डरते डरते साली की चूत की सील तोड़ दी

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नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम रौशन कुमार मिश्रा है, मैं पूजा-पाठ कराता हूँ। मेरा घर झारखंड राज्य के डाल्टनगंज शहर में है। मैं यहाँ के एक शहर में अपनी पत्नी व दो बच्चों के साथ रहता हूँ। मेरी उम्र 30 साल और एक प्राइवेट संस्थान में नौकरी करता हूँ। मेरी उम्र 30 वर्ष है तथा मेरे लंड का साइज़ लगभग 5 इंच है। मैं अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज.कॉम का पुराना पाठक हूँ। इसमें आप सब लोगों द्वारा सैक्स पर की जा रही कारगुजारियों की कहानियाँ पढ़कर मेरी भी इच्छा हुई कि मैं अपने जीवन में सैक्स का नए अनुभव को आपके साथ शेयर करूं।

मैं एक साफ-सुथरी चुदाई पर यकीन करता हूँ। चूत चाटने से मुझे घिन आती है, चूत चाटने के अलावा मैं चुदाई के सभी तरीके प्रयोग करता हूँ।

यह मेरी पहली कहानी हैं। लिखने में मुझसे कोई चूक हो तो उसे प्लीज माफ करें। यह जो घटना मैं आपको बता रहा हूँ, वह आज से करीब चार साल पहले की है।

नवंबर का महीना था, थोड़ी ठंड पड़नी शुरू हो गई थी। मेरी पत्नी सात माह के गर्भ से थी। इस समय उसके लिए घर के काम करने में भी परेशानी हो रही थी। लिहाजा मैंने अपने ससुराल में बात की, उसकी परेशानी बताई और मदद के लिए कहा।

मेरे ससुर ने तब मेरी साली कामिनी को अपनी बड़ी बहन की मदद करने मेरे घर भेज दिया। मेरी साली कामिनी अपनी बहन यानि मेरी पत्नी से दो साल छोटी थी। पर देखने में मेरी पत्नी से भी सुंदर! मैं आज कामिनी को याद करता हूँ तो मेरा सोया हुआ लंड भी फुफकार मारते खड़ा हो जाता है, उसकी देहयष्टि 28-26-30 की है, मेरी साली बहुत शोख और चंचल है।

तो साली के आते ही हमारे सूने घर में रौनक आ गई, कामिनी मुझसे काफी मजाक किया करती है। शुरू में मैंने अपनी साली पर खास ध्यान नहीं दिया पर बहुत दिन से चुदाई ना करने के कारण उसके कई सामान्य मजाक भी मुझे उत्तेजक लगने लगे। रात में लंड को शांत करने के लिए मैं साली की चुदाई की कल्पना करते हुए मुठ मार लिया करता।

जो भी हो, अब मेरा मन अपनी साली कामिनी की चुत चुदाई के लिए मचलने लगा। कई बार तो मैंने इसके लिए पहल भी किया, पर फिर यह सोचकर रूक गया कि कहीं इसने मेरी शिकायत मेरी बीवी से कर दी तो फिर मेरे तो खटिया खड़ी होना तय है। यह ख्याल आते ही मैं अपने कदम वापस ले लेता।

कुछ दिन इसी कश्मकश में उलझा रहा पर आखिरकार सैक्स की मेरी जरुरत ने मुझे समझाया कि मेरी साली कामिनी मस्त माल है, और साली की चुत चोदने के लिए पहल तो करनी ही होगी। यह ख्याल आते ही मन को काफी हल्का लगा और मैं एक बार फिर ख्यालों में अपनी साली कामिनी की चुदाई की।

एक दिन मेरी पत्नी आंगन में बैठकर धूप सेक रही थी और कामिनी भीतर रूम में साफ़ सफाई में लगी थी। तभी मौका देखकर मैं भीतर गया और कामिनी के पुट्ठे पर हाथ रखकर सहलाया। उसके कुछ ना कहने पर मेरी हिम्मत बढ़ी, मैंने उसके दूध पर हाथ रखा व फिर गाल चूम लिया।

शुरू में तो उसने एतराज जताया व नाराज होने का नाटक किया पर फिर सामान्य हो गई। अब मैं बार बार उसे अकेले में मिलकर उसके दूध दबाने, चुत या गांड में हाथ फिराने या फिर चुम्मा लेने में लग गया। परिणाम यह हुआ कि अब उसने मेरी हरकतों का विरोध करना छोड़ दिया बल्कि मजा लेने लगी। मुझे लगा कि अब वह भी हमारे अकेले होने का बहाना तलाशने लगी है।

इसके बाद भी अपनी बीवी का डर मुझ पर इस कदर हावी था कि मैं कामिनी को छूने से पहले इस बात की पूरी तरह पुष्टि कर लेता कि मेरी बीवी हमसे दूर ही है। क्योंकि कामिनी को छेड़ते हुए पकड़े जाना यानि मेरा बसा बसाया घर चौपट हो जाना।

इधर मैं बीवी को ना चोद पाने, कामिनी के दिन भर सामने होने और मेरे द्वारा छेड़छाड़ किए जाने पर उसके शांत रहने से मेरे अंदर सैक्स का उबाल भर रहा था। आखिरकार उस रात मुझे एक मौका मिल ही गया।

आपको बता दूं कि मेरी साली मेरी पत्नी के साथ उसके बिस्तर पर ही सोती थी, और मेरा बिस्तर उनके बगल की चौकी पर डलता था यानि चौकी पर मैं, बाजू के पलंग पर मेरे साइड मेरी पत्नी व उसके बाद मेरी साली कामिनी सोती थी। इस तरह मेरी पत्नी अपनी बहन को मुझसे पूरी तरह सेफ करके ही सोती थी।

उस दिन सुबह मेरी पत्नी जल्दी उठकर फ्रेश होने टायलेट गई। उसे मैं बाहर तक टायलेट में जाते हुए देखा और हिम्मत जुटाकर जल्दी से अपनी पत्नी के बिस्तर पर उसकी जगह पर आकर लेटा। कामिनी तब सो रही थी। तब मेरे मन में दो तरह के भाव थे, पहला बाजू में एक जवान लड़की का होने की खुशी और दूसरा मेरी बीवी के फ्रेश होकर आ जाने का डर! पर तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण भाव मेरे टुन्न होते लंड ने दिया। मन में आया कि अबे, जो करना है, जल्दी से कर!

बस इस भाव के आदेश पर मैंने अपना हाथ सो रही कामिनी के सीने पर रख दिया। उसने शायद नींद के कारण कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। लिहाजा मैंने अपने हाथों का जोर उसके स्तन पर बढ़ाया, और स्तन सहलाने, दबाने लगा। इससे उसकी नींद खुल गई, आंखें खोलते ही उसने मेरी ओर देखा, उससे नजर मिलते ही डर से मेरी हालत खराब हो गई। पर वह बोली कुछ नहीं, बस मेरा हाथ पकड़कर अपने सीने से हटा दिया। इससे मेरी हिम्मत बढ़ गई।

अभी मेरा हाथ उसके हाथ के घेरे में ही था कि बाहर टायलेट की ओर खटका सुनाई दिया। मैं समझ गया कि मेरी बीवी बाहर आ गई हैं इसलिए अब जल्दी से उससे अपना हाथ छुड़ाकर मैं अपने बिस्तर पर आया और आंख बंद कर पड़ गया। मुझे सोता जानकर मेरी बीवी वहीं काम करने लगी।

इस दिन के बाद कई दिनों तक मुझे ऐसा मौका नहीं मिला। हाँ कामिनी के शरीर पर हाथ फेरने, दूध दबाने या चुम्मा लेने जैसा मौका मैं इस बीच नहीं छोड़ा। इस बीच कामिनी के शरीर को चाहने की प्यास मुझे पागल किए हुए थी। इस उत्तेजना के कारण ही इसके करीब एक सप्ताह बाद मैंने एक और नाटक किया।

इस दिन सुबह मेरी पत्नी जैसे ही उठकर टायलेट गई मैं कामिनी के बिस्तर पर आया और हाथ उसके सीने में रखकर स्तन दबाने लगा। कामिनी भी उठ गई थी, मैंने उसके दोनो स्तनों को पकड़ा और उसके होंठो का रस पीने लगा। यह करते समय वह हिचकिचाई और मुझे परे धकेला। उसके ऐसा करने से मैं उसके होंठों से अलग हुआ व मेरे हाथ भी उसके स्तन से हट गए पर रहा उसके बाजू में ही उसी रजाई के अंदर!

अब मैंने एक हाथ उसके सीने पर रखा व दूसरे हाथ को नीचे कर उसकी सलवार के भीतर घुसा दिया। कामिनी को जल्दी चोदने के जोश से इत्तफाक ने मेरा खूब साथ दिया और मेरा हाथ उसके सलवार व पैन्टी से सरककर सीधा बालों के झुंड में छिपी चुत पर आ गया। मेरा हाथ उसकी चुत को सहलाने लगा, उसने हड़बड़ा कर मेरे हाथ को पकड़ लिया पर मैंने इसकी परवाह नहीं की और अब अपनी उंगली को उसकी चुत में अंदर बाहर करने लगा। इससे शायद उसे अच्छा लगने लग रहा था, तभी तो अब वह मेरा विरोध करना बंद करके मजा लेने लगी। उसके मुंह से भी सिसकारी निकल रही थी।

तभी मुझे बाहर से पत्नी के बाहर आने की आवाज सुनाई दी। लिहाजा जल्दी से अपने हाथ को उसकी सलवार से निकाल कर मैं अपने बिस्तर पर सरका और अपनी रजाई ओढ़कर शांत पड़ गया। मेरी पत्नी भीतर आई और काम समेटने लगी।

मेरी साली थोड़ी देर में उठकर टायलेट आदि गई, थोड़ी देर में वह भी फ्रेश होकर आई और दोनों बात करते हुए चाय पीने लगी। मुझे जोर से पेशाब लगी थी इसलिए मैं भी उठा, और बीमारों की तरह ही कराहते हुए धीरे धीरे वाशरूम की ओर चल पड़ा। मुंह धोकर वहाँ से लौट कर बिस्तर में बैठा, तभी कामिनी मुझे चाय का कप लाकर दिया. मैंने उसके चेहरे की ओर देखा पर वह शर्म से गर्दन झुकाए हुए थी।

तभी पत्नी मेरे पास आकर बिस्तर पर बैठी, बोली- तबीयत कैसी है अब आपकी? मैं चेहरे को और रुआंसा करते हुए कहा- आज भी अच्छा नहीं लग रहा हैं। पत्नी बोली- मुझे आज डाक्टर के पास जाना हैं। यह सुनते ही मैं खुश हो गया कि चलो अच्छा हुआ जो मैंने बीमार होने का बहाना बनाया। अब यह बाहर जाएगी और मैं कामिनी साली की चुदाई कर मजे ले सकूंगा।

तभी पत्नी तपाक से बोली- अरे… यह मेरे दिमाग में पहले क्यूं नहीं आया! मैंने सशंकित भाव से उसकी ओर देखते हुए पूछा- क्या? पत्नी बोली- आप मेरे साथ ही अस्पताल चलो, आप भी वहाँ डाक्टर को दिखा लेना, मेरा भी चेकअप हो जाएगा।

उसकी इस प्लानिंग से मैं हड़बड़ा गया और तुरन्त कहा- अरे नहीं, मुझे डाक्टर की जरूरत नहीं है, अस्पताल तुम जाओ, तुम्हारा ट्रीटमेंट जरुरी है. मेरी पत्नी इसके बाद भी बहुत देर तक मुझे साथ में अस्पताल चलने की जिद करती रही, पर मैं किसी तरह बहाना कर इससे बचा।

मेरे घर के पास ही मेरे एक रिश्तेदार रहते हैं। यह तय हुआ कि मेरी पत्नी उनके साथ अस्पताल जाएगी, और मैं व मेरी साली घर में रहेंगे। मैंने इसके लिए मन ही मन भगवान को धन्यवाद दिया और वैसे ही बिस्तर पर पड़ा रहा। मेरी पत्नी व कामिनी जल्दी-जल्दी नहाकर किचन में लगे। खाना बना तब तक मैं भी नहाकर आया।

खाना खाकर मेरी पत्नी मेरे रिश्तेदार की पत्नी के साथ अस्पताल चली गई। हाँ, मैंने उसे आज ही सभी टेस्ट करा लेने कहा, ताकि आगे कोई परेशानी ना हो। पत्नी के अस्पताल के लिए निकलते ही मैंने कामिनी को अपनी बाहों में भर लिया।

पहले उसने थोड़ा आनाकानी की, पर फिर मेरे ही रंग में ढल गई। बाहर का दरवाजा बंद करने के बाद मैं उसे अपनी बाहों में उठाकर अपने कमरे तक लाया, और बिस्तर पर डाल दिया। कामिनी थोड़ा नखरे तो दिखा रही थी, पर वह करने भी दे रही थी जो मैं करना चाहता था।

बिस्तर में डालने के बाद मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोला और सलवार खींचकर अलग की। अब उसके ऊपर आकर मैंने उसके होंठों को अपने होंठ में लेकर होंठ का रस पिया। इस समय मेरे हाथ उसके वक्ष पर रहकर उसके स्तन को दबा रहे थे। कामिनी के होंठ से मेरे होंठ थोड़े से अलग हुए कि वह बोली- दीदी आ जाएगी, छोड़िए मुझे! मैं बोला- तेरी दीदी को आने में तीन चार घंटे लगेंगे। इतने दिन से तेरे ही नाम का मूठ मारता रहा हूँ कामिनी। तुझे चोदने के लिए ही मैं अपनी तबीयत खराब बनाए हुआ हूँ। इसलिए प्लीज आज के इस मौके का लुत्फ़ खुद भी उठा और मुझे भी उठाने दे।

इतना कहकर मैंने उसकी पेंटी उतार कर उसे नंगी कर दिया। अब मेरे हाथ साली की चुत को सहलाने लगे। कामिनी का हाथ मेरे पजामे के ऊपर से मेरे लंड को टटोलने लगा। मैं उससे अलग हुआ, अपना पजामा व अंडरवियर उतार कर नंगा हुआ और फिर उसके बगल में लेटकर साली की चुत में उंगली करने लगा।

अब कामिनी ने मेरे लौड़े को पकड़कर उसे सहलाना शुरू किया। मुझे लगा कि अब इसे चोदने से पहले इसकी चुत को थोड़ी ढीली करनी होगी नहीं तो इसे दर्द ज्यादा होगा व मुझे सहयोग नहीं करेगी। इसलिए मैंने अपनी साली की चुत में पहले एक फिर एक साथ दो उंगलियाँ डाली। इससे वह उपर उछली तथा मुझे छोड़ने कहने लगी पर मैंने हल्के हाथों से उंगलियाँ अंदर बाहर करना जारी रखा। थोड़ी देर में वह सामान्य होकर फिर से मेरे लंड से खेलने लगी।

मैंने उसकी चुत में दोनों उंगलियों को अंदर बाहर करने की गति बढ़ाई। अब कामिनी ने मेरे लौड़े को एकदम टाइट पकड़कर हिलाने लगी। मुझे लगा कि यह अब फुल मूड में आ गई है, मैंने अब पास के टेबल पर रखा तेल उठाया, अपने लौड़े पर लगाने के बाद साली की चुत के छेद में लगाया। अब लौड़े को उसकी चुत में रखकर हल्का सा धक्का दिया। उसकी चुत बहुत टाइट थी। लौड़े का सुपारा ही अंदर हुआ था कि कामिनी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… हट जाओ- हट जाओ’ कहते हुए मुझे धकेलने लगी।

पर मैंने उस पर अपनी पकड़ टाइट रखते हुए फिर से एक धक्का लगाया। अब पूरा लंड मेरी साली चुत में घुस गया, एक चीख के साथ उसका छटपटाना भी शुरू हो गया था। मैंने उसकी चुची को हल्के हाथों से सहलाते हुए अभी लौड़े के हल्के धक्के देना जारी रखा। कामिनी का विरोध थोड़ी देर ही रहा, अब उसके मुंह से सिसकारी निकल रही थी। साली की चुत चुदाई की यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

मेरा हल्का शाट अभी जारी ही था कि उसने कहना शुरू कर दिया- कर ना जीजा जोर से! तेरी गांड में दम नहीं है क्या जो इतने धीरे से कर रहा है। मुझे भी गुस्सा आ गया, अब मैंने जोर जोर से धक्के लगाने शुरू कर दिया।

पर ऐसा थोड़ी देर ही हुआ, मैं झड़ने की स्थिति मे पहुंचा, वैसे ही लौड़े को बाहर निकालकर उसके पेट पर सारा माल निकाल दिया। कामिनी का अभी नहीं हुआ था, इसलिए वह ‘क्या हुआ? चोद ना जीजा!’ कहने लगी। वीर्य गिरने के बाद मेरे लंड में अभी तनाव था इसलिए मैं उसे फिर से उसकी चुत में डालकर हिलाने लगा।

अब कामिनी नीचे से उछाल भरने लगी। मेरे झड़ा हुआ लौड़ा सुस्त होता, इससे पहले उसका माल भी झड़ गया। तब उसने मुझे कसकर पकड़ लिया, थोड़ी देर यूं ही सुस्ताने के बाद हम उठे। कामिनी वाशरूम गई। तब तक मैंने बिस्तर की चादर का उलटकर बिछाया क्योंकि उसमें कामिनी की चुत से निकला खून लग गया था।

मेरी पत्नी को शक ना हो इसलिए चादर को ठीक करने के बाद मैंने कामिनी से कहा कि मैं तुम्हारी दीदी के सामने ही तुम्हे कह दूंगा कल इस चादर को तुम धो देना। उसने सहमति में गर्दन हिलाई।

तो साहब यह रही मेरी साली की पहली चुदाई। इसके दो दिन बाद हमें फिर मौका मिला तो हमने फिर चुदाई की। मेरी बीवी की डिलवरी तक मैंने कई बार साली की चुदाई की है। मेरी साली की अब शादी हो चुकी है पर अब भी मौका मिलने पर हम लोग चुत चुदाई का मजा लेने से नहीं चूकते।

मेरी साली की चुत चुदाई की यह कहानी बिल्कुल सच्ची है, आपको कैसी लगी, कृपया बताएं। [email protected]

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