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हॉट चुदाई का मजा लिया मैंने अपने दोस्त की बड़ी बहन के साथ. वो कालगर्ल बन चुकी थी. पर मैंने भी उसे ऐसे चोदा कि वो मेरे लंड की कायल हो गयी.
हैलो फ्रेंड्स, मैं मनोज कुमार उर्फ़ किंग आपको अपनी पड़ोसन दीदी की सेक्स कहानी सुना रहा था. पिछले भाग दोस्त की दीदी रण्डी निकली में अब तक दीदी ने मुझे बता दिया था कि वो एक रंडी कैसे बनी थीं. अपनी रंडी बनने की ट्रेनिंग को दीदी बातरतीब बता रही थीं.
अब आगे हॉट चुदाई का मजा:
मैंने पूछा- दीदी, आपने अपने रेट कैसे तय किए और उस ब्यूटीपार्लर वाली भाभी ने आपको पहली बार ग्राहक के सामने कैसे सैट किया?
दीदी- भाभी एक शॉट के हजार रुपये लेती थीं, जिसमें से कमरा किराये पर देने के लिए दो सौ रुपये खुद रखती थीं और आठ सौ रूपये उस लड़की को देती थीं, जिसकी चुदाई होती थी. पर जब मैंने पहली सर्विस दी … तो उससे दिन मेरी शुरुवात पांच हज़ार से की थी. क्योंकि मेरी चूत अभी तक कुंवारी थी, जो मुझे यहां आकर पता चला था.
शुरू शुरू में चुदने में दर्द होता था. हर तरह के आदमी आते थे, जो मुझे नौंचते थे, खाते थे, काटते और मैं शर्म की वजह से कुछ नहीं बोल पाती थी. बस दर्द से रोती रहती थी. इससे उन लोगों को खुशी मिलती थी और वो अपनी हैवानियत और ज़ोर से मेरे ऊपर निकालते थे.
फिर धीरे धीरे इस सबकी आदत सी हो गयी और दर्द भी खत्म होने लगा.
मेरे पैसे भी कम होकर बाकी लड़कियों की तरह हज़ार रुपये हो गए.
पर इस सबमें सुकून की बात ये रही कि तेरे जीजा का मैंने इलाज करवा दिया और जब उन्होंने पूछा कि पैसा कहां से आया, तो मैंने उन्हें सब सच बता दिया. इससे पहले तो वो बहुत गुस्सा हुए और मुझे भला बुरा बोलने लगे, पर मैंने उन्हें शांति से समझाया कि मुझे भी शारीरिक सुख की कमी महसूस होती है.
तो वो भी अपनी कमी का अहसास करके चुप हो गए और उन्होंने भी मेरा साथ दिया कि जिसमें तुझे खुशी मिलती है, तू वो कर.
दीदी ने एक ही सांस में अपनी पूरी आपबीती सुना दी. उनके दोनों हाथ मेरी छाती पर आ गए थे और सिर मेरे कंधे पर था, जहां मैं उनकी आंखों से बहने वाले आंसुओं की नमी महसूस कर रहा था.
सच्चाई जान कर मेरा लंड बैठ चुका था. मैंने उन्हें सीधे पीठ के बल लिटाया और उनके ऊपर पूरा लेट कर उनको होंठों को चूमते हुए पूछा- अगर मैं आपकी हर इच्छा पूरी कर दूं, तो क्या आप मुझसे शादी करोगी?
उन्होंने मुझे पीछे किया और बोलीं- सब ये ही बोलते हैं, पर सच ये है कि रंडियां सिर्फ बिस्तर पर अच्छी लगती हैं, घर पर नहीं. तुम मेरी चूत मारो … सुबह तक तो बीवी हूँ ही तुम्हारी.
“आप मुझसे शादी करोगी?” इस बार मेरी आवाज में उनके लिए उम्मीद थी, जिसे मेरे दोनों हाथों थमे हुए उनके चेहरे ने और मजबूत कर दिया था.
“अंकल आंटी क्या बोलेंगे. तुम संजू के दोस्त भी हो और मुझसे छोटे भी हो. मेरे घरवालों को कैसे समझाओगे … और मैं शादीशुदा हूँ पागल लड़के. अब बकवास नहीं करो. जो करने आए हो, वो करो और हां तुम भी मुझे कुछ बताने वाले थे, वो बताओगे क्या?”
दीदी ने बात पलटाने की कोशिश की तो मैंने उनके ऊपर लेटे हुए उनके दोनों हाथ अपने हाथों में लिए और नीचे वाले होंठ पर अपनी जीभ फेर कर एक हल्का सा चुम्मा उनके होंठों पर रख दिया.
मैं दीदी को आप से तुम पर और वैशाली बोलते हुए बोला- वैशाली, क्या तुम मुझसे शादी करोगी … अगर मैं तुम्हारी और तुम्हारे हस्बैंड की हर ज़िम्मेदारी उठा लूं तो? “ठीक है कर लूंगी, पर अब जो करने आए हो, वो करो. नहीं तो तुम्हारी रात के पैसे खराब चले जाएंगे.”
उन्होंने फिर से बात बदलने की कोशिश की और मेरे हाथ से अपने हाथ छुड़ा कर एक हाथ से मेरी पीठ पर नाखून गड़ाने लगीं. दूसरे हाथ से मेरी जांघों और लंड को सहलाने लगीं. मादक सिसकारियां लेते हुए मेरे होंठों को चूमने और काटने लगीं.
मैं समझ गया था कि जब तक एक बार सेक्स नहीं करूंगा, तक तक ये भी नहीं मानेंगी. क्योंकि ये सच था कि उनका सेक्स करने का मन नहीं था लेकिन उन्होंने पैसे लिए थे, तो अपना काम भी अधूरा नहीं छोड़ सकती थीं.
कोई भी आदमी हो, औरत का स्पर्श उसका लंड खड़ा कर ही देता है. दीदी किसी राजकुमारी से कम नहीं थीं और मैं तो किंग हूँ ही.
मैंने पहली बार इतनी सीधी शुरुआत की … न चूत चाटी और न दूध चूसे. अपनी उंगली में थोड़ा सा थूक लेकर मैंने उनकी चूत और अपने लंड पर लगाया और एक झटके में पूरा लंड उनकी चूत में उतार दिया.
रोज़ चुदाई होने की वजह से चूत खुल चुकी थी, लेकिन जैसे ही लंड की ठोकर उनके बच्चेदानी में लगी … उनके नाखून तेज़ी से मेरी पीठ पर गड़ गए और मुँह से एक हल्की सी आह निकली. जिसके बाद उन्होंने अपने मुँह को बंद तो कर लिया, पर लम्बे लंड की तेज चोट के दर्द छुपा नहीं पा रही थीं.
“आह आराम से करो मनोज … और एक बार मुझे टांगें खोलने दो.” कंपकपाती हुई आवाज़ में उन्होंने आज्ञा देने के भाव से मुझसे विनती की.
“शादी करोगी मुझसे? बहुत ख्याल रखूंगा. बहुत प्यार करूंगा. तुम्हें शारीरिक मानसिक या पैसे से जुड़ी कोई कमी नहीं आने दूंगा.”
मैंने उनकी टांगों को थोड़ा फैलाते हुए लंड का थोड़ा दबाव देते हुए कहा. जिससे मेरा पूरा लंड अन्दर जाकर उनकी बच्चेदानी पर ज़ोर दे रहा था.
वो भी अपने चेहरे पर आए दर्द को छुपाने की कोशिश कर रही थीं. पर कुछ न बोल कर वो अपने हाथ और पैर की मदद से हल्के हल्के झटके देने की कोशिश भी कर रही थीं. जिससे मेरा ध्यान सेक्स की तरफ हो जाए और मैं जल्दी झड़ जाऊं.
उनकी परेशानी समझते हुए मैंने पूरा लंड बाहर निकाला, जिससे उन्हें एक गहरी सांस आयी.
तभी मैंने एक ज़ोर का झटका देकर फिर से बच्चेदानी पर लंड से चोट मारते हुए कहा- खुश नहीं रहोगी क्या मुझसे? “मनोज … मुझे बहुत अच्छा लग रहा है जल्दी करो तेज़ तेज़.” घुटी हुई आवाज़ में दर्द दबाते हुए उन्होंने फिर से बात बदलने के लिए कहा.
मैंने लंड निकाल लिया और उनके होंठों को अपने होंठों से जकड़ कर एक हाथ से उनकी चूची दबाने लगा और दूसरे हाथ से चूत में जल्दी जल्दी उंगली करके उन्हें गर्म करने लगा.
पर वो रंडी हो चुकी थीं, शायद गर्म होना भूल चुकी थीं.
मैंने उन्हें गले से चूमते हुए उनके चुचे पीने लगा और उनके निप्पल को दांत से दबाते हुए जीभ को चारों ओर घुमाने लगा. साथ ही निप्पल की टिप पर भी जीभ फेरने लगा. जबकि एक हाथ से मैं अभी दीदी की दूसरी चूची दबा रहा था और मेरा एक हाथ अभी भी दीदी की चूत में उंगली कर रहा था.
इस बार थोड़ा असर हुआ वो एक हाथ से मुझे जल्दी झाड़ने के लिए मेरे लंड को सहला रही थीं, लंड में थोड़ी ऐंठन सी हुई.
उनका दूसरा हाथ मेरे सिर पर आ चुका था, जो मुझे चुचों पर और ज़्यादा दबाव देने का इशारा कर रहा था. दीदी की आंखें बंद हो चुकी थीं और उनकी सांस गहरी होने लगी थी.
मैंने चूत पर रखे हुए हाथ को उसके गालों पर रखा, तो उन्होंने बंद आंखों से ही हाथ को चूमते हुऐ उस पर अपना गाल रख दिया.
मैं अपना सिर नीचे ले जाते हुए दूसरे हाथ उनके चुचे लगातार दबा रहा था.
दीदी के पेट पर जीभ फेरते हुए जब मैंने उनकी नाभि में जीभ डाली, तब उनके मुँह से निकली आह ने मेरे दिल में उनकी खूबसूरती की एक और दस्तक दी.
मैं पागलों की तरह उन्हें हर जगह चूम रहा था और जैसे जैसे मैं नीचे की ओर जाता जा रहा था, वैसे वैसे उनके पैर खुद ही खुलते जा रहे थे.
दीदी के खुलते पैर इशारा कर रहे थे कि मैं उनकी चूत को चाट लूं.
मैंने भी उनकी भावनाओं को समझते हुए दोनों हाथ की उंगलियों से उनकी चूत के होंठ खोल कर जितनी अन्दर तक जीभ जा सकती थी जीभ डाल दी और दीदी की चुत चाटने लगा.
उन्होंने सिहरते हुए अपने दोनों पैरों को मेरे कंधे पर लपेट लिया. मैं उनकी चूत की फांकों को चाट रहा था, चूस रहा था और एक उंगली छूट में घुसा कर हिला रहा था जबकि मेरा दूसरा हाथ उनके पेट पर हो रही थरथराहट को महसूस कर रहा था.
वो अपने हाथ और पैर से ज़्यादा से ज़्यादा दबाव बना कर मुझे अन्दर तक अपनी जीभ घुमाने का इशारा कर रही थीं.
फिर अचानक से दीदी मुझे अपने ऊपर खींचने लगीं और मेरा लंड अपनी चूत में खुद सैट करने लगीं.
मैं उनके ऊपर से हट गया और बोलने लगा- मैं तुमसे सेक्स नहीं करूंगा.
इस वक्त वो अपने चरम पर पहुंच चुकी थीं, तो मुझे अपनी ओर खींचने लगीं और मेरे लंड को अपनी चूत में लेने की कोशिश करते हुए बोलने लगीं- बस एक बार कर ले. बस एक मिनट कर ले मनोज फिर मत करियो. पहली बार इतना अच्छा लग रहा है.
“शादी करोगी मुझसे?” मैं अपने लंड को उनकी चूत पर फेरते हुए पूछने लगा.
“अरे जो तू बोलेगा, वो होगा. बस जल्दी से चुत में लंड घुसा दे.” उन्होंने लगभग रोनी सी सूरत बनाते हुए कहा, पर फिर भी वो बहुत प्यारी लग रही थीं.
मैंने अपना लंड चुत में घुसेड़ना शुरू कर और धक्के लगाने लगा. हर धक्के में दीदी के मुँह से एक सीत्कार निकल रही थी और उनकी पकड़ मेरी बाजू और पीठ पर और टाइट होती जा रही थी.
मुश्किल एक मिनट के ज़ोरदार झटकों के बाद उन्होंने मुझे अपने शरीर से कसके चिपका लिया. उनका अंग अंग कांपने लगा था और आंखें चढ़ चुकी थीं. दीदी के पैरों की थरथराहट मुझे अपने पैरों पर भी महसूस हो रही थी.
जैसे ही मैंने अपना लंड दीदी की चूत से निकाला तो लगभग आधे कप जितना पानी धीरे धीरे उनके चूतड़ों को छूते हुए चादर को भिगोने लगा था.
वो निढाल सी हो गयी थीं और मुझसे अपनी पकड़ ढीली करके आंख बंद करके लेट गयी थीं. उनके चेहरे पर एक सुकून था जो उनकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहा था.
मैंने नीचे की तरफ देखा तो दीदी की चूत के होंठ अभी भी झटके मार कर बूंद बूंद पानी निकाल रहे थे. वैशाली दीदी के होंठों पर मैंने एक हल्का सा चुम्मा दिया, जिसके जबाव में उन्होंने बंद आंखों से ही सुकून की एक स्माइल दी और मेरे सिर पर एक बार हाथ फेर दिया.
मुझे पता नहीं क्या सूझा, जो उनकी चूत से रस की बूंदें टपक रही थीं, मैं उन्हें पीने के लिए अपना मुँह उनकी चूत की तरफ ले जाने लगा. पर वो पहले ही मेरी सोच समझ गईं और मुझे अपने ऊपर गिरा लिया.
उनके मुँह से बहुत धीरे से सिर्फ एक बात निकली- नहीं … वो गंदा है.
मेरे पास वो खुशी बयान करने के शब्द नहीं थे. मैं भूल चुका था कि अभी मेरा पानी नहीं निकला, बस ऐसा लग रहा था, जैसे आज मुझे सब कुछ मिल गया है. मैं उनके ऊपर कुछ इस तरह से लेट गया था कि मेरा पूरा शरीर उनके शरीर पर था.
हमारे होंठ धीरे धीरे एक दूसरे को छू रहे थे और सांसें एक शरीर से दूसरे शरीर में जा रही थीं.
मैं उनके बदन की गर्मी और सांसों की खुशबू को खुद में महसूस कर रहा था.
पता ही नहीं चला कब मेरा एक हाथ नीचे चला गया और अपना लंड मैंने उनकी गीली चूत में घुसा कर फिर से झटके लगाने शुरू कर दिए.
अब वो ज़्यादा हिलते हुए साथ तो नहीं दे रही थीं, पर हर झटके के साथ उनके होंठों की पकड़ मेरे होंठों पर और भी मजबूत होती जा रही थी.
मुश्किल से 7-8 मिनट में मैंने भी उनके अन्दर अपना पानी छोड़ दिया. जैसे ही पानी छूटा, उनके हाथों से मेरी पीठ पर और होंठों से मेरे होंठों पर दबाव बढ़ गया.
उन्होंने अपने पैर मेरी कमर पर इतने टाइट दबा लिए, जैसे उनकी चूत बोलना चाहती थी कि एक भी बूंद बाहर मत निकालना.
हमारी छातियां चिपकी हुई थीं और एक दूसरे की छाती से से निकलता हुआ पसीना माहौल को और रंगीन बना रहा था.
फिर मैं उनके बराबर में आंख बंद करके लेट गया और वो मेरे कंधे पर अपना सिर रख कर मेरी छाती पर हाथ फेरने लगी थीं.
मैंने उनके सिर पर हाथ फेरते हुए पूछा- कैसा लग रहा है?
इसके जवाब में उन्होंने सिर्फ मेरे होंठों को एक बार चूम लिया और फिर आंखें बंद करके मुझे बांहों में भरकर लेट गईं.
“तुम्हारा पहली बार नहीं था न ये. तुम पहले भी कर चुके हो न?” उन्होंने धीमी आवाज़ में मुझसे सवाल किया. “जो काम तुम कर रही हो पैसे कमाने के लिए … ये काम ही मैं भी करता हूं.” मैंने अपनी सच्चाई बताने के लिए शुरुआत की.
“तू गांड मरवाता है मनोज?” मुस्कान के साथ आश्चर्यचकित होते हुए उन्होंने पूछा. “मेरी पागल बाबू …. मैं गांड मारता हूँ.” मैंने उन्हें अपनी बांहों में तेज जकड़ते हुए बताया.
पहले तो उन्हें यकीन नहीं हुआ, फिर मैंने उन्हें अपनी पूरी सच्चाई बताई. बस मैंने दीदी को अपनी मम्मी की चुदाई के बारे में कुछ नहीं बताया और छाया बुआ की जगह भी मैंने इंदु मैडम का नाम ले लिया.
“तभी मैं सोच रही थी कि मैं रोज़ इतने लंड लेती हूँ, पर आज मेरा पानी कैसे निकल गया.” उन्होंने मेरे होंठों को चूमते हुए मुझसे कहा.
फिर हम दोनों ने एक बार और हॉट चुदाई का मजा लिया और सो गए.
दोस्तो … मैं जानता हूँ कहानी थोड़ी लंबी हो गयी और सेक्स का पार्ट भी कम रखा है, पर मैं चाहता था कि आप खुद में वो सब कुछ महसूस करें, जो मैंने महसूस किया था.
इसके आगे क्या हुआ था जो जल्दी ही आपको बताऊंगा कि क्या मेरी और वैशाली दीदी की शादी हुई और मैंने कब, कहां और कैसे उनकी गांड मारी. पीहू को कैसे चोदा, ये भी आपको अगली सेक्स कहानी में बताऊंगा.
अपने मेल से मुझे प्यार देते रहिए. कुछ पाठकों का कहना है कि सेक्स कहानी में गाली डालने से हॉट चुदाई का मजा बढ़ जाता है. तो दोस्तो … मैं ज़्यादा गाली नहीं देता हूँ और ज़्यादा से ज़्यादा वो लिखता हूँ, जो सच हो. इसीलिए मेरी सेक्स कहानी में गाली नहीं हो पाएगी.
धन्यवाद दोस्तो आपका प्यारा किंग [email protected]
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