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यह सेक्स कहानी सविता भाभी की उस चुदाई की है.. जब वो सौन्दर्य प्रतियोगिता जीत चुकी थीं और पुरूस्कार में ट्रॉफी के अतिरिक्त दो दिन किसी हिल स्टेशन पर बिताने का मौका भी दिया गया था।
सविता ने अपने पति अशोक से इस बारे में बात की और किसी हिल स्टेशन पर चलने के लिए कहा- अशोक, सौन्दर्य प्रतियोगिता का पुरूस्कार आ गया है.. इसमें हिल स्टेशन पर दो रात रुकने की व्यवस्था है। अशोक- हम्म..
सविता ने चहकते हुए कहा- इस महीने में हम कभी भी जा सकते हैं। अशोक- लेकिन इस महीने मैं बहुत व्यस्त हूँ.. सावी, मैं नहीं जा पाऊँगा.. तुम अपने साथ अपनी किसी सहेली को ले जाओ। सविता – ओह्ह अशोक.. चलो मैं अपने साथ उसी सहेली को ले जाती हूँ, जो मुझे इस प्रतियोगिता में ले गई थी।
इस तरह सविता भाभी का घूमने जाने का प्रोग्राम बन गया और उन्होंने अपने साथ अपनी सहेली शोभा को ले जाना तय कर लिया और एक सफ्ताह बाद वे दोनों ट्रेन से जाने के लिए प्लेटफार्म पर पहुँच गईं।
सविता भाभी की सहेली शोभा भी बहुत उत्साहित थी.. वो सविता भाभी से कह रही थी- सविता, मुझे अपने साथ ले जाने के लिए धन्यवाद.. हम दोनों खूब मजे करेंगे।
भाभी और उनकी सहेली प्लेटफार्म पर बैठ कर हिल स्टेशन जाने वाली ट्रेन के आने का इन्तजार करने लगीं।
तभी एक व्यक्ति ने सविता भाभी को पहचान लिया और वो सविता से कहने लगा- क्षमा करें.. वो सौन्दर्य प्रतियोगिता आपने ही जीती थी न.. आप सविता जी ही है न.. क्या मैं ठीक कह रहा हूँ?
सविता तो उस व्यक्ति से कुछ भी बात करना नहीं चाहती थी लेकिन उनकी सहेली कुछ अधिक ही उत्साहित थी, उसने उस व्यक्ति से बड़े ही चहकते हुए अंदाज में कह दिया- हाँ हाँ.. ये वही हैं.. असल में हम दोनों प्रतियोगिता के पुरूस्कार का आनन्द उठाने ही इस हिल स्टेशन पर जा रही हैं।
वो व्यक्ति भी ठरकी किस्म का था, वो भी सविता भाभी का सानिध्य पाना चाहता था.. इसलिए वो बोला- वाह.. मैं भी हिल स्टेशन जा रहा हूँ.. और शायद हम लोग एक ही गाड़ी से जा रहे हैं। यह एक बहुत ही मादक रमणीक स्थल है। क्या आप दोनों अकेली जा रही हैं?
सविता उस व्यक्ति से पीछा छुड़ाना चाहती थी, अभी वे ‘न.. न..’ ही बोल पाई थीं कि उनकी सहेली ने अकेले जाने का भेद खोल दिया- हाँ.. बस हम दोनों ही हैं.. इकट्ठे यात्रा करने में मजा आएगा, हम खूब मजे करेंगे। ‘हाँ खूब मजे करेंगे..’ उस व्यक्ति ने भी चहकते हुए कहा।
सविता अपनी सहेली की मूर्खता पर पछताने लगीं कि यह लड़की एकदम चूतिया है। वे सोचने लगीं कि मुझे समझ में आ रहा है कि आदमी क्या सोच रहा है।
सविता भाभी के दिमाग में उस ठरकी आदमी की सोच मूर्त रूप लेने लगी कि यह आदमी उन्हें नंगा देखना चाहता है। हम दोनों के ऊपरी वस्त्रों को खोल कर मम्मों का नजारा करेगा और कहेगा- वाह मैडम.. आपके स्तन कितने सुन्दर हैं.. इन्हें चूसने में बहुत मजा आएगा।
फिर ये मेरे मम्मों को चूसेगा और मुझे गर्म होकर इसके लंड को भी सहलाना पड़ेगा।
‘आह्ह.. सविता तुम्हारे मम्मे कितने रसीले हैं.. मेरा लंड खड़ा हो गया है.. मेरे लंड को ठीक से दबाओ न.. इसे जोर से मसलो.. अहह..’
अभी सविता भाभी के दिमाग में यही सब चल रहा था कि तभी ट्रेन की तेज सीटी बज उठी और सविता भाभी एकदम से होश में आ गईं- चलो चलो.. गाड़ी आ गई है.. अपना कोच ढूँढो।
सविता और उनकी सहेली एक डिब्बे में घुस गई- लगता है अपना कोच यही है।
ये दो बर्थों वाला कूपा था। अपनी सीट पर व्यवस्थित होने के बाद सविता भाभी की सहेली शोभा ने कहा- जिस डिब्बे में वो व्यक्ति चढ़ा है.. उसमें मैंने अपनी सहेली को भी चढ़ते हुए देखा है। मैं अभी उससे मिल कर आती हूँ।
उधर उस कोच में सविता भाभी की सहेली की सहेली अपनी बहनों और एक भाई जय के साथ थी। वहाँ वो चिपकू व्यक्ति भी था जिसके कारण सविता की सहेली को समझ में आ गया कि यह आदमी घटिया किस्म का है और वो अपनी सहेली के भाई बहन समेत सविता भाभी के पास आ गई।
‘सविता, इनसे मिलो, ये मेरी सहेलियां हैं मेघना और रोशनी.. इनके साथ ये इनका भाई जय है।’ ‘हाय..’ ‘हाय..’ सभी लोग बैठ गए।
फिर अन्ताक्षरी खेलने का मूड बन गया और सभी अन्ताक्षरी खेलने लगे। खेल में एक मौका ऐसा आया कि सविता भाभी को ‘क’ शब्द से गाना पड़ा.. तो सविता ने गाया- कु कु कु.. चोली के पीछे क्या है.. चोली के पीछे..
मेघना का भाई जय सविता भाभी को कामुक निगाहों से देखने लगा। इस गाने के बाद सविता ने जय की नजरों को पढ़ा.. तो उनकी समझ में आ गया कि ये तो वास्तव में मेरी चोली में घुस कर देखना चाहता है कि मेरी चोली के भीतर क्या है।
अब सविता भाभी की चूत भी फड़क उठी थी वे सोचने लगी थीं.. कि काश जय जैसे कड़ियल मर्द को वे अपनी चूचियां दिखा पातीं।
काफी देर तक इन सभी ने मस्ती की, फिर शोभा की सहेली रोशनी को नींद आने लगी, उसने जम्हाई लेते हुए कहा- चलो यार, अब नींद आ रही है, अब अपने डिब्बे में वापस चलें।
मेघना बोली- अरे यार इतनी जल्दी.. थोड़ी देर और गपशप करते हैं।
सविता ने अपनी सहेली शोभा से कहा- तुम ही क्यों नहीं चली जातीं इनके डिब्बे में? वहीं गपशप करना और वहीं सो जाना। इधर जय तुम्हारी वाली बर्थ पर सो जाएगा।
उन सभी सहेलियों को भाभी की सलाह जंच गई और वे सभी सविता की बात पर राजी हो कर दूसरे डिब्बे में चली गईं। अब सविता भाभी और जय ही इस कूपे में रह गए थे।
सविता भाभी को मस्ती चढ़ने लगी थी, उन्होंने जय से पूछा- जय तुम कैसे सोना चाहोगे..? ऊपर चढ़ोगे या नीचे ही रहोगे? जय सविता भाभी की दोअर्थी बात सुन कर हकलाने लगा- मैं.. अं..उन्ह.. आंन..
सविता भाभी ने मुस्कुराते हुए कहा- अरे यार मेरा मतलब कि तुम कौन सी वाली बर्थ पर सोना चाहोगे? ऊपर वाली या नीचे वाली? शायद तुम लड़कियों से शर्माते हो.. है न..!
जय सविता भाभी की मुस्कराहट में खोता जा रहा था।
इस खेल को और आगे बढ़ाने की सोचते हुए सविता भाभी ने जय को अपनी दूध घाटी के मादक दीदार करवा दिए। सविता भाभी ने जय की तरफ अपनी मम्मों को उठाते हुए कहा- अभी कुंवारे हो..! ‘ज..जी हाँ..’
बस अब सविता भाभी ने इस कोरे लंड को अपनी चूत में लेने के लिए चालें चलना शुरू कर दीं। ‘अभी सेक्स नहीं किया है.. कैसे काम चलाते हो.. क्या मुठ मारते हो..?’
ये सब सविता भाभी की चित्रकथा में इतने अधिक कामुक ढंग से प्रस्तुत किया गया है कि उसका लाख वर्णन करना चाहें तो वो नहीं लिखा जा सकता है, जो जय और सविता भाभी के बीच में हुआ था।
किस प्रकार सविता भाभी जय को अपने मोहिनी रूप जाल में फंसा कर उसके लंड के साथ चूत चुदाई का खेल खेलती हैं इस सभी को देख कर पढ़ने के लिए आप सभी का भाभी की अपनी साइट savitabhabhi.vip पर स्वागत है।
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