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मेरा नाम माया पटेल है मगर मेरा घर का नाम नैन्सी है, शादीशुदा बाल बच्चेदार औरत हूँ। देखने में सुंदर हूँ,दो बच्चों की माँ होने के बावजूद मैंने अपने शरीर बेडौल नहीं होने दिया खुद को फिट रखा है। पति मेरे से बहुत प्यार करते हैं, हर तरह से मुझे संतुष्ट करते हैं, शादी के 6 साल बाद आज भी हम दोनों ऐसे प्यार करते हैं जैसे अभी नई नई शादी हुई हो।
कुछ पॉर्न साइट्स देख कर और बाकी अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर सेक्सी कहानियाँ पढ़ पढ़ कर मेरी कामोत्तेजना आज भी पूरी जवान है। मुझे हर तरह से सेक्स करना पसंद है। बस एक ही काम ऐसा है जो मैंने नहीं किया, वो है अपने पति के अलावा किसी और से सेक्स! ऐसी बात नहीं कि कभी दिमाग में ऐसा विचार नहीं आया, बहुत बार सोचती थी, मगर कभी कोई ऐसा शानदार मर्द मिला ही नहीं, जिसे देखते ही मैं यह चाहूँ कि इसके साथ सेक्स करके मजा आ जाएगा अगर मुझे कोई मौका मिला तो!
एक बार हम दोनों पति पत्नी एक वीडियो देख रहे थे, उस वीडियो में दो जोड़े थे, मगर खास बात यह देखी कि अपनी महिला साथियों के अलावा उन दोनों मर्दों ने एक दूसरे साथ भी संभोग किया। सच कहती हूँ, वो वीडियो तो मेरे दिमाग में घर कर गई, मैंने अपने पति से भी कहा- अगर कभी मौका मिला तो क्या आप इस वीडियो में जो कुछ हुआ है, वो सब करना चाहोगे?
काम में आवेग में उन्होने भी हामी भर दी- हाँ, मैं ये सब कर सकता हूँ, पर पहले तुम इधर आओ और मेरा लंड चूसो! कह कर उन्होने अपना लंड मेरे मुंह में दिया, जिसके बाद हमने धुआँदार सेक्स किया।
मगर वो वीडियो वाली बात मेरे दिमाग में बस गई और इसी तरह चलते चलते 2 साल का समय बीत गया। मगर इन दो सालों में भी मैं अक्सर जिन लोगों से मिलती थी, उन्हें देखती थी, अक्सर सोचती थी, इसकी पैंट में भी एक लंड होगा, जिससे यह अपनी बीवी या प्रेमिका को चोदता होगा।
कभी कभी को ज़्यादा ही सुंदर बांका नौजवान देखती तो दिल करता कि इससे पूछ ही लूँ- मेरी लेगा? मगर फिर सोचती कहीं ये मुझे कुछ और ही न समझे।
दो चार लोगों को लाइन भी दी, मगर किसी ने पकड़ी ही नहीं। अगर पकड़ी भी तो कहानी सिरे ही नहीं लगी, बस दूर से ही देख कर चले गए।
फिर एक दिन हमारे पड़ोसी गुप्ता जी के घर में नए किरायेदार आए। गुप्ता जी के घर से हमारा बहुत प्रेम है, तो जब उनके किरायेदार आए तो मैं भी खड़ी देख रही थी, मजदूर समान उतार कर अंदर रख रहे थे। थोड़ी देर देख कर मैं वापिस अंदर आ गई और अपने काम में लग गई।
शाम को गुप्ता जी ने हमें अपने घर चाय पे बुलाया, हम दोनों गए।
गुप्ता जी के ड्राइंग रूम में एक खूबसूरत जोड़ा बैठा था, दो छोटे छोटे बच्चे भी थे, करीब 28-30 साल की एक नौजवान लड़की, साथ में उसका पति वो भी करीब 30-32 का ही होगा। दोनों की जोड़ी मुझे बहुत पसंद आई, दोनों एक दूसरे के पूरक लग रहे थे, जैसे दोनों एक दूसरे के लिए ही बने हों।
हम सब का परिचय गुप्तजी की बीवी ने करवाया, सबने मिल कर चाय पी और काफी देर तक बैठ कर बातें करते रहे। लेकिन खास बात जो थी, मुझे वो आदमी बहुत पसंद आया, मैं बार बार उसको देख रही थी, लंबा, गोरा, पतला मगर मजबूत काठी का नौजवान! मुझे ऐसे लगा जैसे उसे देख कर मेरे बूब्स के निप्पल सख्त हो गए हों।
दिल किया कि अभी इसकी गोद में बैठ जाऊँ और इसके होंठ चूम लूँ और वो मेरे होंठ चूसता चूसता मेरे चूचुकों को मसले। तभी मेरे बदन में जैसे झुरझुरी सी हुई, और शायद एक बूंद पानी की मेरी चूत से रिस गई, मुझे लगा जैसे जिस इंसान को मैं ढूंढ रही थी, वो मुझे मिल गया।
मगर उसने मेरी तरफ कोई खास तवज्जो नहीं दी, वो अपनी पत्नी या फिर मर्दों से बात करने में ही बिज़ी रहा। मेरी तरफ उसने सिर्फ एक या दो बार देखा।
उसकी पत्नी निकिता एक खूबसूरत, मॉडर्न, फैशनेबल और सही शब्द का इस्तेमाल करूँ, तो सेक्सी औरत थी, नेवी ब्लू साड़ी और स्लीवलेस ब्लाउज़ में उसकी गोरी चिकनी बाहें मुझे खुद औरत होते हुये भी बहुत ही सेक्सी लगी, देखने में भी बहुत सुंदर थी और बातें तो बेहद करती थी, बस बोलती थी, हँसती थी, बोलती थी, हँसती थी। सारे घर में उस से ही रौनक थी।
जब हम घर वापिस आए तो मेरे पति ने भी दबी सी जुबान में उसकी सुंदरता की तारीफ की, तो मैंने भी उसके पति की पर्सनैलिटी को सराहा। मगर दोनों में से किसी ने भी अपने दिल की बात एक दूसरे से नहीं कही, चाहे मैं समझ गई के मेरे पति को उसका हुस्न भा गया और शायद मेरे पति भी समझ गए कि मुझे भी उस मर्द की मर्दानगी भा गई।
उसके बाद धीरे धीरे हम लोगों में आपसी मेल मिलाप बढ़ने लगा, अक्सर एक दूसरे के घर से दाल सब्जी की कटोरी शेयर होने लगी। खाना भी वो बहुत अच्छा बनाती थी। कभी कभी हम एक दूसरे के घर भी आते जाते, मगर हम दोनों औरतों का आपस में रोज़ का मिलना था, धीरे धीरे हम दोनों आपस में खुलने लगी।
उसकी लव मैरिज थी। अब बोलती ज़्यादा थी तो यह भी पता चल गया कि शादी से पहले ही इसने अपने पति के साथ सब कुछ कर लिया थ और शादी से पहले ही उसका बड़ा बेटा उसके पेट में आ चुका था, इसलिए जल्दबाज़ी में शादी करनी पड़ी।
अब जब सेक्स की बातें हमने शेयर कर ली तो मैंने उसके साथ और भी बहुत कुछ शेयर करना शुरू किया, मसलन उसे किसी और से सेक्स करने की इच्छा हो, या कोई और साधन वो इस्तेमाल करती हो, या कोई चक्कर हो किसी से!
इतना उसने ज़रूर बताया कि उसका चक्कर तो नहीं किसी के साथ मगर एक दो बार उसके पति ने उससे कहा है कि अगर 2-3 जोड़ें एक साथ सेक्स करें तो, वो इसका मज़ा लेना चाहेगा। निकिता को भी इस से कोई खास ऐतराज नहीं था, वो भी इसे एक खेल के तौर पे ले रही थी।
मगर दिक्कत यह थी कि मैं अपने पति को इस बात के लिए कैसे राज़ी करूँ। इसके लिए मैंने अक्सर उनके सामने निकिता की सुंदरता की, उसके सेक्सी बदन की बातें करने लगी। अब जब मर्द के सामने उसकी बीवी से ज़्यादा सुंदर और सेक्सी औरत हो तो उसकी दिलचस्पी तो यकीनन उस पराई औरत में बढ़ ही जाएगी।
यही हुआ, धीरे धीरे मेरे पति भी निकिता की बातें बड़े चाव से सुनने लगे। मैं अक्सर उनको झूठ ही बोल देती- आज निकिता आई, इतना खुला गला पहना हुआ कि क्या बताऊँ… निकिता की जीन्स इतनी टाइट थी कि जैसे उसकी टाँगों पर पेंट ही किया हो। आज तो निकिता इतना सुंदर मेकअप करके आई, इतनी सुंदर लगी कि मैंने तो उसे चूम ही लिया।
मैंने देखा में मेरे पति को निकिता के बूब्स और हिप्स में खास इंटरेस्ट था। फिर मैंने उन्हे थोड़ा और गर्म करना शुरू किया, जब भी हम सेक्स करते, मैं निकिता की बातें करनी शुरू कर देती और अपने पति से पूछती- अगर इस समय मेरी जगह निकिता लेटी होती तो आप क्या करते?
सच में वो मुझे और प्यार करते और ज़्यादा मजा लेकर मेरे साथ सेक्स करते। कभी कभी तो सेक्स करते करते ‘ओह निकिता… मेरी जान, मजा आ गया तुम्हें चोद कर… क्या मस्त चूत है तेरी!’ और ऐसी ना जाने कितनी बातें कहते। मतलब वो भी अब निकिता को चोदने के सपने देखने लगे थे।
कभी अगर निकिता उनके होते घर आती तो मैं नोटिस करती के मेरे पति उसके खूबसूरत बदन को बड़े अरमान से देखते। मैं भी जानती थी कि ये मन में क्या सोच रहे होंगे।
फिर एक दिन मैंने मौका देख कर निकिता के आगे अपनी प्रोपोज़ल रखी- निकिता यार एक बात सुन, देख तुझे ग्रुप सेक्स से कोई ऐतराज नहीं, मुझे नहीं तो क्यों न हम चारों मिल कर किसी दिन कुछ तूफानी करें?
निकिता ने पहले तो मेरी तरफ बड़े ध्यान से देखा, फिर बोली- मुझे पता था कमीनी, तेरे मन में क्या चल रहा है! हम दोनों हंस दी।
‘तो फिर पूछ के देख अपने पति से?’ मैंने कहा। ‘क्यों तुमने भाई साहब से पूछ लिया क्या?’ उसने कहा। मैंने कहा- पूछ लिया, अरे वो तो मरे फिरते हैं तेरे लिए! ‘सच में?’ निकिता बोली- मैं तो भाई साहब को बड़ा शरीफ समझती थी? मैंने कहा- क्यों शरीफ आदमी का खड़ा नही होता क्या? हम फिर हंस पड़ी।
निकिता बोली- मेरे पति की कोई दिक्कत नहीं है, मगर फिर भी मुझे उनसे पूछना पड़ेगा। मैंने भी अपने पति से रात को यह बात बताई, जब वो मेरी चूत चाट रहे थे। बस निकिता की रजामंदी सुनते ही उन्होंने वो चटाई की कि मेरा पानी छुड़वा कर ही हटे।
उसके बाद एक दिन निकिता ने भी हामी भर दी।
हम दोनों का तो सेट था, मगर दोनों के पति एक दूसरे के सामने आने में झिझक रहे थे तो हमने एक छोटी सी ड्रिंक पार्टी का प्रोग्राम रखा जिसमें एक दो पेग लगाने के बाद सबकी शर्म उतर जाए और हम चारों खुल कर खेल सकें।
अब बात पतियों को भी पता चल चुकी थी, तो इस बार मुझे निकिता के पति की नज़र भी बदली बदली सी लगी। मुझे सबसे बड़ी खुशी इस बात की थी कि मैं अपनी पसंद के मर्द के साथ पहली बार सेक्स करने जा रही थी।
हमने निकिता और उसके पति को अपने ही घर बुलाया।
शाम का वक़्त था, थोड़ी सी औपचारिक बातचीत के बाद मर्दों ने पेग शेग का प्रोग्राम शुरू कर दिया। हम दोनों लेडीज़ के लिए वाइन लाई गई। मैंने और निकिता ने एक एक गिलास वाइन का लिया और मर्दों ने अपने अपने गिलास विह्सकी से भर लिए। चीयर्ज कह कर सबने एक एक घूंट भरी।
सबके सामने बड़ी अजीब सी स्थिति थी, पता सब को था कि असल में यह एक चुदाई पार्टी है, मगर बात शुरू कौन करे? तो सब से पहले निकिता ने ही बात शुरू की- डीयर फ्रेंड्स, अब जैसे के हम सबको पता है कि ये एक ड्रिंक पार्टी नहीं है, इसके पीछे की कहानी कुछ और है इसलिए मैं आप मर्दों से कहूँगी कि आप असली मुद्दे पे आयें और असली पार्टी शुरू करें!
उसकी बात ने मर्दों को भी हिम्मत दी तो मेरे पति बोले- देखो दोस्तो, हम चारों के मन में एक विचार है कि हम चारों अपने अपने पार्टनर बदल कर सेक्स करें और ज़िंदगी का नया मजा लें। क्योंकि यह काम हमसे किसी ने भी पहले नहीं किया है इसलिए सबको थोड़ी थोड़ी शर्म आ रही है। शर्म मिटाने के लिए मैं चाहता हूँ कि सब एक एक पेग विह्स्की का लें, और फिर आगे बात बढ़ाएँ।
निकिता के पति ने चार पेग बनाए और हमें भी पकड़ा दिये। उस दिन पहली बार मैंने विहस्की पी… पी क्या बस अंदर उड़ेल दी। थोड़ी देर बाद ही जैसे जिस्म में से गर्मी फूट पड़ी हो।
तब मेरे पति ने कहा- चलो अब शुरू करते हैं, सबसे पहले निकिता मेरे पास आ कर बैठेगी और माया अपने नए पार्टनर के पास! अभी सिर्फ बात करने की, छूने की, किस करने की पर्मिशन है।
निकिता उठी और जाकर मेरे पति के पास बैठ गई, मैं भी उठ कर राहुल के पास बैठ गई।
मेरे दिल में तो बहुत ही धक धक हो रही थी, आज पहली बार मैं राहुल के इतनी नजदीक बैठी थी और सोच रही थी सबसे पहले ये क्या करेगा, मुझे चूमेगा, या मेरे बूब्स दबाएगा?
मगर राहुल ने मुझे कहा- माया, अगर आप मेरी गोद में बैठ जाओ, तो मुझे ज़्यादा अच्छा लगेगा। मैं उठ कर उसकी गोद में बैठ गई, तो उसने मुझे अपने हिसाब से सेट कर लिया। मैंने अपनी जांघ के नीचे उसके तने हुये लंड को महसूस किया।
उसने मेरी साड़ी का पल्लू मेरे कंधे से नीचे गिरा दिया, मैं अब स्लीवलेस ब्लाउज़ में उसके सामने थी और मेरे लो कट ब्लाउज़ से मेरा बड़ा सा क्लीवेज भी दिख रहा था।
मुझे शर्म सी आई, मगर राहुल बोला- वाह, क्या मस्त चूची है। कह कर उसने ब्लाउज़ के ऊपर से ही मेरे बूब को पकड़ा। सच में मन में एक खुशी की तरंग दौड़ी, मेरे पसंदीदा मर्द, जिसपे मैं दिल ही दिल में मरती थी, आज मैं उसकी गोद में बैठी थी और वो थोड़ी ही देर में मेरे हुस्न के जलवे लूटेगा।
मुझे हल्की सी सिरहन सी हुई, मेरे दिल में उसको चूमने की ख़्वाहिश जागी तो मैं खुद थोड़ा नीचे को झुकी, उसकी ठोड़ी को ऊंचा उठाया और अपने होंठ उसके होंठों पे रख दिये, आज तक ऐसा चुम्मा मैंने अपने पति को भी नहीं दिया था, मगर राहुल को मैंने खुद चूमा। उसने भी मेरा नीचे वाला होंठ अपने होंठों में लेकर चूसा, और मेरे सभी गुप्तांगों में झनझनाहट सी हुई।
उसने मेरे ब्लाउज़ के बटन खोलने शुरू किए, मैं बड़े आराम से बैठी उसको सहयोग कर रही थी कि ले खोल ले मेरा ब्लाउज़ और देख मेरे बोबे… मैं कुछ ज़्यादा ही बेशर्म सी हो रही थी।
मेरे ब्लाउज़ के बटन खोलने के बाद राहुल ने मेरे दोनों बूब्स को पकड़ा और ऊपर को उठाया, जिससे मेरे बूब्स का क्लीवेज मेरे गले तक आ गया- ओह माया, मेरी जान, कितने विशाल बूब्स है तुम्हारे! कह कर राहुल ने मेरे क्लीवेज को चूमा और क्लीवेज में अपनी जीभ डाल कर चाट गया।
मैंने उसके सर के बालों में अपना हाथ फिराया, वो वैसे ही मेरे बूब्स से खेलता रहा, चूमते चाटते उसने मेरे दोनों बूब्स मेरे ब्रा से भी बाहर निकाल लिए, और बारी बारी से दोनों निप्पलों को अपने मुंह में लेकर चूसा और बूब्स चुसवाना तो मुझे मस्त कर देता है। मैंने अपना ब्लाउज़ और ब्रा दोनों उतार कर रख दिये, अपने गले से मैंने अपना मंगल सूत्र, और माला वगैरह भी उतार दिये, ताकि राहुल को मेरे बूब्स से खेलने में कोई दिक्कत न हो।
बूब्स चूसने के बाद राहुल ने मेरी साड़ी को ऊपर उठाया और मेरी जांघों तक उठा दिया, मेरी दोनों चिकनी जांघों को सहला कर बोला- माया तुम बहुत सेक्सी हो, आज मजा आ जाएगा तुम्हें चोद कर! मैं मुस्कुरा दी- राहुल, मैं भी उस घड़ी का इंतज़ार कर रही हूँ। मैंने कहा तो राहुल ने मुझे उठाया और खड़ी करके मेरी साड़ी और पेटीकोट दोनों खोल दिये, अब मैं उसके सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी, मगर मुझे इसमें कोई शर्म महसूस नहीं हो रही थी।
मैंने भी उसकी टीशर्ट उतारी, नीचे से उसने कोई बनियान नहीं पहनी थी, सीने पे हल्के बाल थे। फिर मैंने घुटनों के बल बैठ कर उसकी बेल्ट खोली, फिर जीन्स की हुक और ज़िप खोली और उसकी पैंट उतार दी। यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
चड्डी में से उसका तना हुआ लंड चमक रहा था। मैंने उसकी चड्डी भी उतार दी, मोटा काला, लंड मेरे सामने प्रकट हुआ, मेरे चेहरे के बिल्कुल पास, उसके लंड की गंध मेरी साँसों में आई, राहुल ने मेरा सर पकड़ा और अपना लंड मेरे होंठों से लगा दिया।
मैंने भी अपने होंठ खोल कर जितना हो सकता था, उसका लंड अपने मुंह में ले लिया। पहले तो राहुल खड़ा था, फिर वो बैठ गया, मैं उसकी गोद में सर रख कर उसका लंड चूसने लगी।
तभी मेरे पति की आवाज़ आई- अरे माया, ऐसे तो कभी तुमने मेरा भी नहीं चूसा? मैंने सर उठा कर देखा, अरे इन लोगों को तो मैं भूल ही गई थी कि ये दोनों भी उसी रूम में हैं। मेरे पति भी बिल्कुल नंगे और निकिता भी बिल्कुल नंगी, दोनों 69 की पोजीशन में एक दूसरे के लंड चूत चूस रहे थे।
मैंने कहा- आज मत पूछो, आज मैं अपने बस में नहीं, मुझे नहीं पता, क्या हो रहा है, क्या मैं कर रही हूँ। कह कर मैं फिर से राहुल का लंड चूसने लगी।
फिर निकिता की आवाज़ आई- क्या आप मेरी गांड चाटेंगे? तो मेरे पति ने ‘बड़ी खुशी से…’ कहा।
राहुल ने भी मुझे उसके आँड चाटने को कहा। मैंने बारी बारी से उसके दोनों आँड अपने मुंह में लेकर चूसे, और उसकी गांड तक अपनी जीभ से चाट गई।
अब राहुल ने मुझे खड़ा किया, खुद नीचे फर्श पे लेट गया और बोला- माया, मेरे मुंह पर बैठ जाओ। मैंने अपनी चूत उसके मुंह पर रख दी, तो वो अपनी जीभ से मेरी नंगी चूत और गांड सब चाट गया, जब मुझे मजा आया तो मैं भी आगे को झुक गई और खुद उसका लंड पकड़ कर चूसने लगी।
मैं शायद ज़्यादा ही उत्तेजित हो रही थी, इसीलिए राहुल की 2 मिनट की चूत चटाई से ही मैं तो स्खलित हो गई, मगर राहुल फिर भी मेरी चूत चाटता रहा।
मैंने ही उसे रोका- बस करो राहुल, मेरा तो हो गया। ‘अरे इतनी जल्दी?’ राहुल बोला। मैंने कहा- हाँ, मैं तुम्हारे स्पर्श से ही रोमांचित हो उठी थी, इसी लिए जल्दी झड़ गई, अब तुम ऊपर आ जाओ।
राहुल ने मुझे सीधा करके नीचे कालीन पर ही लिटा लिया और मेरे ऊपर आ कर लेट गया, मैंने अपनी दोनों टाँगें ऊपर हवा में उठा ली। राहुल ने अपना लंड मेरी नंगी चूत पे रखा और अंदर डाला।
आँखें बंद करके मैं राहुल के जिस्म को अपने जिस्म में समाने का आनन्द ले रही थी कि राहुल बोला- आँखें खोलो माया! मैंने आँखें खोली, राहुल बोला- आँखें बंद मत करो, बल्कि मुझे खुद को चोदते हुये देखो, इस एक एक क्षण को अपनी यादाश्त में बसा लो कि कैसे मैंने तुम्हारे साथ संभोग किया। मैंने अपने दोनों हाथ राहुल की कमर पे रखे, जब वो आगे को धक्का मार के अपना लंड मेरी चूत में डालता तो मैं भी अपनी कमर ऊपर को उठा कर उसको अपने अंदर लेती।
एक एक धक्के से मुझे सौ सौ बार आनन्द का एहसास होता। राहुल का लंड भी तगड़ा था और वो खुद भी! 2 मिनट की चुदाई के बाद राहुल ने अपनी स्पीड बढ़ा दी और उसके बाद उसी स्पीड से वो लगातार मेरी चुदाई करता रहा, मैं नीचे लेटी बस ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… उम्म’ करती रही।
मैंने दूसरी तरफ देखा, मेरे पति भी निकिता को चोद रहे थे, उनके चेहरे की खुशी बता रही थी कि वो कितने खुश थे निकिता को चोद कर, मगर मेरी खुशी मेरे मन में थी।
थोड़ी देर बाद राहुल ने मुझे घोड़ी बना दिया, घोड़ी बना कर उसका लंड मेरी चूत में और भी टाइट हो कर गया जिसमें उसको और मुझे ज़्यादा आनन्द आया।
‘ओह माया, तुम्हारी चूत तो एकदम किसी कुँवारी लड़की की तरह टाइट है, क्या तुम्हारा पति तुम्हें अच्छे से नहीं चोदता?’ मैं उसकी बात का मतलब समझ गई कि वो मजा लेना चाहता है, मैंने जवाब दिया- अरे कहाँ यार, सारी रात नंगी चूत में उंगली ले कर सोती हूँ, मुझे तो आज तुमसे संभोग का चरम सुख प्राप्त हुआ है, और ज़ोर लगाओ, जान निकाल दो मेरी, मार डालो मुझे!
राहुल ने और ज़ोर से धक्के मारे, तो उसका लंड मेरे पेट के अंदर तक ठा… ठा… बज रहा था।
मेरी बात सुन कर मेरे पति भी बोले- अरे निकिता मेरी जान, क्या मस्त माल हो तुम, मेरी बीवी तो तुम्हारे आगे कुछ भी नहीं, क्या बोबे है तेरे, क्या मस्त गांड है, और तेरी चूत भी कितनी टाइट है, अगर तू मेरे मुंह पर अपनी नंगी चूत रख कर पेशाब भी कर दे न, तो जानेमन, तेरा पेशाब भी पी जाऊँ मैं! फिर मेरी तरफ देख कर हँसे। मैं भी मुस्कुरा दी।
कोई 10 मिनट तक यह चुदाई का खेल चला। पहले मेरे पति झड़े, उन्होंने अपना सारा माल निकिता की गांड पर गिराया, फिर राहुल झड़ा, उसने अपना सारा माल मेरे मुंह पर गिराया, थोड़ा सा मुझे चटवाया भी!
करीब आधे घंटे बाद हमने एक बार फिर से यही खेल खेला। इस बार हम दोनों औरतें साथ साथ लेटी थी और दोनों मर्दों ने हमें एक साथ अदल बदल कर चोदा, दोनों को घोड़ी बना, एक दूसरे के मुंह से मुंह जोड़ कर चोदा।
पहली बार मैंने किसी औरत के साथ होंठों के चुंबन लिए दिये, पहली बार किसी औरत के सेक्स सम्बन्धों में बोबे चूसे और चुसवाए। सच में ये सब भी बहुत रोमांचकारी था।
इस बार दोनों मर्दों ने खूब वक़्त लिया और हम दोनों औरतों की खूब तसल्ली करवाई और जब दोनों मर्द झड़े तो दोनों औरतों के मुंह पे एक साथ हाथ से मुट्ठ मार कर झड़े, दोनों मर्दों का मिक्स वीर्य हम दोनों औरतों के मुंह पे, मुंह के अंदर, बालों में और बोबों पर फैला था जिसे मैंने और निकिता ने राहुल के कहने पर एक दूसरे के बदन से चाट चाट कर खाया और एक दूसरे के बदन को चाट कर साफ किया और दोनों मर्दों के लंड भी अपने मुंह में लेकर चूस कर चाट कर साफ किया।
उसके बाद चारों नहाने गए और एक साथ नंगे नहाये, एक दूसरे के बदन पर साबुन लगाया, बदन को सहलाया और फिर चारों ने एक दूसरे के बदनों को तौलिये से सुखाया भी! इस सब में हमें इतना मजा आया कि हमारे ऐसे ही और मजा लेने का दिल कर रहा था।
पर हर चीज़ को खत्म तो होने ही होता है, जाते हुए राहुल ने पूछा- अरे भाई साहब क्या मैं आपकी पत्नी को अपनी मर्ज़ी से कभी भी चोद सकता हूँ? मेरे पति बोले- क्यों नहीं, जब चाहे आओ और जो मर्ज़ी करो, बस इतना खयाल रखना मैं अपना बदला ब्याज़ सहित लूँगा।
हम सब हंस पड़े और राहुल और निकिता अपने घर चले गए। आज हमारे रिश्ते को डेढ़ साल हो गया है और हम सब आज भी वैसे ही अक्सर सेक्स पार्टीज़ करते हैं, ज़िंदगी का मजा लूटते हैं। [email protected]
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