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अब तक आपने पढ़ा.. गीता की बुर का छेद बहुत छोटा था और मैं उसे समझा रहा था कि क्या क्या दिक्कतें आ सकती हैं और इसके लिए क्या करना होगा। अब आगे..
मैंने गीता को बताया- गीता तुम्हारे पेशाब का छेद ऑपरेशन करके ही खोलना होगा, वरना शादी के बाद तुम बच्चे को जन्म नहीं दे पाओगी और ना ही तुम.. अधूरी बात कहकर मैं रुक गया। गीता बोली- और क्या डाक्टर साहब? मैंने कहा- और न ही तुम कभी अपने पति के साथ शारीरिक संबंध बना पाओगी।
गीता पढ़ी-लिखी नहीं थी, वह शारीरिक संबंध का मतलब नहीं समझ पाई, गीता बोली- डाक्टर साहब शारीरिक संबंध का क्या मतलब होता है?
तब मैंने कहा- जिसको करने से बच्चा पैदा होता.. उसे शारीरिक संबंध कहते हैं। गीता फिर कुछ सोचने लगी और बोली- डाक्टर साहब मैं आपके हाथ-पैर जोड़ती हूँ.. मेरी शादी तय हो चुकी है। अगर मुझे बच्चा नहीं हुआ तो मेरे पति मुझे तलाक दे देंगे, कोर्इ रास्ता निकालिए।
तब मैंने कहा- देखो गीता पेशाब के रास्ते का आपरेशन को करना पड़ेगा। अगर तुम आपरेशन नहीं करवाती हो.. तो एक रास्ता और है। गीता उछलकर बोली- वो क्या डाक्टर साहब? मैंने उसकी बुर पर हाथ रखकर सहलाया और उसके एक हाथ को पकड़कर अपने लंड पर रखते हुए कहा- इसे अभी तुरंत इससे खोलना पड़ेगा।
गीता ने मेरा हाथ झिटक कर दूसरी ओर देखने लगी। मैं गीता की बुर पर उंगलियां फेरता रहा और मैंने गीता के दोनों पैरों को उठाकर मोड़ दिया। जिससे गीता की बुर पूरी तरह खुल गई। मैंने अपना मुँह ले जाकर उसकी बुर को चूम लिया।
गीता ने एक लंबी सांस ली और सिसकारियां भरने लगी। गीता की बुर से अभी भी मनमोहक गंध आ रही थी। जिसे सूँघकर मेरा लंड फिर से टाइट हो गया और उछाल मारने लगा।
मेरा लंड उछल-उछलकर गीता की जांघों से टकराने लगा। लंड के जांघों से टकराते ही गीता ने अपने हाथ आगे बढ़ाया और वो लंड पकड़ने का प्रयास करने लगी। पहली बार में लंड गीता के हाथों से छूट गया.. लेकिन दुबारा गीता ने मजबूती के साथ उसे पकड़ लिया और मसलने लगी।
लंड के मसले जाने से वह सांप की तरह फनफनाने लगा। मैंने अपनी पैंट की जिप खोलकर लंड को आजाद कर दिया। जो कि अपनी पूरी लम्बाई का हो गया था। जिसे देखते ही गीता के होश उड़ गए।
वो बोली- हाय भगवान इतना बड़ा..! मैंने कहा- क्यों इसमें क्या.. तुम्हारे पति का भी तो इतना बड़ा होगा। तो गीता बोली- यह अन्दर कैसे जाएगा.. छेद तो बहुत छोटा है। मैंने कहा- इसलिए कहता था कि आपरेशन करना पड़ेगा। तुम चिंता न करो.. मैं अभी तुम्हारी बुर का आपरेशन कर दूँगा।
बुर का नाम सुनते ही गीता शर्मा गई और उसने अपनी आंखों को हाथों से ढक लिया। फिर मैंने गीता के दोनों पैर पकड़ कर अपने कंधे पर रखे और अपनी जीभ को गीता की बुर पर फेरने लगा। बुर पर जुबान लगते ही गीता अपने बुरड़ उछालने लगी।
फिर मैंने धीरे-धीरे बुर के अन्दर जुबान डाली और बुर का रस पीने लगा। थोड़ी ही देर में गीता की बुर से एक तेज मादक गंध के साथ पानी निकलने लगा और गीता की सिसकारियां तेज होने लगीं।
मैं जितनी बार जुबान इधर-उधर फेरता.. गीता उतनी बार तेज-तेज सिसकारियां लेने लगती ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ अब मैं तेजी के साथ गीता की बुर चाटने लगा और जुबान को बुर में अन्दर-बाहर करने लगा।
गीता की उत्तेजना अपनी चरम सीमा पर पहुँच चुकी थी। वह जोर-जोर से अपने बुरड़ उछाल रही थी। मैं अपनी जुबान गीता की बुर के छेद में घुसेड़ने का प्रयास कर रहा था।
तभी एक तेज झटके के साथ गीता अपने चूतड़ उछालकर चिल्लाई और एक तेज धार के साथ गीता की बुर का कामरस बाहर निकल आया।
गीता की बुर से निकला कामरस मेरे मुँह में भर गया। जो रिस-रिसकर काफी देर तक निकलता रहा। शायद गीता की बुर से निकला यह पहला कामरस था। जिसे मैंने अपनी जुबान से चाटकर पूरा साफ कर दिया।
गीता की सिसकारियां अब बंद हो चुकी थीं और वह एकदम निढाल पड़ी थी।
मैंने अलमारी से रुर्इ निकाली और गीता की बुर से निकल रहे कामरस को अच्छी तरीके से साफ किया।
उसके बाद गीता बोली- डाक्टर साहब आपने तो मुझे मार ही डाला। तब मैंने कहा- अभी तो यह फिल्म का ट्रेलर है, फिल्म अभी बाकी है।
यह कहते हुए मैं गीता को अपने कमरे में लेकर गया और बिस्तर पर लिटाकर अपने लंड को गीता के हाथों में रख दिया और बोला- इसका रस पीकर तो देखो.. बहुत मजा आएगा।
गीता लंड को हाथ से पकड़कर सहलाने लगी और मैं गीता के शरीर में बचे हुए कपड़े उतारने लगा।
एक एक करके मैंने गीता के सारे कपड़े उतार दिए, अब गीता मेरे सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी। फिर मैंने गीता का सिर पकड़कर अपना लंड उसके मुँह में लगाया तो गीता ने ‘छी..’ करके मुँह घुमा लिया और बोली- बहुत गंदा है। मैंने कहा- इसका स्वाद चखोगी तो बहुत अच्छा लगेगा।
मैंने लंड जबरदस्ती उसके होंठों पर रखकर मुँह के अन्दर डालने लगा। गीता नानुकुर करती रही.. लेकिन मैंने जोर लगाया तो लंड का सुपाड़ा गीता के मुँह के अन्दर चला गया।
फिर मैंने अपनी कमर आगे-पीछे करके लंड को गीता के मुँह में घुसेड़ दिया। गीता का मुँह पूरा बंद हो गया.. वह चिल्लाने का प्रयास कर रही थी लेकिन उसकी आवाज मुँह से नहीं निकल रही थी।
थोड़ी देर बाद गीता स्वंय लंड को पकड़ कर एक अच्छी सेक्सवर्कर की तरह चूसने लगी। गीता को लंड चूसने में काफी आनन्द आने लगा।
मैं भी कमर हिलाकर गीता के मुँह को चोदने लगा। तभी मेरे लंड से एक लिसलिसा पदार्थ निकलने लगा। जो कि गीता ने चख कर थूक दिया। वो बोली- यह क्या है? मैंने कहा- यह लंड की उत्तेजना बढ़ जाने पर निकलता है।
यह सुनकर गीता से उसे अपनी जुबान से साफ कर दिया, अब मेरा मन पूरी तरह से गीता को चोदने का कर रहा था। मैंने गीता से कहा- अब मैं तुम्हारी बुर का आपरेशन करने जा रहा हूँ। गीता हँसने लगी।
मैं अपने सारे कपड़े उतारकर गीता की तरह निर्वस्त्र हो गया। फिर मैंने गीता को पैरों की तरफ जाकर उसके पैर समेटकर मोड़ दिया और अपने लंड को गीता की बुर से सटा दिया।
गीता के मुँह से तेज से सिसकारी निकली।
फिर मैं अपना लंड गीता की बुर पर रगड़ने करने लगा। उसकी बुर की पंखुड़ियों को फैलाकर लंड उसके बीच में रखा। बुर पर लंड का अहसास होती ही गीता कराह उठी। फिर मैंने लंड को गीता की बुर के भगनासा पर रगड़ना शुरू कर दिया, गीता खूब तेज सिसकारियां लेने लगी और मेरी कमर को पकड़कर सहलाने लगी।
फिर मैंने गीता की चूचियों पर अपना मुँह लगाया तो गीता सिकुड़ गई। मैंने काफी देर तक गीता की दोनों चूचियों को चूस-चूसकर लाल कर दिया। उसके निप्पल बिल्कुल खड़े हो गए और बुर काफी गीली हो गई थी जिस पर लंड फिसल रहा था।
मैं समझ गया कि गीता अब चुदना चाह रही है। मैंने एक हाथ से गीता की बुर के छेद पर अपना लंड रखा और गीता की एक चूची को अपने मुँह में पूरा भरकर एक जोरदार धक्का मारा। यह हिंदी चुदाई की कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
गीता बहुत तेज से चिल्लाई और बेहोश सी होकर कांपने लगी। लंड का सुपाड़ा गीता की बुर के छोटे से छेद को फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया था। गीता जोर-जोर से रोने लगी और लंड को बाहर निकालने का प्रयास करने लगी। मैंने गीता को भावनाओं को समझा और लंड को बुर से थोड़ा बाहर की ओर निकाला।
लंड के बाहर निकलते ही बुर से खून निकलने लगा। बुर से लंड बाहर निकलने पर गीता ने एक लंबी सांस ली। और रुआंसे मुँह से बोली- डाक्टर साहब आपने तो मेरी बुर फाड़ डाली।
फिर मैंने गीता का घ्यान भटकाने के लिए उसकी चूचियों को पीना शुरू कर दिया और बीच-बीच में उसके होंठों को चूमने लगा।
थोड़ी देर बाद गीता कुछ नार्मल हुई तो मैंने दुबारा अपना लंड उसकी बुर पर भिड़ाकर दोनों हाथों से चूचियों को पकड़कर दबाने लगा। धीरे-धीरे गीता की चूचियों में कसाव आने लगा। जिसे भांपते हुए मैंने लंड से बुर में थोड़ा से धक्का मारा, जिस पर गीता ने अपने पैर फैला लिया।
पैरों को फ़ैलते ही मुझे जगह मिल गई और मैंने कमर खींचकर एक जोरदार प्रहार किया। इस बार लंड बुर को फाड़ता हुआ सीधा बच्चेदानी से जा टकराया।
गीता हाथ पैर पटकने लगी और तेजी के साथ पैर समेटने और फैलाने लगी। मैंने गीता का मुँह पकड़ कर समझाया- अब कुछ नहीं होगा। बस एक सेकेंड रुको। लेकिन गीता सुनने का प्रयास ही नहीं कर रही थी और चिल्लाये जा रही थी।
फिर थोड़ी देर तक मैंने लंड को वैसे ही अन्दर रखा, गीता अपने पैर पटकती रही। फिर मैंने लंड को थोड़ा बाहर खींचा और रुक गया और थोड़ी देर बाद पुन: अन्दर की ओर ढकेला तो इस बार गीता ने कोर्इ प्रतिक्रिया नहीं दी।
फिर मैं धीरे-धीरे लंड को अन्दर-बाहर करने लगा, गीता चुपचाप लेटी रही।
अब मैंने गीता की चूचियों को दबाना शुरू किया और चोदने की स्पीड बढ़ा दी, अब मैं जोर-जोर से गीता की बुर चोदने लगा।
थोड़ी देर बाद गीता ने अपने दोनों हाथ से मेरा चेहरे को पकड़ा और चूम लिया, अब वो भी अपनी कमर उछालने लगी, मैं समझ गया कि अब गीता को चुदने में मजा आने लगा है।
गीता अब कमर उछालने के साथ-साथ बुदबुदाने लगी और सिसकारियां लेते हुए कहने लगी ‘कर दो आज.. मेरी बुर का आपरेशन.. साली बहुत दर्द देती थी.. आह्ह.. आज के बाद सारा दर्द खत्म हो जाएगा इसका..’
अब मेरा भी जोश बढ़ गया और मैं गीता की चूची को मुँह में भरकर जोर-जोर से झटके लगाने लगा।
फिर मैंने दोनों हाथों से गीता के कमर की नीचे हाथ डालकर उसके बुरड़ों को पकड़ लिया और एक जोरदार धक्का मारा। एक तेज धार के साथ मेरा वीर्य गीता की बुर में गिरने लगा।
गीता खुशी से उछल पड़ी और उछल उछलकर ‘और-और..’ कहकर चुदने लगी। जब तक मेरा पूरा वीर्य निकल नहीं गया मैं भी उसे चोदता रहा। कुछ देर बाद दोनों के शरीर से दम निकल गया और निढाल होकर बिस्तर पर गिर पड़े।
थोड़ी देर बाद गीता उठ कर खड़ी होने को हुई तो बोली- मैं चल नहीं पा रही हूँ माँ क्या कहेगी। मैंने हँसते हुए कहा- तुम चिंता क्यों करती हो.. मैं चाची से कह दूँगा कि आपरेशन हुआ ही.. अभी कुछ दिन चलने फिरने में दिक्कत आएगी।
अब गीता भी हँसने लगी। फिर मैं किचन गया और एक लोटा पानी गर्म करके लाया और गीता को बाथरूम ले जाकर उसकी बुर को अच्छी तरह से धोकर साफ किया। अपने लंड पर लगे खून को गर्म पानी से धोकर साफ किया।
फिर दोनों ने साथ मिलकर एक-दूसरे को खूब नहलाया। नहाने-धोने के बाद गीता ने अपने कपड़े पहने और बोली- अब मैं घर जा रही हूँ। तब मैंने कहा- फिर कब आपरेशन होगा? गीता मुस्कराते हुए कहने लगी- जब आप कहेंगे। गीता लंगड़ाते हुए अपने घर चली गई।
गीता के घर जाते ही मैं क्लीनिक को खोलने लगा।
तभी अचानक चाची बाजार से सीधा मेरे क्लीनिक आ धमकीं और बोलीं- डाक्टर साहब गीता कहाँ है.. उसका आपरेशन हो गया कि नहीं.. मैं बहुत जल्दी बाजार से आई हूँ.. सोचा कहीं गीता को कोर्इ दिक्कत न हो।
तब मैंने चाची को चुप कराते हुए कहा- नहीं चाची गीता का आपरेशन में कोर्इ दिक्कत नहीं आई.. वो अब बिल्कुल ठीक है। मैंने मशीन से उसकी नली खोल दी है। अब कोर्इ परेशानी की बात नहीं है। गीता से घर जाकर पूछ लेना।
तभी एक मरीज मेरे क्लीनिक आ गया, कहने लगा- डाक्टर साहब कहाँ गए थे.. काफी देर से आपका इंतजार कर रहा था। मैं मरीज को देखने लगा और चाची अपने घर चली गईं।
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