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अब तक आपने पढ़ा.. नेहा और डॉक्टर साहब 69 के पोज में आ कर एक-दूसरे के लंड चूत को चूसने में लग गए थे। अब आगे..
नेहा डॉक्टर साहब का लंड लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी। उधर डॉक्टर साहब ने अपनी जीभ नेहा की चूत में घुसा दी थी और चूत की गहराई में जीभ डाल कर चूत चुसाई शुरू कर दी थी। वे दोनों पूरी तरह चुदाई की मस्ती में थे, दोनों ने एक-दूसरे को गरम कर दिया था।
इधर ये सब देख कर मेरा लंड दूसरी बार खड़ा होकर झड़ चुका था।
नेहा डॉक्टर साहब के लंड के ऊपर आकर बैठ गई और उसने अपने हाथ से डॉक्टर साहब का लंड अपनी चूत में घुसा दिया। अब वो धीरे-धीरे ऊपर-नीचे होने लगी। नेहा डॉक्टर साहब से बोली- यार तुम्हारा लंड इतना लम्बा और मोटा है.. मेरे पेट तक पहुँच जाता है। डॉक्टर साहब बोले- जानू धीरे-धीरे आदत पड़ जाएगी। नेहा बोली- आह्ह.. सच में बहुत मजा आ रहा है यार।
डॉक्टर साहब ने थोड़ा सा नेहा को उछालना शुरू किया तो नेहा बोली- आह्ह.. धीरे यार दर्द हो रहा है। डॉक्टर साहब ने कहा- दर्द होगा.. तभी मजा आएगा जानू। अब उन्होंने जोर-जोर से चूतड़ों की दम पर नेहा को उछालना शुरू कर दिया था। पूरे कमरे में ‘फच.. फच..’ की आवाज गूंजने लगी।
डॉक्टर साहब बहुत देर तक नेहा को अपने लंड के ऊपर बैठा कर चोदते रहे। डॉक्टर साहब ने नेहा को बहुत देर तक उछाल-उछाल कर चोदने के बाद उसको एक झटके से लिटा दिया और उसकी पूरी टांगें फैला दीं। इसी के साथ डॉक्टर साहब ने पूरी ताकत के साथ अपने कड़क लंड को नेहा की चूत में पेल दिया।
नेहा एकदम से लंड घुसने के कारण चिल्ला पड़ी- ऊईईईई.. मेरी चूत फाड़ डालोगे क्या.. आराम से नहीं पेल सकते यार..? ‘तो मेरी जान तुम्हारी चूत कौन सा फट गई?’ नेहा ने कहा- टांगें पकड़ो यार.. प्लीज मेरी टांगें पकड़ो।
डॉक्टर साहब ने नेहा की टांगें पकड़ लीं और चूत में धक्के मारने शुरू कर दिए। अब कमरे में लंड की चूत पर पड़ने से ‘फट.. फट..’ की तेज आवाजें और साथ ही नेहा के कंठ से ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ की आवाजें गूजने लगी थीं।
काफी देर नेहा की चूत में धक्के मारने के बाद डॉक्टर साहब ने लंड को एक झटके से चूत से बाहर निकाल लिया और उसके ऊपर चढ़ कर नेहा के मम्मों के बीच में लंड घुसा दिया और नेहा की चूची चुदाई चालू कर दी। नेहा बीच-बीच में लंड के सुपारे पर जीभ मारती जा रही थी।
थोड़ी देर ऐसे ही नेहा के मम्मों की चुदाई करने के बाद के बाद उन्होंने नीचे जाकर फिर से उसकी टांगें फैला दीं। नेहा बोली- टांगें चिपकाओ यार.. मेरी गांड फैल जाएगी। वो टांगें फैलाने पर हमेशा यही कहती थी।
डॉक्टर साहब ने नेहा की टांगें कंधे पर रख लीं और उसकी चूत में एकदम से लंड पेल कर धक्के देने लगे। नेहा दर्द से तड़फ कर कहने लगी- आह्ह.. निकालो यार.. निकालो तुम तो मेरी जान ही निकाल देते हो।
इधर उन दोनों की धकापेल चुदाई देख कर मुझसे रहा नहीं जा रहा था। मेरे निक्कर में अंडरवियर के अन्दर लंड पानी से सन चुका था। मैं लंड धोना चाहता था.. पर यहाँ चुदाई शवाब पर थी।
जब बिल्कुल नहीं लेटा गया.. तो मैं धीरे से आधा बैठ गया और मैंने अपने ऊपर ऊपर चादर ले ली। पहले उन दोनों का मुझ पर ध्यान ही नहीं गया। फिर नेहा का ध्यान मेरी तरफ गया तो वो चुदते-चुदते जोर से बोली- जब चढ़ जाती है तो इतनी क्यों पीते हो?
डॉक्टर साहब थोड़ा देर के लिए हिचके पर नेहा पूरी तरह से चुदास से गर्म हो गई थी। उसने नीचे से अपनी गांड उछालनी चालू रखी। वो डॉक्टर साहब से बोली- बैठा रहने दो न यार उसको!
मैं उठ कर बाथरूम में चला गया।
डॉक्टर साहब बोले- कुछ गड़बड़ तो नहीं हो गया? वो बोली- तुम भी न उस ‘फुस.. फुस..’ के लिए इतने परेशान हो जाते हो.. मूत कर सो जाएगा चूतिया.. वो मुझे चूतिया बोल कर हँसने लगी।
डॉक्टर साहब बिल्कुल रिलैक्स हो गए। मैं लौट कर आया और पूछा- तुम सोई नहीं? नेहा बोली- तुम सो जाओ न.. हम सो जाएंगे। डॉक्टर साहब उसकी तरफ देखते हुए थोड़ा रुक गए थे।
नेहा डॉक्टर साहब से बोली- यार इस साले को क्यों इतनी पिला देते हो। डॉक्टर साहब बोले- ये खुद ही मांग-मांग कर पी रहा था। नेहा ने भी मेरे सामने बीयर पी थी और उसने डॉक्टर साहब के गिलास से थोड़ी दारू भी पी ली थी। पर धकापेल चुदाई के कारण उसका पूरा नशा जा चुका था।
वो डॉक्टर साहब से बोली- जानू तुम चोदो न.. इस भोसड़ी वाले की तुम क्यों चिंता कर रहे हो.. ये साला किसी लायक नहीं है। असली पति का रोल तो तुम निभा रहे हो.. जानू बहुत मजा आ रहा है। तुम मेरी चूत में अपना लंड पेलते रहो।
डॉक्टर साहब ने फिर से पहले की तरह नेहा की चूत में धक्के मारना चालू कर दिए। वो अब खुल कर जोर-जोर से ‘आह्ह्ह्ह.. आह्ह्ह्ह..’ करती जा रही थी।
अब डॉक्टर साहब और नेहा को मेरे जगे होने से फर्क नहीं पड़ रहा था। डॉक्टर साहब ने अब नेहा को साइड करके लिटा दिया और लंड डाल कर उसकी चुदाई करने लगे और साथ ही नेहा की जो साइड ऊपर थी.. उस तरफ से उसकी गांड पर वे अपना हाथ मारने लगे।
नेहा के चूचे मेरी तरफ थे.. वो लंड की ठोकर लगने के कारण जोर-जोर से आगे-पीछे हो रहे थे। मैं अपनी बीवी की चुदाई देखते हुए फिर से झड़ चुका था और पूरा ढीला पड़ गया था।
उन दोनों के चुदाई का कार्यक्रम शुरू हुए काफी देर हो चुकी थी। अब नेहा ने अपनी टांगें खोल दी थीं। डॉक्टर साहब का लंड फिर पूरी स्पीड से चूत में धक्के मारने लगा। फिर से ‘फट फट..’ की आवाज होने लगी।
डॉक्टर साहब ने कुछ पल बाद अपना लंड निकाल लिया और नेहा को बिल्कुल उल्टा लिटा दिया। अब उन्होंने पीछे से नेहा की चूत में लंड घुसा दिया। क्योंकि डॉक्टर साहब का लंड बहुत लंबा था.. इसलिए लंड उसको पीछे से भी पूरा मजा दे रहा था।
नेहा की गोरी गांड पर डॉक्टर साहब चांटे मारे जा रहे थे। नेहा भी डॉक्टर के लंड की ठोकर पड़ने पर पूरी ताकत से अपनी गांड से पीछे को धक्के मार रही थी।
मुझको नेहा के मुँह से अपने लिए ‘चूतिया और भोसड़ी वाला’ जैसी गाली सुन कर बहुत अच्छा लगा था। मैंने जानबूझ कर लेटे-लेटे अपना हाथ फैला दिया। मेरा हाथ चुदती हुई नेहा के पेट पर टच करने लगा। मैंने उसके पेट पर हाथ फिराना शुरू कर दिया।
मैं जानता था कि इससे नेहा चिढ़ जाएगी क्योंकि चुदाई के कारण वो पूरी गरम थी। इस तरह हाथ फेरने पर वो मुझे पक्के में गाली देगी। वही हुआ.. उसने जोर से मेरा हाथ मेरे ऊपर फेंक दिया और बोली- साले ठरकी.. मादरचोद.. नींद नहीं आ रही क्या.. भोसड़ी के अब तेरा हाथ इधर को आया न.. तो बिस्तर से धक्का मार दूँगी भोसड़ी के.. मुझे चुदने दे चूतिये।
मैं समझ गया कि अब मामला गड़बड़ हो जाएगा और यही सोच कर मैंने अपना हाथ समेट कर अपने पास को कर लिया।
अब डॉक्टर साहब बेफ़िक्र होकर नेहा की चूत चुदाई करते हुए बोले- वाह यार, तुम तो पूरी शेरनी हो.. इसकी तो गांड फाड़ देती हो। नेहा बोली- अब हाथ लगाएगा तो सच में इसकी गांड पर लात मार के नीचे धक्का दे दूँगी.. हाँ नही तो बहन का लौड़ा उंगली कर रहा है.. इतने दिनों बाद तो इतनी अच्छी चुदाई का मजा आ रहा है और ये साला हाथ-पैर लगा देता है।
मेरी बीवी की बातें सुन कर डॉक्टर साहब का जोश दुगना हो गया, उन्होंने फिर से नेहा को सीधा कर दिया। अब डॉक्टर साहब ने नेहा की टांगें फैला कर लंड के ताबड़तोड़ धक्के चूत में देने शुरू कर दिए।
नेहा बोली- आह्ह.. जानू कितनी टांगें फैला-फैला कर लोगे। डॉक्टर साहब धक्के पर धक्के देते जा रहे थे, नेहा ‘आह्ह्ह्ह.. आअह्ह्ह.. उउह्ह्ह..’ कर रही थी। डॉक्टर ने अब पूरी दम से धक्के मारने शुरू कर दिए थे।
कमरे में बहुत जोर से चुदाई का मधुर संगीत अपनी लहरियां बिखेर रहा था। एक तरफ से ‘फट फट..’ की आवाज आती तो दूसरी तरफ से नेहा की ‘आह्ह..आह्ह..’ की आवाज गूंजने लगती।
डॉक्टर साहब बोले- मैं झड़ने वाला हूँ। नेहा बोली- आह्ह.. मुझको तो तुमने तीन बार बहा दिया है मेरी जान।
डॉक्टर साहब बोले- बाहर ही झडूं न..? नेहा बोली- अगर मैं तुम्हारी बीवी होती.. तो मेरी चूत के बाहर झड़ते या अन्दर? डॉक्टर साहब बोले- अन्दर! तो बोली- अब मुझे जो समझते हो.. वैसे हो करो।
डॉक्टर साहब ने लंड की अपनी पूरी पिचकारी नेहा की चूत में झाड़ दी और उसके ऊपर गिर कर पड़े रहे। वो दोनों उसी तरह कुछ मिनट एक-दूसरे को अपनी बांहों में चिपकाए पड़े रहे।
नेहा ने डॉक्टर साहब की पीठ के पीछे हाथ से बांध लिए और बोली- आई लव यू यार.. छोड़ तो नहीं दोगे.. अब तो चोद चुके हो। डॉक्टर साहब बोले- आई लव यू टू मेरी जान.. तुमने आज अपनी चूत के अन्दर झड़वा कर मुझे अपना पति बना लिया है तो अब तुमको अपनी बीवी बना कर ही रखूँगा मेरी जानेमन।
दोनों फिर से डीप स्मूच करने लग गए और चिपटे हुए लेटे रहे।
नेहा बोली- तुम्हारे लंड का पानी बह रहा है.. चलो वाशरूम चलते हैं। दोनों उठ कर वाशरूम में चले गए।
वे दोनों बहुत देर बाद लौट कर आए, दोनों ही एकदम नंगे थे। बिस्तर पर आकर नेहा बीच में लेटने लगी तो डॉक्टर साहब बोले- मेरी बीवी किसी के बगल में नहीं सोएगी.. वो सिर्फ मेरे बगल में सोएगी। नेहा मुस्कुरा कर बोली- जैसा तुम चाहो जानू।
डॉक्टर साहब ने कहा- कपड़े तो पहन लो। नेहा बोली- ऐसे ही सोओ न। डॉक्टर साहब बोले- और तुम्हारा ये फुसफुस उठ गया तो? नेहा बोली- एक तरफ बीवी बोलते हो और इस चूत के ढक्कन से डर रहे हो।
नेहा ने डॉक्टर साहब को नंगा ही अपने ऊपर खींच लिया और कम्बल ओढ़ कर दोनों चिपक कर सो गए।
मैं भी क्या करता.. अपने लंड पर हाथ रख कर सो गया। आपको मेरी हिंदी कहानी कैसी लगी अपने विचार मुझ तक जरूर भेजिएगा। [email protected]
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