This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
दोस्तो, मेरा नाम नवीन है, मैं चंडीगढ़ में रहता हूँ। पतला दुबला हल्का सा सांवला हूँ।
मैं एक गे हूँ, मतलब लौंडा हूँ, मर्दों के लंड चूसना मुझे बहुत पसंद है। मगर बात सिर्फ चूसने तक होती तो कोई बात नहीं थी, जिस सज्जन का पहली बार मैंने लंड चूसा, उसने ही पहली बार मेरी गांड भी मारी थी। उसके बाद यह मेरा रूटीन बन गया।
मेरे मित्र जोशी जी जिनसे मैं प्रेम करता हूँ, और जो मेरे पति भी हैं, मैं ऐसा मानता हूँ, एक दिन वो बोले- सुन, मेरा एक दोस्त है, एक दिन उनसे तेरे बारे में बात की थी, वो भी तुमसे मिलना चाहते हैं। अब मिलना मतलब गांड मरवाना ही होता है मेरे लिए तो! पहले तो मैंने ऐतराज जताया के आपने किसी और से मेरी बात क्यों की, मगर जोशी जी बोले- अरे बड़ा गहरा मित्र है मेरा, बहुत प्यार है हम में, तुम एक बार जाकर मिल लो बस!
मैंने थोड़ा बेमन से हाँ कर दी, अब जोशी जी को मैं कभी ना नहीं कहता।
एक दिन संडे की छुट्टी थी, जोशी जी मुझे अपने साथ ले गए, हम एक होटल में गए, वहाँ जोशी जी ने मुझे अपने मित्र बटुकेश्वर सिन्हा से मिलवाया, जिसे वो बंटू कह कर बुलाते थे। उम्र 50 साल, कोई 6 फीट कद, चौड़े कंधे, पेट बाहर निकला हुआ, अच्छे खासे लंबे चौड़े व्यक्ति थे। हमने वहाँ चाय पी और पूरे समय बंटू जी मुझे ही देखते रहे, उनकी आंखों से लग रहा था जैसे वो चाह रहे हो कि मुझे वहीं पे चोद दें।
चाय के बाद हम वहाँ से चल पड़े और बंटू जी मुझे अपने साथ अपनी ही गाड़ी में अपने घर ले गए।
घर काफी बड़ा था, मुझे ड्राइंग रूम में बैठा कर वो अंदर चले गए, जब वापिस आए तो उनके बदन पे सिर्फ एक लुंगी बंधी थी। सीने पे, कंधों पे पीठ पे, ढेर सारे काले सफ़ेद बाल!
लुंगी के नीचे शायद उन्होंने कुछ नहीं पहना था, इस लिए उनकी लुंगी में से ही उनका लंड हिलता हुआ नजर आ रहा था। मेरे पास आ कर बैठ गए, एक सिगरेट जलाई, मुझे भी दी मगर मैंने नहीं ली। एक लंबा कश लगा कर बोले- नवीन क्या क्या सर्विसेस देते हो तुम? मैंने कहा- सर जोशी जी ने आपको सब बता ही दिया होगा। वो बोले- हाँ, मगर मैं तुम्हारे मुख से सुनना चाहता हूँ।
मैंने कहा- सर, लंड चूस लेता हूँ, आप चाहें तो पीछे सेक्स भी कर सकते हैं। वो बोले- अरे यार, ये तो सब करते हैं, मेरी बीवी भी करती है, तुम में खास क्या है? अब और क्या खास बताऊँ, मैंने कहा- सर एक औरत के लंड चूसने और एक लौंडे के लंड चूसने में ज़मीन आसमान का अंतर होता है, और औरत का समान ढीला होता है और लौंडे का टाईट। आप ज़रूर बहुत एंजॉय करोगे सर!
वो बोले- ओके, अगर मैं कहूँ, तो अभी मुझे क्या दिखा सकते हो? मैंने कहा- आपकी डिस्पोज़ल पे हूँ सर, आप जो कहोगे वो करूंगा।
उन्होंने ने लुंगी के ऊपर से ही अपने लंड को हिलाया, मैंने अपना अंदाज़ा लगाया के इनका 5 या 6 इंच का लंड होगा, जो अभी खड़ा नहीं हुआ था। मैं उठ कर उनके सामने जा खड़ा हुआ और एक एक करके अपने कपड़े उतारने लगा। जब सिर्फ चड्डी मेरे बदन पर रह गई तो मैंने पूछा- यह भी उतार दूँ? वो सिगरेट पीते हुये बोले- हाँ उतार दे।
मैंने अपनी चड्डी भी उतार दी और बिल्कुल नंगा होकर उनके पांव के पास जा बैठा- क्या पहले आप अपना लंड चुसवाना पसंद करेंगे? मैं उनकी लुंगी के ऊपर से ही उनकी जांघों के सहलाते हुये बोला, मैंने महसूस किया के उनकी जांघों पर भी बहुत बाल थे, एकदम जंगली, जैसे रीछ हो कोई!
वो बोले- बात सुन, मुझे तुमसे कुछ और भी काम है, अगर तू मेरे लिए कर दे तो? पहले तो मुझे लगा, कहीं यह भी तो लौंडा नहीं, कहीं मुझसे अपनी गांड मरवाना चाहता हो। फिर भी मैंने पूछा- क्या सर, बताइये, मैं आपकी क्या खिदमत कर सकता हूँ?
वो उठे और मुझे अपने साथ अपने बेडरूम में ले गए। अंदर घुसे तो अंदर बेड पर एक 45-46 साल की औरत बैठी थी, हल्के गुलाबी रंग की नाईटी पहने हुये, मगर नाईटी इतनी पतली कि उसमें से उसका ब्रा और पेंटी दोनों बड़े साफ दिख रहे थे, अच्छा भरवां मांसल बदन, गोरा रंग!
अब अपने सामने एक औरत को देख कर मुझे एकदम से शर्म सी आई, मैंने खुद को ढकने की कोशिश की, तो बंटू जी बोले- अरे छुपा मत, आ जा! मैं आगे आया, तो वो औरत उठ कर खड़ी हो गई।
बाँटू जी बोले- यह मेरी पत्नी है शोभा, हम दोनों की सेक्स लाइफ में अब कुछ भी नया नहीं बचा है, इस लिए तुम्हारी सेवायें ली हैं। मैंने पूछा- मुझे क्या करना है सर? वो बोले- मैं चाहता हूँ, तुम मेरी बीवी को मेरे सामने चोदो, और अपनी बीवी के सामने मैं तुम्हारी गांड मारूँ!
मैंने कहा- मगर सर, मुझे किसी औरत के साथ सेक्स करने में कोई मजा नहीं आता, मुझे तो लंड चूसने और गांड मरवाने का शौक है, इसी लिए मैं ये सब करता हूँ। ‘तुम चाहो तो इसके लिए पैसे ले सकते हो!’ बाँटू जी बोले। मैंने कहा- सॉरी सर, मैं पैसे के लिए ये काम नहीं करता। ‘तो इंसानियत के लिए कर सकते हो!’ उनकी बीवी बोली।
पहले तो मैं उनकी बात नहीं समझा कि इसमें साली इंसानियत कहाँ से घुस गई। मगर फिर मैं चुप ही रहा तो मिसेज़ सिन्हा मेरे पास आई और बिल्कुल मेरे सामने खड़ी हो गई। बड़ी मुश्किल थी, एक औरत सामने नंगा खड़ा होने की, उन्होंने मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ा और बोली- बंटू तुमसे बड़ा है इसका! बंटू जी बोले- तो ले ले! मैंने कब मना किया है।
मिसेज़ सिन्हा मुझे लंड से ही पकड़ कर बेड के पास ले गई, वो बेड पे बैठ गई, मैं उनके सामने खड़ा था। उनके पकड़ने का असर यह हुआ कि मेरा लंड तन गया। बंटू जी भी मेरे पास आकर खड़े हो गए, उन्होंने अपनी लुंगी खोल दी, बेशक उन्होंने अपनी झांट साफ कर रखी थी मगर उनका सिर्फ 3-4 इंच का लंड ही था।
मिसेज़ सिन्हा ने हम दोनों के लंड अपने हाथों में पकड़ लिए और बारी बारी से चूसने लगी। अब लंड चुसवा कर मुझे मजा आया तो मैंने भी बंटू जी के कंधे पे सर रख दिया, बंटू जी ने मेरा चेहरा अपनी तरफ घुमाया और मेरे होंठों पे किस किया, मेरे दोनों बूब्स पकड़ के दबाये, मेरे निप्पल को मसला। मैं नीचे बैठ गया और मैं बंटू जी का लंड अपने मुख में लेकर चूसने लगा। जब मैंने चूसा तो बंटू जी खुद बोले- अरे वह यार, तू तो मस्त चूसता है, ऐसी चुसाई तो आज तक नहीं देखी।
मिसेज़ सिन्हा ने अपनी नाईटी, ब्रा पेंटी सब उतार दी और बिल्कुल नंगी हो गई। बंटू जी अपनी बीवी के मम्मे चूसने लगे, कभी दबाते, कभी काटते, मिसेज़ सिन्हा हाय हाय कर रही थी, और मैं नीचे फर्श पे बैठा, सिन्हा साहब के लंड, आंड, गांड सब चाट गया। मैं चाहता था कि सिन्हा साहब अपनी बीवी से ज़्यादा मुझे प्यार करें।
सिन्हा साहब का लंड भी पूरी तरह तन चुका था और तन कर बस 5 इंच का ही हुआ, मगर मेरा लंड सिन्हा साहब से लंबा भी था और मोटा भी!
फिर मिसेज़ सिन्हा बेड पे लेट गई, उन्होंने अपनी टाँगें पूरी तरह से फैला दी, इतना बड़ा भोंसड़ा, काले रंग का! बंटू जी बोले- चल नवीन, चढ़ जा मेरी बीवी पे! मैंने कहा- मगर आप? वो बोले- तू उस पे चढ़, मैं तेरे पे चढ़ूँगा।
बेशक ये मेरा काम नहीं था, मगर मैं मिसेज़ सिन्हा के ऊपर लेटा तो उन्होने खुद ही मेरा लंड पकड़ा और अपनी चूत पे रखा और वो घप्प से अंदर घुस गया, वो पहले ही पानी से लबालब हो रही थी।
अब सिन्हा साहब उर्फ बंटू जी आए, उन्होंने मेरे दोनों चूतड़ खोले, थोड़ा सा थूक मेरी गांड पे और अपने लंड लगाया और मेरी गांड पे रख कर अपना लंड अंदर को ठेला, थोड़ी सी मशक्कत से ही उनका लंड मेरे अंदर घुस गया।
अभी सिर्फ उनके लंड का टोपा ही अंदर घुसा था, मिसेज़ सिन्हा बोली- पूरा अंदर डालो बच्चे! यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
मगर मेरा पूरा ध्यान अपने पीछे ही था, बंटू जी ने एक और धक्का मारा और उनका आधा लंड मेरी गांड में घुस गया। अब मेरे मुंह से हल्की सी एक सिसकारी निकली, मगर बंटू जी के धक्के से मेरा लंड भी पूरे का पूरा मिसेज़ सिन्हा की चूत में घुस गया, तो उन्होंने भी एक लंबी ‘आह’ भरी।
‘लड़के में दम है, साइज़ भी ठीक है, और कड़क भी पूरा है!’ मिसेज़ सिन्हा बोली। ‘और गांड भी टाइट है साले की!’ बंटू जी बोले।
उसके बाद जब बंटू जी पीछे से मेरी गांड में धक्का मारते, खुद ब खुद मेरा धक्का मिसेज़ सिन्हा को लग जाता। एक ही बार में बंटू जी को दो लोगों को चोद रहे थे।
मिसेज़ सिन्हा शायद मुझसे ज़्यादा ही प्रभावित थी, वो बार बार मेरे सीने पे हाथ फेर रही थी, मेरे कंधे बाजू सब को सहला रही थी- बहुत प्यारे हो बच्चे! तुमने तो मजा ही दिला दिया।
मगर मुझे तो चूत मारने से ज़्यादा मजा अपनी गांड मरवाने में आ रहा था, बंटू जी अपनी पूरी ताकत लगा रहे थे और उनके बदन के सख्त बाल मेरे बदन को रगड़ रहे थे।
फिर सिन्हा साहब उठ कर गए और एक कोई लुब्रिकेंट उठा लाये, पहले तो अपने लंड पे लगाया और फिर मेरी गांड पे भी लगा दिया- अब देखना! वो बोले, फिर से अपना लंड मेरी गांड पे रखा और अंदर डाल दिया, इस बार तो बड़े आराम से पिचक कर के फिसल के उनका सारा लंड मेरी गांड में घुस गया।
बंटू ने अपना बदन मेरे बदन से चिपका दिया और अपनी बीवी के दोनों मम्मे पकड़ लिए- अब देख साली मादरचोद, कैसे 7 इंच के लंड से तेरी चूत चोदता हूँ मैं! कह कर सिन्हा साहब बड़े जोश से ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगे और उनके हर धक्के से मैं आगे मिसेज़ सिन्हा को चोद रहा था। मिसेज़ सिन्हा की चूत इतना पानी छोड़ रही थी कि फ़च फ़च की आवाज़ आ रही थी और लुब्रिकेंट की वजह से मेरी गांड अलग फिच फिच कर रही थी। मिसेज़ सिन्हा अपनी ‘हाये हाये’ कर रही थी, मैं अपनी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ कर रहा था और बंटू जी अपनी ‘आह आह’ कर रहे थे और बीच बीच में हम दोनों की माँ बहन भी कर रहे थे।
‘शोभा, साली रांड, अब देख अपने यार का लौड़ा, आज तेरी माँ न चोद दी तो कहना!’ बंटू जी बोले। तो नीचे से उनकी पत्नी भी बोली- चोद साले हरामी, और ज़ोर से चोद, हाय आज बड़े दिनों बाद कोई लंड मिला है! हाय, वर्ना तेरी लुल्ली से तो कोई मजा ही नहीं आता था, चोद साले, हाय चोद!
मैं समझ नहीं रहा था कि ये दोनों एक दूसरे को गालियां निकाल रहे हैं या मुझे? मैं बीच में फंसा एक चूत को चोद भी रहा था और अपनी गांड मरवा भी रहा था।
खैर, काफी देर उन दोनों की गालियों का दौर चलता रहा, और मैं सिर्फ अपनी गांड मरवाने का मजा लेता रहा, मुझे उस बुड्ढी की चूत मारने में कोई मजा नहीं आ रहा था। मगर इतना ज़रूर था की बंटू जी के लौड़े में दम था, कोई 20 मिनट उन्होंने मुझे जम कर पेला, बीच बीच में कई बार लुब्रिकेंट भी डालते रहे।
सबसे पहले मिसेज़ सिन्हा स्खलित हुई, जब वो झड़ी तो उन्होंने मेरा मुँह पकड़ कर एक लंबा और जोरदार चुम्बन मेरे होंठों पे दिया, चुम्बन क्या था, मेरे होंठ ही चबा गई वो।
उसके बाद वो निढाल हो कर लेट गई। वो शांत हो गई तो सिन्हा साहब ने मुझे उनके ऊपर ही लेटा दिया और पीछे से मेरी गांड मारते रहे। अगले एक आध मिनट में ही वो भी मेरी गांड के अंदर ही झड़ गए।
मैंने कहा- ओह अंकल, आपने जल्दी कर दी, अपना माल मेरे मुँह में गिराते, मुझे वीर्य पीना अच्छा लगता है। वो बोले- कोई बात नहीं, अगली बार मुँह में ही गिराऊँगा।
मैं शांत हो कर लेटा रहा, मगर मेरा लंड अभी भी खड़ा था तो मिसेज़ सिन्हा बोली- सुन तेरा तो अभी खड़ा है, मुझे चूसना है। अब यह भी मुझे कोई पसंद नहीं था, मगर मैंने उन्हें मना नहीं किया।
बंटू जी मेरे ऊपर से उठे, मैंने आंटी के ऊपर से उठा। सिन्हा साहब ने मेरे चूतड़ खोल कर देखे, उनका वीर्य मेरी गांड से चू कर बाहर आ रहा था। मुझे बेड पे बैठा कर आंटी नीचे फर्श पर बैठ गई और मेरे लंड को चूसने लगी।
बेशक मुझे मर्द पसंद हैं, मगर औरत औरत ही होती है, उसके लंड चूसने से मुझे भी मजा आया और जब मैं झड़ा तो मेरा सारा माल उसने अपने मुँह पर गिरवाया और उंगली से सारा चाट गई।
झड़ने के बाद मैंने पूछा- सिन्हा साहब, अब? वो बोले- चिंता मत कर, शाम तक यही सब होने वाला है, अभी खाना खाते हैं, उसके बाद और भी दौर चलेंगे।
उसके बाद हम तीनों नंगे ही बाथरूम में गए और एक साथ नहाये। [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000