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मेरा नाम रोनित है, मैं नरवाना का रहने वाला हूँ.. जैसा कि मैंने अपनी पहली कहानी में बताया था कि कैसे मैंने अपने सामने रहने वाली लड़की कोमल को चंडीगढ़ ले जाकर चोदा था।
अब मैं इससे आगे की कहानी आपके सामने रखता हूँ।
मैंने कोमल से सेक्स करने के बाद हम दोनों को फिर मिलने की इच्छा हुई। अब वो पढ़ने के लिए चंडीगढ़ गई हुई थी.. तो उसके लिए वहाँ से शिमला चलना कोई मुश्किल नहीं था।
हमने चंडीगढ़ बस स्टैंड पर मिलने का समय फिक्स किया था। मुझे नहीं पता था कि उसके साथ उसकी एक सहेली भी आएगी।
हम तीनों ने बस पकड़ी और शिमला के लिए चल पड़े। वहाँ जाकर हमने एक होटल में दो कमरे ले लिए ताकि मैं और कोमल एक कमरे में.. और उसकी सहेली संध्या दूसरे कमरे में रह सकें। क्योंकि मैं और कोमल जो करना चाहते थे, शायद उसे अच्छा न लगता।
हम तीनों रात को 8 बजे खाना खाकर अपने अपने कमरों में चले गए। मैं और कोमल सेक्स करने का मूड बनाने लगे, उसी वक्त हमारे कमरे के दरवाजे पर दस्तक हुई। मुझे लगा कि पता नहीं कौन है, मैंने दरवाजा खोलकर देखा तो संध्या थी।
वो बोली- बाहर से कोई मेरे कमरे को खटखटा रहा था। मैंने इस बात की शिकायत रिसेप्शन पर की और होटल वालों को समझा दिया कि कोई मैडम को परेशान न करे। मैंने संध्या को भी समझा दिया कि अब तुम आराम से सो जाओ।
फिर मैं अपने कमरे में आ गया और मैं और कोमल बिस्तर पर लेट गए।
अब मैंने कोमल के होंठों को चूमते हुए उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और फिर धीरे-धीरे उसके सारे कपड़े निकाल दिए। मैं कोमल के चूचों को मस्ती से चूसने लगा और कुछ मिनट चूचे चूसने के बाद मैंने अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया।
कुछ देर बाद हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए, अब मैं उसकी चूत को चाटने लगा और वो मेरा लंड चूस रही थी।
इस बीच उसकी चूत चूसने से वो झड़ गई और मैं भी उसके मुँह में झड़ गया। मेरे झड़ जाने के बाद भी उसने मेरा लंड चूसना नहीं छोड़ा.. जिस कारण से मेरे शरीर में अकड़न सी होने लगी और मेरा लंड एक बार फिर खड़ा हो गया।
अब मैंने उससे कहा- तुम डॉगी स्टाइल में लेट जाओ। तो वो बोली- नहीं ऐसे ही करते हैं। मैंने कहा- एक बार डॉगी स्टाइल में करते हैं, मजा आएगा।
वो मान गई और फिर मैंने उसके पीछे से उसकी चूत में लंड डाल दिया और उसको कई मिनट तक धकापेल चोदता रहा। वो झड़ गई और मुझे मना करने लगी तो मैंने उसकी गांड में अपना लंड पेल दिया। पर उसकी गांड कसी होने के कारण मैं दो मिनट भी नहीं टिक पाया और मैं उसकी गांड में ही झड़ गया।
इसके बाद उस रात हमने तीन बार जमकर चुदाई की और फिर हम दोनों नंगे ही सो गए। सुबह सात बज चुके थे। उसकी सहेली ने दरवाजा खटखटाया तो हम हड़बड़ी में उठे।
मैंने कपड़े पहने.. कोमल को बाथरूम में भेज दिया और गेट खोला।
संध्या कमरे में अन्दर आई और मुझसे मजाक करने लगी ‘लगता है रात भर सोये नहीं..’ मैंने भी कह दिया- यहाँ सोने के लिए थोड़े ही आए हैं.. सोते तो घर में भी हैं। इतने में ही बाथरूम से कोमल भी आ गई।
तभी संध्या ने पता नहीं कैसे पूछ लिया- रात को आपने बहुत कुछ किया.. अब ये तो बताओ कि कोमल की ब्रैस्ट का क्या साइज है? मैं उसके इस बिन्दास सवाल पर सकपका गया.. पर मैंने सँभलते हुए कहा- ब्रा यहीं पड़ी होगी.. तू खुद देख ले। फिर मैंने ब्रा देखे बिना कहा- इसकी ब्रैस्ट 36 साइज़ की है.. और तेरी कितनी है? वो बोली- मुझे नहीं पता।
मैंने कहा- क्यों तुम ब्रा नहीं पहनती क्या? वो बोली- पहनती हूँ। मैंने कहा- फिर भी नहीं पता.. कि तेरी ब्रा कितने नंबर की है? वो बोली- मालूम है.. 34 नम्बर की है।
मैंने कहा- अच्छा.. देखने से लगता तो नहीं है कि तुम्हें 34 नम्बर की ब्रा आती होगी। वो बोली- नहीं.. यही साइज़ की आती है। मैंने कहा- मैं कैसे मानूँ? वो बोली- मुझे क्या पता.. आप बताओ कैसे मानोगे?
मैंने कहा- हाथों में लेकर देखूँ.. तो पता चलेगा। वो शरारती स्माइल के साथ बोली- तो सीधा कहो न.. मेरे इन्हें छूना चाहते हो।
पास में खड़ी कोमल को शायद ये बुरा लग रहा था.. तो मैंने कहा- क्या हुआ कोमल.. नाराज सी लग रही हो.. तुम्हें अच्छा नहीं लग रहा क्या? कोमल ने कहा- ऐसी तो कोई बात नहीं है। फिर मैंने उसकी सहेली संध्या के चूचों को पकड़ कर देखा और कहा- मुझे नहीं लगता कि तेरी चूचियां 34 नम्बर की हैं।
संध्या को तो ऐसा लगा कि जैसे मैंने उसकी बेइज्जती कर दी, उसने जल्दी से अपनी कमीज उतार दी।
जब संध्या ने अपनी चूचियों का साइज दिखाने के लिए अपनी कमीज उतारी तो क्या हुआ जैसे उसने कमीज उतारी तो एक बार के लिए तो मैं भी भौंचक्का सा रह गया।
इधर संध्या के इस एक्शन पर कोमल भी सन्न रह गई.. पर मैंने लड़खड़ाती हुई आवाज में कहा- यह क्या कर रही हो? वो अपने मम्मों को मेरी तरफ तानते हुए बोली- अब देखो और बताओ कि ये क्या साइज है?
मैंने उसकी चूचियों को ब्रा के ऊपर से छुआ तो वाकयी 34 इंच की चूचियां लगीं।
जब मैंने उसके चूचों को छुआ तो मुझे वो बड़े नर्म और कोमल से लगे। मैंने हल्के से एक चूची को दबा दिया.. तो उसकी मद भरी सिसकारी सी निकल गई।
मुझे लगा कि शायद मेरा हाथ लगने से उसे मजा आया है.. तो मैंने एक बार फिर से उसके चूचे दबा दिए। उसे फिर से मजा आ गया और उसने अपनी आँखें बंद कर लीं।
मैंने कोमल की तरफ मुँह करके उससे पूछा- क्या ख्याल है?
कोमल कुछ नहीं बोली तो मैं समझ गया कि रास्ता साफ़ है। अब मैंने अनजान बनते हुए संध्या से पूछा- तुम्हें क्या हुआ? वो बोली- आप देख रहे हो या मुझे छेड़ रहे हो। मैंने भी कह दिया- तुझे क्या लग रहा है?
वो शर्मा गई तो मैं समझ गया कि ये भी यही चाहती है। अब मैंने बेहिचक उसे खींचकर अपनी बांहों में ले लिया और उसके होंठों को चूमने लगा। उसे मजा आ रहा था और वो भी मेरा जोरदार साथ दे रही थी।
इसी बीच मैंने उसके होंठों को चूसते हुए पीछे से उसकी ब्रा का हुक खोल दिया.. जिससे उसके चूचे बाहर आकर उछलने लगे। संध्या अपने मम्मों को छुपाने लगी।
मैंने कहा- अब क्या शर्माना मेरी जान.. आज तो मजे ले ही लो। यह कह कर मैंने उसका हाथ हटा दिया और उसे बिस्तर पर लिटाकर उसके चूचे चूसने लगा।
वो ‘आह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… आअह.. आअह..’ कर रही थी। मैं उसके चूचों को चूसता रहा और दबाता रहा।
फिर मैंने उसकी पैन्ट भी निकाल दी और उसकी पेंटी भी खींच कर उतार दी, अब वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी थी। मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए और फिर हम दोनों 69 की स्थिति में आकर चुसाई करने लगे।
पहले तो उसने मेरा लंड चूसने से मना कर दिया.. पर जब मैंने जोर दिया तो उसने लंड चूसना शुरू कर दिया।
पास में खड़ी कोमल ये सब देख रही थी। वो बोली- मैं क्या यहाँ खड़ी-खड़ी देखती रहूँ? मैंने कहा- आ जा रानी.. तू भी साथ में मजा ले ले।
मैंने संध्या को पलट दिया और उसकी चूत चाटने लगा और मैंने कोमल के मुँह में अपना लंड लगा दिया। कोमल मेरे लंड को चूसने लगी।
फिर जैसा कि पोर्न फिल्मों में भी देखने को मिलता है.. तो हम तीनों ने वैसा ही किया। मैं संध्या की चूत को चाट रहा था.. कोमल मेरा लंड चूस रही थी और संध्या कोमल की चूत चाटने लगी थी।
कुछ देर यूँ ही चलता रहा। फिर मैं उठा और संध्या की चूत पर अपनी लंड का सुपारा टिका दिया। उसकी आँखों में देखा कर मैंने धीरे से चूत में धक्का मारा तो वो चिल्ला पड़ी।
मैंने उसके होंठों को चूमते हुए उसकी चूत में एक जोर का झटका लगा दिया और इसी के साथ मेरा पूरा लंड उसकी चूत में पेल दिया।
अब मैं धीरे-धीरे संध्या को चोदने लगा, वो भी मजे लेकर चुदने लगी। मैं संध्या को चोदते हुए कोमल के होंठों को भी चूम रहा था और उसके चूचों को मसल रहा था।
कुछ मिनट तक संध्या को जम कर चोदा.. इस मस्त चुदाई के बीच संध्या झड़ गई। फिर अंत में मैं भी उसकी चूत में ही झड़ गया, उसके बाद मैं बिस्तर पर लेट गया.. तो कोमल ने कहा- अब मैं क्या करूँ?
मैं बोला- तू मेरे लंड को चूस कर दोबारा खड़ा कर न.. अभी तेरी चूत को चोदता हूँ।
वो मेरे ऊपर आकर मेरे लंड को जोर-जोर से चूसने लगी। करीब दस मिनट बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया।
मैंने कोमल को नीचे लिटाकर उसके ऊपर चढ़ कर उसकी चूत की चुदाई शुरू कर दी, मैं जोर-जोर से उसे पेलने लगा। इस बीच कई बार मैं लंड उसकी चूत से निकाल कर संध्या के मुँह में डाल देता था। अंत में जब मैं झड़ने को होने वाला था तो मैंने कोमल से पूछा- अन्दर छोड़ दूँ?
उसने कहा- नहीं.. मेरे मुँह में निकालो.. मैं इसे पीना चाहती हूँ। संध्या बोली- मुझे भी पीना है।
मैंने अपना सारा माल कोमल और संध्या दोनों के चेहरों के ऊपर डाल दिया, उन दोनों ने एक दूसरी के चेहरे को चाट कर साफ़ किया और फिर हम थोड़ी देर लेटे रहे।
उसके बाद हम तीनों बाथरूम में साथ नहाये और वहाँ पर भी सेक्स किया। हम शिमला में करीब एक हफ्ता रहे और हमने इस दौरान खूब सेक्स किया।
तो ये थी मेरी गर्लफ्रेंड कोमल और उसकी सहेली संध्या के साथ एक हफ्ते की शिमला में चुदाई।
आपको मेरी सेक्स स्टोरी कैसी लगी.. मुझे इसके बारे में मेल करें। [email protected]
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