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दोस्तो… आपने मेरी पिछली कहानी मैं तेरी से खुश, तू मेरी से खुश पढ़ी…
राज और संजीव दोनों एक दूसरे की पत्नियों के साथ मौज मस्ती ऐश कर चुके थे पर दोनों ही नहीं जानते थे कि दूसरा उसकी पत्नी से जुड़ चुका है। दोनों की पत्नियां भी अपने अपने पतियों से छिप कर मजे ले रही थीं… संजीव गुरूग्राम गया हुआ था, वहाँ से उसे अपने बॉस की पत्नी प्रीति को वापिसी में साथ लाना था, वहाँ कुछ ऐसा हुआ की दोनों हमबिस्तर हो गए, इधर संजीव की गैरहाजिरी में उसकी पत्नी स्वीटी राज के साथ रही।
पर अगले दिन कुछ ऐसा हुआ जिससे पति पत्नी के रिश्ते टूटते नजर आये! देखते हैं क्या रहा…
संजीव प्रीति को घर छोड़ कर अपने घर गया तो स्वीटी ने उसका बहुत गर्मजोशी से स्वागत किया, दोनों होंठ मिलाये चिपके रहे… संजीव को ऑफिस जाने की जल्दी थी, उसने फटाफट नाश्ता किया और ऑफिस के लिए निकल लिया।
उसने एक चीज का नहीं ध्यान किया जो स्वीटी ने कर लिया था। संजीव जब प्रीति का सूटकेस ऊपर रखने गया तो वापिसी में उसने प्रीति को कस के हग किया था और इन सब में प्रीति का एक लम्बा बाल संजीव के कंधे पर रह गया था जो उसने तो नहीं देखा पर स्वीटी ने देख लिया और संजीव से लिपटते समय स्वीटी को संजीव से लेडीज परफ्यूम की महक आई… पर स्वीटी ने इस सबको गंभीरता से नहीं लिया।
संजीव के बाहर जाते ही उसने राज को फोन किया क्योंकि दिन में शायद आज बात नहीं हो पाती। राज ने बहुत ही रोमांटिक अंदाज में उसे रात के लिए थंक्स बोला और किस दी।
फोन से फारिग होकर स्वीटी नहाने चली तो उसने सोचा वाशिंग मशीन लगा लेती हूँ क्योंकि कल की मस्ती में उसकी ड्रेस भी सारी कहानी कह रही थी।
संजीव का सूटकेस खोल कर उसके कपड़े भी उसने मशीन में डालने के लिए निकाले। उसके दिमाग में प्रीति का ब्राउन बाल अभी भी घूम रहा था, तभी उसे संजीव की सफ़ेद शर्ट पर लिपस्टिक का निशान दिखाई दिया जो संजीव धोना भूल गया था।
अब स्वीटी का दिमाग भन्ना गया… उसने टॉवल को हाथ लगाया तो उसे सूखे वीर्य का कड़ापन टॉवल पर महसूस हुआ… एक कोने पर हल्का सा लाल निशाँ था जो उसने अंदाज किया कि खून का है।
कड़ेपन के हिस्से को सूंघ कर उसका शक यकीन में बदल गया कि कल संजीव ने किसी के साथ मस्ती की है… क्या प्रीति के साथ या किसी और के साथ? वो तय नहीं कर पाई, क्योंकि बॉस की बीवी को चोद देने का कलेजा उसको संजीव का महसूस नहीं हुआ, हाँ यह उसे मालूम था कि संजीव जब चोदता है तो चूत छिल जाती है इसलिए टॉवल पर खून उसकी चूत का ही होगा जिसे संजीव ने चोदा है।
पर यही सब वो भी तो कर रही है राज के साथ… इसलिए वो तय नहीं कर पाई कि वो क्या करे… खैर कपड़े तो मशीन में डालने ही थे!
उधर प्रीति को भी अपना बेड रूम और ड्रेसिंग टेबल कुछ अस्त व्यस्त सी नजर आई… उसने सोचा कि राज कुछ ढूंढ रहा होगा।वह किचन में गई कि चाय बनती हूँ।
जब उसने देखा कि राज के वाइन के गिलास वहाँ रखे हैं तो उसने चाय उसी के गिलास में कर ली। चाय लेकर वो ड्राइंग रूम में आई और जैसे ही गिलास को होंठ लगाया तो उसे गिलास पर लिपस्टिक के निशान सा कुछ देखा।उसने नैपकिन से उस निशाँ को पौंछा तो वो साफ़ हो गया और लिपस्टिक का निशान नैपकिन पर आ गया। प्रीति समझी नहीं कि राज ने किस के साथ वाइन पी होगी।
तभी उसकी निगाह नीचे पड़ी वैसलीन की डिब्बी पर पड़ी। वो सोचने लगी की यहाँ वैसलीन का क्या काम… अब उसके दिमाग ने शक करना शुरू कर दिया था।
वो चाय पीकर नहाने चली… बाथ टब गीला पड़ा था, उसे राज पर गुस्सा आया कि उसने ड्रेनपाइप की कॉर्क ठीक से नहीं हटाया। तभी उसे लगा कि कुछ अटक रहा है तो उसने पुराने टूथब्रश से साफ़ किया तो उसे उसमें बाल दिखाई दिए जो अक्सर तब हो जाते थे जब वो नहाती है और वो बाल तो ब्लैक थे जबकि उसके बाल तो भूरे हैं।
बस इससे ज्यादा वो नहीं सोच पाई… राज इतना गिर गया है कि उसके पीछे वो किसी लड़की को भी ले आया? धोने वाले गंदे कपड़ों के बैग में उसे टॉवल भी दो मिले और यकीनन एक टॉवल से लेडीज महक आ रही थी। प्रीति सर पकड़ कर बैठ गई… उसने ही कौन सी वफादारी की है राज के साथ तो वो क्या शिकायत करे और क्या पूछे!
राज का दो बार फोन आया उसने नहीं उठाया… उसके सर में दर्द हो रहा था, वो सो गई।
दोपहर 2 बजे गेट की बेल बजी, वो हड़बड़ा कर उठी… राज था… वो आकर भौंचक्का होकर पूछने लगा- क्या हुआ, तुम्हारा फोन भी बंद है, सुबह तुमने फोन भी नहीं उठाया… लंच भी नहीं… क्या बात है? प्रीति बोली- कुछ नहीं, बस सर में बहुत दर्द था।
राज ने तुरंत साउथ इंडियन का आर्डर फोन पर दिया और प्रीति के लिए कोल्ड ड्रिंक ले आया। प्रीति चुप थी, राज समझ रहा था कि जरूर कोई बात हुई है।
उधर स्वीटी ने भी फोन पर बात नहीं की थी… कहीं दोनों में तो कोई बात नहीं हो गई।
प्रीति टॉयलेट गई तो राज ने प्रीति का फोन चेक किया, उसमें आज कोई कॉल नहीं थी सिवाय उसकी कॉल के! राज ने प्रीति को बोल दिया कि रात को मूवी चलेंगे और डिनर भी बाहर करेंगे। यह सुन कर प्रीति हल्के से मुस्कुराई, कुछ बोली नहीं!
राज के जाते ही प्रीति ने संजीव को फोन किया कि वो कल की बात भूल जाए… अब कभी ऐसा नहीं होगा! संजीव कुछ समझा नहीं!
प्रीति ने अपने मन को कुछ यूं समझाया कि जो हो गया उसे भूल कर वो राज से यह वादा लेगी कि अब कभी वो ऐसा नहीं करेगा।
स्वीटी ने एक फोन प्रीति को किया और अच्छे से बात करी। प्रीति अब अपने मन में तय कर चुकी थी कि वो अब संजीव से दूरी बनाएगी तो उसने भी स्वीटी से अपनेपन से बात की।
स्वीटी को बात के बाद लगा ही नहीं कि प्रीति और संजीव के बीच कुछ हुआ है। चूंकि ये बात प्रीति बता चुकी थी कि संजीव उसी के घर पर रुका था तो स्वीटी ने यह मान लिया कि संजीव ने मुठ मारी होगी और रही बात बाल की तो एक गाड़ी में सफर के दौरान लिपस्टिक का निशाँ लग जाना या बाल उड़ कर लग जाना विशेष बात नहीं है। बल्कि उसे शर्म तो अपने पर आ रही थी कि वो संजीव से बेवफा कैसे हो गई।
उसने राज को फोन किया जो राज ने पहली घंटी में ही उठा लिया। उसने राज से कहा कि वो उससे बहुत प्यार करती है पर संजीव को धोका नहीं देना चाहती… इसलिए वो उसे भूल जाए।
रात को बिस्तर पर स्वीटी ने संजीव का जमकर देह शोषण किया… वो आज संजीव को पूरे मजे देना चाहती थी… सेक्स के दौरान उसने संजीव से कहा- तुम बाहर चले जाते हो तो मेरी चूत मुझ से लड़ती है। ‘तो मैं क्या किया करूं?’ अब तुम जब बाहर जाओ तो अपना लंड छोड़ जाया करो…’
यह सुन कर संजीव का लंड और टाइट हो गया और स्वीटी की चूत बस फटते फटते बची… पर हाँ संजीव ने कहा कि वो बॉस को कहेगा की उसके टूर कम कर दें या स्वीटी के लिए एक लंड की व्यवस्था कर दें। इस पर दोनों हंस दिए!
कमोबश यही हाल राज और प्रीति के बिस्तर पर भी रहा। प्रीति ने राज को टटोलने के लिए पूछा की गुरूग्राम में तो वो ऐसा सुनती थी कि लोग जोड़े बदल कर मस्ती करते हैं… क्या राज का भी मन करता है कि वो किसी और के साथ सेक्स करे? इस पर राज ने सच बोल दिया कि सोचने में तो अच्छा लगता है कि एक और चूत मिल जाए पर ऐसा तभी होता है जब प्रीति यहाँ नहीं होती, इसलिए बेहतर है प्रीति कहीं जाए ही नहीं!
राज ने प्रीति से पूछा कि क्या उसका मन करता है कि एक दूसरा लंड मिल जाए? प्रीति ने भी बहुत संभल कर जबाब दिया कि क्रिस के साथ मजा बहुत आया था पर रात गई बात गई…
राज बोला- काश यहाँ कोई ऐसा जोड़ा मिल जाए… इस पर प्रीति ने उसे डीप किस से चुप करा दिया कि ज्यादा बदमाशी नहीं, बस सो जाओ! दोनों चिपट कर सो गए।
दो तीन दिन ऐसे ही निकल गए और प्रीति और स्वीटी बीते को भूल सी गईं।
पर प्यार और मुश्क छिपाए नहीं छिपता। हालाँकि प्रीति ने तय कर लिया था कि वो संजीव से दूरी बनाएगी और संजीव की बॉस की बीवी होने से हिम्मत नहीं थी कि वो जबरदस्ती करता, पर राज रोज रात को दूसरे और दूसरी का जिक्र ले आता तो प्रीति ने सोचा जब राज भी दूसरी से कर सकता है तो उसने कौन सा गुनाह किया। हो सकता है राज आज भी किसी से इन्वोल्व हो? हालाँकि राज प्रीति को उसका हक पूरा दे रहा है।
आज प्रीति ने संजीव को फोन किया और देर तक बात भी की। रात को राज ने उसे बताया कि वो दो दिन के लिए जालंधर जा रहा है अगले दिन सुबह… शायद परसों रात तक आये या फिर उससे अगले दिन! अगले दिन राज तो सुबह ही चला गया और कुछ पेपर्स छोड़ गया कि संजीव ले जाएगा।
संजीव का सुबह 9 बजे फोन आया कि वो स्टाफ में से किसी को भेज रहा है पेपर्स लेने… तो प्रीति ने उसे डांट दिया- ज्यादा नाटक मत करो, खुद लेने आ जाना और थोड़ा समय लेकर आना।
इस बीच प्रीति नहा कर तैयार हो गई, उसने ऑरेंज कलर की फ्रॉक पहनी और नेल पेंट भी ऑरेंज ही लगाया… कुल मिला कर संजीव का खड़ा करने का पूरा इंतजाम किया था उसने! कॉफ़ी फेंट कर रख ली थी।
11 बजे करीब संजीव आया… प्रीति ने उसे अंदर किया और गेट बंद कर के संजीव को ड्राइंग रूम में बिठाया और पेपर्स दिए। संजीव जाने लगा तो प्रीति उसे छोड़ने गेट तक आई और फिर पलट कर संजीव का कालर पकड़ कर उसके होंठ से होंठ मिला दिए। संजीव का तो प्रीति की सुन्दरता देख और ड्रेस देख के वैसे ही बुरा हाल था, बस बाकी कसर अब पूरी हो गई, उसने प्रीति को कस के भींच लिया।
अब प्रीति ने उसे झटके से अलग किया और बोली- अरे तुम तो जा रहे थे… जाओ? संजीव चुप खड़ा रहा। प्रीति मुड़ कर बेडरूम की ओर चल दी और बेड के पास जाकर खड़ी हो गई… संजीव की कोई आहट नहीं थी पर प्रीति को मालूम था कि वो जरूर आएगा।
एक दो मिनट बाद संजीव धीमे धीमे वहाँ आया और प्रीति को पीछे से चिपटा लिया। उसने अपने होंठों से प्रीति के कान चूम लिए, संजीव के हाथ प्रीति की गोलाइयों पर थे।
प्रीति मचल उठी और बिना मुड़े ही उसने अपना सर घुमाया पर संजीव लगातार प्रीति के कान चूमता चूसता रहा। प्रीति की अग्नि भड़क चुकी थी, वो पलटी और संजीव से चिपट गई।
संजीव ने उसे बिस्तर पर धकेल दिया और दोनों एक जान होने की तैयारियों में जुट गए। प्रीति ने नीचे कुछ नहीं पहना था तो संजीव के लिए काम बहुत कम था पर प्रीति ने फुर्ती ज्यादा दिखाई और संजीव ने भी उसका साथ दिया… दोनों ने कपड़ों से आजादी पा ली।
प्रीति ने संजीव का लंड मुख में ले लिया और लगी धीरे धीरे पर पूरा लंड मुंह में लेकर चूसने! उसने संजीव के लंड का टोपा खोल लिया था और पूरे लंड को थूक से चिकना कर लिया।
अब प्रीति संजीव के ऊपर बैठी और संजीव का लंड अपनी चूत में कर लिया और पूरा धंस कर बैठ गई जिससे लंड पूरा अंदर घुस जाये! अब उसने धीरे धीरे ऊपर उठना और नीचे आना शुरू किया, संजीव भी नीचे से धक्के देने लगा… प्रीति पूरे मजे ले रही थी पर संजीव का लंड बेचैन ज्यादा हो रहा था तो संजीव ने प्रीति को नीचे पलटा और उसकी टांगों को खोल कर पूरा चौड़ा दिया!
शायद प्रीति ने इतनी टांगें कभी नहीं फ़ैलाई होंगी क्योंकि उसको जांघ के पास दर्द सा हुआ… पर संजीव ने उसके टखनों को मजबूती से पकड़ा हुआ था और अब संजीव ने लंड एक झटके में अन्दर पेल दिया उम्म्ह… अहह… हय… याह… और राजधानी मेल दौड़ा दी।
पूरे कमरे में फच्च फच्च की आवाज आ रही थी या उन दोनों की सीत्कारें! पांच मिनट की धक्कमपेल के बाद संजीव ने प्रीति की चूत वीर्य से भर दी। आज उसका वीर्य निकला भी इतना ज्यादा था कि पूरा बिस्तर खराब हो गया।
संजीव खड़ा हुआ और बाथरूम की ओर गया, पीछे पीछे प्रीति नंगी ही आ गई और उससे चिपट गई… वो बोली- संजीव इतना मजा बहुत कम बार आया है जिन्दगी में… थैंक्स!
दोनों ने साफ़ करके कपड़े पहने… प्रीति काफी ले आई… प्रीति ने संजीव से पूछा- स्वीटी कैसी है? तो संजीव बोला- वो तो परसों ही एक हफ्ते के लिए जालंधर गई है।
प्रीति का माथा ठनका कि कहीं राज भी इसीलिए तो जालंधर नहीं गया और कहीं स्वीटी ही तो उसके पीछे राज के साथ हमबिस्तर नहीं हुई थी? उसने संजीव से कुछ नहीं कहा।
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