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अब तक आपने पढ़ा.. पायल आंटी मेरे साथ ट्रेन के टॉयलेट तक आ गई थीं और वे टॉयलेट में अन्दर थीं। उन्होंने अन्दर से मुझे आवाज दी। अब आगे..
पायल आंटी- अनमोल.. मैं बाहर से बोला- हाँ जी क्या हुआ पायल जी?
पायल आंटी- अन्दर आ जाओ जल्दी से.. मैंने अन्दर आते हुए कहा- क्यों क्या हुआ? पायल आंटी- अनमोल.. प्लीज़ तुम यह फोन पकड़ो जल्दी से.. मुझे बहुत ज़ोर से पेशाब आ रही है।
पायल आंटी ने बाथरूम का डोर बन्द कर दिया और अपनी कुरती को ऊपर करके अपनी लैगी के दोनों तरफ हाथ डाल कर उसे उतारने लगीं। मेरे फोन की टॉर्च की रोशनी पायल आंटी के ऊपर थी। मैंने जल्दी से वहाँ से टॉर्च की रोशनी हटा कर दूसरी तरफ कर दी।
पायल आंटी- अनमोल.. टॉर्च जरा मेरी तरफ दिखाओ.. मुझे कुछ पता नहीं चल रहा है।
मैंने फिर से टॉर्च की रोशनी पायल आंटी की तरफ की। अब पायल आंटी अपनी लैगी को उतार चुकी थीं और मूतने के लिए नीचे बैठ रही थीं। मैंने नीचे की तरफ रोशनी की.. तो देखा कि पायल आंटी नीचे बैठ चुकी थीं और नीचे बैठते ही पायल आंटी ने अपने एक हाथ से मेरी टाँग को पकड़ लिया, ताकि वो टायलेट सीट के ऊपर अपना संतुलन बना सकें।
मुझे पायल आंटी की टाँगों में उनकी खिसकी हुई लैगी दिखाई दे रही थी। मैं कोशिश कर रहा था कि किसी तरह पायल आंटी की चूत दिखाई दे जाए.. पर मैं खड़ा था और आंटी बैठी थीं। तो पायल आंटी की चूत दिखने का कोई चान्स नहीं था।
पायल आंटी ने अभी भी मेरी टाँग अपने हाथ से पकड़ी हुई थी। उनके हाथों का स्पर्श मेरे लंड को धीरे-धीरे जगा रहा था। कुछ देर बाद मुझे उनके मूतने की आवाज़ आने लगी- शस्स्श.. स्स्स्शह..’
टॉर्च की रोशनी में पायल आंटी की पीली-पीली पेशाब की धार दिखाई देने लगी। मूतने की इतनी मधुर आवाज़ के साथ सीधी धार को देख कर मेरा लंड कुछ अकड़ने लगा, मैंने आज तक किसी औरत को इतने करीब से पेशाब करते हुए नहीं देखा था।
पायल आंटी नीचे की तरफ देख रही थीं। अचानक उन्होंने अपना सर उठाया और मेरी तरफ देख कर मुस्कुराई- ऐसे क्या देख रहा है? कभी किसी औरत को पेशाब करते हुए नहीं देखा क्या? मैंने शरमाते हुए कहा- नहीं.. इतने करीब से कभी नहीं देखा। पायल आंटी ने हँसते हुए कहा- तो आज देख ले अच्छे से..
मैंने पायल आंटी का इशारा कुछ समझा नहीं.. मुझे तो उनके पति का डर था। पर पता नहीं उन्हें अपने पति का डर था या नहीं।
पायल आंटी अभी भी बैठ कर पेशाब कर रही थीं और मैंने अपने फोन की टॉर्च उनके ऊपर की हुई थी। अभी भी उनकी चूत से मूत की धार निकलने की धीमी-धीमी आवाज़ आ रही थी।
मेरा लंड तो साली आंटी की चूत की मूत की धार की आवाज को सुन कर गरम हो गया था। पायल आंटी ने अभी भी सहारा लेने के लिए मेरा पैर पकड़ा हुआ था।
पायल आंटी- मुझे बहुत ज़ोर से पेशाब लगी हुई थी.. बहुत सारा किया, तूने देखा ना अनमोल? मैं- हाँ पायल जी.. मैंने देखा, आपकी मूतने की आवाज़ आ रही थी। पायल आंटी- कैसी लगी तुझे मेरे मूतने की आवाज़? मैं- आप बहुत सेक्सी अंदाज़ से पेशाब करती हो पायल जी।
पायल आंटी- अच्छा, तुझे पसंद आया मेरे पेशाब करने का अंदाज़.. रुक, तुझे एक पेशाब करने का और अंदाज़ दिखाती हूँ।
मैं सोच में पड़ गया कि अब पायल आंटी मूतने का कौन सा अंदाज़ दिखाने वाली हैं।
पायल आंटी ने अपना मूतना रोका और खड़ी हो गईं और हल्की से नीचे अपनी चूत को झुकाया और सहारा लेने के लिए मेरे हाथ को पकड़ लिया।
पायल आंटी- अब देख.. मैं खड़े होकर कैसे पेशाब करती हूँ। मेरी चूत की तरफ टॉर्च कर ले और देख।
मैं पायल आंटी के मुँह से ‘चूत’ शब्द सुन कर एकदम से मस्त हो गया कि पायल आंटी अब पूरी तरह मेरे से खुल रही हैं। मैं- ओके पायल जी। यह हिंदी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
मैंने टॉर्च पायल आंटी की चूत की तरफ की तो देखा उनकी चूत पर हल्की-हल्की झाँटें उगी थीं और उनकी गोरी-गोरी चूत की फाँकें निकली हुई थीं। उनकी गरम चूत से मूत की धार टिप-टिप करके निकल रही थी। उनकी चूत से निकलती हुई पीली पेशाब का नज़ारा देख कर मेरे लंड में एकदम से जान आ गई और मेरा लंड उनकी चूत को देख कर खड़ा होने लगा।
पायल आंटी- तूने कभी मूत का स्वाद चखा है? मैं- नहीं पायल जी.. पायल आंटी- तो देख क्या रहा है.. चखना है.. तो चख ले।
पायल आंटी का बस यही बोलना था कि मैंने जल्दी से अपनी एक हाथ की उंगली उनकी पेशाब की धार में लगा दी। मैंने जैसे ही उनकी पेशाब की धार को उंगली लगाई.. उनकी पेशाब मुझे बहुत गरम लगी।
अपनी उंगली को उनकी पेशाब की धार से गीला करने के बाद मैंने अपनी नाक में ले जाकर सूँघा। उनकी पेशाब की खुशबू बहुत ही लाजवाब थी। मैंने जल्दी से अपने मुँह में डाल कर अपनी उंगली को चूस लिया। पायल आंटी की पेशाब का स्वाद बहुत ही मस्त था। पायल आंटी मेरी इस हरकत को देख के हँस दीं- हाए रे.. तूने तो सच्ची में मेरी पेशाब पी ली.. कैसी लगी मेरी पेशाब तुझे? मैं- आपकी पेशाब बहुत ही स्वादिष्ट है।
मेरे से उनकी पेशाब को चखने के बाद रुका नहीं गया। मैं झट से अपना मुँह पायल आंटी की चूत के पास ले गया और उनकी पूरी चूत को चूसने लगा। उनकी चूत से निकलता हुआ पेशाब उनकी चूत से ही डायरेक्ट पीने लगा।
पायल आंटी- हाय रे.. यह तो क्या कर रहा है अनमोल.. आहह.. म्म्म्मत कर.. तू तो मेरी सारी पेशाब पी जाएगा।
मैं पायल आंटी की चूत से निकलती हुई पेशाब को पीने लगा। उनकी चूत की पेशाब अब खत्म होने लगी थी। उनकी गोरी चूत से अब सिर्फ़ बूँद-बूँद पेशाब निकल रही थी। मैं वो बूँद-बूँद पेशाब भी चाट-चाट कर पी गया। मैं कुत्ते की तरह पायल आंटी की चूत चाटने लगा..
पायल आंटी अभी भी चौड़ी होकर खड़ी थीं और मैं उनकी चूत चाटने में लगा हुआ था। पायल आंटी ने मेरा सर पकड़ा हुआ था और वे मेरे सर पर अपना हाथ फेर रही थीं। ट्रेन भी रुक चुकी थी.. मैं बहुत बुरी तरह से पायल आंटी की चूत चाटने में लगा हुआ था।
पायल आंटी- बस कर अनमोल.. बस कर.. बाकी चटाई बाद में कर लेना.. आहह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… म्म्म्म.. तू तो बहुत मस्त चूत चटाई करता है रे म्म्म्म..
उसी वक्त दरवाजे पर दस्तक हुई, पायल के पति की आवाज आई- पायल.. क्या तुम अन्दर हो? पायल आंटी मुझे अपनी चूत से हटाते हुए बोलीं- जी.. मैं अन्दर हूँ.. अभी आती हूँ।
मैं पायल के हज़्बेंड की आवाज़ सुनकर एकदम से डर गया कि अब क्या होगा, मैं धीमे से बोला- पायल.. अब क्या करें.. आपके हज़्बेंड बाहर हैं? पायल ने हँसते हुए कहा- मेरी चूत और चाटनी है ना.. तो जो अन्दर किया सब इन्हें बाहर बता देना!
मैं- अरे यह क्या बोल रही हो आप.. सब सच बता देना.. मतलब? पायल आंटी- तुझे मेरी चूत चाटनी है ना.. तो जैसा मैं बोल रही हूँ वैसा करो.. बस। मैं- ओके पायल जी..
पायल आंटी ने जल्दी से अपनी लैगी पहन ली। मैं तो एकदम से डर गया था कि अब क्या करूँ। पायल आंटी का पति बाहर खड़ा है। पायल आंटी ने कुण्डी खोली और हम दोनों बाहर निकल आए.. बाहर कोई नहीं था। शायद पायल आंटी का पति वहाँ से जा चुका था।
पायल आंटी- तुम सीट पर जाकर लेट जाना चुपचाप.. बाकी मेरे ऊपर छोड़ दो। मैं- ठीक है।
हम दोनों अपनी सीट में आ गए.. पायल आंटी का पति वहीं अपनी सीट में लेटा हुआ था। पति- कहाँ चले गए थे तुम दोनों? पायल आंटी- कुछ नहीं अनमोल को साथ लेकर गई थी.. बाथरूम में लाइट नहीं थी न। पति- अच्छा.. अच्छा।
पायल आंटी के पति ने हल्की सी मुस्कान दे दी.. पायल आंटी भी अपने पति को देख कर स्माइल पास करने लगीं।
मैं दोनों की स्माइल के पीछे राज़ को समझ नहीं पाया। मैं कंबल लेकर सीट पर बैठ गया था और पायल आंटी भी कंबल को थोड़ा ठीक करके मेरे पास आकर बैठ गईं। उनका पति अब कंबल ओढ़ कर सो गया।
कुछ देर बाद पायल आंटी अपने एक हाथ से मेरी जांघों को सहलाने लगी। बोगी में अंधेरा था और सब लोग सो रहे थे। इस स्टॉप पर बोगी और भी खाली हो चुकी थी। मुझे भी थोड़ी हिम्मत हुई और मैं भी पायल आंटी की जांघों को सहलाने लगा। कुछ देर ऐसे ही एक-दूसरे की जांघें को सहलाते हुए अठखेलियाँ करने लगे।
पायल आंटी ने मेरे पास आकर मेरे होंठों पर एक जोरदार चुंबन लिया। मैं भी पायल आंटी का पूरा साथ देने लगा। मुझे उनके गुलाबी होंठ चूसने में बहुत मज़ा आ रहा था। हम दोनों कुछ देर ऐसे ही एक-दूसरे के होंठ चूसते रहे। उसके बाद हम दोनों सीट पर कंबल ओढ़ कर लेट गए। सीट पर लेटने के बाद मैंने पायल आंटी को अपने गले से लगा लिया और उन्हें चुंबन करने लगा।
मैं पायल आंटी की पीठ पर हाथ फिरा कर उन्हें और गरम कर रहा था। पायल आंटी भी मेरे चुंबनों का जवाब बहुत ही सेक्सी तरीके से दे रही थीं। मैं अपना हाथ धीरे-धीरे पायल आंटी की पीठ सहलाते हुए उनके चूतड़ों पर ले गया। पायल आंटी के चूतड़ों को जैसे ही मेरा हाथ महसूस हुआ, उन्होंने अपने चूतड़ थोड़े सिकोड़ लिए।
मैं अब पायल आंटी के होंठों को चूसते हुए उनके चूतड़ों को अपने हाथ से मसल रहा था। पायल आंटी के चूतड़ बहुत ही नरम मुलायम थे। फिर मैंने अपना एक हाथ पायल आंटी की चूचियों के ऊपर रख दिया और उनकी एक चूची को दबाने लगा।
पायल आंटी- तुम तो बड़े शैतान हो.. मुझे हर तरह से निचोड़ कर ही दम लोगे। मैं- हाँ आप हो ही इतनी सेक्सी.. कि आपका शरीर निचोड़ने का किसी का भी मन करेगा। पायल आंटी- आअहह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… तो निचोड़ ना.. मेरे मम्मों को ज़ोर से मसल न.. उम्म्म..
मैं पायल आंटी की कभी एक चूची को निचोड़ता तो कभी दूसरी चूची को निचोड़ता। पायल आंटी की चूचियाँ भी बहुत नरम थीं और उन्हें दबाने में बहुत मज़ा आ रहा था।
पायल आंटी- इनका दूध पियेगा? मैं- क्या इनमें दूध आता है? पायल आंटी- हाँ थोड़ा-थोड़ा दूध निकल आएगा.. अगर तू इनके निप्पलों को अच्छे से खींच कर चूसेगा तो?
पायल आंटी ने जल्दी से अपनी कुरती ऊपर कर दी और मुझे थोड़ा नीचे होने को बोला। मैं हल्का सा नीचे की तरफ हुआ तो पायल आंटी की ब्रा में क़ैद चूचियां मेरे सामने थीं। अंधेरा होने के कारण कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। मैंने हाथ से पकड़ कर पायल आंटी की ब्रा को खोल दिया और उनकी एक चूची को पकड़ कर अपने मुँह में डाल कर निप्पल चूसने लगा।
मैं कुछ देर ऐसे ही पायल आंटी के निप्पल को चूसता रहा.. पर उसमें दूध नहीं निकल रहा था। पायल आंटी- अनमोल दूध निकला मेरी चूची से? मैंने निप्पल से मुँह हटाते हुए कहा- नहीं पायल जी..
पायल आंटी- मैंने बोला ना.. एक बार ज़ोर से चूस कर देख।
मैंने इस बार पायल आंटी की चूची के निप्पल को ज़ोर से सक किया तो पायल आंटी की चूची से दूध निकल कर मेरे मुँह में आ गया। पायल आंटी की चूची का गरम दूध पीकर मैं एकदम मस्ती में आ गया।
उधर पायल आंटी मेरे लंड को पैन्ट के ऊपर से ही मसल रही थीं। मेरा लंड उनके हाथों की मसलन से कड़क हो गया था और पैंट के बाहर निकलने को आतुर था। पायल आंटी ने मेरी पैंट थोड़ी सी खोल कर मेरा लंड बाहर निकाल लिया। मैं अभी भी उनकी चूचियाँ दबा-दबा कर चूस रहा था।
कुछ ही देर बाद पायल आंटी उठ कर 69 की स्थिति में आ गईं और अब वे मेरा लंड चूस रही थीं।
करीबन 5 मिनट में ही मैं झड़ने को हुआ मैंने उनको हाथ से दबा कर इशारा किया तब भी उन्होंने मेरे हाथ हो झटक दिया और वे मेरे लंड को और भी अन्दर तक लेकर चूसने लगीं।
अगले ही कुछ पलों बाद मेरा माल उनके मुँह में छूट गया और उन्होंने गाय के थन की तरह मेरे लंड को पूरा चूस लिया। कुछ देर तक लुंज-पुंज हुए लंड को चूसने से वो फिर खड़ा हो गया।
अब आंटी मेरे ऊपर चढ़ गईं और उन्होंने अपने हाथ से अपनी लैगी और पैंटी को सरका कर मेरे लंड को अपनी चूत पर फिट कर लिया। बस लंड ने उनकी रसीली चूत में घुस कर कोहराम मचाना शुरू कर दिया।
करीब दस मिनट की धकापेल चुदाई के बाद मैं उनकी चूत में ही झड़ गया.. और हम दोनों एक-दूसरे से चिपक कर ही लेट कर सो गए।
यह थी मेरी ट्रेन की यात्रा में चुदास का मजा वाली कहानी.. मुझे उम्मीद है कि आप सभी को मजा आया होगा। आपके कमेंट्स का इन्तजार रहेगा।
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