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दोस्तो, मैं सोनाली आप सभी पाठकों का फिर से स्वागत करती हूँ।
मेरी पिछली कहानी मेरे भतीजे का यौवन और मेरी अन्तर्वासना-2 में आपने पढ़ा कि कैसे जब हम बाजार खरीददारी करने गए थे… और फिर मौका देखकर मैंने और आलोक ने कार में ही अपनी मस्ती शुरू कर दी।
अब आगे-
आज स्वाति की सगाई थी तो सभी लोग आज सुबह से ही तैयारी और भाग दौड़ में लगे थे। मैं भी आज सुबह से काफी व्यस्त थी। घर के सभी आदमी बाहर के कामों में लगे थे।
सगाई के लिए एक बैंक्वेट गार्डन बुक किया गया था, रोहन और आलोक भी सुबह से वही थे।
शाम तक सभी लोग घर आ चुके थे और तैयार होकर वापस गार्डन जाने लगे। घर के सभी लोग कार में बैठकर चले गए थे। घर पर अब मैं और रोहन ही रह गए थे क्योंकि हम दोनों बाइक से जाने वाले थे।
सभी के जाते ही रोहन कमरे के अंदर आ गया।
उस वक्त मैं तैयार हो रही थी, मैं लाल रंग की साड़ी पहन रही थी, रोहन को देखकर मैं मुस्कुरा दी।
रोहन भी पीछे से आकर मुझसे लिपट गया और बोला- मम्मी, लाल साड़ी में आप बहुत हॉट लग रही हो और सेक्सी तो आप पहले से ही बहुत हो! रोहन की इस बात पर हम दोनों मां बेटे हंसने लगे।
रोहन ने अपने हाथों को मेरे बूब्स पर रख दिया, उन्हें मसलना शुरू कर दिया।
रोहन का लंड पूरी तरह से तन चुका था और वो उसे मेरी गांड पर रगड़ रहा था। मैंने रोहन को कहा- ओहह… रोहन अभी रूक जाओ… हम सगाई के लिए लेट हो जाएंगे… बाद में आकर ये सब करेंगे वरना मुझे फिर से तैयार होने में बहुत टाइम लग जाएगा।
पर रोहन कहाँ मानने वाला था… वो भी मेरी ही तरह जिद्दी और चुदासा था, रोहन बोला- मम्मी इतने दिनों से मैं आपसे दूर हूँ पर आपको तो मेरी जरा भी चिंता नहीं है।
रोहन अपना लंड बाहर निकाल कर बोला- आप इसका पानी तो निकाल ही सकती हो। तो मैं भी उसकी तरफ मुस्कुराते हुए देखने लगी और फिर सोफे पर जाकर बैठ गई।
रोहन मेरे सामने आकर खड़ा हो गया और मैं अपने बेटे के लंड को हाथ में लेकर सहलाने लगी। रोहन के लंड को देखकर मैं भी उत्तेजित हो रही थी, मैंने रोहन के लंड को आगे पीछे करना शुरू कर दिया।
थोड़ी देर तक रोहन के लंड को हाथों से सहलाने के बाद मैं उसे मुँह में लेकर चूसने लगी। रोहन भी मेरे सर को पकड़कर अपने लंड को मेरे गले तक उतार रहा था।
लंड चूसने के कारण मेरे मुंह से अलग ही आवाजें आ रही थी। रोहन भी सिसकारियाँ भर रहा था- आहहहह… मम्मा… उम्म्ह… अहह… हय… याह… ओह… बड़ा मजा आ रहा है… चूसती रहो मॉम इसी तरह से… मम्ममाहहह…
कुछ ही देर बाद रोहन झड़ने लगा और उसके लंड से वीर्य की नदी बहने लगी। रोहन के मीठे पानी से मेरा मुँह सराबोर हो गया था जो की धीरे धीरे मेरे गले से नीचे उतर रहा था। मेरी चूत भी उत्तेजना के कारण पानी छोड़ रही थी जिससे मेरी पेंटी पूरी गीली हो चुकी थी।
मैंने रोहन के लंड को मुँह से बाहर निकाल दिया। रोहन बोला- मम्मी.. अब रात का कोई बहाना नहीं चलेगा।
मैंने रोहन से कहा- हाँ ठीक है… अगर रात में समय और मौका मिला तो मैं और मेरा राजा बेटा जरूर कुछ करेंगे… पर पूरी तैयारी के साथ आना! तैयारी से रोहन समझ चुका था कि मैंने उसे कंडोम लेकर आने का बोला है।
फिर हम हम दोनों बाइक पर बैठकर गार्डन की तरफ चल पड़े। रात को करीब डेढ़ बजे प्रोग्राम खत्म होने के बाद हम सब लोग घर पहुँचे।
मैंने और रोहन ने जल्दी आने की कई कोशिश की पर बात नहीं बनी। रोहन का चेहरा भी उतरा हुआ सा था जिसे देखकर मुझे बार बार हँसी आ रही थी।
सब लोग सोने की तैयारी करने लगे, आलोक बाहर ही था… इसलिए मैं आलोक के रूम में ही सोने के लिए चली गई, रवि भी मेरे साथ ही थे। घर पर मेहमान ज्यादा थे तो मैंने रोहन को भी अपने साथ सोने के लिये बुला लिया।
मैंने कपड़े बदल कर गाउन पहन लिया और बेड पर जाकर लेट गई। रवि मेरे बायीं और रोहन दायीं ओर लेटे हुए थे और मैं उनके बीच में थी। ठंडी का समय था तो हम सब लोग अलग अलग कम्बल लेकर लेटे हुए थे।
रवि काफी थके हुए थे तो जाते ही सो गए… पर रोहन और मैं अभी तक जगे हुए थे, हम दोनों को नींद नहीं आ रही थी। जब रोहन को लगा कि उसके पापा सो चुके हैं तो वह हल्के से सरक कर मेरे बगल में आ गया।
रोहन ने दोनों कम्बल आपस में मिला दिए और मुझे अपनी तरफ खींच लिया। मैं रोहन से हल्की आवाज़ में बोली- जरा आराम से… अगर तेरे पापा जाग गए तो?
मैं आगे कुछ बोलती, उससे पहले रोहन ने मेरे होठों को अपने मुंह में भर लिया और उन्हें चूमने लगा। वैसे तो रवि काफी गहरी नींद में सोते थे पर फिर भी मुझे ध्यान रखना था कि कहीं वे जाग ना जाएँ।
मैंने भी अपने बेटे रोहन के होठों को चूमना शुरू कर दिया, अब हम दोनों आपस में एक दूसरे को चूम रहे थे। फिर रोहन ने अपने हाथ मेरे बूब्स पर रख दिए और उन्हें हल्के हल्के से दबाने लगा।
मेरे बेटे ने मेरे गाउन के ऊपर के बटन खोल दिए… जिससे मेरे मम्मे ब्रा में ही बाहर आ गए। रोहन ने मेरी ब्रा का हुक भी खोल दिया और अब मेरे कसे हुए गोल मम्मे बिल्कुल नंगे थे और गाउन के बाहर थे।
रोहन ने उन्हें काफी देर तक चूमा और दबाया, वह बीच में मेरे निप्पल भी दबा देता था जिस वजह से मेरे मम्मे लाल हो गये थे और निप्पल कड़क हो गए थे।
मैंने रोहन से धीमी आवाज़ में कहा- रोहन बेटा, जो भी करना है जल्दी कर, हमारे पास इतना वक्त नहीं है!
रोहन ने अपने इस खेल को आगे बढ़ाया, उसने मेरे गाउन को कमर तक ऊपर कर दिया और फिर अपने पाजामे से अपना लंड बाहर निकाल कर मेरे हाथों में थमा दिया। फिर मेरे बेटे ने अपनी जेब से कॉन्डोम निकाला और अपने लंड पर चढ़ा लिया… मेरी चूत भी तब तक गीली हो चुकी थी।
तब रोहन ने मेरी पेंटी को मेरी जांघों तक नीचे कर दिया और अपने लंड को मेरी गीली चूत पर रगड़ने लगा। धीरे धीरे उसने अपने लंड को मेरी चूत के अंदर डाल दिया और हल्के हल्के से धक्के देना शुरु कर दिया।
मैंने पलट कर रवि को देखा तो ये अभी भी गहरी नींद में सो रहे थे… ये मेरी तरफ पीठ करके सो रहे थे।
और फिर मैं और मेरा बेटा रोहन अपने काम यानि चुदाई में लग गए। रोहन बड़े ही आराम से अपने लंड को मेरी चूत के अंदर बाहर कर रहा था।
हम दोनों के बदन आपस में चिपके हुए थे जिस कारण हम बेहद गर्म हो रहे थे। रोहन अभी भी मेरे होंठों को चूम रहा था, जिस कारण हम दोनों की सिसकारियाँ हमारे अंदर ही घुट रही थी।
फिर रोहन ने अपना लंड बाहर निकाला और मुझे पलट दिया… अब मैं रोहन की तरफ पीठ करके लेटी हुई थी, उसने मेरी पेंटी को ऊपर वाली टांग से निकाला और टांग को अपने हाथ से उठा कर ऊपर कर दिया और फिर पीछे से अपने लंड को मेरी चूत पर रख कर अगले चार पांच धक्कों में मेरी चूत की गहराइयों में उतार दिया।
मैं बहुत उत्तेजित थी पर अपनी उत्तेजना को सिसकारियों में व्यक्त नहीं कर सकती थी… घुटन के कारण मैंने कम्बल को कस कर अपने हाथों में जकड़ लिया। मेरे बेटे ने मेरी चूत में अपने धक्कों को और बढ़ा दिया और अब पहले से थोड़ी तेज गति से मुझे चोदने लगा।
मैं अब झड़ने वाली थी तो मैंने रोहन के लंड पर दबाव बनाना शुरू कर दिया। मैंने अपने शरीर को कस लिया जिस वजह से मेरी चूत भी काफी कस गई थी… जिसे मेरा बेटा भी समझ चुका था… उसका लंड मेरी चूत के अंदर ही जकड़ रहा था पर वो लगातार मुझे चोदे जा रहा था।
अब मेरा बेटा भी मुझे चोद कर शायद झड़ने वाला था तो उसने मुझे कसकर पकड़ लिया और फिर हम दोनों मां बेटा एक साथ ही चरम पर आकर झड़ने लगे।
झड़ते वक्त भी रोहन ने अपने लंड से मुझे चोदना जारी रखा, फिर हम दोनों थोड़ी देर आपस में लिपटकर वैसे ही पड़े रहे। कुछ देर बाद रोहन ने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाला और धीरे से उठकर बाथरूम में चला गया।
रोहन के लंड बाहर निकालते ही मेरी चूत से पानी की धार बाहर निकलने लगी जिसे मैंने अपनी पेंटी अपनी एक टांग से निकाली और उससे अपनी चुदी हुई चूत को साफ किया और पेंटी तकिये के पास रख दी।
फिर मैं अपने कपड़ों को ठीक करने लगी। तब तक रोहन भी आ चुका था… उसने मेरी पेंटी को उठाया और सूंघने लगा और फिर अपने अंडरवियर के अंदर रख लिया।
यह देखकर हम दोनों फिर से मुस्कुराने लगे और मैं बिना पेंटी के ही रवि के साथ चिपक कर सोने लगी। थोड़ी देर बाद मैं और रोहन दोनों सो गए।
सुबह जब नींद खुली तो मैं रवि से लिपटी हुई थी।
फिर दोपहर तक हम लोग वहां से अपने घर के लिए रवाना हुए और शाम तक घर पहुँच गये।
आगे की कहानी में आप पढ़ेंगे कि स्वाति की शादी में हम लोगों ने कैसे एन्जॉय किया। आप लोगों को मेरी हिंदी सेक्स स्टोरी कैसी लगी, आप नीचे कमेंट्स कर सकते हैं… और अपने विचार भी मुझे मेल के द्वारा भेज सकते हैं। [email protected]
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