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मैं अन्तर्वासना का एक रीडर हूँ, सभी चूत और लंड धारकों को मेरा सलाम!
यह मेरी पहली कहानी है और एकदम सच्ची भी है.. आप मानो या ना मानो.. पर सच्ची है। मैं शहर से दूर फॉर्म हाउस में रहता हूँ, मेरी फैमिली में छह लोग हैं।
मैं सबसे छोटा हूँ, मेरी दो सिस्टर और एक भाई है दोनों सिस्टर बड़ी हैं। मैं जब छोटा था, तब से मैं मेरी बड़ी दीदी को देखता था।
मैं जब स्कूल में था.. तब एक बार मैंने मेरी दीदी को कपड़े चेंज करते हुए देखा था। उस वक्त वो टॉप लैस थीं और उनके चूचे बड़े-बड़े थे.. करीब 32 साइज़ के रहे होंगे। उस वक्त दीदी अपनी ग्रेजुएशन के फर्स्ट इयर में थीं।
इस घटना के बाद से मैं दीदी को बड़े अनुराग से देखता रहता था, दीदी की गांड इतनी मस्त थी कि क्या बताऊँ। मैं दीदी के नंगे बदन को याद करके मुठ भी मार लेता था और मैंने सोच रखा था कि उनको एक दिन मैं ज़रूर चोदूंगा। मुझे दीदी को चोदने का कोई मौका नहीं मिल रहा था। मैं हमेशा उन्हें वासना भरी निगाहों से घूरता रहता और उनके मम्मों को देखता रहता।
फिर एक दिन उनकी शादी हो गई। दीदी की शादी के 4 महीने बाद मेरे घर के सब लोग किसी के शादी के लिए एक हफ्ते के लिए बाहर गए थे। मैं अकेला घर में था.. इसलिए दीदी घर आ गईं।
घर वाले चले गए, तो मैंने सोचा अब एक हफ्ते में मैं दीदी को किसी भी हालत में चोदूंगा जरूर और इसी बात को ध्यान में रख कर मैंने प्लान बनाया।
सवेरे जब मैं नहाने गया तो मैं जानबूझ कर कपड़े नहीं ले गया और नहाने के बाद सिर्फ़ एक फटा गमछा पहन कर बाहर आ गया। गीले गमछे में मेरा लंड एकदम साफ़ नुमायां हो रहा था।
मैंने दीदी से कहा- मेरे कपड़े कहाँ हैं? दीदी ने मेरे कपड़े देखने लगीं.. तो मैंने मेरा लंड को बाहर निकाल लिया। मैंने अपने गमछे में एक छेद पहले से ही कर रखा था।
जब दीदी ने मेरी अंडरवियर मुझे दी.. तो मैंने कहा- इसमें तो चींटी लगी हैं और मैं चींटी निकालने लगा। अब तक मेरा 7″ का तना हुआ लंड दीदी को सलाम कर रहा था।
दीदी ने मेरे लंड को थोड़ी देर देखा और शरमा कर भाग गईं। बाद में दीदी जब नहाने जा रही थीं.. तो मैंने मेरे मोबाइल से अपने ही घर में फोन किया और दीदी को आवाज दे दी- प्लीज़ फोन उठा लो! दीदी जब फोन लेने गईं.. तब मैं बाथरूम में जाकर उनके सारे कपड़े उठा लाया।
फोन के बाद जब दीदी नहाने गईं तो उस वक्त उन्होंने ये नहीं देखा कि उनके कपड़े नहीं हैं। मैं बाथरूम के दरवाजे की झिरी से उन्हें नहाते हुए देख रहा था। दीदी ने अपने सारे कपड़े उतार दिए.. सिर्फ़ पेंटी उतरना बाकी था। दीदी के चूचे अब और मस्त और बड़े-बड़े हो गए थे। उनके अंगूर जैसे निप्पल थे।
दीदी नहाने लगीं.. जब दीदी ने सब जगह साबुन लगाया, उन्होंने पेंटी में हाथ डाल कर अपनी चूत में भी साबुन लगाया। दीदी ने शायद कभी चूत की शेविंग नहीं की थी, उनकी झांटें साफ नज़र आ रही थीं।
फिर दीदी अपने शरीर पर पानी डालकर नहाने लगीं और थोड़ी देर बाद दीदी अपनी पेंटी में हाथ डाल कर चूत को सहलाने लगीं। मैं समझ गया कि दीदी इस वक्त गर्म हो गई हैं।
दीदी अपनी चूत को सहलाते-सहलाते एकदम से हाँफने लगीं, उनके चूचे भी अपने रंग में आ गए और निप्पल तन कर दूध देने को तैयार दिखने लगे थे। उनके 38 इंच के चूचे भी एकदम सख्त हो गए।
थोड़ी देर बाद दीदी ने चूत में से उंगली निकाली और उसमें लगा हुआ पानी चाट गईं। पर दीदी ने पेंटी नहीं उतारी।
बाद में नहाने के बाद गमछे से अपना शरीर पौंछने लगीं। तब मैं वहाँ से हट गया, बाद में दीदी ने मुझे आवाज़ दी, मैं गया तो दीदी बोलीं- मेरे कपड़े दे दो.. मैं उनके कपड़े देखने लगा.. पर मैंने कह दिया- मुझे नहीं मिल रहे!
दीदी बोलीं- मेरे पास कपड़े नहीं हैं.. पुराने सारे कपड़े भिगो दिए हैं.. अब क्या करूँ? मैंने कहा- तौलिया लपेट कर बाहर आ जाओ। तो दीदी बाहर निकल आईं।
दीदी का पूरा शरीर तौलिए से साफ नजर आ रहा था। मैं कामुक निगाहों से दीदी को ही देख रहा था। तौलिया भी भीग कर पारदर्शी सा हो गया था। दीदी बोलीं- मेरे कपड़े कहाँ हैं? मैं दीदी के चूचे देख रहा था, चूचे अभी भी अपने पूरे रंग में थे।
फिर दीदी रूम में गईं.. मैं भी दीदी के पीछे-पीछे आ गया। दीदी बोलीं- यहाँ क्या कर रहे हो? मैंने कहा- आपको देख रहा हूँ। तो दीदी ने मुझे गुस्से में कहा- मैं तेरी बहन हूँ।
दीदी ने एक ज़ोर का तमाचा मेरे गाल पर दे मारा और मुझे रूम के बाहर निकाल दिया। बाद में मैं दीदी से नज़र नहीं मिला पा रहा था और उसके साथ बात भी नहीं कर रहा था।
दो दिन बाद दीदी ने कहा- मुझको कार चलानी सीखनी है। मैंने कहा- मैं नहीं सिखाऊँगा। तब दीदी मेरे पास आईं और मुझे समझाने लगीं- ये बात ग़लत है.. मैं तेरी बहन हूँ।
पर अब मेरे दिमाग में नया ही ख्याल आया। मैंने कहा- ठीक है। मैं दीदी को गाड़ी सिखाने के लिए तैयार हो गया।
मैं एक खाली रोड पर गाड़ी ले गया, वो रोड अच्छी था और दोपहर होने के कारण वहाँ कोई ट्रैफिक भी नहीं रहता था। इस बार मैंने पहले ही अपनी अंडरवियर बाथरूम में निकाल दी थी।
अब मैंने दीदी को मेरी सीट पर बैठाया और मैं दीदी की सीट पर बैठ गया। मैंने दीदी को गाड़ी चलाने को कहा, तो दीदी ने एकदम से तेज भगा दी.. तो दीदी डर गईं और मैंने हैण्ड ब्रेक मार दिया।
दीदी ने कहा- मेरे से नहीं होगा। मैंने दीदी से कहा- फिर से कोशिश करो। फिर से दीदी ने वैसे ही किया.. तो दीदी बोलीं- रहने दो.. मेरे से नहीं होगा।
फिर मैंने दीदी को मेरी सीट बैठाया और दीदी के सीट पर आ गया। अब मैंने दीदी से कहा- देखो मैं कैसे चलाता हूँ। वो देखने लगीं।
कुछ दूर जाने के बाद मैंने दीदी से कहा- अब आप चलाओ। दीदी नहीं मान रही थीं.. तो मैंने कहा- एक काम करते हैं.. मैं आपके साथ ही बैठ जाता हूँ। आप मेरे आगे बैठ जाओ। दीदी ने कहा- ठीक है।
अब दीदी मेरी तरफ आने के लिए जब दरवाजा खोलने लगीं.. तो मैंने अपनी पैंट की चैन खोल ली और लंड को बाहर निकाल कर शर्ट से छुपा दिया।
दीदी ने आज सलवार सूट पहना हुआ था। दीदी जब कार में अन्दर आईं तो मैंने उनको मैंने अपनी गोद में बैठा लिया। दीदी के बैठते समय मैंने उनके कुरते को ऊपर को कर दिया और अपनी शर्ट को भी ऊपर करके लंड को निकाल लिया। अब जैसे ही दीदी मेरी गोद में बैठीं.. तो मेरा लंड उनकी गांड को टच होने लगा।
दीदी को लंड का आभास हुआ.. तो उन्होंने पीछे मुड़कर देखा.. पर कुछ कहा नहीं, उनको लगा कि मेरा लंड पैंट में होगा। मैंने अपने पैरों को फैला कर उनके पैर के ऊपर ले लिए ताकि वो हिल ना सकें।
फिर मैंने गाड़ी स्टार्ट की और चलाने लगा। मेरा लंड खड़ा होते-होते उनकी गांड के छेद को टच होने लगा था। पैंट से बाहर होने के कारण मेरा लंड बड़े आराम से उनकी गांड से रगड़ रहा था।
दीदी को कुछ लगा तो.. पर वो कुछ नहीं बोलीं.. बोलतीं भी तो क्या बोलतीं। बाद में मैंने गाड़ी का स्टेयरिंग दीदी के हाथ में दिया और कहा- लो.. अब आप चलाओ। मैंने मेरे दोनों हाथ उनके पेट पर रख दिए और धीरे-धीरे सहलाने लगा।
फिर धीरे से स्पीड बढ़ाना शुरू किया, अब दीदी से गाड़ी कंट्रोल नहीं हुई तो मैंने एकदम से ब्रेक मारा और दोनों हाथ जानबूझ कर दीदी के मम्मों पर रख दिए और मम्मों को दबा दिए। ब्रेक लगने से दीदी एकदम से उठ सी गई थीं, जिससे मेरा लंड दीदी की चूत को टच करने लगा।
तब दीदी ने कहा- अगर तुम ब्रेक नहीं मारते तो हम रोड के नीचे चले जाते।
मैंने ‘हाँ’ कहा और दीदी के बोलने के पहले ही ब्रा के ऊपर से ही उनके निप्पल को ज़ोर से दबा दिया और छोड़ दिया। तब दीदी ने सिसकारी भरी थी.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… पर अब भी दीदी ने कुछ नहीं कहा। मेरा लंड अभी भी उनकी चूत को टच कर रहा था।
फिर दीदी ने कहा- चलो अब घर चलते हैं। मैंने दीदी से कहा- आप ही गाड़ी चलाते हुए घर ले चलो।
दीदी नहीं मान रही थीं, फिर भी जब मैंने बहुत रिक्वेस्ट की.. तो मान गईं।
दीदी वैसे ही बैठे रहीं.. मैंने गाड़ी टर्न की और दीदी को ही चलाने दी। मैंने अपने हाथ दीदी के जाँघों पर रख दिए और उनकी जाँघों को सहलाने में लग गया, साथ ही मैं अपनी कमर को भी आगे पीछे करने लगा। दीदी की जाँघों को सहलाते हुए मैं उनकी जाँघों के तक आ गया था, पर उनकी चूत को हाथ लगाने की हिम्मत नहीं हुई।
अब तक दीदी गर्म होना चालू हो गई थीं। जब हम घर पहुँचने वाले थे.. तब मैंने कपड़े के ऊपर से ही चूत को ज़ोर-ज़ोर से हाथ को दबा दिया, इससे दीदी एकदम से चिहुंक गईं।
फिर हम घर पहुँच गए। दीदी कुछ भी ना बोलते सीधे भागते हुए बाथरूम में चली गईं।
मैं जल्दी से उनके पीछे आया और दरवाजे की झिरी से देखने लगा। दीदी पजामा उतार कर पैंटी को एक बाजू करके खड़े-खड़े ही अपनी चूत में उंगली डाल कर पानी निकालने लगीं। वे अपनी चूत का सफेद पानी निकाल कर चाटने लगीं। मैंने इतना ही देखा और गाड़ी पार्क करने आ गया।
अब तक दीदी अपने कमरे में जा चुकी थीं। मैं भी घर के मेन गेट को लॉक करके सीधा उनके रूम में चला गया। जब मैं उनके कमरे में पहुँचा.. तो वो अपने बेड पर लेटी हुई थीं।
मैं उनके बगल में जा कर बैठ गया, मैंने उनसे पूछा- गाड़ी चलाने में मजा आया? वो बोलीं- हाँ.. फिर मैंने उनसे पूछा- क्या आप मुझसे नाराज़ हो? उन्होंने कहा- नहीं.. फिर मैंने उनसे कहा- मुझे आपसे कुछ कहना है। तो उन्होंने कहा- क्या? मैंने कहा- मुझे आप पसंद हो और मैं आपसे प्यार करना चाहता हूँ।
उन्होंने कुछ नहीं कहा.. तो मैं उनके पास लेट गया और मैंने उनके होंठों पर किस कर दिया। वो कुछ नहीं बोलीं.. तो में समझ गया कि उनकी तरफ से भी ‘हाँ’ है।
मैंने अपने हाथ उनके मम्मों पर रख दिए और उन्हें दबाने लगा। उनके मुँह से ‘आह..’ की आवाज़ निकली। तब मैंने उनके होंठों को चूसना शुरू कर दिया।
उन्होंने भी मेरा साथ दिया। इसी चूमा-चाटी में हम दोनों गर्म हो गए और मैंने उनका कुरता उतार दिया। उनकी ब्रा के बाहर से ही मैं उनके चूचे दबाने लगा। फिर मैंने उनका पजामा भी उतार दिया अब वो सिर्फ़ ब्रा और पेंटी में थीं और बहुत सेक्सी लग रही थीं।
फिर मैंने उनकी ब्रा और पेंटी भी उतार दी, अब वो मेरे सामने पूरी नंगी पड़ी थीं।
क्या बताऊँ दोस्तो.. इस वक्त दीदी की नंगी चूत पूरी कयामत लग रही थीं।
फिर मैंने अपने कपड़े भी उतार दिए। वो मेरे खड़े लंड को बड़ी लालसा से देख रही थीं। मैंने उनका हाथ अपने लंड पर रख दिया.. तो वो लंड को पकड़ कर हिलाने लगीं। तब मैंने उन्हें अपना लंड चूसने को कहा, उन्होंने लंड चूसने से मना कर दिया।
मैंने उन्हें लेटा दिया और उनकी चूत को चाटने लगा.. तो दीदी सिसकार उठीं और चिल्लाने लगीं। मैं लगातार दीदी की चूत को चाटता रहा, साथ ही मैं अपने हाथों से उनके मम्मों को दबा रहा था। यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
फिर मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने अपना लंड उनकी चूत पर टिकाया और अन्दर डालने की कोशिश करने लगा, पर लंड अन्दर नहीं जा रहा था। मैंने पास में रखी टेबल से तेल की बोतल उठाई और चूत और लंड दोनों पर तेल लगा दिया।
अब मैं फिर कोशिश करने लगा।
इस बार मैंने हल्का सा झटका मारा तो लंड का सुपारा चूत की दरार में फंस गया। चूंकि मेरा लंड बड़ा है और मोटा भी है.. तो वो एकदम से चिल्ला उठीं- आऊई.. बाहर निकालो.. दर्द हो रहा है।
मैं वैसे ही रुक कर उनकी चूचियों को दबाने लगा। थोड़ी देर चूचियों को दबाने के बाद वो कुछ शांत हुईं.. तो मैंने एक और धक्का मार दिया।
इस बार के तगड़े धक्के के कारण मेरा आधा लंड उनकी चूत में सरसराता चला गया। दीदी दर्द से चिल्ला उठीं.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… पर मैं अबकी बार रुका ही नहीं और मैंने एक और धक्के के साथ अपना पूरा का पूरा लंड दीदी की चूत में पेल दिया।
उनकी आँखों से आंसू निकल पड़े और वो चिल्लाने लगी थीं। मैंने उनके चिल्लाने की कोई परवाह नहीं की और मैं रुका ही नहीं.. दनादन धक्के लगता रहा। कुछ मिनट बाद वो शांत हुई.. तब भी मैं धक्के लगाता रहा।
अब वो भी मेरा साथ दे रही थीं और मैं उनके चूचों को बेरहमी से दबा रहा था। कुछ ही देर में दीदी की चूत ने पानी छोड़ दिया। मैं अभी झड़ा नहीं था इसलिए मैं दीदी की चूत में अपने लंड के धक्के देता रहा।
उनकी चूत के पानी छोड़ने से ‘पच.. पच..’ की आवाज़ पूरे कमरे में गूंजने लगी। मैं लगातार धक्के मार रहा था.. मुझे बहुत मजा आ रहा था।
फिर काफी देर बाद जब मुझे लगा कि मैं छूटने वाला हूँ.. तो मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा। अंतिम तेज़ धक्कों के साथ ही मैंने अपना सारा रस दीदी की चूत में झाड़ दिया। इसी के साथ दीदी ने भी एक बार फिर से अपनी चूत का पानी छोड़ दिया और अपनी टाँगों को मेरी कमर में जकड़ लिया।
मैं भी लस्त होकर उनके ऊपर ऐसे ही लेट गया। मुझे दीदी की चूत में वीर्य छोड़ने से इतना नशा छा गया था कि कब मैं ऐसे ही सो गया पता ही नहीं चला।
जब नींद खुली तो मैं नंगा ही लेटा हुआ था और मेरे ऊपर चादर पड़ी थी। मैं उठा तो देखा मेरी बहन रसोई में काम कर रही है। मैं फ्रेश होने को चुपचाप बाथरूम में चला गया।
मैं डर रहा हूँ.. कहीं मेरी बहन गर्भ ना हो जाए।
तो फ्रेंड्स आपको मेरी स्टोरी कैसी लगी.. प्लीज़ बताना और फीमेल फ्रेंड्स मुझे सलाह दें कि कहीं मेरी बहन प्रेग्नेंट तो नहीं हो जाएगी। प्लीज़ में आपके मेल का जवाब करूँगा। [email protected]
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