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अब तक आपने इस सेक्स कहानी में पढ़ा.. चाची को चोदने की चाहत में मैं उनकी चूत को सहलाते हुए चाट रहा था। अब आगे..
कुछ पल चूत चाटने के बाद मैं अपना लंड सहलाने लगा.. अब मैंने सीधा होकर चाची के चूचे दबाने की कोशिश की.. चाची तो मानो बेफ़िक्र होकर सो रही थीं।
अचानक से मैं सिहर उठा.. जब मैंने चाची के चूचे छुए। चाची का दिल बहुत जोरों से धड़क रहा था.. उनकी दिल की धड़कन महसूस करके मैं पूरी तरह से रुक गया। मुझे याद आया कि इतनी तेजी से तो मेरा दिल मेरे पहले दिन धड़क रहा था। मैं सोचने लगा कि सोते समय किसी इंसान का दिल इतनी तेज नहीं धड़क सकता।
अब मैं समझ चुका था कि चाची सो नहीं रही हैं.. चाची भी जाग रही हैं और मजा ले रही हैं। थोड़ी देर तो मैं पहले की तरह करता रहा.. क्योंकि अगर ऐसा ना करता.. तो चाची समझ जातीं कि मुझे पता चल गया है।
लेकिन अब ये सब करने में मुझे बहुत डर लग रहा था। मेरा लंड अभी भी चाची के हाथों के करीब था और अब वो भी धीरे-धीरे ढीला हो रहा था। फिर मैंने जल्दी-जल्दी पैंट पहनी और अपनी जगह पर जा कर सो गया।
अगले दिन मैं चाची से बात नहीं कर पा रहा था। चाची भी जल्दी ही मेरे इस व्यव्हार को भांप गईं, चाची ने मुझसे पूछा- क्या हुआ.. तेरी तबियत खराब है क्या? मैंने कहा- नहीं चाची.. तो चाची बोलीं- आज तू कुछ बदला-बदला सा लग रहा है? मैंने पूछा- कैसा बदला बदला? वो पूछने लगीं- आज तू रोज की तरह बात नहीं कर रहा है? मैंने कहा- नहीं चाची.. वो एग्जाम नज़दीक आने वाले हैं और कुछ पढ़ाई भी नहीं हो पाई है।
आज मैं चाची से बात करते हुए नज़रें भी छुपा रहा था। शायद चाची समझ चुकी थीं कि मुझे सब पता चल चुका है। उस रात मैंने कुछ भी नहीं किया और अगले दो-तीन दिन तक मैंने कुछ भी नहीं किया।
फिर दो-तीन दिन बाद.. सुबह के समय मेरी दोनों बहनें स्कूल चली गई थीं, मेरा स्कूल दोपहर में शुरू होता था, उस दिन मैं कमरे में बैठ कर पढ़ रहा था, उस वक्त दोपहर के करीब 11 बाज रहे होंगे, चाची घर का सारा काम करके पलंग पर सो रही थीं।
तभी मेरी नज़र चाची के टाँगों पर गई। चाची की साड़ी और पेटीकोट जाँघों से ऊपर चढ़ा जा रहा था। मैंने इससे पहले चाची की नंगी टाँगों और जांघों को दिन में कभी नहीं देखा था।
ये सब देख कर मानो मेरे शरीर में करंट सा दौड़ गया और मेरा लंड भी धीरे-धीरे खड़ा होने लगा। मैंने आव देखा, ना ताव.. सीधे चाची की टाँगों के पास जा कर बैठ गया और चाची की साड़ी और पेटीकोट दोनों को पूरी तरह से ऊपर करने लगा।
चाची की साड़ी और पेटीकोट ऊपर होते ही मैं चाची की नंगी चूत देख कर रोमांचित हो गया। चाची की चूत काली सी थी और थोड़े बाल भी उग आए थे। ऐसा लग रहा था कि चाची ने चूत को दोबारा साफ़ नहीं किया था।
मैंने उस दिन पहली बार चाची की चूत खुले दिन में देखी थी। मैं धीरे-धीरे चाची की जांघों को सहलाने लगा और उनकी जांघों को चाटने लगा। फिर मैं अपना हाथ धीरे-धीरे उनकी जाँघों के नीचे की तरफ़ ले गया।
चाची मानो बेख़बर सो रही थीं.. लेकिन मुझे पता था कि चाची जाग रही हैं और मजा ले रही हैं। मैंने अपनी हथेली को पूरी तरह से चाची की चूत पर लगा दिया और धीरे-धीरे सहलाने लगा।
फिर मैंने धीरे से उनके मम्मों पर हाथ लगाया.. पर आज उनके दिल की धड़कन नॉर्मल थी। मेरा सर घूम गया, मुझे समझ नहीं आ रहा था कि चाची सच में सो रही हैं या सोने का नाटक कर रही हैं।
फिर मैंने सोचा जो होगा, वो देखा जाएगा। मैंने अब चाची के मम्मों पर मुँह लगा दिया और चूची चूसना चालू किया।
क्या बताऊँ दोस्तो.. ऐसा आनन्द मुझे कभी नहीं मिला था।
थोड़ी देर उनके चूचे चूसने के बाद जब मैंने चाची को किस करना शुरू किया.. तो मैं समझ चुका था कि चाची नाटक कर रही हैं। मैं उनको कुछ भी करता.. वो कोई हलचल नहीं करतीं, सिर्फ़ बिस्तर पर पड़ी रहतीं।
कुछ ही देर में मेरा लंड चाची के हाथ के करीब आ गया था। मैं चाची को जबरदस्त किस कर रहा था.. और चाची बिना किसी हलचल के लेटी हुई थीं। मैं चाची को किस करने में इतना मशगूल था कि अचानक मेरा पैर पीछे रखे मग से टकराया और मग नीचे गिर पड़ा।
चूँकि रूम पहले काफ़ी शांत था.. मग के गिरते ही इतनी तेज आवाज़ आई कि चाची अचानक पूरी तरह से जाग गईं। उनको उठा देख कर मैंने ऐसा बिहेव किया, जैसे मैं डर गया हूँ और जल्दी-जल्दी में अपना अंडरवियर पहनने लगा।
चाची ने भी अपनी साड़ी संभाली और मुझसे कहने लगीं- ये क्या कर रहे थे तुम? मेरा लंड अभी भी अंडरवियर फाड़ कर बाहर आने को बेताब दिख रहा था और मैं डरा-डरा सा कहने लगा- कुछ नहीं चाची.. वो मैं.. मेरे इतना बोलते ही चाची ने कहा- तुझ जैसा बेवकूफ़ लड़का मैंने आज तक नहीं देखा..!
मैं कुछ समझ नहीं पाया.. मैं सिर्फ़ सिर नीचे करके उनकी बातें सुन रहा था। चाची ने पूछा- पहले कभी सेक्स किया है? मैंने कुछ ना बोलते हुए ‘ना..’ में सिर हिला दिया। चाची बोलीं- तभी तो.. एक हफ्ते से बस हाथ फेरे जा रहा है! मैंने धीरे से बोला- सॉरी चाची.. ‘सॉरी के बच्चे..!’
यह बोल कर चाची ने मेरा हाथ मेरे अंडरवियर से हटाया और मेरे लंड को बाहर निकालते हुए चाची ने मेरा लंड पूरा अपने मुँह में ले लिया। लंड के चाची के हाथों के स्पर्श के बाद उनके मुँह में जाते ही मेरे मुँह से मानो ‘आह..’ सी निकल पड़ी।
मेरा लंड चूसते-चूसते चाची बोले जा रही थीं- आह.. इतना कड़क लंड को एक हफ्ते से मैं चूसने का सोच रही थी और तू है कि.. चूतिया कहीं का..!
मैं अब पूरी तरह से नंगा था.. मैंने भी चाची की साड़ी खोली और चाची के मम्मों को दबाने लगा।
अगले कुछ पलों में हम दोनों 69 की पोज़िशन में एक-दूसरे का आइटम चूस रहे थे। मुझे तो ऐसा लग रहा था.. मानो मैं जन्नत में आ गया हूँ।
थोड़ी देर लंड चुसाने के बाद मैंने चाची से कहा- चाची मेरा रस निकलने वाला है! तो चाची बोलीं- उम्माह.. मेरे मुँह में ही निकाल दे आज.. बहुत दिनों बाद ये रस मिला है पीने को.. आह्ह.. यह सुनते ही मैंने अपनी कमर हिलाने की स्पीड बढ़ा दी और थोड़ी ही देर में मैंने चाची के ही मुँह में अपना सारा माल निकाल दिया।
मैंने चाची को इस सबके लिए ‘थैंक्स..’ कहा.. और कहा- चाची आप बहुत सुंदर हो.. अगर चाचा की जगह मैं होता तो आपको कभी छोड़ कर नहीं जाता।
चाची मुझे चूमने लगीं।
मैंने चाची से रिक्वेस्ट भी की- चाची ये बात मम्मी–पापा को ना बताना। चाची थोड़ा मुस्कुराईं और बोलीं- पगले.. ये सब बात भी किसी को बताई जाती है क्या..?
ये कह कर उन्होंने मेरे माथे पर चूम लिया। फिर मैंने भी उनके गालों को चूमा और धीरे से उनके होंठों की ओर अपना मुँह कर दिया।
दोस्तो.. चाची के मुँह से उनकी लिपस्टिक की खुशबू और हम दोनों की गरम साँसें आपस में टकरा रही थीं।
धीरे-धीरे हम दोनों ने एक दूसरे को किस करना शुरू कर दिया।
मैं चाची को बुरी तरह से किस किए जा रहा था.. चाची भी पूरा साथ दे रही थीं। चाची अपनी पूरी जीभ मेरे मुँह के अन्दर डाल देतीं.. और मैं पूरी कामुकता से उनकी जीभ को चूसने लगता।
कुछ ही देर बाद मैंने अब चाची की गर्दन के चारों और चूमना शुरू किया तो चाची मानो पागल सी हो गईं। चाची ने मुझे पूरी तरह अपनी बांहों में भर लिया। मैं चाची के नाख़ूनों को अपनी पीठ पर गड़ता हुआ महसूस कर रहा था।
मैंने अपना एक हाथ चाची की चूत पर रख दिया.. चाची की चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी।
चाची ने कहा- पंकज प्लीज़ अब अपना लंड मेरी चूत में डाल दो।
चाची के मुँह से लंड और चूत सुन कर मानो मुझमें और भी ज़्यादा जोश आ गया।
मैं अभी भी चाची को किस कर रहा था.. मेरी कमर अब आगे-पीछे हो रही थी। चाची ने मेरे लंड को पकड़ा और अपनी चूत पर रख लिया। लंड के सुपारे को चाची की चुत के मुँह का अहसास हुआ और मैंने हल्का सा झटका लगा दिया।
लंड अन्दर घुसा क्या.. चाची एकदम से चिल्ला उठीं और मुझे भी बहुत तेज दर्द हुआ।
मैंने इस दर्द के वजह से लंड बाहर खींच लिया।
चाची ने कहा- रूको.. ऐसे मत डालो..
चाची ने पास पड़ी क्रीम की डिब्बी से थोड़ी क्रीम निकाली और थोड़ी सी क्रीम मेरे लंड पर लगा दी।
अब मैंने फिर से लंड चूत पर टिकाया और थोड़ा जोर लगा दिया।
लंड घुसते ही चाची की फिर से चीख सी निकल पड़ी.. मैं ठिठका, तो उन्होंने मुझे जोर से कस कर पकड़ लिया और बोलीं- पंकज.. अपना लंड पूरा डाल दे।
मैंने एक ज़ोर का झटका लगाया और मेरा लंड चूत को चीरता हुआ पूरा अन्दर चला गया। चाची बहुत तेज चीखीं।
मैंने चाची को थोड़ा सा सहलाया.. थोड़ी देर तक मैंने लंड उनकी चूत में घुसा रहने दिया। फिर आगे-पीछे करने लगा।
अब चाची ने भी अपनी कमर आगे-पीछे करना शुरू किया। मेरा लंड चाची की चूत में पूरा घुसा हुआ था।
अब चाची भी मेरे लंड पर मानो कूदने लगीं। मुझे ऐसा लग रहा था.. जैसे दुनिया की सारी खुशियां मुझे मिल रही थीं।
मैं अब झड़ने वाला था.. तो मैंने चाची से कहा- मैं झड़ने वाला हूँ। चाची नीचे से चूतड़ उठाते हुए बोलीं- पूरा माल मेरी चूत में निकाल दे।
मैंने वैसा ही किया.. मेरी स्पीड बढ़ गई। थोड़ी देर में मेरा पूरा का पूरा गरम माल चाची की चूत में जा गिरा।
थोड़ी देर हम दोनों एक-दूसरे के ऊपर यूँ ही पड़े रहे।
अब ये हमारी रोज की आदत बन गई। हम दोनों दिन-रात सेक्स करने लगे।
इसके बाद दो-तीन सालों तक ये सिलसिला चलता रहा.. पर बाद मैं जब मेरी दोनों बहनें थोड़ी बड़ी हो गईं.. तो चाचाजी चाची को अपने साथ गाँव ले गए।
दोस्तो आज भी मैं जब चाची से मिलता हूँ.. तो चाची देख कर बस मुस्कुरा देती हैं। अब हमारे बीच सेक्स तो नहीं होता.. पर दोस्ती अब भी वैसी है।
मेरी कहानी कैसी लगी दोस्तो.. मुझे ज़रूर बताना, मुझे मेल कीजिएगा। [email protected]
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