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अब तक आपने पढ़ा.. माया और सरोज के लेस्बियन सेक्स के साथ मैं भी अपना लंड चुसाने का मजा ले रहा था। अब आगे..
वो अपने दाँतों को चूत पर दबाते हुए कहने लगी- साल्ल्ली.. आज तुझे काट के खाऊँगी.. ले साली मादरचोद.. मुझे तूने बहुत ललचाया था.. पर ले साली रंडी! सरोज अपनी जुबान को नुकीली करके माया की चूत के फांकों को चोदने लगी, मैं उसको बड़ी बेताबी से उसे देखकर चूत चाटना सीख रहा था।
सरोज बड़ी बेदर्दी से माया की चूत काट-काट कर चूस रही थी और अन्दर अपनी जुबान घुसेड़ रही थी। वो बड़ी हैवान हो कर उसे काट रही थी और खुद भी तड़प रही थी, ऐसा लग रहा था जैसे एक भूखी शेरनी हिरन को काट-काट कर खा रही हो।
सरोज- आआह्ह साली माया.. तेरी चूत का रस काफी मीठा है.. उम्म्म ला इसे खा खाकर चीर दूँ… लपक लपक.. चपर.. चप.. सीई.. माया- उम्म्ह… अहह… हय… याह… ओह्ह्ह साली मादरचोद.. मुझे अन्दर झटके.. आआ रहे हैं.. उईई माँ सस सस.. उफ्फ जोर से लल्लाआअ अआजा.. मुझे अपनी बांहों में ले ले अह्ह्ह ससरू.. मुझे बहुत कुछ आहह.. हो रहा है.. इस्स्स ओफ्फ!
मैंने भी कसके माया के निप्पल को मुँह में लेकर काटना शुरू कर दिया तो वो उछल पड़ी और वो अपने पैरों से सरोज का चेहरा दबोच कर चूत की तरफ दबाने लगी, साथ ही माया मेरे सर को खींचकर अपने चूचियों की ओर दबाने लगी।
माया- मम्मा.. आआह्ह्ह उफ्फ्फ.. इसी तरह जोर से.. हाँ ऐसे ही चूस लल्ला.. ओह्ह्ह माँ मैं मर गई.. ओह्हह ऊऊम्म सरू.. विकी.. ओह्ह्ह मा..र.. दोगे क्या.. आह.. सरू तेरे दांत चुभते हैं साली.. मार ही देगी.. धीरे कर कुतिया.. आह्ह्ह सरू..
माया की चूत और चूचियों की एक जोरदार और जबरदस्त चुदाई हो रही थी। वो मछली की तरह तड़प रही थी। कमरे में एक जोरदार जंग चल रही थी और नशे का आलम था।
दोस्तो, यह कहानी लिखते हुए इतने सालों बाद भी मेरा लंड कड़ा हो कर पानी छोड़ रहा है। मैं आपको क्या कहूँ.. सच में कहानी लिखते हुए ही मेरा कई बार पानी निकल गया।
माया अपनी कमर को ऊपर उठाकर सरोज को और मेरे चेहरे को अपने स्तनों पर दबाकर आंखें बन्द करके काँपते हुए लफ्जों से हमें थैंक्स कह रही थी।
साथ ही माया सरोज को गालियां भी दे रही थी- साल्ली रंडी ने आखिर मुझे नहीं बक्शा.. अहह.. साली मुझे आखिर चोद कर ही छोड़ा.. ओह्ह्ह विकी खा जा मेरे लाल हह्ह्ह्हा आहह्ह्ह ऊऊऊ.. चाट साली.. बना दे मेरे विकी को भी एक नंबर का पति.. साली तू जानती है एक औरत को कैसे सुख दिया जाता है।
वो सरोज को बीच बीच में पीट भी रही थी और सरोज उसका बदला चूत से ले रही थी। पूरे कमरे में मीठी सीत्कारें और चूसने की आवाजें गूँज रही थीं। लगभग दस मिनट हम दोनों माया को बेदर्दी से रगड़ते रहे। पता नहीं अब मुझे भी माया पर दया नहीं आ रही थी। मैं भी अपने दांतों को मिसमिसा कर उसे चूस रहा था।
माया सिसकार रही थी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
अंत में उसका पूरा शरीर एकदम से अकड़ा और उसने खींच कर मुझे बुरी तरह से अपने चूचियों पर दबोच लिया और जोर से चिल्लाई ‘आआह्ह्ह्ह.. लल्ला कसके.. ओह्ह्ह्हह माँ आआह्ह्ह..’ वो जोरदार झटकों के साथ काँपते हुए, अपने पैरों को सिकोड़ते हुए झड़ गई- हाआअ.. माँआअ सरू मैं मरी..ईईईई.. ऊऊफ़्फ़.. और माया मुझे अपने स्तनों पर जकड़ते हुए झड़ गई। उसने सरोज के मुँह में अपना गरमा-गरम कामरस छोड़ दिया।
सरोज बड़े प्यार से कुतिया की तरह अपनी जुबान से उसकी चूत चाट रही थी।
माया अब भी झड़ते हुए हिलक सी रही थी ‘ओह.. माँ.. मैं मरीईई.. ओह्ह्ह्ह.. ओफ्फ..’
मैंने उसके होंठ पर अपने होंठ जड़ दिए और उसे चुप करा दिया।
माया आंख बन्द कर बिस्तर पर ढेर हो गई.. उसका पसीना छूट गया था। वो जोरो से हाँफ रही थी। उसका शरीर तप कर लाल लोहा बन कर हमें जला रहा था। वो ऐसी बिल्कुल नंगी मचलती मछली सा तड़पते हुए शांत हो गई। उसकी आंखें बन्द थीं और मैं उसकी जोरदार लपेट में फंसा था। इस अवस्था में वो और भी मस्त लग रही थी।
सरोज- देखा मेरे राजा.. चूत ऐसे चाटते हैं। अब तुझे मेरी चूत ऐसे ही चाटनी है।
माया की छाती से खींचकर उसने मुझे अपनी नंगी छाती से चिपका कर मेरे गले को चूमते हुए दाँतों से मेरे कंधे और गले को काटा.. तो मेरा तना हुआ लाल चटख लवड़ा 90 डिग्री के कोण में ऊपर को खड़ा हो गया। मैं कांप उठा- ऊफ्फ सरू.. आहिस्ता आह्ह्ह्ह!
वो घुटनों के बल बैठ गई, मेरा खीरे जैसा बड़ा लाल चटख लंड हिलने लगा, उसने लपककर मेरे लंड को अपने मुँह में खींच लिया। जैसे कोई नाग चूहे को खा लेता है।
वो मेरा लंड पूरा का पूरा अपने मुँह में घुसेड़ कर अन्दर उस पर अपनी जुबान रगड़ रही थी। वो मेरे लंड को अपनी गीली जुबान से मलते हुए खींच-खींच कर चूस रही थी।
‘चप.. चाप.. पुच.. पुच..’ की आवाज़ आने लगी। सरू साली थकती ही नहीं थी, बस लंड चूसने की आवाज़ आ रही थी।
मैं बहुत तड़प रहा था। मेरे लंड में सनसनी हो रही थी। मैं कहीं का न रहा। अब तो मैं खड़ा भी नहीं रह सकता था ‘ओह्ह्ह्हह.. सरू.. मेरी..जा..न..’
मैं भी जोश में आके उसका चेहरा पकड़ कर उसे आगे-पीछे करने लगा। कमरे में बस चुसाई की आवाजें आ रही थीं। मेरी आंखें बन्द थीं और सांसें तेज थीं।
एक जबरदस्त चिंगारी मेरे लंड पर लग रही थी। मुझे ऐसा अहसास कभी भी नहीं मिला था। बिजली का झटका मेरे लंड पर झटके दे दे कर उससे एक मीठा दर्द दे रहा था।
ऊपर लंड पर सरू की जीभ चल रही थी। नीचे उसकी चूचियां और ऊपर से चूतड़ हवा में हिल रहे थे। वो तो बस मेरे लंड को खाए जा रही थी। ऐसा क्यों ना हो.. छह महीने बाद उसे ऐसे बिना झांटों का मस्त लंड चूसने को मिला था, वो कोई मौका गंवाना नहीं चाहती थी। एक तरफ मेरा लंड और एक तरफ माया उसकी जान.. जो उसे बड़े अच्छे नसीब से आज अच्छी तरह से मिल गई थी, वो तो बस ‘पुच.. पुच..’ करके मेरे लंड का रस चूस रही थी।
अचानक उसने मेरे लंड को बाहर निकाला और चिल्लाई- साला तू झड़ता क्यों नहीं है..? इतना बड़ा लौड़ा.. मेरी जान लेगा क्या..!
ऐसे मैं कैसे झड़ जाता.. मुझे माया ने थोड़ी देर पहले ही मेरे लंड को चूस-चूस कर झड़वाया था। पर सरोज बहुत ज्यादा आनन्द दे रही थी।
उसकी चूत भी एकदम गीली थी, उस पर एक भी बाल नहीं था, उसकी गुलाबी चूत भी बड़ी मस्त दिख रही थी। मेरा लंड एकदम टाइट हो कर लोहा हो गया था।
वो थक गई थी, उसे और कुछ न सूझा तो उसने साइड पर पड़ी तेल की बोतल उठाई और उसमें से तेल निकाल कर मेरे लौड़े पर उसे जोर से मलने लगी। जब मेरा लंड एकदम कड़ा लोहे जैसा और तेल से जोरदार चिकना हो गया तो उसने मुझे माया की ओर लेकर इसके पैरों के पास घुटनों के बल बिठा दिया।
सरोज- चल मेरी मायादेवी.. सुहागरात के लिए तैयार हो जा.. तेरा असली साजन तेरी चूत में अपनी बारात ले जा रहा है।
माया ने अपनी नशीली आंखें खोल लाचारी से बोली- यार आहिस्ता से.. मैं तुम दोनों की प्रेमिका हूँ.. जरा प्यार से डालना.. पहली बार है तो दुखेगा यार..
सरोज- दुखेगा क्या.. इसकी चूत को तो चीर के फाड़ देना लल्ला.. साली हरामखोर.. लंड देखा तो चुदने तैयार हो गई, पर मेरी एक न मानी.. मेरी चूत से तुझे क्या कांटे लगने वाले थे? रुक साली रंडी.. अभी तेरी चूत का भोसड़ा बनवाती हूँ। माया- यार ऐसा न बोल.. प्लीज मेरी जान.. जरा दया रख अपनी जानू पर.. सरोज- तो मेरी जान जरा अपनी टाँगें फैला कर थोड़ी ऊँची कर और अपना शरीर एकदम ढीला छोड़.. चल हम आहिस्ता से करवाएंगे.. है न लिटिल जीजू..!
माया ने तकिए पर ही अपनी टाँगें फैलाईं और चूत की फांकों को चौड़ा किया। माया की लाल चटख गीली चूत.. मुलायम झांटों से ढंकी चूत.. मेरी मौज बनी जा रही थी दोस्तों..
सरोज ने मुझे माया पैर फैलाकर उसके बीच घुटनों के बल बिठाया। मेरे लंड का सुपारा उसकी चूत के मुँह पर सटा कर बोल उठी- चल छोटे जीजू.. फाड़ दे साली की बुर.. पेल साली को बिना रोके.. पेल दे.. मेरे लल्ला.. उसने मुझे जोर से चूमा और पीछे से धक्का दे दिया।
मुझे अपने मन में माया की छोटी सी कसी हुई गुलाबी बुर देख कर दया आई, मैंने आहिस्ता से अपना लंड उसकी गीली बुर की फांकों पर दबाया तो वो फ़िसल कर साइड में हो गया। माया आंखें बन्द करके कंपकंपाती हुई अपने दांतों से होंठों को दबा कर मेरे लंड के वार की मानो राह देख रही थी।
अभी भी आंख बन्द करके अपने होंठों को दबा के मस्त हो ही रही थी कि सरोज ने मेरे गर्म चिकने लोहे को चूत के मुँह पर फिर से टिकाकर मेरे कूल्हों को जोर से धक्का मारा तो मेरा आधा लंड माया की कोमल कसी चिकनी गीली चूत की झिल्ली को फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया।
सरोज बड़ी मस्त होते हुए अपने दांतों को पीसते हुए मजा लेने लगी- ठोक साली चुड़ैल रंडी को.. ठोक ठोक.. इतना ठोक कि इसकी बुर का भोसड़ा बन जाए। सरू दांतों को पीस कर माया पर झपटने को कह रही थी। ‘साली ने मुझे बहुत तड़पाया है।’
माया- ओह्ह्ह्ह.. सरू मैं मर गई साली.. ओह्ह्हह्ह.. माँ फाड़ दी.. ओह्ह्ह्ह.. ये क्या किया साली.. मुझे बोल तो देती।
माया के पैर कंपकंपाने लगे थे। उसकी आँखों में पानी आ गया। वो दर्द के मारे छटपटा रही थी। अपनी बुर से मेरा लंड बाहर करने की नाकाम कोशिश करने लगी।
मुझे दया आ गई.. मैं अपना लंड निकाल ही रहा था कि सरोज और एक जोर धक्का मारा और कहा।
सरोज- साले अनाड़ी.. अभी मत निकाल.. निकाल कर तूने फिर से डाला तो फिर इसको और भी दुखेगा। बस.. अब तो हो जाएगा.. तू इसे पूरा घुसेड़ दे और फाड़ दे साली की चूत, साली माया.. बहुत गुमान था ना तुझे अपनी चूत पर.. ले साली लेती जा लंड.. चुद अब.. विकी बना दे इसकी चूत को चीर के भोसड़ा..
दोनों काम वासना में तप कर लाल हो गई थीं। माया की चूत तो इतनी गर्म थी.. ओह्ह्ह कि मेरा लंड झुलसने लगा था।
अगला एपिसोड बहुत जल्द आएगा बाय.. प्लीज मुझे मेल करें। [email protected]
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