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मेरी फ्री सेक्स कहानी के पिछले भाग भाभी की मदमस्त जवानी और मेरी ठरक-1 में आपने पढ़ा था कि मैंने अपने ममेरी भाभी की उनकी शादी से पहले मजे लिए थे। अब आगे..
दोस्तो इसके बाद मैंने अपने घर जाकर 4 बार मुठ मारी और सो गया।
ऐसे ही कुछ दिन बीत गए और कुछ समय बाद भाई की शादी हो गई, भाभी हमारे घर आ गईं। भाभी और मैं बहुत मज़ाक करते थे, इसी हँसी-मजाक में मुझे भाभी की अदाओं के चलते उनके चूचे भी कई बार दिख जाते थे।
ऐसे ही एक दिन मैं दुकान से घर आया तो मैंने खाना खाया। खाना के बाद मैं पैसे गिन रहा था.. तो भाभी आईं।
उस वक्त भाभी को देख कर मैं पागल सा हो गया। भाभी ने एक बहुत ही टाइट ड्रेस पहन रखी थी उनके आधे से ज़्यादा चूचे बाहर दिख रहे थे। इतनी चुस्त ड्रेस थी कि भाभी के चूचे जैसे बाहर आने को बेताब थे।
उसके बाद मैंने भाभी से मस्ती की.. तो भाभी ने मेरे बाल पकड़ कर खींचे तो मैं झटका खा गया और उन्होंने इस झटके से मैं उनके सीने से जा लगा।
ये सब अनायास ही हुआ था तब भी उफ़फ्फ़.. क्या बताऊँ मेरी तो हालत ही खराब हो गई। उनके चूचे मेरे होंठों को छू रहे थे। मेरा तो लंड एकदम कड़क हो गया। उन्होंने अन्दर रेड कलर की नेट वाली ब्रा पहनी हुई थी। मेरा लंड झटके खाने लगा।
तभी कोई आहट हुई और भाभी मेरे पास से दूर हो गईं।
थोड़े दिनों बाद कुछ ऐसा मौका आया कि मैं फिर से भाभी के घर गया। मैं घर के अन्दर गया तो मेरे मामा और कुछ और लोग बैठे हुए थे।
मामा ने मुझे देखा तो कहा- बेटा, ज़रा पानी पिला देना।
मैं किचन में पानी लेने गया तो देखा बाथरूम के बाहर जो किचन के सामने ही था, भाभी नहाकर निकली थीं, भाभी ने उस वक्त सिर्फ़ ब्रा और पेंटी ही पहनी हुई थी और बाकी बिल्कुल नंगी थीं।
उनका गरम जिस्म.. आह्ह.. क्या बताऊँ.. वो बिल्कुल बिपाशा बसु जैसी लग रही थीं। मेरा मन कर रहा था कि भाभी को अभी पकड़ कर चोद दूँ… लेकिन मैंने कंट्रोल किया।
भाभी ने भी मुझे देख लिया और जल्दी से वो वापस बाथरूम में चली गईं।
मैं किचन में से पानी लेकर बाहर आया, कुछ देर बाद मैं अपने घर चला गया।
इस बात को लेकर मैं कुछ दिनों तक उनके घर नहीं गया कि कहीं कोई लफड़ा न हो जाए।
कुछ महीनों बाद मेरा किसी से झगड़ा हो गया था.. तो उस आदमी ने मुझ पर पुलिस केस कर दिया। उस दिन मुझे लग रहा था कि कहीं कोई पुलिस का चक्कर न हो जाए। मेरे मामा के लड़के ने मुझसे कहा- तू मेरे घर पर जा कर सो जा। मैंने कहा- ठीक है।
रात को मैं उसके घर चला गया। खाना आदि ख़ा कर हम सभी सोने की तैयारी कर रहे थे। मैं और मेरा भाई बेड पर थे, भाभी नीचे ज़मीन पर सो रही थीं।
आज भाभी ने अपने कपड़े चेंज करके पिंक कलर की नाइटी पहन ली थी, जो काफ़ी झीनी थी। उसमें से उनका सारा जिस्म दिख रहा था। भाभी को देख कर मैंने रात को 3 बार मुठ मारी.. तब जाकर नींद आई और मैं सो पाया।
सुबह भाई काम पर जल्दी चले गए। मुझे ज़ोर की पेशाब लगी थी.. तो मैं सीधा बाथरूम में चला गया और लंड निकाल लिया।
अभी मैं मूतना शुरू करने ही वाला था कि मैंने देखा कि भाभी पहले से बाथरूम में नहा रही थीं।
भाभी ने मुझे देखा कि मैं हाथ में लंड लेकर खड़ा हूँ.. तो उन्होंने कहा- क्या काम है? मैंने कहा- पेशाब करनी है। भाभी ने कहा- कर लो.. मैं घूम जाती हूँ।
वो घूम गईं.. और मैं पेशाब करने लगा। तभी मैंने देखा कि उनकी गांड कैसी मस्त और कड़क दिख रही थी।
अभी मैं पेशाब करके पैंट में लंड डालकर अपनी ज़िप बंद ही कर रहा था कि मेरे लंड की चमड़ी जिप में फंस गई और मेरी चीख निकल गई- उम्म्ह… अहह… हय… याह…
भाभी ने पलट कर देखा और कहा- क्या हुआ? मैंने दर्द से कराहते हुए कहा- ये फंस गया..
मेरी आँख में से आँसू निकल आए। भाभी मेरे करीब आईं और वो लंड देख कर शर्मा गईं। वो बोलीं- ये क्या किया? चूंकि वो भी पूरी नंगी थीं.. तो उन्होंने शर्माते हुए कहा- रूको.. मैं निकाल देती हूँ।
उन्होंने ने मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ लिया और पैंट की जिप को हल्के से खींचा.. तो लंड तो निकल गया लेकिन मेरे लंड की चमड़ी थोड़ी छिल गई। भाभी ने कहा- तुम अन्दर कमरे में जाओ.. मैं आती हूँ। मैं बाहर आ गया।
थोड़ी देर में वो कपड़े पहन कर आईं। मैं दर्द के मारे अपना लंड पकड़ कर मसल रहा था। उन्होंने कहा- लाओ, मैं मलहम लगा देती हूँ। मैंने कहा- नहीं भाभी.. ठीक है.. उन्होंने कहा- क्या ठीक है.. लाओ अब शरमाओ मत.. मैं तुम्हारी भाभी ही हूँ।
मैंने लंड को भाभी के हाथ में दे दिया। भाभी ने बड़े प्यार से लंड सहलाया तो मेरा लंड टाइट होने लगा।
भाभी ने इठलाते हुए कहा- देवर जी लगता है तुम बड़े हो गए हो.. आपकी शादी कर देनी पड़ेगी। मैंने- क्यों भाभी.. कैसे लगा.. क्या हुआ? भाभी बोलीं- आपका ये तो बहुत बड़ा हो गया है। मैंने मस्ती करते हुए कहा- ये क्या? उन्होंने कहा- चलो हटो जाओ.. मुझे नहीं पता। मैंने कहा- भाभी प्लीज़ बताओ ना। तो उन्होंने कहा- आपका लंड..
इतना सुनते ही मेरा रोम-रोम खड़ा हो गया। मैंने भी भाभी से कहा- आपके भी तो बड़े-बड़े हैं। उन्होंने कहा- क्या बड़े-बड़े हैं? मैंने कहा- आपके चूचे। वो हँस दीं।
मैंने अनजान बन कर पूछा- भाभी ये बड़े कैसे हो जाते हैं.. पहले तो आपके छोटे थे.. अब बड़े कैसे हो गए? अब भाभी भी थोड़ा खुल कर बात कर रही थीं। उन्होंने कहा- आपके भाई रोज़ दबाते जो हैं.. इसलिए! मैंने कहा- उसे तो बड़ा मज़ा आता होगा है ना.. काश मुझे आप जैसी कोई मिल जाए। तो भाभी ने कहा- क्या आपने अभी तक किसी के नहीं दबाए? मैंने कहा- नहीं..
तो भाभी ने दुपट्टा हटाया और कहा- लो दबा लो। मैंने झट से अपना हाथ उनके मम्मों पर रख दिया। आह्ह.. क्या कड़क चूचे थे। मैं उनके कुरते के ऊपर से ही चूचियों को जोर-जोर से दबाने लगा।
भाभी भी कामवासना से मस्त होने लगीं और ‘आहें..’ भरने लगीं। इतने में नीचे से आवाज़ आई और भाभी जाने लगीं।
दोस्तो मेरी ये कहानी आपको पसंद आ रही होगी.. आप मुझे मेल कीजिए।
[email protected] भाभी की जवानी की कहानी जारी है।
फ्री सेक्स कहानी का अगला भाग : भाभी की मदमस्त जवानी और मेरी ठरक-3
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