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हाय मैं इमरान, एक मिडिल क्लास फैमिली से हूँ और मेरठ में रहता हूँ। मैं अपनी एक स्टोरी आपके साथ शेयर करना चाहता हूँ.. जो मेरी दीदी की है।
मेरी दीदी का नाम तबस्सुम है। मेरी दीदी की हाइट 5 फुट 5 इंच की है.. रंग साफ़ और फिगर 34-28-36 की है। मेरी दीदी की शादी हो चुकी थी.. लेकिन 6 साल के बाद उनका तलाक हो गया। उनकी एक लड़की है जिसका नाम अफ्शी है.. वो अभी छोटी ही है। दीदी के तलाक के बाद वो हमारे साथ ही रहने लगीं, उनके तलाक की वजह थी कि उनका शौहर उन पर शक करता था।
एक दिन मैं अपनी दीदी के फोन पर मैसेज पढ़ रहा था कि मुझे सेंट बॉक्स में एक मैसेज मिला।
वो कुछ यूं था- अरे तुम खाना खा लो.. मैं अभी कॉल नहीं उठा सकती.. इमरान और अम्मी अभी सोए नहीं हैं.. मेरी जान थोड़ा सा इंतज़ार कर लो… आई लव यू!
उस टाइम रात के 10:30 हो रहे थे। मैं यह मैसेज पढ़ कर हैरान हो गया। मेरी दीदी तबस्सुम जो दिखने में इतनी शरीफ लगती हैं.. वो ऐसा मैसेज किसी लड़के को कैसे कर सकती हैं। तभी से मैंने अपनी दीदी पर नज़र रखना शुरू कर दी, अब मैं रोज़ अपनी दीदी का फोन चैक करता।
एक दिन मुझे मैसेज दिखा- हम वहीं चाऊमिन खाएँगे.. जहाँ पहले खाई थी। मैंने फोन रख दिया और सोचने लगा कि किधर मिलना तय हुआ है।
तभी दीदी मेरे पास आईं और मुझसे बोलीं- मैं अफ्शी को घुमाने ले जा रही हूँ। शाम 7 बजे वो अफ्शी को लेकर निकल गईं।
मेरी दीदी की उम्र मुझसे 4 साल अधिक थी। इस बात को समझते हुए मैं उनसे कुछ नहीं बोला और दीदी को जाने दिया। मैंने उनका पीछा करने का फैसला किया।
दीदी घर से निकल कर चाट बाज़ार पहुँचीं.. वहाँ उन्होंने एक टेबल पर बैठ कर किसी का इंतज़ार किया। फिर उन्होंने किसी को कॉल किया और 5 मिनट बाद एक लड़का वहाँ आया। वो लड़का निहाल था.. उसको देखकर मैंने सोचा कि मेरा शक़ सही था। निहाल वही लड़का था, जिसको लेकर दीदी और उनके हज़्बेंड की बीच झगड़े होते थे, पर हम घरवालों ने उसका यकीन नहीं किया था लेकिन अब सच मेरी आँखों के सामने था।
निहाल अफ्शी के सामने दीदी के पास चेयर लेकर बैठा और उन दोनों में बातें शुरू होने लगीं। थोड़ी देर बात करने के बाद उसने तबस्सुम दीदी को एक रिंग गिफ्ट की और उनका हाथ पकड़ कर रिंग पहनाई, फिर खाना लगवाया।
खाना खाने के बाद निहाल अफ्शी से कुछ कहने लगा और दोनों अफ्शी को टेबल पर छोड़कर एक साइड में चले गए। मैं छिपते हुए उनके करीब पहुँच गया।
तबस्सुम दीदी- क्या हुआ निहाल.. यहाँ आने का इशारा क्यों किया? निहाल- तेरी तारीफ करने के लिए तबस्सुम.. आज तू बहुत अच्छी लग रही है। दीदी हँस दीं- तुम तो हमेशा ऐसा ही बोलते हो। निहाल- एक फोटो हो जाए? दीदी- ठीक है।
निहाल दीदी को अपने पास खड़ा करके अपने फोन में फोटो खींचने लगा। निहाल- अब दूसरा फोटो। दीदी- अभी रूको।
दीदी ने अपना दुपट्टा उतार दिया। उस टाइम दीदी के चूचे बहुत अच्छे लग रहे थे। टाइट कमीज़ पहने होने से उनके 34 इंच के चूचे ओर भी अच्छे लग रहे थे।
निहाल की नज़र दीदी के मम्मों पर थी। दीदी मुस्कुरा कर बोलीं- क्या देख रहे हो? निहाल- अब तू और भी अच्छी लग रही है।
फिर निहाल दीदी की कमर में हाथ डाल कर फोटो खींचने लगा। दीदी- अब चलो अफ्शी वेट कर रही होगी।
निहाल ने दीदी को गले से लगा लिया और कस कर भींच लिया, इससे दीदी के चूचे निहाल की छाती से दब गए, दीदी शरमा गईं। उन्होंने निहाल की कमर पर हाथ नहीं रखा, निहाल दीदी की कमर पर हाथ फेरने लगा और उनके गले पर किस कर दिया।
दीदी ने आँखें बंद कर लीं। फिर निहाल अचानक उनकी कमर पर हाथ फेरता हुआ उनके हिप्स पर अपने हाथ को ले गया और उसने दीदी के चूतड़ों के उभार पर अपना हाथ रोक दिया।
तभी दीदी ने निहाल को ज़ोर से धक्का दिया। दीदी बोलीं- तुम बहुत बदमाश हो गए हो.. चलो अब.. फिर दोनों वहाँ से चले गए।
मैं यह वहाँ पर लगे पेड़ के पीछे से चुप कर देख रहा था। दीदी अफ्शी को लेकर वहाँ से निकलीं और अब वो घर के लिए चल दीं। मैं दीदी से पहले घर पहुँच गया और मेरे बाद कुछ ही देर में दीदी घर में अन्दर आ गईं।
मैं- दीदी घूम आईं.. कहाँ-कहाँ घूमा? दीदी- अरे घूमा-वूमा कुछ नहीं.. बस पनीर टिक्का खाया और आ गई।
फिर दीदी ने दुपट्टा उतार दिया। मेरी नज़र उनके तने हुए मम्मों पर चली गई। उस टाइम दीदी क्या हॉट लग रही थीं क्या बताऊँ। दीदी ने मेरी नजरों को इग्नोर करते हुए कहा- इमरान बाहर चला जा.. मुझे चेंज करना है। फिर दीदी कपड़े चेंज करके सो गईं।
मैंने दीदी के फोन में ऑटो कॉल रिकॉर्डर लगा दिया और मैं भी सो गया। सुबह मैं 7 बजे उठा.. उस वक्त दीदी सो रही थीं। मैंने उनका फोन चैक किया तो उसमें 1:30 रात की एक कॉल रिकॉर्ड हो गई थी।
रिकॉर्डिंग में दीदी बहुत देर तक निहाल से बात करती रही थीं। उन्होंने पूछा- निहाल तुमने मुझे इतनी ज़ोर से गले क्यूँ लगाया था? निहाल- वो तुझ पर प्यार आ रहा था और उसके लिए सॉरी.. दीदी- किसके लिए? निहाल- मैंने तेरे हिप्स पर हाथ रखा था न.. उसके लिए। दीदी- इट्स ओके मेरी जान.. कोई बात नहीं।
निहाल- फिर तो प्रोग्राम बनाना पड़ेगा। दीदी- किस बात का प्रोग्राम? निहाल- चल छोड़ कुछ नहीं।
इस रिकॉर्डिंग को सुनकर मैंने सोचा कि शायद निहाल दीदी को धांसने की बात कर रहा था। फिर अगले दिन मैंने फिर रिकॉर्डिंग सुनी।
दीदी- निहाल ईद आ रही है.. मुझे क्या गिफ्ट दोगे? निहाल- जो भी तू माँगेगी। दीदी- अच्छा ठीक है.. जब मिलूंगी तो बताऊँगी। निहाल- और मेरी ईदी? दीदी- जो तुम माँगोगे। निहाल- अच्छा अगर तूने मना किया तो? दीदी- नहीं.. मैं तुम्हें मना नहीं करूँगी तुम्हारे लिए तो मेरी जान भी हाज़िर है। निहाल- ठीक है.. जब मिलूँगा तो बताऊँगा।
तीन दिन बाद निहाल और दीदी का फिर से मिलना तय हुआ। उस दिन दीदी अपनी कंप्यूटर क्लास के बहाने घर से निकली थीं, मैं भी उनके पीछे-पीछे चला गया था।
निहाल दीदी के पास आकर बैठ गया। निहाल की चेयर दीदी के बराबर में लगी थी। दीदी कंप्यूटर में टाइपिंग करते हुए निहाल से बात कर रही थीं।
मैं उनके पीछे वाली सीट पर बैठा कम्प्यूटर चला रहा था। मैंने एक कैप लगा कर अपने चेहरे को झुका कर छिपाया हुआ था.. लेकिन मेरे कान उनकी बातों पर ही थे।
दीदी- निहाल तो बताऊँ.. मुझे क्या चाहिए? निहाल- हाँ बोल। दीदी- अच्छा.. जो चीज़ तुम्हें सही लगे.. वो मुझे गिफ्ट कर देना। निहाल- ओके.. दीदी- अब तुम बताओ? निहाल- कान आगे लाओ। दीदी कान आगे ले गईं।
निहाल- हम लोग ईद पर पिक्चर देखने चलेंगे.. और फिर वहाँ से फिश पार्क चलेंगे। दीदी- ओके।
वो एक घंटे तक बातें करते रहे और अंत में निहाल ने मौका देखकर दीदी के गालों पर एक किस कर दिया। उम्म्ह… अहह… हय… याह… दीदी मुस्कुरा दीं और वो वहाँ से चली गईं।
अब ईद का दिन आया। दीदी मम्मी से बोलीं- मम्मी मुझे आज दोपहर में अपनी फ्रेंड कीर्ति से मिलने जाना है.. मैं उसे ईद विश करूँगी और शाम तक वहीं रहूंगी। मम्मी- ठीक है.. ज़्यादा रात ना होने पाए इस बात का ध्यान रखना। दीदी मुझसे बोलीं- इमरान, तू कहाँ जाने वाला है? मैं- दीदी मैं तो मॉल घूमने जाऊँगा। इतना बोल कर मेरी उनसे बात खत्म हो गई।
ठीक 2:30 पर दीदी तैयार हो गईं, उन्होंने टाइट बैलून फिट पैंट पहनी जो ब्लू-कलर की थी और एक कमीज़ पहनी जो बहुत फिट थी। कमीज़ के सीने पर अच्छी कढ़ाई हुई थी.. जो दीदी ने खुद की थी।
दीदी का फिगर इतना मस्त था कि वो ड्रेस उन पर बहुत अच्छी लग रही थी। दीदी मुझे देखकर बोली- सही लग रही है ना। मैं- दीदी एकदम सेक्सी लग रही हो.. क्या बात है? दीदी- बदतमीज़ सेक्सी नहीं.. अच्छा बोल बस.. वे इतना कह कर मुस्कुरा दीं।
दीदी घर से निकलीं और ऑटो लेकर सीधे उसी मॉल में पहुँची.. और वहाँ बाहर निहाल का वेट करने लगीं। कोई 5 मिनट बाद वहाँ निहाल आया और दीदी का हाथ पकड़ कर अन्दर ले गया।
दीदी- क्या बात है.. बड़े अच्छे लग रहे हो? निहाल- तू भी आज बहुत अच्छी लग रही है.. लेकिन एक कमी है। दीदी- क्या?
तभी निहाल ने दीदी का दुपट्टा उतार दिया और ऊपर से नीचे तक दीदी के हुस्न को देखने के बाद बोला- अब ठीक है.. और इस दुपट्टे को पर्स में रख ले। दीदी ने मुस्कुरा कर दुपट्टे को अन्दर रख लिया। निहाल- तेरा सीना बहुत अच्छा लग रहा है। दीदी- निहाल शटअप.. यह बताओ हम कौन सी फिल्म देखेंगे?
दोस्तो, मेरी दीदी निहाल के साथ फिल्म देखने जा रही हैं.. अब इस कहानी में आगे क्या होता है.. वो मैं आपको अगले भाग में लिखूँगा। मेरी इस कहानी में सेक्स की भरमार इसलिए कम है कि ये एक सच्ची कहानी है। मुझे उम्मीद है कि आपको मेरी ये दास्तान पसंद आ रही होगी।
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