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अन्तर्वासना के सभी पाठक और पाठिकाओं को मैं प्रीति सिंह चूत खोलकर नमस्ते करती हूँ। मुझे आप लोगों का बहुत ज्यादा प्यार मिला है इसलिए मैं एक बार फिर से सभी लंडधारकों के लंड को मुँह में लेकर उनका स्वागत करना चाहती हूँ। मैं अपनी प्यारी भाभियां आंटियां और मेरी सहेलियों की चूत चूस चाटकर उन सभी का भी स्वागत करती हूँ।
नए पाठकों को एक बार फिर बता दूँ कि मेरा नाम प्रीति सिंह है और मैं मथुरा से हूँ। दोस्तों मुझे आप लोगों के मेल.. नई कहानी लिखने के लिए लगातार मिल रहे थे।
आप सभी लोग तो जानते हैं कि मैं केवल सच्ची घटना लिखती हूँ। तो मैं आप लोगों के लिए एकदम नई घटना लेकर आई हूँ.. जो मेरे साथ हुई है, वो मैं आपको सुनाती हूँ।
तो सभी पाठक, जिनके लंड हैं वे लोग अपने लंड को पकड़ लें और जिनकी चूत हैं वो पेंटी में हाथ डाल लें। क्योंकि आपका आपको बहुत मज़ा आने वाला है।
दोस्तो, मेरे भाई की तो शादी हो चुकी है इसलिए भाई अपनी पत्नी को लेकर दिल्ली में रहता है। मेरी चूत ज्यादातर प्यासी ही रहती है। आपको तो मालूम ही है कि बस एक बार चूत को लंड की खुशबू लग जाए ना.. तो वो केवल लंड माँगती है.. चाहे वो किसी का भी हो।
भाई बहुत कम घर आता था, वो जब आता था.. बस तभी चुदाई हो पाती थी।
अब मैं भी चूत की खुजली से बहुत परेशान रहने लगी थी। मुझे भी लंड की भूख लगती थी। इसी वजह से मैं अपना ज्यादातर समय अन्तर्वासना पर हिंदी सेक्स स्टोरी पढ़ कर गुजारती थी। इस तरह से मैं बस अपनी चूत में उंगली करके काम चलाती थी। बाहर के किसी लंड पर मुझे भरोसा नहीं था।
हमारी कॉलोनी के बहुत से लड़के मुझे पटाने के हथकंडे आजमाते रहते थे.. पर मैं किसी से नहीं पट रही थी। फ़ोन पर जरूर चैटिंग करके अपनी प्यास हाथ से बुझा लेती। चैटिंग पर मुझे लड़के अक्सर अपना मोबाइल नंबर देने और मिलने को कहते मगर मैं सबको मना कर देती।
मुझे एक लड़के के लगातार मेल आ रहे थे। फिर मैंने उस से बात करना चालू किया। काफी दिन बात करने के बाद वो मेरा अच्छा दोस्त बन चुका था। वो दिल्ली से था और अमीर परिवार से था। उसने मुझसे कहा- मैं आपसे मिलना चाहता हूँ। मगर मैंने मना कर दिया।
हम दोनों काफी बातें करने लगे थे। एक दिन उसने मुझसे कहा- मैं मथुरा आने वाला हूँ। आप मुझसे मिलने आओगी? मैंने कहा- देखेंगे।
कुछ दिन के बाद वो मथुरा आया, उसने मुझे बताया- मैं मथुरा में ही हूँ, मैं आपसे मिलना चाहता हूँ।
मैं जानती थी कि वो मुझे चोदना चाहता है, फिर मैंने भी सोचा लंड लिए बिना बहुत दिन हो गए हैं। चलो एक नए लंड का स्वाद चख ही लेते हैं। मैं आपको उस लड़के के बारे में बता दूँ, वो 27 साल का था, मैं उससे वीडियोकॉल पर मिल चुकी थी। इसलिए उसकी बॉडी और उसका चेहरा मुझे उससे मिलने को मजबूर कर रहा था।
मैंने उससे उसका फ़ोन नंबर लिया और उसे फ़ोन करके बता दिया- ठीक है.. मैं कल तुमसे मिलने आती हूँ। वो बहुत खुश हुआ।
रात को भी हमने फ़ोन पर बहुत बातें की और सुबह होते ही में नहाते समय अपनी झांटें आदि साफ़ कर लीं। मैं पूरी तरह सज-संवर कर उससे मिलने के जाने लगी।
मैंने मां को बोल दिया- मैं अपनी सहेली के साथ शॉपिंग पर जा रही हूँ.. शाम तक घर आ जाऊँगी। मैं घर से निकल पड़ी और रास्ते में ही उसको फोन कर दिया।
उसे मैंने एक रेस्तरां में बैठने के लिए कहा और कहा- मैं ही वहाँ आ कर फोन करूँगी।
थोड़ी देर बाद मैं वहाँ पहुँच गई.. उसने मुझे पहचान लिया और इशारे से अपने पास बुला लिया। मैं उसके पास बैठ गई वहाँ हमने हल्का सा खाना खाया और वहाँ से उसकी कार में बैठ कर चल दिए।
मैंने उससे पूछा- अब हम कहाँ जा रहे हैं? तो उसने कहा- मेरे फ्लैट पर। ‘तुम्हारे फ्लैट पर..?’ उसने बताया- मैंने अभी कुछ दिनों पहले यहाँ नया फ्लैट लिया है।
हम दोनों उसके घर पहुँचे। मुझे एहसास हो चुका था कि अगर मैं इसके घर पहुँच गई हूँ तो आज मैं जरूर चुदने वाली हूँ।
मैं गाड़ी से उतर कर उसके पीछे-पीछे चल पड़ी। फ्लैट के अन्दर जाकर उसने मुझे पूछा- तुम क्या पियोगी प्रीति? मैंने कहा- कुछ नहीं..! बस मुझे थोड़ा जल्दी जाना है! वो बोला- नहीं ऐसे नहीं..! इतनी जल्दी नहीं.. अभी तो हमने अच्छे से बातें भी नहीं की हैं। मैंने कहा- अब तो मैंने तुम्हें अपना फोन नम्बर दे दिया है, रात को जब जी चाहे फोन कर लेना.. मैं अकेली ही सोती हूँ। ‘प्लीज़.. थोड़ी देर बैठो तो सही..!’
मैंने कुछ नहीं कहा और सोफे पर बैठ गई। वो जल्दी से जूस ले आया और मुझे देते हुए बोला- यह जूस ही पी लो। मैंने वो जूस ले लिया।
वो मेरे पास बैठ गया और हम इधर-उधर की बातें करने लगे। बातों ही बातों में वो मेरी तारीफ करने लगा, वो मुझसे कहने लगा- प्रीति, मैं तुम्हें चोदना चाहता हूँ.. मैंने तुम्हारी कहानी पढ़कर बहुत बार मुठ मारी है।
फिर उसने अपने होंठ मेरे होंठ पर रख दिए और मेरे होंठों को चूसना चालू कर दिया। उसके हाथ मेरी जांघ पर आ गए थे। वो धीरे-धीरे मेरी जांघों को सहला रहा था। अब मैं मदहोश हो रही थी। मगर फिर भी अपने ऊपर काबू रखने का नाटक कर रही थी.. जिसे वो समझ चुका था।
उसने हाथ ऊपर उठाना शुरू किया और उसका हाथ मेरे बाजू से होता हुआ मेरे बालों में घुस गया। मैं चुपचाप बैठी मदहोश हो रही थी और मेरी साँसें गर्म हो रही थीं।
उसका एक हाथ मेरी पीठ पर मेरे बालों में चल रहा था और वो मेरी तारीफ किए जा रहा था। फिर दूसरे हाथ से उसने मेरे गाल को पकड़ा और चेहरा अपनी तरफ कर लिया।
मैंने भी अपना हाथ अपने गाल पर उसके हाथ पर रख दिया। वो मेरे होंठों को जोर-जोर से चूसने लगा।
मैं सिसियाते हुए बोली- यह क्या कर रहे हो.. प्लीज ऐसा मत करो प्लीज.. वो बोला- नहीं.. प्रीति जी, मना मत करो.. एक बार तुम्हारे सुन्दरता का रस पीना चाहता हूँ.. एक बार पिला दो।
ऐसा कहते हुए उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने पास खींच लिया और मैं भी मस्ती में झूमती हुई उसके सीने से जा लगी। फिर वो वहीं पास पड़े सोफे पर मुझे लेकर बैठ गया और मेरी कुर्ती के ऊपर से मेरी चूचियाँ दबाने लगा।
आज सुबह से ही मेरी चूत चुदना चाह रही थी, मैंने भी एक हाथ से उसके लंड को पकड़ कर दबा दिया।
मेरे इतना करते ही उसने एक झटके में ही मेरी कुर्ती उतार दी और अगले ही पल मेरी ब्रा भी उतार दी। अब वो मेरी चूची पीने लगा। मैं भी अपने आमों को चुसाते हुए सिसकारने लगी।
वो चूमते हुए नीचे की ओर आते हुए मेरे मम्मों को दबाए जा रहा था। मेरी चूत पानी-पानी हो गई।
फिर उसने उठ अपने सारे कपड़े उतार फेंके और मेरी लैगी भी सरका दी और मेरी चूत पर मुँह रख कर चूत चाटने लगा।
मेरी चूत ने पहले से ही पानी छोड़ा हुआ था क्योंकि मैं स्वयं भी तो चुदना चाह रही थी, वो भी पूरी नंगी होकर.. मस्ती से शरीर को उसके हवाले करके जी भर कर अपनी प्यास बुझाना चाहती थी।
अब हम दोनों कुछ ही पलों में पूरे नंगे हो चुके थे। मेरा दिल फिर से लंड के चूत में घुसने के अहसास से धड़क उठा। उसने मुझे अपनी बाँहों में कस कर ऊपर उठा लिया और अब मैंने भी शर्म छोड़ दी, अपनी दोनों टाँगें उसकी कमर से लपेट लीं।
उसका लंड मेरी गांड पर फिर से छूने लगा। उसने मुझे सोफे पर पटक दिया। मैंने भी उसे झटके से पलट कर नीचे कर दिया और उस चढ़ बैठी और अपनी चूचियाँ उसके मुँह में ठूंस दीं ‘मेरा बच्चा मेरा दूध पी ले.. जोर से चूस कर पीना!’
मैंने उसके बालों को जोर से पकड़ लिया और चूचियाँ उसके मुँह में दबाने लगी। उसका मुँह खुल गया और मेरे रसीले चूचुकों को वो चूसने लगा।
मेरा हाल बुरा होता जा रहा था, चूत बेहाल हो चुकी थी और लंड लेने को तड़प रही थी, चूत का पानी चूत से रिसने लग था, लंड को निगलने के लिए चूत बिल्कुल तैयार थी।
उसने दोनों हाथों से मेरे चूतड़ भींच लिए, मेरी चूत के आस-पास उसका लंड रगड़ने लगा।
मैं थोड़ा सा नीचे सरक गई और लंड को चूत के मुँह पर अड़ा लिया। अब देर किस बात की बात की.. उसके लंड ने एक ऊपर की ओर उछाल मारी और मेरी चूत उसके लंड को निगल गई।
उसका मस्त लौड़ा ‘फ़च..’ की आवाज के साथ भीतर तक रास्ता बनाता हुआ जड़ तक बैठ गया। मैंने अपनी चूचियाँ उसके मुँह से निकालीं और अपने होंठ से उसके होंठ दबा लिए।
‘आह्ह्ह्ह ठोक दिया ना.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… ईह्ह्ह..’ मेरी चूत में उसके लंड का मीठा-मीठा अहसास होने लगा था।
‘आपका जिस्म कितना मस्त है.. चोदने लायक..’ उसके मुँह से ‘चोदना’ शब्द बड़ा प्यारा लगा। ‘हां.. ले लो मजा.. आह्ह..’ ‘रानी, तेरी चूत भी कितनी प्यारी है।’ यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
मैं उसके लंड पर अपनी चूत मारने लगी। लंड बहुत ही प्यारी रग़ड़ मार रहा था।
कुछ देर ऐसे ही चुदने के दौरान उसने मुझे ऊपर कर लिया। मैं सीधी बैठ गई और ‘धच’ से उसके लंड पर चूत मारी और खुद ही चीख पड़ी। मैं भूल गई थी कि उसका लंड मोटा और अधिक लंबा था, वो तो मेरी बच्चेदानी से जोर से टकरा गया था।
इस दर्द के साथ बहुत ही जोर का आनन्द भी आया ‘उई.. ईईसीओ.. सीसीईईईसीई चुद गई.. तेरे लंड से.. राजा बहुत मजा आ रहा है.. तू भी नीचे से मार ना चोद दे राजा मेरी चूत को फ़ाड़ दे आआहह.. सीईई.. राजा मैं आज सुबह से ही चुदासी हूँ.. चोदो ओर चोदो मोटे लंड से आह्ह.. मेरी प्यारी चूत को.. मादरचोद.. इस चूत को चोद डाल तू.. मुझे आज चोद-चोद कर निहाल कर दे..’
मैं गालियाँ बोल-बोल कर अपने मन की भड़ास निकाल रही थी। मेरे दिल को ऐसा करने से बहुत सुकून आ रहा था।
मैंने कुछ रुक कर फिर से ऊपर से चूत को फिर से उछाला और एक नया और सुहाना मजा लम्बे लंड का मिल रहा था। फिर तो ऊपर से ‘धचा..धच’ लंड के ऊपर अपने आप को पटकते चली गई। फिर मैं सीधी लेट गई, वो मेरी दोनों टांगों के बीच में बैठ गया और अपना लंड मेरी चूत के छेद में लगाकर एक जोरदार धक्का दे दिया, जिससे उसका पूरा लंड मेरी चूत की गहराइयों में उतर गया।
अब उसने मेरी दोनों टांगों को ऊपर उठा लिया और मेरी चूत की ताबड़तोड़ चुदाई करने लगा, पूरे कमरे में ‘फच.. फच..’ की आवाजें गूंजने लगीं। वह मेरी चूत पर खींच-खींच कर धक्के लगा कर मेरी चुदाई कर रहा था।
मैं उसके हर धक्के और उसके मजबूत लंड की चुदाई पाकर झड़ने के करीब पहुँच गई। मैं चूतड़ उठा-उठा कर उसके हर धक्के का जवाब देने लगी।
वह अपनी स्पीड और बढ़ा कर मेरी चूत चोदने लगा ‘आहह्ह्ह् उईईईईई.. न.. ईईईई.. स.. ईईईई मम्म ग्गईईई.. आहह्ह्ह..’ उसके हर धक्के पर मेरी चूत पिलपिला कर झड़ने लगी ‘आहह्ह्ह्.. मेरा हो गया.. तेरा लंड मस्त है रे.. मेरी चूत तू अच्छी तरह से बजा रहा है.. आहह्ह्ह् सीईईई..’
वह भी 20-25 धक्के मार कर अपने लंड का पानी मेरी चूत की गहराई में छोड़ने लगा और मेरे ऊपर ही लेट गया।
पांच मिनट बाद हम दोनों अलग हुए, मैंने अब उसको कहा- मुझे जाना है। वो मुझे कुछ पैसे देने लगा, तो मैंने लेने से मन कर दिया। फिर उसने मुझे शॉपिंग कराई और मैं अपने घर आ गई।
अब वो मेरा बॉयफ्रेंड बन चुका है।
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