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प्रणाम दोस्तो.. आप सभी को मेरा प्यार भरा नमस्कार। मेरा नाम सचिन है। मेरी उम्र 22 साल है और मैं मुंबई का रहने वाला हूँ। मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। काफ़ी समय पहले मेरी हिंदी सेक्स स्टोरी ज्योमेट्री के साथ सेक्स के 3 भाग प्रकाशित हुए थे। आज मैं एक नई और सच्ची कहानी लेकर आया हूँ।
मुझे पिकनिक, ट्रेकिंग आदि का बहुत शौक है, नई जगहों पर जाना.. घूमना वहाँ रहना, उस जगह की खोज करना मुझे बहुत पसंद है। मैं, ये दुनिया जितनी हो सके.. उतनी देखना चाहता हूँ। मेरे इस शौक के बारे में मेरे घर के सब लोग और सभी दोस्त जानते हैं। कभी-कभी वो भी मेरे साथ चलते हैं। वैसे मैं अकेला या सिर्फ एक पार्टनर के साथ घूमना पसंद करता हूँ।
एक दिन मेरे पापा के दोस्त अपनी बेटी के साथ मेरे घर आए हुए थे। उसी वक़्त मैं ट्रेकिंग से घर पहुँच गया। मुझे देखकर पापा ने मेरी मुलाकात करवा दी की- ये संजय अंकल हैं। संजय मेरे साथ पुरानी कंपनी में काम करते थे। अब ये बड़ौदा में सैटल हो गए थे.. पर अब फिर से मुंबई आए हैं।
फिर पापा उस लड़की की तरफ बढ़े, उसकी 5 फुट 4 इंच की हाइट, ब्रॉउन बाल, उभरे हुए स्तन, लगभग मेन्टेन लड़की थी। उसने ग्रे कलर का टॉप और जीन्स पहना हुआ था, एकदम मस्त और हाई स्टेटस वाली लड़की लग रही थी।
मैं उसकी तरफ देखे जा रहा था और पापा कुछ कह रहे थे ‘यह सपना है.. इनकी बेटी, अभी लास्ट इयर बी.कॉम. में है। यह भी अब मुंबई में ही रहेगी.. लेकिन इसे मुंबई की जानकारी नहीं है.. जरा इसकी मदद कर देना।
मैंने ‘हाँ’ में सर हिला दिया और फ्रेश होने मेरे कमरे में चला गया। मैं सोच रहा था, इसकी मदद करना मतलब मेरे लिए दोस्तों में उछलने का अच्छा मौका है।
मैं फ्रेश होकर बाथरूम से बाहर आया तो देखा कि वो मेरे कमरे में मेरे कंप्यूटर के पास बैठी है। मैं सिर्फ टॉवल में था और मेरे कपड़े बिस्तर पर रखे हुए थे। मैं भी अनजान बनकर आगे बढ़ा और आवाज करता हुआ आया।
उसने मेरी तरफ देखा तो मैंने चौंक कर कहा- अरे तुम.. यहाँ..! उसने मुझे सर से पाँव तक देखा और शर्मा गई। ‘ओह्ह.. सॉरी..’ उसने कहा और अपना चेहरा दूसरी ओर घुमा दिया।
मैंने भी कपड़े उठाए और थोड़ा बाजू हट गया, टी-शर्ट और हाफ पैंट पहनकर मैं फिर मेरी टेबल की तरफ आया।
उसने बातों की शुरूआत की- एक्चुली मेरे डॉक्यूमेंन्ट मुझे मेल करने थे, अंकल ने मुझे कंप्यूटर चालू करके दिया, बस वही कर रही थी। मैंने भी कहा- नो प्रॉब्लम.. मैंने बात को आगे बढ़ाया- तुम मुंबई कब आई? ‘अभी बस 4 दिन हुए, वो भी कॉलेज के एडमिशन में चले गए।’ ‘ओह.. कौन सा कॉलेज?’ मैंने पूछा। ‘एस.एन.डी.टी..’ ऐसी साधारण बातें ही हुईं।
इतने में मेरी मम्मी चाय लेकर आ गईं। चाय रखते-रखते मम्मी ने कहा- जो कपड़े धोने है.. वो बैग से निकाल कर रख दे। इतना कह कर मम्मी चली गईं।
उसने मुझसे पूछा- ट्रेकिंग के लिए कहाँ गए थे? मेरे जवाब के साथ-साथ वो सब बातें शुरू हो गईं और हम 15 मिनट तक बातें ही करते रहे। उसने जाते-जाते कहा- कभी पिकनिक के लिए मुझे भी साथ ले जाना, मुझे भी घूमना पसन्द है।
कुछ दिन बीत गए और सपना का कॉलेज शुरू हो गया। मैंने उसकी बहुत मदद की थी, तो इस दौरान हमारी दोस्ती भी गहरी होती चली गई। अब हम एक-दूसरे को अच्छे से जानने लगे थे। वो एस.एन.डी.टी नाम के लेडीज स्पेशल कॉलेज में पढ़ रही थी, तो उसके कोई मेल दोस्त भी नहीं थे।
मैं तो अपने दोस्तों में भाव खा रहा था, तो मैंने भी मेरे किसी दोस्त की पहचान उससे नहीं करने दी।
एक दिन मैं फिर से पिकनिक के लिए माथेरान जाने का प्लान बना रहा था.. तो वो भी साथ चलने को पूछने लगी। मैंने उसे मेरी पिकनिक की शर्तें बताईं। वो अकेले ही मेरे साथ चलने को मान गई। उसके घर पर उसने बताया कि हम दोनों पिकनिक पर जा रहे हैं, उसने अपने सहेलियों के भी नाम बताए और मेरे दोस्तों के भी। उसे किसी ने मना नहीं किया।
उसके साथ माथेरान घूमना मतलब दोस्तों में और भाव खाने वाला था। हालांकि मेरे दिमाग में अभी तक कोई भी गलत बात नहीं थी।
हम पिकनिक चल पड़े.. माथेरान एक हिल स्टेशन है और हम लोग बारिश के मौसम में जा रहे थे।
इस बार सपना के साथ होने के कारण मैं उसके साथ वहाँ जाने वाला था। मुंबई से लोकल का एक घंटे का सफर करके नेरल और फिर ट्रेन और टैक्सी का सफर करके हम माथेरान गेट पर पहुँच गए।
यह एक नो-पॉल्यूशन एरिया है, माथेरान में घूमने के लिए कोई भी गाड़ी नहीं है, वहाँ चलकर या घोड़े पर बैठकर ही जाना पड़ता है। तक़रीबन एक घंटा चलने के बाद हम मार्केट पहुँच गए, वहाँ मैंने एक लॉज बुक किया हुआ था।
हम फ्रेश होकर खाना खाने और घूमने निकल पड़े।
जब हम घूम रहे थे तो हमें बहुत से कपल हाथ में हाथ डालकर घूमते हुए और किस करते हुए दिखाई दिए। सपना बस मेरे पास देखकर मुस्कुरा देती और हम आगे बढ़ते रहते थे।
खंडाला पॉइंट, पँथर्स केव्स, लॉर्ड पॉइंट, मंकी पॉइंट, शार्लोट लेक, ये सब हमने देख लिए। बहुत बारिश हो रही थी.. तो ठण्ड भी लग रही थी। विंडशीटर पहने के बावजूद हम भीग चुके थे।
जैसे कि हिल स्टेशन पर मंकी ज्यादा होते हैं, यहाँ भी हैं। जब हम शार्लोट लेक देख रहे थे.. तो वहाँ एक और नजारा देखने को मिला। एक बन्दर एक बंदरिया पर चढ़ रहा था। थोड़ा देर सेक्स करने के बाद बन्दर का माल निकल गया तो उसने हाथ में लगा सब खा लिया।
मेरी चिकित्सक बुद्धि से मैं ये खेल देख रहा था। मैंने सब अपने कैमरे में कैद कर लिया। यह सेक्स कला बंदरों से ही अनुदानित है.. यह मैं सोचता रहा। मैंने सपना को देखा तो उसने अनजान बनने का नाटक किया।
लगभग पांच घंटे पैदल घूमने के बाद हम खाना खाकर लॉज पर लौटे। हम दोनों फ्रेश होकर सोने के तैयारी में लग गए। उसने नाईट गाउन पहना हुआ था और मैं हाफ पैंट और टी-शर्ट में था। नाईट गाउन में वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी।
मेरे दिमाग में उसे चोदने के ख्याल आने लगे थे पर मैंने खुद को रोक लिया। मैंने दो बेड वाला रूम बुक किया था। बारिश की वजह से हम ज्यादा थके नहीं थे, पर बहुत ठण्ड लग रही थी।
हम बातें करने लगे और वो बात करते-करते कैमरा में फोटो देख रही थी। इतने में वो बन्दर वाली वीडियो चालू हो गई। कैमरे उसके हाथ में ही था लेकिन उसने वीडियो नहीं बदला। मैं भी देखता रहा, मुझसे रहा नहीं गया मैं उससे और ज्यादा चिपकने लगा।
उसने भी इंकार नहीं किया तो मैं और आगे बढ़ा और उसके गालों पर चूम लिया और दूसरे ही पल में उसके होंठों को चूम लिया। मैंने उसका चेहरा मेरे हाथ से इतने जोर से पकड़ा था कि वो उसे चाहती तो भी छुड़ा नहीं पाती।
हम दोनों एक ऐसी हालत में थे कि हम दोनों क्या कर रहे हैं.. हमें ही पता नहीं था। वो भी मेरा साथ देने लगी और हम ऐसे ही दस मिनट तक एक-दूसरे के होंठों को चूसते चूमते रहे। मेरे हाथ उसके बदन पर चल रहे थे, मैंने कपड़ों के ऊपर से ही उसके मम्मे दबाना शुरू किए। वो गर्म हो रही थी और बिना कुछ कहे मुझे सहमति दे रही थी।
मैंने उसका गाउन उतारा तो उसने अन्दर सिर्फ पेंटी पहनी हुई थी। उसके मम्मे मेरे सामने खुले हो गए और मैंने उन्हें लपक लिया। मैं उसके मम्मे चूसने और दबाने लगा। उसके मुँह से ‘सीssहsss.. सीsssहss..’ की आवाज आ रही थी।
मैं एक हाथ उसकी पेंटी पर ले गया और ऊपर से ही उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा। उसकी आवाज तेज हो रही थी। मैं यही फोरप्ले कुछ मिनट तक करता रहा और उसकी पेंटी भी उतार फेंकी। अब वो मेरे सामने पूर्ण नग्न अवस्था में थी।
अहह.. क्या चूत थी उसकी..! एकदम क्लीन शेव की हुई.. गोरी-गोरी और ब्रांड न्यू चूत मेरी नजरों के सामने थी।
फिर मैंने अपने भी कपड़े उतारे और मेरा खड़ा लौड़ा उसके हाथ में दे दिया। वो उसे हाथ में लेकर मसलने लगी और साथ में ही हम एक-दूसरे को किस कर रहे थे।
मैंने उसे लंड मुँह में लेने को कहा.. तो वो मना करने लगी, मैंने भी उसे ज्यादा फ़ोर्स नहीं किया। मैं अपना लंड हाथ से पकड़ कर उसकी चूत के मुँह पर ले गया और चूत की फांकों के बीच में रखकर रगड़ने लगा। वो कसमसा रही थी। उसके मुँह ‘एहे.. अहह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… सी अह्ह.. सी अह्ह्ह्ह…’ की आवाजें निकलना जारी थीं।
फिर मैंने लंड को उसकी चूत में फिट करके धक्का देने की कोशिश की.. पर वो छटपटाने लगी। मैंने उसकी कोरी चूत में अपना लंड ठेलने से पहले स्कार्फ़ नीचे बिछा दिया और उसके दोनों हाथों को पकड़ लिया। फिर इसके बाद उसके मुँह पर अपने मुँह को दबाकर मैंने जोरदार धक्का लगाया, मेरा लंड उसकी चूत को चीरते हुए अन्दर चला गया।
वो जोर से चीखना चाहती थी.. पर उसकी चीख मेरे होंठों के कारण दबकर रह गई।
कुछ पल रुक कर मैंने उसे छोड़ा और थोड़ा सा लंड बाहर निकाला तो लंड के साथ खून भी बाहर निकल आया।
मैंने उसे कुछ पता चलने से पहले उसके मम्मे फिर से दबाने शुरू कर दिए और उसे थोड़ा शांत होने दिया।
कुछ देर बाद मैंने फिर से लंड को उसकी चूत में पेला और हल्के-हल्के धक्के देने लगा। उसकी कमजोर पड़ती आहों को देख कर इस बार मैंने एक जोरदार झटके में मेरा पूरा लंड उसके चूत में घुसेड़ दिया। उसे फिर से दर्द हुआ.. तो उसके दर्द को समझकर मैंने फिर से एक बार धक्के रोके.. और लंड के चूत में सैटिल होने के बाद फिर से धक्के लगाना शुरू किए।
वो भी अब थोड़ा-थोड़ा उछल कर मजा ले रही थी, उसके मुँह से ‘अह्ह्ह्ह.. अह्ह्ह्ह..’ की आवाजें आ रही थी।
दस मिनट तक चोदने के बाद मैं झड़ गया और मैंने सारा माल उसकी चूत के ऊपर ही निकाल दिया। इस दौरान वो दो बार झड़ चुकी थी।
कुछ देर बाद मैंने लंड निकाला और उसे उठाया। उसे अपनी बांहों में लेकर चुम्बन किया और उसे फ्रेश होने के लिए छोड़ दिया।
मेरी कहानी कैसे लगी, मुझे जरूर बताइएगा। [email protected]
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