This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
हैलो फ्रेंड्स मैं दिलशाद ख़ान 19 साल की मुंबई से हूँ। मैं अभी पढ़ रही हूँ, एक साधारण परिवार से हूँ। मैं ज़्यादा तो नहीं लेकिन इतनी स्मार्ट हूँ कि किसी का भी मन बदल दूँ। मेरी गांड बहुत बड़ी है.. लेकिन चूचे छोटे हैं।
ये बात कुछ समय पहले की है.. मैं जवानी की दहलीज में कदम रख रही थी, मेरा कोई ब्वॉयफ्रेंड नहीं था। इस वजह से मैं अपने मन में उठने वाली अंगड़ाइयों पर संयम कर लेती थी।
मेरे घर के बाजू में एक शौहर और बीवी रहते थे जिन्हें मैं जीजू और दीदी बुलाती हूँ, मैं अक्सर उनके घर जाती रहती थी, उनके बच्चों के साथ खेलती थी।
जीजू भी मुझसे बहुत मस्ती करते थे और कई बार मस्ती-मस्ती में उन्होंने मेरे मम्मों भी टच किया था। उनकी वाइफ अच्छी नहीं दिखती थीं इसलिए जीजू मेरे ऊपर गंदी नज़र रखते थे।
एक दिन जीजू ने मुझसे कहा- मैं तुझे बहुत लाइक करता हूँ। मैं कुछ बोलती.. उससे पहले वो मेरे होंठ चूसने लगे।
जिन्दगी में आज किसी ने पहली बार मुझे किस किया था.. मुझे बहुत मजा आया, मैं भी जीजू को रेस्पॉन्स देने लगी। धीरे-धीरे उन्होंने अपना हाथ मेरे मम्मों पर रख दिया.. तो मैं थोड़ा गर्म हो गई।
फिर उन्होंने अपनी ज़िप खोली और मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया। मैं धीरे-धीरे जीजू का लंड हिलाने लगी। थोड़ी देर चूमा चाटी करने के बाद मैं वहाँ से चली आई। मुझे बहुत मज़ा आया था लेकिन फिर बाद में मुझे बहुत बुरा लग रहा था कि मैंने ये क्या कर दिया।
यह चूमा चाटी और बदन सहलाने का काम 2 साल तक चला। इसके बाद मुझे कॉलेज में एक आसिफ़ नाम के लड़के ने प्रपोज किया। मुझे भी वो पसंद था.. तो मैंने उसे हाँ बोल दी।
हम दोनों लोग खूब घूमते.. किस करते, वो मेरे मम्मों को दबाता और मेरी बुर के ऊपर उंगली रगड़ता। इस सब में मुझे बहुत अच्छा लगता था। उसने मुझे बहुत बार सेक्स के लिए भी कहा.. लेकिन मैं मना कर देती थी।
दूसरी तरफ जीजू अभी भी मुझे टच करते थे, मैंने अब उन्हें भी मना कर दिया। उन्होंने कारण पूछा तो मैंने कह दिया- अब मेरा ब्वॉयफ्रेंड है। लेकिन वो नहीं मानते थे और अक्सर मेरे मम्मों को दबा देते।
मैं आसिफ़ से प्यार करती थी.. इसी लिए मैंने जीजू के बारे में उसे सब कुछ बता दिया। एक दिन उसने जीजू को फोन करके उन्हें समझाया कि वो मेरी गर्लफ्रेण्ड है.. ऐसी हरकतें मत करना। उसके फोन के बाद जीजू भी मान गए।
कुछ दिन बाद दोपहर में सब सो रहे थे लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी.. तो मैं बाहर टहलने चली गई। वहाँ बाहर गई तो देखा कि जीजू कोने में खड़े होकर मुठ मार रहे थे। उनका कड़क लंड देख कर मुझे पता नहीं क्या हो गया। मैंने इधर-उधर देखा.. फिर सीधा जीजू के पास जा कर खड़ी हो गई।
जीजू अपनी आंखें बंद करके मुठ मार रहे थे। मैंने उनके हाथ को टच किया.. तो वो डर गए। फिर जब उन्होंने मुझे देखा तो नॉर्मल हुए और बोले- तेरे ही नाम की मुठ मार रहा था। मैंने कहा- मेरे नाम की मुठ मारने की ज़रूरत नहीं है। वे बोले- क्यों? ‘क्योंकि अब मैं आ गई हूँ।’
यह कहते हुए मैंने उनका लंड पकड़ लिया, मुझे उनका गर्म लंड बहुत अच्छा लगा। वो मुझे किस करने लगे, मुझे उस टाइम आसिफ़ का भी ख़याल नहीं आया, मैं उनका लंड जोर-जोर से हिलाने लगी।
फिर कुछ देर बाद उन्होंने लंड चूसने को बोला.. तो मैं बैठ कर जीजू का लंड चूसने लगी। मुझे जीजू का लंड चूसने में बहुत मजा आ रहा था। फिर वो मेरे मुँह में झड़ने लगे। उसके बाद उन्होंने मेरे मुँह में थोड़ा मूत भी दिया.. मुझे अच्छा लगा और मैं उनका सब रस पी गई।
2 दिन बाद मेरे घर वाले बाहर गए थे, मैं घर पर अकेली थी। मैं जीजू की बेटी को घर पर ले कर आई और उसके साथ खेलने लगी। फिर मुझे पता नहीं क्या हुआ मैंने जीजू को फोन किया- आ जाओ जीजू.. अपनी बेटी को ले जाओ।
वो चुपचाप आए और बेटी को लेने लगे.. तो मैंने थोड़ा आगे बढ़ कर उनके हाथ से अपने मम्मों को टच करवा दिया।
मैंने उनकी बेटी को ज़ोर से पकड़ लिया ताकि वो मुझसे अपनी बेटी छीन कर ले जा सकें।
इसी मस्ती में मैं जानबूझ कर आगे बढ़ी और उनके लंड से अपनी बुर टच करवा दी। उनका लंड भी खड़ा हो गया था।
अब मैं उनकी बेटी को ले कर घूम गई। इससे मस्ती-मस्ती में उनका लंड मेरी गांड की दरार से टच होने लगा और मैं भी अपनी गांड को ज़ोर-ज़ोर से उनके लंड पर रगड़ने लगी।
मुझे बहुत मजा आ रहा था, उनका लंड भी खड़ा हो कर लम्बा हो गया.. जो मेरी गांड में चुभ रहा था। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। उन्होंने मेरी सलवार का नाड़ा खोल दिया और अपनी ज़िप खोल कर मेरी गांड और बुर पर अपना लंड रगड़ने लगे, मैं भी गांड हिलाने लगी और उनका लंड यूं दबाने लगी कि अन्दर चला जाए।
मुझे बहुत मजा आ रहा था, मैंने गांड हिलाते हुए कहा- ओह्ह.. जीजू भोसड़ी के मादरचोद अब डालेगा भी या रगड़ता ही रहेगा? उन्होंने बोला- रुक भैन की लौड़ी.. अभी 5 मिनट रुक..
फिर वो अपनी बेटी को अपनी बीवी के पास छोड़ कर आए और मेरे ऊपर टूट पड़े। जीजू धीरे-धीरे मेरी बुर में अपना लंड डालने लगे। मुझे बहुत दर्द हो रहा था लेकिन मैं बोली- रुकना मत.. भले ही आज मर जाऊँ।
वो धक्के लगाने लगे और धीरे-धीरे पूरा लंड मेरी बुर के अन्दर चला गया, मुझे बहुत मजा आने लगा। मैं चिल्ला-चिल्ला कर लंड ले रही थी- अहह.. हमम्म् उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह और तेज़ मादरचोद.. अहह प्लीज़ फाड़ दो मेरी छूट को.. और अन्दर तक डाल फाड़ दे आज.. मेरी बुर.. आह.. मज़ा आ रहा है.. चोद अपनी रंडी को.. और चोद मादरचोद.. और तेज़ से चोद..
इसी बीच मैं झड़ गई और वो भी झड़ने लगे, उन्होंने अपना पानी मेरे पेट पर गिरा दिया। फिर वो चले गए।
हम लोग के घर के बाहर छोटा सा आँगन है वहाँ जीजू अक्सर बैठा करते थे और वहीं पर जो रूम बना था.. उसमें मैं सोती या पढ़ाई करती।
उस रूम में एक बाथरूम भी था। मैं जब नहाने जाती और जीजू आंगन में रहते.. तो मैं उन्हें इशारा करके बुला लेती। वो खिड़की पर आ कर खड़े हो जाते। मैं उनके सामने मस्ती से कैट-वॉक करती.. अपनी गांड हिलाती.. बुर पर हाथ फेरती.. मस्ती करते हुए कपड़े उतारती और उन्हें अपना पूरा नंगा बदन दिखाती। कभी-कभी खिड़की में से ही उनका लंड चूस लेती थी। मुझे बहुत मजा आता था।
मेरा ब्वॉयफ्रेंड अक्सर पूछता कि अब वो चूतिया कुछ हरकत तो नहीं करता है? मैं बोल देती- नहीं.. अब नहीं करता.. अभी सुधर गया है।
एक बार उसने फोन किया तो मैं उस वक्त जीजू के लंड पर ही बुर टिकाए बैठी थी। मैंने फोन उठा कर बोला- बाद में कॉल करना.. अभी मैं बहुत ज़रूरी काम कर रही हूँ।
जीजू हँसने लगे और उन्होंने अपना लंड मेरी गांड में डाल दिया।
मैं जब भी जीजू को अकेले देखती.. उनका लंड पकड़ लेती और बहुत मस्ती करती थी। मुझे इस सब में बहुत मज़ा आता था। कई बार रात में मैंने जीजू को अपने घर बुला कर भी चुदवाया है।
एक दिन सन्डे की सुबह 7 बजे मेरी आँख खुल गई.. तो मैं टॉयलेट जाने के लिए उठी.. तो देखी जीजू भी टॉयलेट जा रहे थे। उन्हें देख कर सुबह-सुबह मेरी नियत खराब हो गई, मैं दौड़ कर टॉयलेट के पास आ गई। चूंकि हम सबका टॉयलेट कॉमन है।
मैं बोली- रूको.. मुझे बहुत ज़ोर से आई है। तो वो बोले- मुझे भी बहुत ज़ोर से आई है। मैं बोली- चलो साथ में कर लेते हैं।
फिर वो साथ में अन्दर आ गए और हम लोग मूतने लगे। मुझे बहुत अच्छा लगा। फिर जब मैं मूत चुकी.. तो उठी और जीजू को किस कर लिया।
वो अभी भी मूत रहे थे। मैंने उनका लंड पकड़ कर बुर पर रखवा लिया। उनका मूत अभी निकल ही रहा था। उनके मूत से मेरी बुर गीली हो गई।
मैंने बोला- क्या हुआ? जीजू ने कहा- कुछ नहीं।
फिर मैंने जीजू का लंड अपनी बुर में अन्दर ले लिया और वहीं चुदने लगी।
आज उन्होंने मुझे बताया कि मेरी बड़ी बहन को भी वो बाथरूम में एक बार चोद चुके हैं। मैं पहले चौंकी फिर हंस दी और बोली- वो भी मेरी बहन है.. तो रंडी ही रहेगी ना!
मैं ज़ोर ज़ोर से चुदने लगी। उन्होंने कुछ देर बाद बुर में से लंड निकाला और मेरी गांड में डालने लगे। मुझे कुछ दर्द हुआ.. लेकिन फिर मजा आने लगा।
मैंने जीजू से प्यार से अपनी गांड भी मरवाई, आधे घंटे बाद दोनों बाहर निकले और अपने-अपने घर में चले गए।
अब मैं उनसे फोन पर भी गंदी बात करने लगी थी… बहुत मजा आता था। कभी-कभी घर के बाहर जब मेरे और जीजू के सिवा कोई नहीं होता तो मैं अपनी जीन्स का चैन खोलती और जीजू की जीन्स को भी खोल लेती। मैं जीजू का लंड बाहर निकाल कर बुर पर रगड़ती और थोड़ी देर बाद चली आती।
दोस्तो, कैसी लगी मेरी जवानी की बुर चुदाई की सेक्स स्टोरी? मुझे कमेंट मेल करो क्योंकि बहुत जल्दी इसका अगला पार्ट आने वाला है। वो आपके मेल्स पर डिपेंड करता है। अगर ज़्यादा मेल्स आए तो अगला पार्ट लिखूँगी.. नहीं तो यहीं पर खत्म कर दूँगी। [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000