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दोस्तो.. अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज पर मेरी कई चुदाई कहानियाँ आ चुकी हैं, जो लोग मुझे पहले से नहीं जानते हैं.. मैं उनको बता दूँ.. मेरा नाम मेघा मुक्ता है, मैं दिल्ली में हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करती हूँ। मेरे दोस्त प्यार से मुझे ‘टीन मेघा’ बोलते हैं।
मेरी पहली चुदाई बेहद कमसिन कम उम्र में मेरे ब्वॉयफ्रेंड अविनाश ने ही की थी। उस वक़्त मैं नासमझ थी.. मेरी जवानी कच्ची थी, लेकिन कॉलेज में लड़कों के साथ रहने के कारण मैं सब कुछ बहुत जल्दी.. चुदाई की उम्र से पहले ही सीख गई थी। उनके द्वारा मेरे जिस्म को बहाने से छूने.. पर मेरा नाज़ुक जिस्म झनझना उठता था। धीरे-धीरे मेरे नाज़ुक जिस्म पर उभार आने लगे थे।
फिर जब मैं हॉस्टल में रहने गई.. तो वहाँ मेरी और मेरी रूममेट जीनत की ब्वॉय्स हॉस्टल में जमकर चुदाई हुई। जिससे कि मेरा जिस्म अधपकी उम्र में ही बहुत तेज़ी से भरने लगा। मैं तेज़ी से जवान हो रही थी.. लेकिन अक्ल से वही दो चोटी बांधने वाली थी।
मैं अब तक घर भर में उछल-कूद मचाने वाली बच्ची ही थी कि मेरे सौतेले बाप की नजर से मेरी मासूम जवानी पर पड़ गई। दरअसल मेरी मम्मी ने मुझे घर में ही अपने ब्वॉयफ्रेंड के साथ चुदाई करवाते हुए देख लिया था। ये बात उन्होंने पापा को बोल दिया था। उस दिन मुझे बहुत डांट पड़ी थी.. लेकिन मेरे पापा की नज़र अब मुझ पर बदल गई थी।
मम्मी ऑफिस के काम से घर से दूर थीं तो दस दिन तक मेरे पापा ने जमकर मेरी चुदाई की.. सिर्फ चुदाई ही नहीं बहुत प्यार भी किया था। मैं पहली बार किसी से इतनी भावनात्मक रूप से जुड़ गई थी।
मेरे पापा मुझे बहुत प्यार करते और मेरी हर फरमाईश को पूरा करते। बदले में मैंने उनको अपना मासूम गोरा नाज़ुक शरीर सौंप दिया था। पापा मुझे हॉस्टल से सैटरडे नाईट को ले जाते.. हमारी शाम किसी डिस्को में या किसी होटल के कमरे में गुज़रती.. उन्होंने ही मुझे धीरे-धीरे शराब पीना सिखा दिया था।
मम्मी इन सबसे अंजान ही थीं। सच बोलूँ तो वह खुश थीं कि सौतेला बाप होकर भी वो मुझे और मैं उनको इतना प्यार करती थी। यह सब आप मेरी पुरानी कहानियों में विस्तार से पढ़ चुके हैं।
फिलहाल यह कहानी आपको मेरे पापा की जुबानी सुननी होगी।
मेरा नाम संजय है, उम्र 39 साल.. हाइट 5 फीट 9 इंच है। मैं देखने में काफ़ी खूबसूरत और स्मार्ट हूँ, ऐसा सभी कहते हैं। मेरे लंड का साइज़ भी लम्बा और मोटा है। यह कहानी मेरी प्यारी बेटी मेघा की और मेरी है.. जिसे मैं उसकी सहमति से लिख रहा हूँ। इसमें मैं भी एक महत्वपूर्ण पात्र हूँ।
मेरी शादी लगभग एक साल पहले हुई थी। दरअसल मैं कॉलेज के दिनों में एक लड़की राधिका से प्यार करता था.. लेकिन हम दोनों की शादी नहीं हो सकी थी। फिर एक समय आया कि राधिका के पति की डेथ हो गई.. और वह अकेली हो गई, तो मैंने उसके सामने शादी का प्रस्ताव रखा.. वह मान गई।
हॉस्टल के दिनों में हम दोस्त मिलकर पोर्न फिल्म देखा करते थे.. जिससे कि हमको पोर्न मूवी देखने का चस्का सा लग गया था। मूवी से ही मुझमें इन्सेस्ट सेक्स को लेकर बहुत दिलचस्पी बढ़ गई थी।
हम चार दोस्त हॉस्टल में रहते थे। अक्सर हँसी-मज़ाक में हम एक-दूसरे की बहन की सुन्दरता की तारीफ कर देते थे.. जिसका कोई बुरा नहीं मानता था। कभी-कभी बियर के नशे में बात सुन्दरता से लेकर उनकी फिगर तक या सेक्सी ड्रेस तक पहुँच जाती.. लेकिन हम सब हँसते रहते, कोई किसी की बात का बुरा नहीं मानता था।
मौक़ा मिलते ही हम लोग रूम पर किसी रंडी को लेकर भी आते और एक साथ ही उसके साथ ग्रुप सेक्स का आनन्द लेते।
शादी के बाद कौन कैसे अपनी बीवी को चोदेगा.. अक्सर हम इस बात करते हुए हँसी-मज़ाक करते थे।
इस तरह मेरी शुरू से ही फैन्टेसी बन गई थी कि मैं अपनी बीवी या बेटी को दूसरे मर्द से चुदवाऊँ।
शादी के पहले कॉलेज के दिनों में नाज़िया नाम की लड़की मेरी गर्लफ्रेंड थी। उसका साइज़ 30-24-32 का था.. लेकिन मेरी जबरदस्त चुदाई के कारण फिलहाल उसका साइज़ बहुत जल्द ही 34सी-28-36 हो गया था। अब वो देखने में काफ़ी सेक्सी लगती थी.. पर किसी कारण मेरी उससे शादी नहीं हो सकी।
फिर कॉलेज ख़त्म होने के बाद मेरी शादी परिवार वालों ने रुक्मणि नाम की लड़की से कर दी। रुक्मणि बेहद संस्कारी और मासूम थी। उसने स्कर्ट टॉप तो दूर की बात कभी जीन्स और टी-शर्ट तक नहीं पहनी थी।
फिलहाल मैं यही समझता था कि सुहागरात के दिन ही उसका पहला सेक्स हुआ था। मैंने ही उसकी सील तोड़ी थी.. लेकिन मैंने अपनी सुहागरात के दो दिन बाद ही उसकी सील तोड़ी थी, क्योंकि रुक्मणि को काफ़ी दर्द हो रहा था और मैंने इसमें कोई जल्दबाज़ी नहीं दिखाई।
लेकिन हकीक़त कुछ और ही थी।
मैं रुक्मणि को भोली और मासूम समझता था लेकिन उसका अपने परिवार में ही एक लड़के से अफेयर था और उसने इसको शादी के बाद भी चालू रखा था। इस कारण से मैंने उसको छोड़ दिया।
एक के बाद एक तीन लड़कियों से मेरा बिछोह हो चुका था.. जिससे कि मैं बहुत तनाव में रहने लगा था।
मैं शराब पीता और रंडियों को लाकर चोदता.. लेकिन रंडी वह कमी नहीं पूरी कर सकती थी जो रुक्मणि करती थी। मुझे अपनी गलती पर पछतावा हो रहा था। सेक्स को लेकर मेरे अन्दर बेहद बुरी और सामाजिक रूप से गन्दी विचारधारा पनपने लगी थी।
खैर.. अब कहानी को ज़्यादा नहीं खींचते हुए मैं सीधा पॉइंट पर आता हूँ।
जिस लड़की राधिका को मैं कॉलेज के दिनों में प्यार करता था.. अचानक उसके पति की मौत हो गई थी। शायद उन्होंने आत्महत्या कर ली थी।
तो मैंने राधिका से एक बार फिर नजदीकियां बढ़ाना शुरू कर दीं.. उसको भी एक सहारे की जरूरत थी.. तो उसने भी हामी भरते हुए मेरे साथ शादी कर ली।
मेरी एक जवान होती कमसिन मासूम बेटी है। जिसके बारे में आपको पिछली कहानी में मालूम पड़ ही गया होगा कि वह कितनी चंचल और जिद्दी है।
फिलहाल हम दोनों बाप बेटी में जल्द ही दोस्ती वाला रिश्ता बन गया था। हम अक्सर राधिका को बिना किसी बात को बताए हुए.. सैटरडे नाईट को सारी रात तरह तरह से एन्जॉय किया करते थे। कभी हम दोनों बाप-बेटी नाईट क्लब में जाकर डांस करते ड्रिंक करते थे।
मैं अपनी बेटी मेघा को बेहद कामुक ड्रेस पहनाता.. ताकि पार्टी में सब मेरी बेटी को ही देखें। कभी शॉर्ट्स, कभी गाउन, कभी मिनी स्कर्ट.. उसको इन सब ड्रेस में देखा कर जवान लड़के ही नहीं पचास से साठ साल के बुड्ढे भी उसके मिनी स्कर्ट से झाँकती ट्रांसपेरेंट पैन्टी को देखकर उसको लाइन मारते थे।
वह मेरे सामने ही उनके साथ फ़्लर्ट करती.. वो जानती थी कि मैं इन सबसे उत्तेजित होता हूँ। कच्ची उम्र में ही उसके अन्दर गज़ब का सेन्स आ गया था। वह दिखने में बेहद मासूम और छोटी सी थी.. लेकिन अन्दर से किसी जंगली बिल्ली से कम नहीं थी।
एक दिन कानपुर में मेरे बड़े भाई की बेटे राहुल की शादी थी। मेघा मेरे और मेरी पत्नी राधिका के साथ साथ शादी में लाल रंग का लहंगा चोली पहन कर गई थी। जिसकी चोली पीछे से बैकलेस थी.. सिर्फ दो डोरियाँ ही उसके छोटे से ब्लाउज को रोके हुए थीं।
हमारी शादी के बाद खानदान भर में कई लोगों ने मेरी जवान बेटी को पहली बार देखा था। उसने बेहद भड़काऊ सुर्ख लिपस्टिक के साथ अपने कमसिन सुडौल मम्मों को बैकलेस ब्लाउज से बिल्कुल बाहर को निकाला हुआ था। जिससे कि उसकी क्लीवेज दिख रही थी।
उसका लहंगा कमर से इतना नीचे बंधा था कि जयमाला से पहले सबके साथ डांस करते हुए उसकी पैंटी की स्ट्रिप बाहर दिख रही थी। शादी में आई बाकी की लड़कियों को मेरी बेटी से जलन सी हो रही थी, वे उसकी पैंटी की स्ट्रिप को देखकर खुसुर-पुसुर कर रही थीं।
जवान लड़के तो उसके आस-पास ही मंडरा रहे थे, हर कोई उससे दोस्ती करना चाहता था।
‘क्या माल है गुरु.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… लहंगे के नीचे इसकी मजेदार जन्नत होगी..’ ‘इतनी कम उम्र में भी जन्नत का मज़ा देगी.. दिल्ली की जवानी है.. न जाने कितने लड़कों को इसने अपना गुलाम बनाकर चटवाई होगी।’
चार लड़के मेरी बेटी मेघा को देखकर आपस में बातें कर रहे थे। मैं पास ही खड़ा था.. वो नहीं जानते थे कि मैं उसका बाप हूँ।
मेरी बेटी की चूत की चुदाई की कहानी को पढ़ कर आपको कैसा लग रहा है.. आप अपने विचार मुझे ईमेल कर सकते हैं।
[email protected] कहानी जारी है।
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