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अब तक आपने पढ़ा.. सामूहिक चुदाई का खेल पूरे हॉल में अपनी पूरे शवाब पर था। अब आगे.. भावना ने अपनी उंगलियों से चूत की दोनों फांकों को फैलाया तो चूत के योनिरस से चमकते अन्दर लाल रंग के गोश्त को देख सनत खुद को रोक ही नहीं पाया, वह लपक कर भावना के पास आया और उसकी चूत में अपनी जीभ घुसा दी।
भावना सनत की अचानक की गई हरकत से चौंक गई और वहाँ से हट गई। सनत वापस काव्या के पास आया और काव्या को लेटा कर उसकी चूत चाटने लगा।
चूंकि वैभव को लंड चुसाना बहुत अधिक पसंद है.. इसलिए उसने काव्या के मुँह में वापस अपना लंड ठूंस दिया। अब मैंने निशा से कहा- जाओ निशा, अब तुम अपना जलवा दिखाओ।
भावना को अपने सामने बैठने और लंड चूसने का इशारा किया। भावना आकर हमारे सामने घुटनों के बल बैठ गई।
मेरे करीब काली चरण था.. उसने एक अजीब हरकत कर दी। उसने भावना के बाल पकड़ कर उठा लिया। फिर उसकी कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर भावना के पैरों को आकाश की ओर और सर को जमीन की ओर कर दिया।
साथ ही उसने भावना को जकड़ कर अपने शरीर से चिपका लिया। ऐसा हम में से सिर्फ वही कर सकता था, क्योंकि उसका ही शरीर लंबा चौड़ा और बलिष्ठ था।
उसके बाद उसने भावना की चूत में जीभ घुसा दिया। शायद वह भावना से खाए हुए थप्पड़ की वजह से बौखलाया था।
उधर भावना गाली दिए जा रही थी.. तो मैंने नीचे बैठ कर भावना से कहा- अब तुम भी मान जाओ जानेमन.. ऐसी चुदाई और ऐसा लंड बार-बार नहीं मिलते।
उसने मेरी बात पर मुँह तो बनाया.. पर अपने सामने झूल रहे गधे छाप लंड को चाटने चूसने का लालच न छोड़ पाई और बस काली चरण का लंड भावना के मुँह से चुसाई का आनन्द प्राप्त करने लगा।
उधर निशा टेबल पर चढ़ कर अपने भारी चिकने उरोजों को सहला रही थी। फिर उसने दोनों हाथों के दो-दो उंगलियों से अपने दोनों उरोजों के निप्पल को रगड़ना चालू किया और साथ ही ‘हिस्स्स.. ऊंऊऊ ऊऊ.. ईईह.. ईईह..’ की आवाज करने लगी।
अब माहौल बहुत उत्तेजक हो चुका था। निशा ने अपने शरीर से चिपके काले रंग की जीन्स का बटन खोला और धीरे से जीन्स नीचे सरकाई। अय हय.. उसने सफेद रंग की किसी अच्छी कंपनी की पतली सी पेंटी पहन रखी थी।
जैसे ही उसने जीन्स को शरीर से अलग किया। उसकी चिकनी टाँगों के बीच चूत के रस से दाग लग चुकी सफेद पेंटी और सर के बालों में आधुनिक तरीके से बंधा जूड़ा.. होंठ को दांतों से काटने का स्टाइल सबको तड़पा गया।
तभी निशा ने अपनी पेंटी को कुछ इस तरह मोड़ कर ऊपर की ओर खींचा कि पेंटी निशा की चूत में घुस कर गायब सी हो गई।
इससे निशा की चूत साफ नजर आ रही थी। एकदम चिकनी और फूली हुई चूत में पेंटी फंसी होने के बावजूद उसका निशान तक नजर नहीं आ रहा था, हमें पेंटी सिर्फ कमर में दिख रही थी।
यह नजारा देख कर वैभव ने काव्या के मुँह में पानी छोड़ दिया और काव्या ने सनत के मुँह अपनी चूत का लावा छोड़ दिया। मैंने अपने लंड की मुठ मार कर भावना के दूध पर और भावना की चूत ने कालीचरण के मुँह में रस टपका दिया। उधर काली चरण ने भी भावना के मुँह में अपने लंड का लावा छोड़ दिया।
कुछ देर यूं ही छेड़खानी के बाद काव्या की चूत में वैभव ने जीभ डाल दी और सनत भावना को कुतिया बना कर चोदने लगा।
मैं निशा के पास गया.. चूंकि निशा टेबल पर थी और मैं नीचे था, इसलिए निशा की चूत मेरे मुँह तक आ रही थी। सो मैंने नीचे से खड़े होकर ही उसकी चूत में चाटने की कोशिश की। मुझे उसकी चूत में पेंटी फंसे होने के कारण चूत को अच्छे से चाटते नहीं बन रहा था, तो निशा ने मेरी मदद की और एक ही झटके में पेंटी निकाल फेंकी।
अब मैं निशा की दोनों जांघों को पकड़ कर चूत चाटने लगा, निशा ने भी मेरा सर अपनी चूत में दबा लिया, उसकी आँखें भी बंद हो गईं। अब सभी लंड सिवाय काली चरण के भिन्न-भिन्न छेदों में व्यस्त हो गए।
काली चरण निशा के पास आ गया और बोला- तुमने कहा था कि सबसे बड़े लंड से सील तुड़वाओगी.. चल अब आ जा! निशा घबरा कर मेरी ओर देखने लगी तो मैंने कालीचरण से कहा- यार तुम भावना से बदला नहीं लोगे क्या? जाओ उस कुतिया की चूत फाड़ो.. निशा को मैं संभाल लूंगा।
कालीचरण तो शुरू से ही भावना की चूत चोदना चाहता था तो वो उसके पास चला गया। मैंने निशा को नीचे उतारा और हमने 69 की पोजीशन लेकर चूसना और चाटना चालू किया।
उधर भावना सनत के साथ थी, कामुक आवाज निकाल रही थी ‘ऊऊह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह.. ईईई.. चोद ना रे.. मादरचोद छोटा सा लौड़ा और चोदने का बड़ा शौक है।’ सनत ने स्पीड बढ़ा दी… बेचारा और क्या करता भी क्या! ‘ओओहहह.. उउऊईई..’ करते हुए सनत ने भावना की चूत में पानी छोड़ा।
सनत के हटते ही काली चरण ने भावना की चूत सम्भाल ली, भावना की चीख निकल गई- उम्म्ह… अहह… हय… याह… वो काफ़ी देर से चुद रही थी तो जल्दी ही वो झड़ गई, उसने कालीचरण को फ़िर मेरे पास भेज दिया।
उधर वैभव नीचे लेट कर काव्या को अपने ऊपर चढ़ा कर नीचे से धक्के मार रहा था। काव्या अपने उरोजों को मसल रही थी ‘ऊऊऊऊ आआहहह.. मजा आ गययाआ.. मेरे राज.. ओहहह आआहह.. फाड़ दो मेरी चूत..’ वो चिल्लाते हुए मस्ती से चुद रही थी।
इधर निशा बड़बड़ाने लगी- अब डाल दो मेरी भी चूत में लौड़ा.. फाड़ दो मेरी चूत। मैंने निशा को लंड के लिए तड़पते देखकर ज्यादा देर नहीं की और उसे लेटा कर अपना लौड़ा उसकी लपलपाती चूत पर टिका कर निशा से कहा- निशा थोड़ा दर्द होगा.. संभाल लेना।
निशा ने वासना भरी आवाज में कहा- तुम बस डाल ही दो.. आगे की चिंता मत करो। मैंने एक जोर का धक्का लगा दिया। मेरी उम्मीद के विपरीत मेरा लौड़ा बड़ी आसानी से चूत में घुस गया।
मेरा लौड़ा भले ही कालीचरण जितना लम्बा नहीं है.. पर मेरा लौड़ा भी अच्छे-अच्छे की चूत फाड़ देता है। पर इस साली ने तो एक बार में ही पूरा लौड़ा सटक लिया था और ‘उफ्फ..’ तक नहीं की।
मैंने तुरंत कहा- निशा सच बताओ तुम और चुद चुकी हो ना? तो निशा ने कहा- हाँ मैं चुद चुकी हूँ.. पर अभी तो मुझे चोदो। मैंने कहा- किससे चुदी हो?
उसने झुंझला कर कहा- अपने जीजू से चुदी हूँ.. तभी तो सामूहिक चुदाई के लिए राजी हो गई हूँ। तुमने कभी सोचा है कि जिसकी सील भी ना टूटी हो.. वो सामूहिक चुदाई के लिए राजी कैसे हो सकती है? और अब कुछ मत पूछो.. बस चोदो.. मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है। मैंने कहा- ठीक है।
मैं धकापेल उसे चोदने लगा। ‘ऊ..ऊ.. ईई.. आआहहह..’ की आवाज के साथ वो चुदने लगी। मेरी आँखें भी वासना के मारे बंद होने लगीं। मैंने उसे चोदते हुए कहा- बस आखरी सवाल.. तुम्हारे जीजू का लंड कितना बड़ा है? उसने कहा- काली चरण से थोड़ा छोटा.. एकदम काले रंग का मोटा सा लंड है। मैंने कहा- तो फिर काली चरण के लौड़े से डर क्यों रही थी?
उसने कहा- मैं डर नहीं रही थी.. मैं तो अपनी चूत के लिए सबको तड़पा रही थी। वैसे काली चरण का लौड़ा मेरे जीजू के लंड से ज्यादा बड़ा है।
उधर सबकी चुदाई उफान पर थी। वैभव और काव्या ‘हिस्स्स्स्..’ करते हुए एक साथ झड़ने लगे।
मैंने निशा को चोदते हुए ही कहा- भावना और काव्या.. नीचे वाले हॉल में जाकर खाना निकालो। अब चुदाई का दूसरा राउंड खाना खाने के बाद करेंगे।
तब तक मैं काली चरण और निशा भी एक बार अपना पानी निकाल कर आते हैं।
वे लोग अपना कपड़े उठाने लगे.. तो मैंने मना कर दिया और वो नंगे ही चले गए। उनके जाते ही मैं लेट गया और निशा को अपने ऊपर चढ़ा कर चोदने लगा। मैंने काली चरण से कहा- निशा ने ये मेरी पहली चुदाई है.. कह कर हम सबको बेवकूफ बनाया है.. इसको ऐसा सबक सिखाना है कि ये जिन्दगी भर याद रखे।
काली चरण ने कहा- तू ही बता कैसे सबक सिखाएं? निशा घबरा गई थी, उसने लड़खड़ाती जुबान से कहा- च..चचोद तो र..रहे हो.. और क्या कर..ररोगे? मैंने कहा- निशा डार्लिंग हम तुम्हारी सील तोड़ेंगे। तो निशा हँसने लगी और बोली- वो तो पहले से ही टूटी हुई है और कैसे तोड़ोगे?
मैंने भी हँसते हुए कहा- चल कालीचरण इस मादरचोदी रांड की गांड में अपना लंड डाल दे.. और डालने से पहले लंड को पोंछ के सुखा ले.. ताकि इसकी गांड फट ही जाए।
इतना सुनते ही निशा चुदाई के पहले ही चीख उठी, अभी तो लंड उसकी गांड से टच भी नहीं हुआ था, वो चिल्लाने लगी- साले मादरचोद दूर हट!
उसके ये कहते ही उसके खुले मुँह में उसने अपना लंड डालकर मुँह बंद करा दिया। उधर निशा की चीख सुनकर भावना और काव्या दौड़ कर ऊपर आ गए।
कालीचरण अपने लौड़े को निशा की गांड के निशाने पर टिका चुका था।
भावना और काव्या के ऊपर पहुंचते ही उनकी आंखों के सामने एक जोरदार धक्के के साथ निशा की मुलायम उभरी गांड में काली चरण अपना लौड़ा पेल दिया।
उसका लौड़ा पूरी ताकत से पेलने के बाद भी आधा ही घुस पाया। निशा ने भले ही चूत मरवाई थी.. पर गांड सच में अनचुदी थी। इधर वैभव का लौड़ा निशा के मुँह में गले तक फंसा था, इसलिए निशा को सारा दर्द अन्दर ही झेलना पड़ा।
भावना ने हम सबको गाली दी- कमीनों उसे मार डालोगे क्या? ऐसे कोई किसी को चोदता है क्या? तब वैभव मुँह से लंड निकालते हुए बोला- इस मादरचोदी ने हम सबको बेवकूफ बनाया.. इसके साथ यही होना चाहिए।
मैंने निशा की चूत और काली चरण ने गांड में अपना हब्शी लौड़ा फंसाए रखा।
सामूहिक चूत चुदाई की यह कहानी आप सभी को कैसी लगी.. मुझे मेल जरूर करें। [email protected] कहानी जारी है।
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