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पिछली बार आप सभी ने सविता भाभी की चुदाई एक पड़ोसन के लड़के वरुण के साथ कैसे हुई थी, उसको पढ़ा था। चूंकि वरुण और तरुण जुड़वां भाई थे। इस चुदाई के बाद वरुण के जुड़वां भाई तरुण से सविता भाभी की चुदाई किस रंगीन अंदाज में हुई.. इसका दूसरा भाग प्रस्तुत है।
शाम को सविता भाभी ने अपने पति अशोक के ऑफिस से आने के बाद उनका स्वागत करते हुए पूछा- आज दफ्तर का काम कैसा रहा अशोक? अशोक- बढ़िया.. लेकिन सावी मुझ ऑफिस के काम से एक हफ्ते के लिए दिल्ली जाना होगा।
ये सुन कर सविता भाभी थोड़ा मायूसी से बोलीं- लेकिन शुक्रवार को हमारी शादी की सालगिरह है अशोक। अशोक- माफ़ करना सावी.. लेकिन इसको हम दोनों बाद में बहुत बढ़िया तरीके से मनाएंगे। सविता भाभी- यार ये मुझे बिल्कुल पसन्द नहीं है। मुझे तो मुझे अकेले रहना पड़ जाता है और सिर्फ अकेले के लिए ही खाना बनाना पड़ता है। अशोक- अरे शांत हो जाओ सावी मैं तुम्हारी झुंझलाहट समझ सकता हूँ.. तुम ऐसा करना पड़ोस के उन दोनों लड़कों को बुला लेना। वे बेचारे भी टिफिन का खाना खा-खा कर बोर हो गए होंगे। तुम उनके लिए खाना भी बना लेना, इससे तुमको उन दोनों लड़कों का साथ भी हो जाएगा। वे दोनों भी खुश हो जाएंगे।
इसके बाद अशोक ने अगले दिन उन दोनों लड़कों को अपने घर बुलाया और उनको सविता भाभी का ख्याल रखने के लिए बोल कर जाने लगा।
‘अच्छा लड़कों मैं अब चलता हूँ.. तुम अपनी सविता भाभी के पास आते-जाते रहना। सविता अकेली रहते हुए बहुत अकेलापन महसूस करती है।’ ‘आप चिंता न करें भाईसाहब हम दोनों सविता भाभी का ‘पूरा’ ख्याल रखेंगे।’
उन दोनों तरुण और वरुण के दिमाग में सविता भाभी के मस्त नंगे शरीर की फिल्म घूमने लगी। तरुण ने तो सविता भाभी को खाना बनाते समय ही चोदने के सपने देखना शुरू कर दिया।
वो सोचने लगा कि उसने सविता भाभी को किचन में पीछे से पकड़ा.. जिस पर सविता भाभी कहने लगीं- छोड़ो तरुण.. खाना तो बना लेने दो फिर चोद लेना। लेकिन तरुण ने सविता भाभी को खाने की मेज पर ही लिटा दिया और उनकी चूत को चाटने लगा। सविता भाभी- अरे तरुण.. रुको न.. ये खाने की मेज है.. अपनी भाभी की चूत खाने की मेज नहीं है।
सविता भाभी की चुदाई चलती रही और वे झड़ गईं।
ये सब तरुण और वरुण दोनों के दिमाग में चल रहा था और वे दोनों ही सोच रहे थे कि ये हफ्ता तो बड़े ही मजे का गुजरने वाला था।
कुछ समय बाद खाने के वक्त सविता भाभी ने उन दोनों के साथ टेबल पर बैठ कर गपशप शुरू कर दी।
तरुण- भाभी जी अशोक भैया के इस सुझाव के लिए तो हम सभी को उनका शुक्रगुजार होना चाहिए। वरुण- हाँ हम दोनों ही घर में अकेले रहते हुए ऊब जाते थे। भाभी अब हम अपना समय आपके साथ बिता सकते हैं। सविता भाभी- हाँ अशोक अक्सर ऐसे कमल के सुझाव ढूँढ लेते हैं।
तभी तरुण जो सविता भाभी के बगल में बैठा था.. उसने टेबल के नीचे से सविता भाभी पर हाथ फेरा।
उसका हाथ अपने शरीर पर महसूस करते ही सविता भाभी चौंक गईं कि ये क्या कर रहा है।
तरुण का हाथ सविता भाभी की चूत पर आ गया था और उसने सविता भाभी की पैंटी तक हाथ पहुँचा कर उसको नीचे खिसकाना शुरू कर दिया था।
सविता भाभी सोचने लगीं कि हाय राम मेरी ये पैन्ट इतनी ढीली थी कि इसका हाथ मेरी पैंटी तक पहुँच गया।
सविता भाभी ने हकलाते हुए रोटी की प्लेट उठा कर वरुण की तरफ बढ़ाई- लो एक रोटी और लो न.. वरुण..
वरुण- क्या हुआ भाभी.. आप कुछ परेशान सी लग रही हैं? सविता भाभी- ओह्ह्ह.. नहीं वरुण ऐसा कुछ नहीं है मैं बिल्कुल ठीक हूँ.. बस आज जरा गर्मी ज्यादा लग रही है।
उधर तरुण का हाथ सविता भाभी की चूत को कुरेदने में लगा रहा।
तरुण सोच रहा था कि सविता भाभी को खूब मजा आ रहा है और ये सच भी था सविता भाभी अपने होंठ दबा कर अपनी चूत की ‘फिंगर फक’ का मजा ले रही थीं।
वो सोचने लगीं.. आह्ह.. वरुण की मौजूदगी में इसकी उंगली मेरी चूत की चुदास बढ़ा रही है। मुझे लगता है मुझसे अब देर तक न रुका जाएगा।
तभी टेलीफोन की घंटी ने सभी का ध्यान भंग कर दिया।
ये अशोक का फोन था।
सविता भाभी ने उनसे फोन पर बात करना शुरू कर दी।
‘हाँ अशोक.. मैं ठीक हूँ.. हमने अभी-अभी लंच खत्म किया है। ठीक है.. डार्लिंग मैं तुम्हें बाद में फोन करती हूँ।’
फोन के बाद सविता भाभी ने देख कि तरुण और वरुण खाना खत्म करके जाने लगे थे।
सविता भाभी- अरे तुम दोनों तो जाने लगे.. इतनी जल्दी? ‘हाँ भाभी हमको क्लास ज्वाइन करने जाना ही होगा।’
वरुण आगे निकल गया और तरुण ने पीछे से सविता भाभी की गांड पर हाथ फेरते हुए कहा- भाभी आज मेरी क्लास वरुण से एक घंटा पहले ही खत्म हो जाएगी.. मुझे उम्मीद है कि इस दौरान मुझे कुछ ‘गरमागरम’ खाने को मिलेगा।
सविता भाभी ने उन दोनों को विदा कर दिया।
शाम को तरुण आया उसने सविता भाभी के दरवाजे की घंटी बजाई।
जैसे ही सविता भाभी ने दरवाजा खोला तरुण की बांछें खिल गईं। सविता भाभी ने आज इतनी हॉट ड्रेस पहनी हुई थी कि सविता भाभी को देखते ही तरुण का लंड खड़ा हो गया।
‘वाऊ.. भाभी..।’ सविता भाभी- जल्दी कर बच्चे.. कहीं तेरी चाय ‘ठंडी’ न हो जाए।
तरुण ने अन्दर आते ही सविता भाभी को अपनी बांहों में समेट लिया।
तरुण ने सविता भाभी को चूमते हुए कहा- वाह्ह.. भाभी कितनी जोरदार और भड़कीली ड्रेस है.. किधर से लाईं? सविता भाभी ने चुम्बन का जोरदार जबाव देते हुए कहा- मैं पिछले हफ्ते बाजार गई थी ये बड़ा ‘मददगार’ दुकानदार मिल गया था उसने ही मुझे ये ड्रेस खरीदने में ‘मदद’ की थी।
जल्द ही सविता भाभी की ये ड्रेस उनके शरीर से अलग हो गई और सविता भाभी के रसीले मम्मे तरुण के मुँह में अपना जलवा दिखा रहे थे।
तरुण सविता भाभी के मम्मों को चूसता हुआ बोला- आह्ह.. भाभी आज सारे दिन मैं आपके इन दूधिया पावरोटियों को चूसने का इन्तजार करता रहा। सविता भाभी- आह्ह.. अहह.. तुम्हें मेरी चूचियां सचमुच बहुत पसन्द हैं न तरुण? तरुण- हाँ भाभी मैंने जबसे आपको देखा है बस तभी आपकी इन रसीली चूचियों को चूसने के सपने देख रहा हूँ। सविता भाभी ने अपने मम्मों को तरुण के मुँह में और अन्दर ठेलते हुए कहा- बस इतना सा सपना..?
अब सविता भाभी ने तरुण को सोफे पर धकेल दिया था और उसकी गोद में अपने दोनों पैर डाल कर बैठ गई थीं।
तरुण- भाभी.. आह्ह.. मैं आपकी इन चूचियों के बीच में अपना लंड रख कर इन चूचियों को भी चोदना चाहता था। सविता भाभी ने तरुण से लिपटते हुए उसके कानों में सरगोशी की- तो तू अपने इन सपनों को पूरा क्यों नहीं करता है तरुण?
ये कह कर सविता भाभी ने तरुण के मोटे और सख्त हो चुके लंड को अपनी चूचियों के निप्पल से टच कराया।
तरुण के लंड के सुपार का स्पर्श निप्पल पर पाते ही सविता भाभी की आह्ह.. निकल गई- आह्ह.. कितना गरम और सख्त लंड है।
सविता भाभी के निप्पल एकदम कड़क हो गए थे और उन्होंने नीचे बैठ कर तरुण के लंड को अपने मम्मों की घाटी में जकड़ लिया था।
तरुण- आह.. भाभी.. कितनी चूचियां कितनी रेशमी और गुदगुदी हैं। सविता भाभी ने तरुण के लंड को अपने मम्मों में फंसा कर चूची चुदाई शुरू कर दी थी। वो कह रही थीं- आह्ह.. तरुण तेरा लंड बेहद कड़क हो रहा है लगता है तू ये सपना काफी दिनों से देख रहा था है न? तरुण- आह.. भाभी तुम कितनी मस्त हो।
सविता भाभी ने अब तरुण के लंड को अपनी चूचियों में रगड़ते हुए उसके लंड के सुपारे को अपने होंठों से भी छुआना शुरू कर दिया था।
तरुण- आह्ह.. भाभी कमाल है आपके होंठ मेरे लंड को कितना मजा दे रहे हैं। सविता भाभी- आह्ह.. तेरा लंड मजेदार है.. आह्ह..
तरुण अब तक बहुत गरम हो गया था।
‘आह्ह.. भाभी.. आह्ह.. मैं झड़ने वाला हो गया हूँ..’ सविता भाभी- रुक तरुण.. ठहर जा.. तुझे झड़ना है तो मेरी चूत में झड़.. जो तेरी छेड़खानियों से दोपहर से पनियाई हुई है।
अब तरुण उठ कर खड़ा हो गया उसने अपने लम्बे लंड को अपने हाथ से मुठियाते हुए कहा- चलो भाभी अब मेरे लंड को अपनी चूत में संभालना।
तभी तरुण के ‘खड़े लंड पर धोखा’ हो गया और दरवाजे पर घंटी ने बजकर सारा मजा खराब कर दिया।
‘मर गए ये साला जरूर वरुण ही होगा।’
सविता भाभी और तरुण ने जल्दी से अपने कपड़े पहने और दरवाजा खोला तो वरुण ही था।
सविता भाभी- आओ वरुण.. जल्दी आ गए? ‘हाँ भाभी क्लास जल्दी खत्म हो गई थी।’
सविता भाभी मन में सोचने लगीं कि बस कुछ मिनट और रुक जाते तो मेरी क्लास भी खत्म हो जाती।
अब सविता भाभी ने उसका बैठाया और सोचने लगीं कि लगता है मुझे अपनी चूत की ढंग से चुदाई करवाने के लिए थोड़ा आर इन्तजार करना पड़ेगा।
कुछ देर यूं ही बात करने के बाद तरुण और वरुण चले गए.. सविता भाभी ने उन दोनों को सुबह नाश्ते पर आने के लिए कह दिया।
अगली सुबह बहुत जल्दी ही वरुण सविता भाभी के घर नाश्ते पर आ गया। उसने आते ही सविता भाभी को नंगा कर दिया और उनके मुँह में अपने लंड को डाल कर लंड चुसाई का मजा लेने लगा।
‘आह्ह.. मजा आ गया भाभी.. आज मैं स्कूल जाने के लिए तरुण से पहले ही जाग गया था।’ सविता भाभी- आह्ह.. मुझे भी मजा आ गया सुबह-सुबह तुम्हारे केले नाश्ता करने में.. आह्ह.. वरुण- आह्ह.. भाभी जब आप मेरे आंडों से खेलती हो तो बहुत मजा आता है.. आह्ह.. सविता भाभी- लगता है तू झड़ने वाला है। वरुण- आह्ह.. हाँ भाभीई..ई.. लो ये में’ गया.. आह्ह..
सविता भाभी ने उसका पूरा माल खा लिया।
कुछ पल बाद सविता भाभी ने कहा- चल अब तेरी बारी है.. अब तू मुझे खुश कर।
कुछ ही पलों में वरुण का लंड फिर से खड़ा हो गया और सविता भाभी ने अपनी छोटी सी स्कर्ट और पैंटी को उतारते हुए चूत चुदवाने की तैयारी कर ली।
सविता भाभी- वाह्ह.. वरुण लगता है तेरा लंड तो अगली पारी खेलने के लिए तैयार भी हो गया। वरुण ने अपना लंड सहलाते हुए कहा- हाँ भाभी.. ये चाहता है कि अब आप इस पर चढ़ कर इसकी सवारी करें। सविता भाभी ने अपनी चूत में वरुण का लंड फिट करते हुए कहा- हम्म.. मैं तो तेरा लंड अपनी चूत में डलवा के महसूस करने के लिए कब से बेकरार थी।
अभी लंड ने चूत का मुँह देखा ही था कि फिर से दरवाजे की घंटी ने चुदाई में खल डाल दिया।
बाहर तरुण भुनभुना रहा था- वेवकूफ वरुण इसने मुझे जल्दी क्यों नहीं जगाया।
सविता भाभी ने उठ कर अपना नाइट गाउन पहना और दरवाजे को खोला। इतनी देर लगने में तरुण सोचने लगा कि देर क्यों लग रही है क्या मामला है उसने फिर से घंटी बजा दी।
तभी सविता भाभी ने दरवाजा खोला और कहा- आओ तरुण बड़ी देर कर दी तुम्हारा नाश्ता ठंडा हो रहा है।
सविता भाभी को अब इस बात से बड़ी दिक्कत हो रही थी कि उनको इन दोनों के लंड का मजा नहीं मिल पा रहा था। इसलिए वे कोई तरकीब सोचने लगीं कि जिससे उनकी चूत को इन दोनों जुड़वां भाइयों के लंड का स्वाद मिल सके।
अब सविता भाभी और दोनों जुड़वां भाई नाश्ते की टेबल पर आकर नाश्ता करने लगे जिसमें बातचीत के दौरान मालूम चलता है कि आज सविता भाभी और उनके पति अशोक की शादी की चौथी सालगिरह है।
अब दोस्तों.. सविता भाभी के दिमाग में किस तरह से अपने पति की गैरमौजूदगी में अपनी शादी की सालगिरह को मनाया और किस तरह से ताश के पत्तों को खेलते हुए सविता भाभी ने अपनी मदमस्त जवानी को इन दोनों जवान लौंडों के लंड के सामने खोल दिया। एक साथ दोनों के लंड सविता भाभी की चूत को चोद कर किस तरह से उनकी शादी की सालगिरह को मनाते हैं.. उसी बीच उनके पति अशोक का फोन भी आ जाता है।
इस सबको सविता भाभी की सचित्र चुदाई की कॉमिक्स में पढ़ने का जबरदस्त आनन्द है। आप सभी का सविता भाभी की साईट savitabhabhi.vip पर स्वागत है।
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