को रह रह कर नींद खुल रही थी और फिर मैंने तुम दोनों को सेक्स करते देखा. मुझे बहुत गुस्सा आया और तुम्हे पकड़ना चाहती थी, पर अशोक सोया हुआ था और मैं उसके सामने तुम्हे पकड़ना चाहती थी.”
डीपू: “हमने इसलिए किया क्युकि तुम अशोक के साथ पहले ही सब कर चुकी थी. तुम्हारी चूत के बाल चिकने पानी से चिपके थे.”
पायल: “तुम दोनों के सोने के बाद अशोक भी सो गया था. फिर मैंने वही किया जो पिछले एक साल से सोने के पहले करती आ रही हूँ. अपनी उंगलियों को अपनी ही चूत में डाल खुद को खुश करना.”
मैं और डीपू दोनों ही शर्मिंदा थे.
पायल: “सुबह उठ कर मैंने अशोक को यकीन दिलाने की कोशिश की पर वो मानने को ही तैयार नहीं था कि तुम उसे धोखा दे सकती हो. इसलिए मैंने फिर मर्दो को शक वाला चैलेंज दिया. मुझे पता था एक बार चादर में जाने के बाद तुम दोनों फिर से चुदाई जरूर करोगे.”
मैं: “तो फिर तुमने चादर पूरा क्यों नहीं खिंचा? तुम चाहती तो अशोक के सामने मुझे रंगे हाथों पकड़वा सकती थी.”
पायल: “मैं तो करने ही वाली थी कि मुझे डीपू का मजे लेते हुए चेहरा दिख गया. मैंने सोचा प्रतिमा की वजह से मेरा पति फिर से ठीक हो गया हैं तो मैं उसका बुरा क्यों करू.”
डीपू: “आई एम सॉरी पायल, मैंने ये सब तुम्हारी पीठ पीछे किया.”
मैं: “तुमने मुझे बचाया और मैं तुम पर ही शक करती रही. मुझे लगा तुम तीनो मिले हुए हो और मुझे फंसा रहे हो. तुम मुझे माफ़ कर दो, मैंने तुम्हारे पति को समय रहते नहीं रोका.”
पायल: “नहीं नहीं, मैं तो उल्टा तुमसे खुश हूँ. देखो ये हमारा आख़िरी पड़ाव हैं, फिर हम लोग अपने घर लौट जायेंगे. ये एक आख़िरी मौका हैं, तुम दोनों को कुछ करना हैं तो कर सकते हो. अशोक की चिंता मत करो, उसको ध्यान मैं दूसरी तरफ लगा दूंगी.”
डीपू: “कैसी बात कर रही हो. अब मैं कैसे कर सकता हूँ?”
मैं: “अब हम ये नहीं कर सकते.”
पायल: “मुझे धोखे में रख तुमने मेरी मदद ही की थी, अब मैं जान चुकी हूँ तो मेरी मदद नहीं करोगी? मैं तुम्हारे साथ जबरदस्ती नहीं करुँगी, अगर तुम्हारा मन करे तो बाद मुझे इशारा कर देना और मैं अशोक को संभाल लुंगी. मैं चाहती हूँ कि तुम मेरे पति को रिचार्ज कर दो ताकि कुछ समय तक इसकी चार्ज बैटरी का मैं उपयोग कर सकू.”
तभी सामने से अशोक की गाड़ी आते हुए दिखाई दी. वो भी हमारे साथ आकर बैठ गया. हम लोग पानी में जाना चाहते थे पर अपने साथ कोई कपड़े नहीं लाया था. सब सुबह ही बेग में पैक कर दिए थे. हम नदी के किनारे पड़े पत्थरो पर बैठ गए.
अशोक: “बचपन में मैं तालाब में खूब नहाया हुआ हूँ, सारे कपडे खोल कर.”
डीपू: “तो अभी कौन रोक रहा हैं?”
अशोक: “अब बड़े हो गए हैं तो शरम आती हैं.”
डीपू: “हम चारो के अलावा कौन देख रहा हैं? कोई भी नहीं हैं यहाँ.”
अशोक: “अपनी बीवी और दोस्त के सामने तो नंगा हो सकता हूँ पर पायल के सामने!”
डीपू: “अभी थोड़ी देर पहले ही तो ना सिर्फ नंगे हुए बल्कि पायल को तुमने चो… समझे.”
पायल: “अशोक तुम्हारी इच्छा हैं तो जाओ पानी में मुझे कोई ऐतराज नहीं, अब कैसी शर्म.”
अशोक: “अकेले शर्म आएगी, डीपू तुम भी चलो. इसी बहाने अपना पाप भी धो लेंगे.”
डीपू: “ठीक हैं, वैसे भी पानी में भीगने में मजा आता हैं”.
अशोक और डीपू अपने सारे कपड़े किनारे पर उतार कर पानी में चले गए. घुटनो के ऊपर तक पानी था. वो वहा बैठ गए और पानी उछाल मजे लेने लगे. वो हम दोनों पत्नियों को भी बुला रहे थे पर हमारे पास भी अतिरिक्त कपड़े नहीं थे तो मना कर दिया.
अशोक: “अरे आ जाओ, पानी में मजा आ रहा हैं. जीन्स टीशर्ट निकाल कर, अंदर के कपड़ो में आ जाओ, कपड़े तो सुख जायेंगे.”
पायल: “नहीं, मेरी इच्छा नहीं हैं.”
मैं: “मेरे तो अभी तक थोड़ा थोड़ा दर्द हो रहा हैं, मैं नहीं आ सकती.”
डीपू: “फिर तो तुम्हे जरूर आना चाहिए. पानी के बहाव से एक मसाज जैसा फील होगा और तुम्हारा दर्द चला जायेगा. पानी के बहाव के विरुद्ध पाँव खोल कर बैठ जाना.”
मैं: “नहीं मेरे कपडे इतनी जल्दी नहीं सूखेंगे. मैं बाद में गीले कपडे नहीं पहन सकती.”
पायल: “अरे तो उतार कर आ जाओ ना, वो दोनों भी तो बैठे हैं ऐसे ही.”
मैं: “कैसी बातें कर रही हैं, वो लड़के हैं.”
डीपू: “कर दिया ना लड़को और लड़की में भेद.”
अशोक: “अरे अब छुपाने को क्या रखा हैं, कल से ही तो हम सब देख रहे हैं.”
मैं: “पायल तुम भी चलो, मुझे अकेले शरम आएगी.”
पायल: “अरे यहाँ ओर कौन हैं, वो दोनों भी तो नंगे हैं. तुम जाओ, मैं बाद में आ जाउंगी.”
इस दर्द के साथ शाम को लम्बा सफर करना मुश्किल होगा, ये सोच मैंने अंदर जाने का मन बना लिया. मैंने अपनी जीन्स और टीशर्ट उतार दिया. फिर एक एक करके अपना ब्रा और पैंटी भी निकाल कर दूसरे कपड़ो के साथ रख दिया.
अब मैं जलपरी की तरह धीरे धीरे पानी में उतरने लगी. दोनों मर्द मुझे मुँह फाड़ कर देख रहे थे और तरस रहे थे.
अशोक और डीपू एक दूसरे सामने थोड़ी दुरी पर बैठे थे. अशोक पानी के बहाव की दिशा में मुँह किये हुए थे और डीपू बहाव के विरुद्ध.
मैं उन दोनों से थोड़ा पहले पानी के बहाव के विरुद्ध बैठ गयी और अपने दोनों पाँव खोल लिए. पानी मेरे कंधो के नीचे तक आ रहा था. पानी का बहाव मेरे शरीर से टकरा रहा था. खास तौर से मेरे नीचे के दोनों छेदो से टकरा कर मुझे बहुत राहत मिल रही थी.
दस पंद्रह मिनट तक बातें चलती रही और मेरी पानी वाली मसाज होती रही. फिर मुझे नीचे के कंकर पत्थर चुभने लगे तो मैं खड़ी हो गयी.
डीपू : “क्या हुआ अच्छा नहीं लगा क्या मसाज?”
मैं: “मसाज तो अच्छा लग रहा हैं पर नीचे छोटे छोटे पत्थर चुभ रहे हैं.”
अशोक: “तो इधर आओ, मेरी गोद में बैठ जाओ.”
मैं: “नहीं, तुम पानी के बहाव के साथ बैठे हो, मुझे उसके विरुद्ध बैठना हैं.”
डीपू: “एक काम करो मेरी गोद में बैठ जाओ.”
मैंने अशोक को देखा, उसने कहा “हां, बैठ जाओ, बैठना हैं तो.”
वो किस्मत वाला होता है जिसे एक हॉट देसी पड़ोसन मिलती है, और ऊपर से जब किसी पड़ोसन की कुवारी चूत चोदने का मोका मिले तो क्या ही कहने. देसी कहै पर आप ऐसी बहुत सी लेटस्ट सेक्स स्टोरीज इन हिन्दी पढ़ सकते है.
मैं अब डीपू के पास गयी और पलट कर उसकी गोद में बैठ गयी. पाँव खोल दिए और फिर मसाज लेने लगी. उसकी गोद में बैठने से थोड़ा कुशन मिला.
थोड़ी देर के लिए मैं ये भूल ही गयी थी कि उसने भी नीचे कपड़े नहीं पहने हैं. मैंने ये महसूस किया कि मेरी नरम गांड के संपर्क से उसका लंड कड़क होने लग गया था.
वो अपने दोनों हाथ पीछे की तरफ टिकाये बैठा था. पानी के अंदर ही वह अब अपना एक हाथ आगे लाया और मेरी जांघो को दबा कर मेरी चूत को छू इशारा कर रहा था कि मैं उसका लंड अपने अंदर ले लू.
मैंने उसका हाथ दबा कर जैसे इशारा किया कि मैं ये नहीं कर सकती.
दो बार मना करने के बाद उसने अपना हाथ मेरी चूत पर रख मालिश करने लगा. मेरे अंदर फिर वासना की तरंगे उठने लगी. उसका लंड मेरी गांड के नीचे दबा था.
मैं थोड़ा उठते हुए ऊपर खिसकी और उसका लंड नीचे से निकाल मेरे आगे कर दिया. उसका लंड अब मेरी चूत को दबाये हुए था.
मैं अब अपना एक हाथ उसके लंड पर रख रगड़ने लगी. वो हलकी हलकी सिसकी मारने लगा. वो अपने दोनों हाथ फिर पीछे टिका कर बैठ गया और मेरे हाथ की मसाज का लुत्फ़ उठाने लगा.
थोड़ी देर बाद हमने देखा कि पायल भी अपने कपडे उतार रही हैं. दोनों मर्द सीटी बजा चिल्लाने लगे. पायल ने अपने सारे कपड़े निकाले और पानी में आकर बोली “कहा बैठु मैं?”
अशोक: “अब बस मेरी गोद खाली हैं.”
पायल: “चलो पहली बार एक औरत आदमी की गोद भरेगी.” बोलकर पायल अशोक की गोद में बैठ गयी.
डीपू बार बार अपने होंठ मेरी पीठ पर लगा चूमने लगा. मैं एक बार फिर थोड़ा उठी और उसका लंड अपनी चूत में घुसा दिया. इतनी देर पानी की मसाज के बाद मेरी चूत फिर तैयार थी एक नया दर्द लेने के लिए.
अब डीपू नीचे से ही हलके हलके धक्के मारते हुआ अपना लंड मेरी चूत के अंदर बाहर कर रगड़ रहा था. थोड़ी देर तक ऐसे ही हम धीरे धीरे मजे लेते रहे.
जैसे ही अशोक दूसरी ओर देखता डीपू दो चार झटके जल्दी जल्दी मार लेता. पर हमें लगातार तेज झटको की जरुरत थी.
पायल ने हमारी हालत समझ ली थी. पायल ने बोला कि वो और अशोक दोनों अब किनारे पर जा रहे हैं. जैसे ही वो पलटे डीपू ने जोर जोर से झटके मारने शुरू कर दिए.
फिर पायल किनारे पर जाकर इस इस तरह लेटी कि उसका सर पानी के बाहर किनारे पर था जब कि पीठ से लेकर पाँव तक पानी में डूबे थे. अशोक भी उसके पास जाकर इसी तरह लेट गया.
उन दोनों के मुँह किनारे की तरफ थे, तो हम दोनों इसका भरपूर फायदा उठाते हुए चोदने के मजे लेने लगे. पानी में चुदने का मजा ही अलग था.
मैंने पायल की तरफ देखा और मुझे ग्लानि हुई, मुझे लगा मैं इतना स्वार्थी नहीं हो सकती. मैंने डीपू को कहा और हम चोदना छोड़ उनकी तरफ बढे.
हम लोग भी किनारे पर आ गए. डीपू जाकर कोक की दो बोतल ले आया.
डीपू: “आज मैं तुम सब को एक अलग तरीके से कोक पीने का तरीका बताता हूँ. पायल, ज़रा पानी से बाहर आकर सीधी लेट जाओ.”
पायल किनारे से थोड़ा आगे जा कर सीधा लेट गयी. डीपू ने थोड़ा कोक उसकी नाभी के छेद में डाला और अपने होंठ उसकी नाभी पर रख कोक को चूस लिया. पायल की एक आह निकली.
उसने कुछ घूंट इसी तरह ओर पिए और पायल को मीठी गुदगुदी होने लगी.
डीपू: “बोतल से पीने पर इतना स्वाद नहीं आ पाता.”
अशोक: “क्या बात कर रहे हो?”
डीपू: “आओ, तुम भी ट्राय करो.”
अशोक ने मुझे भी पायल के पास एक हाथ दूर लेटाया और मेरे और पायल के बीच आकर बैठ कर थोड़ा कोक मेरी नाभी में डालने लगा पर डीपू ने टोक दिया.
डीपू: “प्रतिमा की नाभी तो सपाट हैं, क्या पियोगे? इधर मुड़ो, पायल की नाभी से पियो.”
अशोक पायल की तरफ मुड़ा और डीपू ने थोड़ा ओर कोक पायल की नाभी पर डाला और अशोक ने मजे लेते हुए चूस लिया. पायल को मजा आ रहा था अपने पेट पर होती चुम्मियो से.
डीपू: “अशोक, अब हम दोनों एक साथ पीयेंगे. रेडी?”
अब डीपू ने थोड़ा थोड़ा कोक पायल के दोनों निप्पलो पर डाल दिया और झुक कर पायल के निप्पल चूसने लगा. पर अशोक ठिठक कर रुक सा गया. डीपू निप्पल चूसने के बाद सीधा हुआ.
डीपू: “ये ओर ज्यादा मजेदार था, तुमने नहीं पिया? क्यों शरमा रहे हो? अच्छा प्रतिमा तुम आओ.”
मैं आगे बढ़ कर पायल के करीब आयी और डीपू ने फिर थोड़ा कोक पायल के दोनों निप्पलो डाल दिया और मैं और डीपू एक साथ पायल के मम्मो पर टूट पड़े. पायल जोर से सिसकियाँ मारते हुए कराहने लगी.
मैं: “हम्म, मस्त टेस्ट हैं. ऐसे पीने से टेस्ट तो बढ़ जाता हैं.”
डीपू: “चलो अशोक, अब तुम भी ट्राय करो.”
मैं पीछे हट गयी और अशोक को आगे आने की जगह दी.
फिर डीपू ने थोड़ा कोक पायल के बड़े मम्मो के बीच की गली में डाल दिया. अशोक घबरा कर रुक गया. पायल के बड़े मम्मो की ऊंचाई से कोक रिसते हुए उसकी नाभी तक आ गया.
डीपू : “जल्दी पियो, नीचे गिर जाएगा कोक.”
अशोक ने जल्दी से अपनी जीभ पायल की नाभी पर रखी और कोक चाटते हुए अपनी जीभ पायल के मम्मो के बीच की गली तक ले आया.
पायल ने एक सिसकी निकाली और मजे में तड़पते हुए अपनी पीठ जमीन से थोड़ी ऊपर उठा दी.
डीपू ने अशोक को रेडी रहने को कहा और कोक पायल के एक निप्पल पर डाल दिया, अशोक ने जल्दी से उसका निप्पल अपने होंठों में भर लिया और चूसने लगा. पायल की फिर सिसकिया निकलने लगी.
हम दोनों मिलकर अशोक और पायल को करीब लाने में लग गए थे. क्या हम कामयाब हो पाएंगे? या हम दोनों को भी एक आखिरी मौका मिलेगा?
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