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आपने अब तक पढ़ा.. अपनी चुदास के चलते मैंने अपनी भांजी रोमा को पीछे से पकड़ लिया था.. जिस पर वो एकदम से भड़क गई थी और उसने मुझे घर पर सबको बता देने की धमकी दे दी थी। अब आगे..
मैं डर के मारे बाहर ही खड़ा था। करीब दस मिनट बाद रोमा फिर से बाहर आई और मुझे बुला कर घर के अन्दर ले गई। अन्दर जाकर देखा तो सभी अपने-अपने काम में मग्न थे.. माहौल बिल्कुल शांत था। यह देख कर मुझे थोड़ी राहत मिली कि रोमा ने किसी को कुछ नहीं बताया था। मैं सीधा अपने कमरे में गया और बिस्तर पर पसर गया। मेरी आँखों के सामने कभी रोमा की नंगी गांड आती.. तो कभी उसका गुस्से में लाल चेहरा आता।
थोड़ी ही देर में रोमा मेरे कमरे में आई उसके हाथ में नाश्ते की ट्रे थी। मैं उसे देखते ही उठ कर बैठ गया, वो मेरे पास आई और चाय का कप मुझे देते हुए बोली- मामाजी, आप शादी क्यों नहीं कर लेते? मामी आ जाएँगी तो ऐसे गंदे ख्याल आपके मन में नहीं आएँगे।
मैं चुपचाप नज़रें नीचे किए चाय पी रहा था। तभी रूम में रोमा को ढूँढते हुए राखी आ गई, रोमा ने उसे ये कहकर वापस भेज दिया कि उसे मुझसे कुछ ज़रूरी काम है।
राखी के जाने के बाद वो मुझसे बोली- मामाजी आपने कहा है ना.. कि मैं जो कहूँगी, आप करोगे.. तो मैं चाहती हूँ कि इसी साल में आप शादी कर लो.. मानोगे ना मेरी बात! मैं- ठीक है.. कर लूँगा, पर लड़की तुम्हीं को पसंद करनी होगी! रोमा खुश होते हुए बोली- ठीक है.. मैं अपने लिए मामी पसंद कर लूँगी और हाँ.. आपने जो आज किया है, उसकी सज़ा के तौर पर आप मुझे बाइक चलाना सिखाओगे।
इतना कहते हुए उसने नजरें नीची कर ली थीं। मैंने भी तुरंत हामी भर दी।
शाम को रोमा और राखी दोनों तैयार थी, मैंने भी फ्रेश होकर उन दोनों को अपने साथ लिया और वहीं पास के मैदान में ले गया। मैदान काफ़ी बड़ा था और चारों तरफ़ पेड़ से घिरा हुआ था। मैदान में कुल दो चार ही लोग थे, जो मैदान के एक कोने में बैठे ताश खेल रहे थे।
मैदान में दोनों को बाइक से उतरने को कहा, फिर बाइक स्टार्ट करके रोमा से बाइक में मेरे आगे बैठने को कहा और मैं पीछे को हो गया, रोमा मेरे आगे दोनों तरफ पैर करके बाइक पर बैठ गई।
रोमा- हम्म.. मैं बैठ गई, अब मुझे क्या करना होगा? मैं- अब दोनों हाथ से हैंडल पकड़ो.. रोमा- पकड़ लिया.. इसके बाद? मैं- अब बाएं हाथ से क्लच दबाओ। रोमा- दबाया.. फिर!
मैं- अब गियर लगाओ.. रोमा- मामाजी गियर कहाँ है? मैं- तुम्हारे बाएं पैर के नीचे, अब उसे पीछे की ओर एक बार दबाओ.. फिर धीरे-धीरे क्लच छोड़ते हुए एक्सीलेटर घुमाना.. ठीक है समझ गई ना!
रोमा ने ‘हाँ’ में सिर हिलाया और जैसा मैंने कहा था, वैसा करने की कोशिश की, पर कर नहीं पाई। उसने क्लच को झटके से छोड़ दिया, तो बाइक झटका लेकर बंद हो गई। इस झटके में मेरे लंड ने रोमा के चूतड़ों पे भी एक झटका दे दिया। मेरे पैर ज़मीन पर थे, इस वजह से बाइक नहीं गिरी।
इस तरह मेरे कहने पर रोमा ने कई बार कोशिश की, पर वो बाइक को आगे नहीं बढ़ा पाई।
यह देख कर राखी.. जो वहीं पास में ही खड़ी थी.. ज़ोर-ज़ोर से हँसे जा रही थी और इधर बार-बार रोमा के चूतड़ों से लंड टकराने से मेरे लंड महाशय भी तन गए थे। मैं रोमा से थोड़ी दूरी बनाकर बैठा हुआ था.. जिस कारण रोमा को पजामे के भीतर मेरे खड़े लंड का एहसास नहीं हो रहा था।
रोमा- मामाजी आप मुझे बाइक को आगे बढ़ा कर दो फिर मैं चलाऊँगी। मैं- ठीक है.. मैं ऐसा ही करता हूँ।
क्योंकि मैं रोमा के पीछे बैठा था.. इसलिए मैं पीछे से ही बाइक का हैंडल पकड़ने के लिए आगे को आ गया। अब में रोमा की पीठ से बिल्कुल चिपक गया.. ऐसा कि हमारे बीच से हवा भी ना गुजर सके।
अब मेरा खड़ा लंड रोमा की कमर से दब गया था। मैंने रोमा के पैर को भी उठा कर बाइक के इंजन गार्ड पर रख दिया और अपने पैरों को गियर और ब्रेक स्टैंड पर रख दिया.. जिससे मेरी जाँघों के ऊपर रोमा की जांघें आ गईं।
इस पोज़ीशन में मैं अपना होश फिर से खोने लगा था। मैंने अपने मन पर तो काबू रखा था.. पर इस लंड को कौन समझाए.. गांड के ऊपर होते हुए भी इसे रोमा की गांड और बुर दोनों की गर्मी महसूस हो रही थी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
मेरा लंड रोमा की कमर और मेरे पेट के बीच दबा हुआ तड़प रहा था। मुझे लंड और जाँघों पर रोमा की पेंटी का किनारा भी महसूस हो रहा था। मेरी बांहें रोमा की नर्म बांहों से भी चिपकी हुई थीं। कुल मिलाकर रोमा मेरी गोद में सी बैठी हुई थी।
मैंने बाइक को स्टार्ट किया और धीरे से आगे बढ़ा दिया। थोड़ी दूर जाने पर मैं रोमा से बोला- अब मैं हैंडल से हाथ हटाता हूँ.. तुम हैंडल संभालो!
यह कह कर मैंने हैंडल छोड़ दिया। मेरे हैंडल छोड़ते ही बाइक थोड़ा लड़खड़ाई.. तो मैंने दुबारा हैंडल पकड़ लिया। फिर बाइक का बैलेंस सम्हालने के बाद धीरे से हैंडल छोड़ते हुए रोमा की दोनों कलाईयों को पकड़ लिया और बाइक चलाता रहा।
हम बाइक को मैदान में गोल गोल घुमा रहे थे। इधर मेरे पेट और रोमा के कमर के बीच मेरे लंड को दबे हुए काफ़ी समय हो गया था.. क्योंकि लंड भी खड़ा था तो लंड में दर्द होने लगा था।
मैं बाइक रोक कर लंड को एड्जस्ट भी नहीं कर सकता था.. क्योंकि मुझे ऐसा करता देख रोमा बुरा मान सकती थी और बाइक के चलने के दौरान मैं रोमा की कलाई भी नहीं छोड़ सकता था, क्योंकि वो बाइक संभाल भी नहीं पा रही थी। मेरे हाथों के सहारे पर वो मज़े से बाइक चला रही थी।
मेरे खड़े लंड को तो वो भी अपनी कमर पर महसूस कर रही थी। शायद इसी लिए वो लंड की चुभन से बचने के लिए कभी-कभी अपनी कमर को इधर-उधर हिलाती थी, पर उसके ऐसा करने से मेरा लंड दबने के साथ रगड़ता भी था।
अब मुझसे दर्द सहना मुश्किल था और अंधेरा भी हो चुका था, सो मैंने बाइक रोक दी और ‘आज के लिए बस इतना ही..’ कहकर उन दोनों को अपने पीछे बैठाया और घर की ओर चल दिया।
आज बाइक चला कर रोमा बहुत ही खुश थी।
घर पहुँच कर मैं अपने कमरे में चला गया और पजामा खोल कर लंड को हल्के हाथों से तेल लगा कर मालिश की, तब जाकर लंड के दर्द से राहत मिली, पर इस सबसे मेरा मन बहुत ही खुश था। रात को कुछ खास नहीं हुआ.. सबने मिलकर खाया-पिया और अपने-अपने कमरों में सोने चले गए।
रोमा का एग्जाम एक दिन का ही था.. सो कल का कोई प्रोग्राम नहीं था। सुबह-सुबह फिर वही कोयल सी आवाज़ कानों में पड़ी- मामाजी गुड मॉर्निंग.. सुबह हो गई.. उठ जाइए! मैंने आँख खोलकर देखा, तो सामने रोमा ही थी.. पर मुझसे काफ़ी दूर ही खड़ी मुस्कुरा रही थी।
मैंने भी उसे ‘गुड-मॉर्निंग’ कहा और घड़ी की तरफ देखा तो चौंक गया.. क्योंकि अभी तो सिर्फ़ सुबह के 4:30 बजे थे।
मैं रोमा की ओर देखते हुए बोला- अभी तो सुबह के सिर्फ़ 4:30 बजे हैं.. इतनी जल्दी क्यों उठा दिया? रोमा- मुझे बाइक सीखने जाना है। मैं- पर अभी तो बाहर अंधेरा है! रोमा- मैं मैदान में नहीं.. रोड में सीखूँगी और इस वक़्त रोड भी तो खाली होती है.. चलिए ना, मामाजी प्लीज़!
मैं- लेकिन रोमा.. रोमा- लेकिन-वेकिन कुछ नहीं.. अभी चलना है.. तो अभी चलना है, बस आप जल्दी से उठो! मैं- पर कपड़े तो बदल लो! रोमा- नहीं.. मैं ऐसे ही ठीक हूँ, आप चलो बस.. मैं कुछ नहीं जानती।
मैंने देखा वो एक लूज़ ट्रैकसूट वाला पजामा और टी-शर्ट पहने हुई थी।
आज मुझे टी-शर्ट के अन्दर रोमा की चूचियां कुछ ज़्यादा ही बड़ी लग रही थीं.. शायद उसने अन्दर ब्रा नहीं पहनी हुई थी, जिस कारण उसकी चूचियों के निप्पल टी-शर्ट में साफ पता चल रहा था। उसकी टी-शर्ट भी पतले कपड़े की थी। नीचे देखा तो पजामा भी ढीला-ढाला था.. फिर भी उसकी गांड का उभार का पता चल रहा था। यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
खैर.. जब वो ज़िद करने लगी, तो मैं उठ कर बाथरूम में घुस गया और फ्रेश होकर बाहर निकला। अब तक वो मेरे रूम में ही थी, आज रोमा कुछ बदली-बदली सी लग रही थी।
रोमा कुछ ही देर बाद मेरी गोद में बैठेगी.. ये सोच कर ही मेरा लंड खड़ा होने लगा था, जो पजामे में तंबू की तरह लगने लगा था, क्योंकि पजामे के अन्दर मैंने चड्डी नहीं पहनी थी।
रोमा बड़ी गौर से मेरे पजामे में बने तंबू को देख रही थी, ये देखकर मेरा लंड ख़ुशी के मारे झटके मारने लगा था। मैंने बाइक को घर से निकाला.. और स्टार्ट करके रोमा को पीछे बैठने को कहा।
इस पर वो बोली- मैं यहीं से बाइक चलाकर ले जाऊँगी। यह सुनकर मैं सिर्फ़ नाम मात्र को ही पीछे सरका और रोमा को आगे बैठने को कहा। रोमा जब मेरे आगे बैठने लगी.. तो अंधेरे का फायदा उठाकर मैंने अपना पजामा थोड़ा नीचे सरका कर अपना लंड बाहर निकाल कर सामने की ओर झुका दिया.. ताकि जब रोमा मेरी गोद में बैठे, तो मेरा लंड उसकी कमर को नहीं.. उसकी बुर को टच करे.. और हुआ भी यही।
अब देखते हैं कि रोमा रानी कब तक मेरे लंड की गर्मी से खुद को बचाती है। आपके मेल के इन्तजार में हूँ। [email protected] जवान लड़की के बुर चोदन की कहानी जारी है।
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